भारत-थाईलैंड छूटे तो निकाह मुताह-मिस्यार से पनपा इंडोनेशिया में देह व्यापार

‘लोगों को पता चला तो मर ही जाऊंगी..’, इस मुस्लिम देश में निकाह मुताह से फल-फूल रहा सेक्स का कारोबार
इंडोनेशिया में ‘सेक्स टूरिज्म’ तेजी से बढ़ता जा रहा है. एक रिपोर्ट में बताया गया है कि मध्य-पूर्वी देशों के कई पर्यटक इंडोनेशिया की गरीब लड़कियों से शादियां करते हैं जो बस कुछ दिनों तक ही चलती हैं. इन सबके बीच लड़कियों का शोषण तेजी से बढ़ रहा है.

इंडोनेशिया में सेक्स टूरिज्म फल-फूल रहा है
नई दिल्ली,07 अक्टूबर 2024,17 साल की दुल्हन और 50 साल का दूल्हा… कहाया (बदला हुआ नाम) की शादी इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता के एक तीन सितारा होटल में कुछेक लोगों की मौजूदगी में कराई गई.यह शादी इस्लामिक कानून के विवादित प्रावधान में हुई और कहाया का शौहर सऊदी अरब से आया एक टूरिस्ट था.
शादी के बाद कहाया की एक बड़ी बहन उनकी देखरेख के लिए उनके साथ गईं. कहाया की शादी कराने वाला एजेंट भी गार्जियन बन साथ गया.

सऊदी अरब के टूरिस्ट ने कहाया से अस्थायी शादी करने को 850 डॉलर (71, 387 रुपये) दहेज दिया. एजेंट और मौलवी का हिस्सा कटने के बाद कहाया के परिवार को दहेज की आधी रकम ही मिली.

शादी के बाद कहाया का शौहर उन्हें जकार्ता से दो किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित Kota Bunga शहर के एक रिजॉर्ट ले गया. यहां उसने कहाया से यौन संबंध बना घर का सारा काम भी कराया. कहाया साफ-सफाई करने,खाना बनाने का काम करतीं और फ्री होतीं तो टीवी देखतीं.पिता की उम्र के इंसान के साथ बिस्तर शेयर करने को लेकर कहाया बेहद असहज थीं और चाहती थीं कि ये अस्थायी शादी जल्द से जल्द खत्म हो जाए.

शादी के पांच दिन बाद कहाया को ‘तीन तलाक’

शादी पांच दिन चली और टूरिस्ट अपने देश वापस सऊदी चला गया.वहां से तीन तलाक बोलकर कहाया से शादी खत्म कर ली.

कहाया ने अपने पहले कॉन्ट्रैक्ट शौहर को अपना असली नाम कभी नहीं बताया.ये थी कहाया की पहली कॉन्ट्रैक्ट शादी और इसके बाद उनकी इतनी बार कॉन्ट्रैक्ट शादियां हो चुकी हैं कि उन्हें गिनती तक याद नहीं.वो कहती हैं कि शायद 15 बार उनकी शादी हुई और सारे ही पुरुष मध्य-पूर्वी देशों से थे जो टूरिस्ट बनकर इंडोनेशिया आए थे.
वो कहती हैं, कि’ये मेरे लिए किसी टॉर्चर से कम नहीं है. जब भी मेरी शादी होती, मेरे दिमाग में बस एक ही बात होती कि मुझे घर जाना है.’

डिवोर्सी महिलाओं के गांव

निकाह मुताह… या फिर मजे के लिए की गई शादी (Pleasure Marriage),इस्लाम में एक विवादित अस्थायी शादी है जो अब इंडोनेशिया के पहाड़ी इलाके जिसका नाम Puncak है,में खूब प्रचलित है.इलाके में यह प्रथा इतनी जड़ें जमा चुकी है कि इंडोनेशिया के लोग इस इलाके के गांवों को ‘तलाकशुदा महिलाओं के गांव’ (divorcee villages) कहने लगे हैं.

कहाया बताती हैं कि एक हजार की आबादी वाले अपने गांव में वो ऐसी 7 महिलाएं जानती हैं जो आजीविका को इस तरह की शादियों का हिस्सा बनी हैं.

मुस्लिम बहुल देश इंडोनेशिया के कानून में जैसे वेश्यावृत्ति गैर-कानूनी है वैसे ही निकाह मुताह जैसी कॉन्ट्रैक्ट शादियों पर भी रोक है.लेकिन इस कानून का असर जमीन पर नहीं दिखता.इसके बजाय निकाह मुताह व्यापार बना है, जिसमें दलालों,अधिकारियों और भर्ती करने वालों का एक बड़ा नेटवर्क है जो धर्म और स्टेट के बीच ग्रे जोन में फल-फूल रहा है.

इंडोनेशिया से पहले भारत और थाईलैंड में फला-फूला निकाह मुताह

कई सालों तक,मध्य-पूर्व के पर्यटकों,जिसमें मजे को वेकेशन पर आने वाले पर्यटक भी शामिल होते हैं,उनके लिए थाईलैंड मुख्य आकर्षण था लेकिन 1980 के दशक में इस ट्रेंड में बदलाव देखा गया जब सऊदी-थाईलैंड रिश्तों में तनाव पैदा हुआ.

उसके बाद सऊदी के पर्यटक थाईलैंड की जगह इंडोनेशिया आने लगे जहां 87% आबादी मुस्लिम है.मुस्लिम आबादी से सऊदी अरब के लोगों को इंडोनेशिया थाईलैंड से ज्यादा फैमिलियर था.

सऊदी अरब के पर्यटकों को देखते हुए Puncak के लोगों ने उनके हिसाब से रेस्टोरेंट्स भी खोल लिए और व्यापार फलने-फूलने लगा. Puncak का Kota Bunga इलाका सऊदी अरब के पर्यटकों की पहली पसंद बन गया जहां अस्थायी शादी का ट्रेंड तेजी से बढ़ा.

इलाके में अस्थायी शादी के शुरुआती दिनों में लड़कियों को उनके परिवार वाले या उनके परिचित ही पर्यटकों के पास ले जाते थे लेकिन बढ़ते समय के साथ बिचौलियों ने उनकी जगह ले ली.

गरीब इलाकों में फल-फूल रही निकाह मुताह प्रथा

जकार्ता में सरीफ हिदायतुल्ला इस्लामिक स्टेट यूनिवर्सिटी में इस्लामिक फैमिली लॉ के प्रोफेसर यायन सोपयान ने लॉस एंजिल्स टाइम्स से इंटरव्यू में बताया कि इंडोनेशिया के कई शहरों में जहां आर्थिक संभावनाएं नहीं हैं,वहां ये प्रथा खूब लोकप्रिय है.साथ ही कोविड महामारी ने हालात और भी बदतर बना दिये.

उन्होंने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि अब यह प्रथा बढ़ रही है.पर्यटन इस आर्थिक जरूरत को पूरा करता है.’

सऊदी में रसोईया रहे इंडोनेशिया के छोटे उद्यमी बुदी प्रियाना ने बताया कि उन्होंने पहली बार कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के बारे में 3 दशक पहले सुना.वो मध्य-पूर्व से आए एक पर्यटक को घुमा रहे थे तभी उसने अस्थायी पत्नी खोजने में मदद मांगी.

तब प्रियाना लड़कियां बिचौलियों तक पहुंचाने लगे जिससे उन्हें अतिरिक्त लाभ हुआ. उनके अनुसार वो अपने काम के सिलसिले में बहुत से एजेंटों के संपर्क में हैं जिनसे पता चलता है कि यह बिजनेस काफी फल-फूल रहा है. कुछ एजेंट्स तो महीने में 25-25 शादियां तक कराते हैं.

55 वर्षीय बुदी प्रियाना बताते हैं कि कभी-कभी तो उन्हें कुल दहेज का 10% भी मिल जाता है.हालांकि,वो दावा करते हैं कि इस काम से वो लड़कियों को काम ढूंढने में मदद करते हैं और जितना संभव हो,उन्हें बचाने की कोशिश करते हैं.
वो कहते हैं, कि ‘कॉन्ट्रैक्स शादी को बहुत सी नई लड़कियां मुझे संपर्क करती हैं लेकिन मैं उन्हें बताता हूं कि मैं कोई एजेंट नहीं हूं.हमारी अर्थव्यवस्था बेहद खराब स्थिति में है और वो काम पाने को हताश हैं.’

कॉन्ट्रैक्ट शादी से पहले भी हो चुकी थी कहाया की शादी

17 वर्षीय कहाया की शादी कॉन्ट्रैक्ट मैरिज से पहले 13 उम्र में उनकी शादी सहपाठी  से उनके दादा-दादी ने जबरदस्ती करवाई थी. शादी के चार साल बाद ही कहाया के पति ने उन्हें तलाक दे दिया. शादी से एक बेटी भी हुई लेकिन पति ने बेटी अपनाने से भी इनकार कर दिया.

तब कहाया ने जूता फैक्ट्री या किसी जनरल स्टोर में काम करने की सोची, लेकिन वेतन इतना कम था कि इतने में उनका घर चलाना असंभव था.

पैसों की तंगी में कहाया की बड़ी बहन ने उन्हें कॉन्ट्रैक्ट शादी कर पैसे कमाने को कहा.बड़ी बहन ने ही उनको बुदी से मिलवाया जिसने कहाया को कॉन्ट्रैक्ट मैरिज कराने वाले बिचौलिए से मिलाया.
हर कॉन्ट्रैक्ट शादी से कहाया को 300-500 डॉलर मिले जो उन्होंने किराये,खाने-पीने और अपने बीमार दादा-दादी की देखभाल पर खर्च किया.ये पैसा भी कहाया की जरूरतें पूरा नहीं कर पा रहा था.

कहाया को इस काम में शर्म आती है. उन्होंने अपने काम के बारे में परिचितों को कभी नहीं बताया बल्कि ये बताया कि वो काम के सिलसिले में अलग-अलग शहरों में जाती रहती है.

वो कहती हैं, कि ‘मेरे आसपास के लोगों को पता चला कि मैं क्या करती हूं तो मैं मर जाऊंगी.’

कॉन्ट्रैक्ट मैरिज पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

मुस्लिमबहुल देशों में कॉन्ट्रैक्ट शादियां व्यापक हैं.इस तरह की शादियों पर सरकारें पाबंदी नहीं लगा पा रहीं,खासकर जब युवा लड़कियों की सुरक्षा की बात आती है.

इंडोनेशियाई में कानूनी वैवाहिक न्यूनतम आयु 19 वर्ष है.लेकिन कई धार्मिक विवाह सरकारी जांच से बच जाते हैं और इस तरह की शादियों में लड़कियों की उम्र बेहद कम होती है.

इस्लामिक पारिवारिक कानून विशेषज्ञ यायान कहते हैं, कि ‘लोगों के अनुसार सरकार को धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.लोग समझते हैं वो धर्म के हिसाब से शादी कर रहे हैं इसलिए देश का कानून इसे अवैध नहीं ठहरा सकता.यही बड़ी समस्या है.’
इंडोनेशिया के इस्लामी नेताओं के प्रमुख संगठन इंडोनेशियाई उलेमा काउंसिल ने भी अस्थायी कॉन्ट्रैक्ट शादी को गैरकानूनी घोषित किया है.

जकार्ता फेमिनिस्ट नामक संगठन की प्रोग्राम निदेशक अनिंद्या रेस्तुवियानी कहती है,कि ‘इस तरह की शादी के खिलाफ कोई भी कानूनी सुरक्षा नहीं है.हमारे पास कानून तो है, लेकिन उसे लागू कर पाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण है.’
निसा (बदला हुआ नाम) की कहानी भी कहाया की तरह ही है.निसा को कॉन्ट्रैक्ट शादी में उनके पिता ने धकेला.वो पहले बार में शराब परोसने के साथ डांस करती थीं. कहाया के जैसी ही निसा की पहली शादी से उन्हें एक बेटी है.

‘पैसों के लिए बूढ़े से शादी की ताकि…’

अब 32 साल की हो चुकीं निसा अपनी पहली कॉन्ट्रैक्ट मैरिज को लेकर कहती हैं, कि’मैं अंदर ही अंदर खूब रोती थी.एक बूढ़े के साथ कौन सोना चाहेगा? वो शादी मैंने पैसों के लिए की ताकि अपने परिवार का पेट भर सकूं और भाई-बहनों को स्कूल भेज सकूं.’

निसा ने अपनी छोटी बहन को भी कॉन्ट्रैक्ट दुल्हन बनने को राजी किया जिसे दहेज में 3,000 डॉलर (2 लाख 51 हजार 876 रुपये) मिले क्योंकि वो वर्जिन थी.

निसा बताती हैं कि वो 20 कॉन्ट्रैक्ट शादियां कर चुकी हैं. लेकिन कहाया से उलट अब वो इस व्यापार से बाहर निकल चुकी हैं.चार साल पहले ही एक इंडोनेशियाई से उन्हें प्यार हुआ और दोनों ने शादी कर ली.इस शादी से निसा के दो लड़के हैं.वो अपनी 12 साल की बेटी और दो बेटों के साथ पति के साथ खुशहाल जीवन बिता रही हैं.

वो कहती हैं, कि ‘मेरे पति को सब पता है लेकिन उन्होंने मेरा अतीत स्वीकार लिया है.कॉन्ट्रैक्ट शादियों में अब दोबारा जाना मेरे लिए असंभव है.’

सऊदी अरब में गुलामों की तरह रखी गईं कहाया

कहाया भी ऐसी जिंदगी नहीं चाहतीं. वो भी चाहती हैं कि इस नर्क से निकलें ।इसी चाह में वो अपनी हालिया कॉन्ट्रैक्ट मैरिज में सऊदी के एक जन से मिलीं.

पिछले साल उस व्यक्ति वादा किया था कि अगर वो उसके साथ सऊदी अरब जाएंगी तो वो उन्हें रानी की तरह रखेगा. उसने कहा कि वो शादी के बदले में 2,000 डॉलर (1 लाख 67 हजार 917 रुपये) दहेज देगा. उसने जाते वक्त कहाया की मां से कहा कि जब तक वो कहाया को सऊदी नहीं बुला लेता,वो उसका ध्यान रखें.

लेकिन कहाया पिछले साल अक्टूबर में सऊदी के शहर दम्माम पहुंची तो उस व्यक्ति ने उन्हें गुलाम बना लिया.घर का सारा काम उनसे करवा खूब मारता-पीटता. कहाया के खाने में थूक देता,सोते वक्त लात मारकर जगा देता.

कहाया ने कई बार भागने की कोशिश की लेकिन पकड़ी गईं. तब बुदी प्रियाना ने उनकी मदद की. मारपीट से तंग कहाया ने एक दिन अपनी नस काट ली हालांकि,वो बच गई.

इसी साल मार्च में बुदी के दबाव में कहाया के अस्थायी पति के एक रिश्तेदार ने उनका टिकट कराया जिससे वो अपने देश वापस आ पाईं.इंडोनेशिया लौटकर वो फूड डिलीवरी का काम करती हैं.इतना सब होने के बावजूद भी कहाया ने एक अच्छा जीवनसाथी मिलने की उम्मीद नहीं छोड़ी है और उन्हें उम्मीद है कि एक दिन उनकी ये तलाश पूरी होगी.हालांकि, वो इतनी बार धोखा खा चुकी हैं कि उनकी इस उम्मीद के पीछे धोखे का डर साए की तरह चलता है.

अमीना केस में अमृता अहलूवालिया की जागरूकता से हैदराबाद को मिला घृणित कृत्य से छुटकारा

1991 में हैदराबाद से दिल्ली होते हुए जेद्दा जाती एक फ्लाइट में एक बूढ़े अरबी शेख की बगल में एक बुर्कानशीं खूब सिसकी लेकर रो रही थी। सिसकियों से एयर होस्टेस अमृता अहलूवालिया का माथा ठनका।

फ्लाइट के बीच बुर्के वाली वॉशरूम गई …बाथरूम के दरवाजे के पीछे एयर होस्टेस अमृता अहलूवालिया खड़ी थी। दरवाजा खोलते बुर्का हटा तो एयर होस्टेस अमृता अहलूवालिया बच्ची है मुश्किल से 8 या 12 साल की बच्ची देख हैरान परेशान हो गई।

उसने तुरंत प्लेन के कैप्टन से बात कर दिल्ली एयरपोर्ट पर अलर्ट करा दिया। प्लेन दिल्ली रुकते ही पुलिस ने बूढ़े अरबी शेख और 11 साल की बच्ची प्लेन से उतार ली।

बूढ़ा अरबी शेख निकाहनामा दिखाकर अरबी में चिल्लाता रहा कि उसने इसके मां बाप के सामने निकाह किया है। 10 लाख रुपए मेहर दिया है निकाह के सारे पेपर भी दिखाएं। पुलिस जांच में हैदराबाद में चल रहे घिनौने सच ने सबके होश उड़ा दिए। इस्लाम के नाम पर यह सब कम से कम 1970 से चल रहा था।

दरअसल इस्लाम में वेश्यावृत्ति गुनाह है लेकिन  मुताह निकाह में आप किसी भी महिला, लड़की, बच्ची से एक कांट्रैक्ट मैरिज कर सकते हैं जो आधा घंटा से लेकर कुछ वर्षों तक हो सकता है।

अरब के बूढ़े शेख हैदराबाद सैकड़ों दलाल के भरोसे आते जो गरीब मुस्लिम लड़कियों के मां-बाप को पैसों का लालच देते ..मां-बाप खुद अपनी 10 से 9 साल तक की बच्चियों की अरबी शेखों के सामने नुमाइश लगाते।

पसंद की बच्ची खरीदने को मेहर तय होता.. दलाल अपना कमीशन लेता.. मां बाप पैसे देख खुश होते और अपनी फूल सी बच्ची बूढ़े शेख को सौंप  जाते थे।

कुछ अरबी शेख हैदराबाद के होटलों में ही यौन संबंध बना अरब लौट जाते थे और कुछ लड़कियों को अपने साथ अरब ले जाते थे और वहां कुछ महीने भोग या तो इस्तांबुल या मनामा के वेश्यालयों में बेच देते या फिर भारत वापस भेज देते थे।

खुलासे पर 200 से ज्यादा दलाल और माता-पिता गिरफ्तार

हालांकि बताते हैं कि अब तरीका बदल गया है । अब मां-बाप खुद अपनी बच्चियां लेकर अरब देशों में जाते हैं और वहां छोड़कर वापस आ जाते हैं।

यह खुलासा दशकभर पहले तब हुआ जब पता चला कि टूरिस्ट वीजा पर कई परिवार अरब देशों में जाते हैं लेकिन वापस आते समय उनके साथ उनकी बच्ची नहीं होती .. उनके पास निकाहनामा था और सऊदी अरब के कानून के मुताबिक उस बच्ची का निकाह जायज होता है जिसे पीरियड्स शुरू हो गए हों क्योंकि अपराध सऊदी अरब में हुआ और सऊदी अरब के कानून के मुताबिक उन्होंने कोई अपराध नहीं किया था इसलिए चाह कर भी पुलिस अब कोई कार्रवाई नहीं कर पाती।

एयर होस्टेस अमृता अहलूवालिया

इस्लामी मान्यता और परंपरा 

इस्लाम में तीन तलाक के बाद अब मुता विवाह और मिस्याही विवाह के खिलाफ मांग उठी थी।

मुता विवाह एक निश्चित अवधि के लिए साथ रहने का करार होता है और शादी के बाद पति-पत्नी कॉन्ट्रेक्ट के आधार पर एक अवधि तक साथ रह सकते हैं. साथ ही यह समय पूरा होने के बाद निकाह खुद ही खत्म हो जाता है और उसके बाद महिला तीन महीने के इद्दत अवधि बिताती है. शिया मुसलमानों में प्रचलित मुता और सुन्नी में प्रचलित मिस्यार  निकाह अवधि खत्म होते ही खुद ही खत्म हो जाता है.

इरशाद अहमद वानी की किताब द सॉशियोलॉजी के अनुसार मुता निकाह की अवधि खत्म होने के बाद महिला का संपत्ति में कोई हक नहीं होता है और ना ही वो पति से जीविकोपार्जन के लिए कोई आर्थिक मदद मांग सकती है. वहीं सामान्य निकाह में महिला ऐसा कर सकती है.

बता दें कि सामान्य निकाह शिया और सुन्नी दोनों में करवाया जाता है. जबकि यह शादी सिर्फ शिया ही करवाते हैं जबकि सुन्नी मुसलमान ऐसा नहीं करते हैं.

इस शादी में तलाक का कोई ऑप्शन नहीं होता है और तय अवधि के बाद शादी खत्म मानी जाती है. वहीं सामान्य निकाह करने पर तलाक के लिए एक प्रक्रिया होती है, जिसके आधार पर ही पति-पत्नी अलग हो सकते हैं.

मुता विवाह में पत्नी के पास मेहर की रकम लेने का कोई अधिकार नहीं होता है, जबकि सामान्य निकाह के बाद अलग होने पर ये रकम ली जा सकती है. बता दें कि मेहर की रकम शादी के वक्त तय की जाती है और यह घरवालों की आर्थिक स्थिति के आधार पर आपस में तय होती है.

बताया जाता है कि मुता विवाह में तय हुई शादी की अवधि के दौरान पैदा होने वाले बच्चे को पिता की संपत्ति में शेयर भी दिया जाता है. हालांकि लोगों को मानना है कि इस विवाह से पैदा हुए बच्चे को उतनी इज्जत नहीं दी जाती है.

किताब के अनुसार मुता विवाह में महिलाएं सिर्फ मुस्लिम पुरुष से ही शादी कर सकती है, जबकि मुस्लिम पुरुष ईसाई, यहूदी और पारसी से भी शादी कर सकते हैं.

 

निकाह मुताह vs निकाह मिसिर

निकाह मुताह क्या है? क्या निकाह मुताह के नाम पर अरब देशों के सेठ द्वारा हैदराबाद की छोटी लड़कियों को खरीदना जायज है? क्या इस बुराई के खिलाफ कानून बनाया जाना चाहिए? आपकी क्या राय है ?
निकाह मुताह बारह शिया समुदाय द्वारा प्रचलित है व इसी की तरह सुन्नी वहाबी द्वारा निकाह मिसिर ठीक निकाह मुताह के रूप में प्रचलित है | दोनों के मुख्य विंदु है कि एक स्थायी शादी , क्योकि इस्लाम के अनुसार शादी के बिना शारीरिक संभोग हराम है इसलिए अरब में इस्लाम के शुरुआत से ही इस प्रकार के प्रावधान किए गए उदाहरण के लिए ;

निकाह मुताह का एक ऐतिहासिक उदाहरण इब्न हजर असकलानी (1372 – 1448 सीई (852 एएच)) द्वारा साहिह अल-बुखारी के काम पर उनकी टिप्पणी में वर्णित है। मुआविया I (602 – 680 एएच) ), उमय्यद वंश का पहला खलीफा, नाइफ मुताह अनुबंध में तैफ की एक महिला के साथ प्रवेश किया। वह एक दास था जो बानू हज़मी नामक एक व्यक्ति के स्वामित्व में था। उसे मुआविया से एक साल का वजीफा मिला। आमतौर पर, एक महिला गुलाम के लिए यौन अभिगम अधिकार, उसके मालिक के अधिकारों के हिस्से के रूप में गुलाम मालिक का होता है, जिसे तब तक साझा या असाइन नहीं किया जा सकता है, जब तक कि दास का विवाह नहीं हो जाता है, उस स्थिति में गुलाम मालिक यौन अधिकारों के सभी अधिकार खो देता है। ]

विद्वान ‘अब्द उर-रज़्ज़ाक को साननी (744 CE) के रूप में वर्णित किया कि कैसे सईद बिन जुबेर ने अक्सर मक्का में एक महिला से मुलाकात की। जब उनसे पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि उनके साथ निकाह मुतह का अनुबंध था और उन्हें देखकर “पीने ​​के पानी के लिए और अधिक हलाल” हुआ था।

निकाह मुताह और निकाह मिसिर ;

निकाह mut’ah (अरबी: نكاح المتعة, रोमानी: nikāʿ al-mutʿah, शाब्दिक रूप से “आनंद विवाह”; या सिगह (फ़ारसी: صیغه) एक निजी है; और मौखिक अस्थायी विवाह अनुबंध जो कि ट्वेल्वर शिया इस्लाम में प्रचलित है, जिसमें विवाह और माहर की अवधि पहले से निर्दिष्ट और सहमति होनी चाहिए। यह एक मौखिक या लिखित प्रारूप में किया गया एक निजी अनुबंध है। शादी करने के इरादे की घोषणा और शर्तों की स्वीकृति इस्लाम में विवाह के अन्य रूपों की तरह आवश्यक है।

ट्वेल्वर शिया न्यायशास्त्र के अनुसार, mut’ah के लिए पूर्व शर्त हैं: दुल्हन को विवाहित नहीं होना चाहिए, वह मुस्लिम होना चाहिए या अहल अल-किताब (लोगों की पुस्तक) से संबंधित होना चाहिए, उसे पवित्र होना चाहिए, व्यभिचार का आदी नहीं होना चाहिए और उसे चाहिए एक युवा कुंवारी नहीं है (यदि उसके पिता अनुपस्थित हैं और सहमति नहीं दे सकते हैं)। अनुबंध के अंत में, विवाह समाप्त हो जाता है और पत्नी को शादी (और इस प्रकार, संभोग) से संयम की अवधि से गुजरना होगा। ईदगाह का उद्देश्य है कि अस्थायी विवाह अनुबंध के दौरान किसी भी बच्चे को पत्नी को निश्चित रूप से गर्भवती होना चाहिए।

निकाह मिसिर (अरबी: نكاح المسيار, रोमानी: निकाह अल-मिस्यार या अधिक बार زواج المسيار zawaj अल-मिस्यार “ट्रैवलर की शादी”) इस्लाम के वहाबी संप्रदायों में विवाह अनुबंध का एक प्रकार है (कुछ पहलू मुता विवाह के समान हैं। शिया इस्लाम)। इस प्रकार शामिल हुए पति और पत्नी कुछ वैवाहिक अधिकारों का त्याग करने में सक्षम होते हैं जैसे कि एक साथ रहना, पत्नी के आवास और रखरखाव के पैसे (नफ़्का), और पति के गृह व्यवस्था और उपयोग के अधिकार। अभ्यास को अक्सर कुछ इस्लामी देशों में व्यवहार को एक कानूनी मान्यता देने के लिए उपयोग किया जाता है जिसे अन्यथा अस्थायी, अनुबंधित विवाह के माध्यम से व्यभिचारी माना जा सकता है।

कुछ लोग विचार करते हैं कि गलत विवाह उन युवाओं की जरूरतों को पूरा कर सकता है जिनके संसाधन एक अलग घर में बसने के लिए बहुत सीमित हैं; तलाकशुदा, विधवाओं या विधुरों के पास, जिनके पास स्वयं का निवास और अपने स्वयं के वित्तीय संसाधन हैं, लेकिन सामान्य सूत्र के अनुसार, और उन थोड़े पुराने लोगों से फिर से शादी नहीं करना चाहते हैं, जिन्होंने विवाह का अनुभव नहीं किया है।

कुछ इस्लामिक वकील जोड़ते हैं कि इस प्रकार की शादी एक रूढ़िवादी समाज की जरूरतों को पूरा करती है जो ज़िना (व्यभिचार) और अन्य यौन संबंधों को दंडित करती है जो विवाह अनुबंध के बाहर स्थापित होते हैं। इस प्रकार, फारस की खाड़ी के देशों में काम करने वाले कुछ मुस्लिम विदेशी वर्षों तक अकेले रहने के बजाय दुखी विवाह में शामिल होना पसंद करते हैं। उनमें से कई वास्तव में पहले से ही अपने देश में पत्नियों और बच्चों के साथ शादी कर चुके हैं, लेकिन वे उन्हें इस क्षेत्र में नहीं ला सकते हैं।

अल-अजहर मस्जिद के शेख, मुहम्मद सैय्यद तांतवी और धर्मशास्त्री युसुफ अल-क़रादेवी ने अपने लेखों में और अपने व्याख्यान में बताया कि गलत विवाह के ढांचे में जीवनसाथी लेने वाले पुरुषों का एक बड़ा हिस्सा पहले से ही शादीशुदा पुरुष हैं। अरब समाचार ने 2014 में बताया कि सऊदी राज्य में “गलत विवाह एक व्यापक वास्तविकता बन गया”।

अंत मे अरब में निकाह मिसिर प्रचलित है क्योंकि वहाँ सुन्नी अधिक है व निकाह मुताह ईरान में जहाँ दुनिया के बारह मुस्लिम पंथ के 85% लोग रहते है | ट्वेल्व मुस्लिम का अर्थ ये मोहम्मद के बाद 12 इमामों को मानते हैं|

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इंडोनेशिया

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