अतीक के बाद बारी मुख्तार अंसारी की, कृष्णानंद राय हत्या में निर्णय 14 अप्रैल को

अतीक अहमद के बाद क्या अब है मुख्तार अंसारी की बारी? राजू पाल हत्याकांड से भी खतरनाक है कृष्णानंद राय मर्डर केस

हाइलाइट्स
1-अतीक अहमद के बाद अब उत्तर प्रदेश के दूसरे माफिया की बारी
2-15 दिन बाद मुख्तार अंसारी पर भी हो सकता है सजा का एलान
3-कृष्णानंद राय हत्याकांड में आरोपित है उत्तर प्रदेश का दूसरा डॉन

लखनऊ 01 अप्रैल। उत्तर प्रदेश जो कभी गुंडाराज के लिए जाना जाता था उसे अपराध मुक्त करने का बीड़ा उठा चुके हैं राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath)। सरकार के आदेश के बाद राज्य से छोटे-मोटे गुंडे-मवाली समेत राज्य के बड़े माफियाओं पर भी लगातार शिकंजा कसा जा रहा है। एक तरफ सालों तक यूपी में माफिया राज चला चुके अतीक अहमद (Atique Ahmed) और मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) के गैंग को कमजोर किया जा रहा है तो दूसरी तरफ अदालत भी इनके गुनाहों के लिए सजा तय कर रही है। अतीक अहमद को उमेश पाल हत्याकांड मामले में उम्र कैद के बाद साबरमती जेल भेज दिया गया है, तो वहीं अगली बारी हो सकती है मुख्तार अंसारी की।

उत्तर प्रदेश के डॉन कब तक खैर मनाएंगें!

अतीक अहमद जिस तरह राजू पाल की हत्या करवाई थी उसी तरह मुख्तार अंसारी पर भी कृष्णानंद राय की हत्या के आरोप हैं। मुख्तार अंसारी पिछले 13 साल से जेल में ही है और उन पर एक दो नहीं, 40 से ज्यादा मामले दर्ज हैं, लेकिन जिस गुनाह की बात हम कर रहे हैं वो जल्द ही माफिया मुख्तार अंसारी के लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है। कृष्णानंद राय हत्या मामले में साल 2012 में गाजीपुर की एमपी एमएलए कोर्ट में गैंगस्टर एक्ट में शुरू हुए ट्रायल पर आज सुनवाई पूरी हो चुकी है। इस केस में मुख्तार अंसारी, भाई अफजल अंसारी आरोपित हैं। 15 अप्रैल यानी ठीक 15 दिन बाद इस पर अदालत अपना फैसला सुनाएगी।

कृष्णानंदराय हत्याकांड पर क्या होगी मुख्तार अंसारी को सजा?

कृष्णानंदराय हत्याकांड भी बिल्कुल राजू पाल हत्याकांड की तरह ही चुनावी रंजिश और गुंडागर्दी का नतीजा है। बस फर्क इतना है कि राजू पाल को अतीक अहमद ने मरवाया जबकि कृष्णनानंद की हत्या के आरोप मुख्तार अंसारी पर हैं। पहले जान लीजिए कौन थे कृष्णानंद राय। ये कहानी शुरू होती है यूपी के 2002 विधानसभा चुनाव से। कृष्णानंद राय मोहम्मदाबाद सीट के लिए भाजपा के विधायक थे। इस सीट पर मुख्तार अंसारी का भाई अफजाल अंसारी भी लड़ रहा था। इस सीट पर सालों से मुख्तार अंसारी के परिवार का कब्जा रहा था, लेकिन उस विधानसभा चुनाव में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय ने अफजाल अंसारी को मात दी थी।

2005 भाजपा विधायक कृष्णानंदराय समेत 7 की हुई थी हत्या

भाई की हार मुख्तार अंसारी को बर्दाश्त नहीं हुई। जनता ने जो फैसला दिया वो यूपी के इस माफिया को पसंद नहीं आया। साल 2005 की बात है। 29 नवबंर के दिन कृष्णानंद राय अपने काफिले के साथ गाजीपुर से लौट रहे थे। वहां उन्होंने एक लोकल क्रिकेट टूर्नमेंट का उद्घाटन किया था। वापस लौटते हुए उनका काफिला बसनिया चट्टी के पास पहुंचा जहां हमलावर पहले से घात लगाए बैठे थे। भाजपा विधायक के काफिले पर एके 47 से 500 राउंड फायरिंग हुई। कृष्णानंद और उनके साथ चल रहे 7 लोगों को गोलियों से भून डाला गया।

मुख्तार अंसारी पर पर जेल से हत्या करवाने के हैं आरोप

इस हत्याकांड से उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरा देश दहल गया था। उस वक्त मुख्तार अंसारी जेल में बंद था। दरअसल कुछ दिन पहले ही मुख्तार पर मऊ में हिंसा भड़काने के आरोप लगे थे और फिर मुख्तार ने खुद सरेंडर कर दिया था। इसके बाद मुख्तार को जेल भेजा गया था। कहते हैं ये पूरा मुख्तार अंसारी की प्लानिंग का एक हिस्सा था। जेल में बैठकर मुख्तार अंसारी ने लिखी थी कृष्णानंदराय की हत्या की स्क्रिप्ट। मुख्तार अंसारी के कहने पर ही उसके शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी और अतीक उर रहमान ने कृष्णानंद की हत्या करवाई थी। इसी मामले में अब 15 दिन बाद कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी।

Judgment is expected  on 14th April about Mukhtar  Ansari On Krishnanand Rai Murder Case

मुख्तार अंसारी की पूरी कहानी

हाइलाइट्स
1-यूं ही नहीं कोर्ट ने कहा कि मुख्तार गैंग को सबसे ज्यादा खूंखार
2-मुख्तार अंसारी पर दर्ज हैं देशभर में 61 मुकदमें, 24 विचाराधीन
3-केवल तीन मुकदमों में अब तक मुख्तार अंसारी को मिली सजा

माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) की दहशत चार दशक चली आ रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूं ही नहीं कहा है कि मुख्तार का गैंग देश का सबसे खूंखार आपराधिक गिरोह है, क्योंकि इस गैंग का एक-दो नहीं बल्कि आठ राज्यों में बड़ा नेटवर्क है। फिर चाहे वह मुंबई हो या गुजरात या पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, दिल्ली और मध्य प्रदेश। कई बड़ी वारदात में उसके खिलाफ सुबूत भी नहीं मिले और वह बरी होता गया। मुख्तार के खिलाफ देशभर में 61 मामले दर्ज हैं, जिनमें 24 मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं।

जब उत्तर प्रदेश में कोयले के काले बाजार में बृजेश सिंह गैंग की वजह से मुख्तार जगह नहीं बना पाया तो उसने गुजरात में बिसात बिछाई। दरअसल, गुजरात के पावर प्लांटों में कोयले की बड़े पैमाने पर खपत थी। मुख्तार ने कुख्यात एजाज लकड़वाला और फरजू रहमान के जरिए गुजरात में सिंडिकेट तैयार कर कोयला सप्लाई पर कब्जा जमा लिया। मुख्तार ने महाराष्ट्र में खासतौर से मुंबई में तेल के प्राइवेट रिजर्वायर में शूटर मुन्ना बजरंगी के बल पर एकाधिकार बनाया।

तीन राज्यों में बना दबदबा

1994 से 2016 तक पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के नामी गैंगस्टर जसविंदर सिंह रॉकी की मदद से मुख्तार ने इन प्रदेशों के गैंग्स में अपनी पकड़ मजबूत की। वाराणसी के नंद किशोर रूंगटा अपहरण व हत्याकांड में मुख्तार के साथ रॉकी सह अभियुक्त था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक जब तक रॉकी जिंदा रहा, तब तक पंजाब के शूटर्स का यूपी में और उत्तर प्रदेश के शूटर्स का पंजाब, हरियाणा व राजस्थान में जमकर इस्तेमाल हुआ। 2016 में रॉकी की हत्या हुई तो पांच संदिग्धों के नाम सामने आए। ये सभी एक-एक करके मर गए। किसी की भी मौत में हत्या की बात सामने नहीं आई, लेकिन किसी की भी मौत नैचुरल भी नहीं थी। इन मौत के पीछे भी मुख्तार गैंग की चर्चा रही।

पंजाब से तनातनी की वजह बना

जब योगी सरकार ने मुख्तार पर शिकंजा कसा तो वह पंजाब में दर्ज एक मुकदमे में वहां चला गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने कई बार मुख्तार को लाने की कोशिश की, लेकिन पंजाब सरकार उसे रोकती रही। इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची और 6 अप्रैल, 2021 को मुख्तार को बांदा जेल लाया गया। साल 2016 में सपा में मुख्तार और उनके परिवार को शामिल करने को लेकर यादव परिवार में विवाद हो गया था। 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान मायावती को फिर मुख्तार की याद आई। बसपा उम्मीदवार के रूप में मुख्तार ने पांचवीं बार मऊ सीट से जीत हासिल की। हालांकि, 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले बीएसपी ने फिर उससे किनारा कर लिया।

40 साल लग गए सजा होने में

मुख्तार गैंग की दहशत किस कदर गवाहों और सरकारों पर भारी थी, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 50 से ज्यादा गंभीर मामलों में आरोपित होने के बाद भी उसे सजा होने में 40 साल से ज्यादा लग गए। हालांकि, अब तक तीन मुकदमों में उसे सजा हो चुकी है और कई मुकदमे लाइन में हैं। मुख्तार को बीते छह साल में कई तगड़े झटके भी लगे हैं। उसके कई करीबी शूटर मारे गए। हालांकि, जेलों में अब भी मुख्तार का नेटवर्क चल रहा है। हाल ही में चित्रकूट जेल में सामने आया कि वहां कैसे उसका बेटा अब्बास अवैध तरीके से मुलाकातें और फोन पर बात कर रहा था।

छह साल में हुए ऐक्शन

573 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्तियां जब्त/ध्वस्त की गईं मुख्तार और उसकी गैंग की
213 करोड़ रुपये की चोट पहुंचाई गई अवैध व्यवसाय बंद करवा कर

मुख्तार अहमद से जुड़े कुछ केस

केस-1 : वाराणसी की पुलिस लाइंस में चलती जीप से गोली चलाकर हेड कॉन्स्टेबल राजेंद्र सिंह की हत्या कर दी गई थी। राजेंद्र बाहुबली बृजेश सिंह के करीबी त्रिभुवन सिंह का भाई था। कहते हैं कि राजेंद्र को गोली मुख्तार अंसारी ने मारी, क्योंकि चलती जीप पर ऐसे निशाना लगाना सिर्फ मुख्तार के बस की ही बात थी।

केस-2 : मऊ में 2005 में भरत मिलाप के दौरान हुए दंगों के बाद मुख्तार का एक वीडियो आया था। इसमें वह खुली जिप्सी में अपने असलहाधारी लोगों के साथ दंगाग्रस्त इलाकों में घूम रहा था। इस विडियो से मुख्तार ने अपने दबदबे का संदेश दिया था।

केस-3 : 2005 में सैकड़ों राउंड फायरिंग कर बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की हत्या कर दी गई थी। हत्याकांड में मुख्तार का नाम आया। सीबीआई ने मामले की जांच की, लेकिन मुख्तार समेत अन्य आरोपित बरी हो गए। यह भी साबित नहीं हो सका कि विधायक की हत्या किसने की और करवाई?

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