ABG शिपयार्ड ने 28 बैंकों को लगाया 22,842 करोड़ का चूना, सीबीआई ने कराया मुकदमा

ABG Shipyard Bank Fraud: नीरव मोदी से दोगुना बड़ा फ्रॉड, 28 बैंकों को एक साथ लगाया चूना, जानिए 22,842 करोड़ के स्कैम की कहानी

अभी तक नीरव मोदी के करीब 12 हजार करोड़ रुपये के पीएनबी फ्रॉड को भारत का सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड (Biggest bank fruad of india) माना जाता था। अब नीरव मोदी के बैंक फ्रॉड से लगभग दोगुना बड़ा फ्रॉड सामने आया है। यह फ्रॉड किया है सूरत की एबीजी शिपयार्ड कंपनी ने। इसमें 28 बैंकों को कुल मिलाकर 22,842 करोड़ रुपये का चूना (22842 crore ABG Shipyard Bank Fraud) लगाया गया है।

नई दिल्ली 12 फरवरी: अगर बैंकिंग घोटालों की बात की जाए तो अधिकतर लोगों के दिमाग में नीरव मोदी का पीएनबी घोटाला ही आता है। नीरव मोदी ने पीएनबी को करीब 12 हजार करोड़ रुपये का चूना लगाया था। खैर, अब नीरव मोदी से भी बड़ा बैंकिंग फ्रॉड (Biggest bank fruad of india) सामने आया है। सीबीआई ने एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड (ABG Shipyard Limited) और उसके तत्कालीन अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल सहित अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। यह घोटाला नीरव मोदी के घोटाले से लगभग दोगुना बड़ा (22842 crore ABG Shipyard Bank Fraud) है।
22,842 करोड़ रुपये का है घोटाला

अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि यह मुकदमा भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई वाले बैंकों के एक संघ से कथित रूप से 22,842 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के संबंध में दर्ज किया गया। यह सीबीआई की ओर से दर्ज किया गया सबसे बड़ा बैंक धोखाधड़ी का मामला है। एजेंसी ने अग्रवाल के अलावा तत्कालीन कार्यकारी निदेशक संथानम मुथास्वामी, निदेशकों – अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवेतिया और एक अन्य कंपनी एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (ABG International Private Limited) के खिलाफ भी कथित रूप से आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आधिकारिक दुरुपयोग जैसे अपराधों के लिए मुकदमा दर्ज किया।

एक दो नहीं, पूरे 28 बैंकों के साथ हुआ है फ्रॉड

सीबीआई के अनुसार यह धोखाधड़ी भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई वाले 28 बैंकों के एक समूह के साथ हुआ है। इनमें आईसीआईसीआई, आईडीबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक जैसे बड़े-बड़े बैंक भी शामिल हैं। सीबीआई ने इस घोटाले में शनिवार को महाराष्ट्र, गुजरात समेत कई राज्यों के 13 स्थानों पर छापे मारे, जिसके बाद कई दस्तावेज बरामद किए।

कैसे पता चला घोटाले का?

सीबीआई के अनुसार बैंकों के इस समूह की तरफ से एसबीआई की मुंबई शाखा के डिप्टी जरनल मैनेजर बालाजी सिंह सामंता 25 अगस्त 2020 को इस फ्रॉड की लिखित शिकायत की थी। इस शिकायत के बाद सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर के जांच शुरू की, जिसके बाद इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ। बैंक घोटाले का समय अप्रैल 2012 से जुलाई 2017 तक बताया जा रहा है। मामले की जांच की आंच आने वाले दिनों में बैंकों के बड़े-बड़े अधिकारियों तक पहुंच सकती है। मुमकिन है कि इसके कुछ राजनीतिक कनेक्शन भी निकलें और कुछ नेताओं के नाम भी बाहर आएं।

क्या करती है कंपनी?

एबीजी शिपयार्ड कंपनी सूरत में है, जो पानी के जहाज बनाती है, उससे जुड़े सामान बेचती है और जहाजों को रिपेयर करती है। इस कंपनी ने कई जहाज विदेशों में भी बेचे हुए हैं, यह कंपनी अनेक प्रकार के फ्लोटिंग क्रेन इंटरसेप्टर बोट आदि भी बना चुकी है। इस कंपनी ने ना सिर्फ इन बैंकों के समूह से लोन लिया है, बल्कि कई तरह की क्रेडिट सुविधाएं भी ली हुई हैं। यह भी पता चला है कि कंपनी ने करीब 236 करोड़ रुपये सिंगापुर भेजे थे। पता चला है कि कंपनी ने जिस काम के लिए लोन लिया था, पैसे उसमें लगाने के बजाए उससे कई जगह प्रॉपर्टीज खरीद लीं। इतना ही नहीं, नियमों का उल्लंघन करते हुए पैसे एक कंपनी से दूसरी कंपनी में भेजने का मामला भी सामने आया है।

SBI के एमडी स्वामीनाथन जे ने बताया अब तक मामले में कब क्या हुआ, कैसे होगी वसूली

एबीजी शिपयार्ड फ्रॉड केस (File Photo)

एबीजी शिपयार्ड धोखाधड़ी मामले पर एसबीआई के एमडी स्वामीनाथन जे ने कहा है कि एबीजी शिपयार्ड 2001 से करीब 28 बैंकों से कर्ज की सुविधाओं का फायदा ले रहा था. इसी के चलते कंपनी लंबे समय तक सस्टेन नहीं कर सकी. अव्यावहारिक ऑपरेशन के चलते कंपनी के खाते को नवंबर 2013 में एनपीए घोषित किया गया था. इसके बाद कॉर्पोरेट डेब्ट रीस्ट्रक्चरिंग मकैनिज्म (Corporate Debt Restructuring Mechanism,) के तहत बैंकों ने 2014 में कर्ज को रीस्ट्रक्चर किया और कंपनी को उसे चुकाने के लिए और समय दिया.

स्वामीनाथन ने कहा कि पुनर्गठन पैकेज दो साल से अधिक समय से प्रभावी था. उस समय शिपिंग उद्योग को मंदी का सामना करना पड़ा, इसलिए कंपनी द्वारा पुनर्गठन के लिए दिए गए अनुमानों को हासिल नहीं किया जा सका. 2016 में खाते को 2013 से प्रभावी एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया गया थाा।

स्वामीनाथन ने ये भी कहा कि लीड बैंक ICICI द्वारा एक ऑडिट का आदेश दिया गया था और रिपोर्ट 2019 में आई थी. जिसमें संबंधित पार्टियों को धन के हस्तांतरण और अन्य उद्देश्यों के लिए धन के उपयोग का संकेत दिया गया था. चर्चा के बाद 2019 में सभी बैंकों ने अकाउंट को फ्रॉड घोषित कर दिया.

स्वामीनाथन के मुताबिक सबसे बड़ा पीएसबी होने के नाते एसबीआई को अन्य बैंकों द्वारा सीबीआई शिकायत दर्ज करने के लिए अधिकृत किया गया था. पहली शिकायत नवंबर 2019 में दर्ज की गई थी. दिसंबर 2021 में एक कम्प्रीहेन्सिव कंप्लेन दर्ज की गई थी. यह आम तौर पर बड़े स्तर के कॉर्पोरेट कर्ज के संबंध में होता है. मुझे कोई देरी नहीं दिख रही है, यह 2013 से एनपीए है.

स्वामीनाथन जे के मुताबिक हम जितना संभव हो उतना हासिल करने का लक्ष्य रखेंगे. ऐसे मामलों के लिए पूरी तरह से प्रावधान किया गया है. इसलिए किसी भी बैंक या लाभ/हानि खातों के बैलेंस शीट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. करीब 22,842 करोड़ रुपये के एबीजी शिपयार्ड घोटाला मामले में सीबीआई अब तक 8 लोगों पर FIR दर्ज कर चुकी है. 28 बैंकों के समूह को इस कंपनी ने चूना लगाया है. बैंकिंग इतिहास के सबसे बड़े घोटाले पर अब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने सब बैंकों की ओर से मुकदमा कराया है।

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