देवरिया भ्रमण में अखिलेश फिर यादववादी रास्ते पर?

विवेचना: देवरिया दौरा करके अखिलेश यादव ने अपने पैरों पर कुल्‍हाड़ी तो नहीं मार ली?
अखिलेश यादव के देवरिया दौरे को अगर भाजपा तूल देती है तो निश्चित है कि गैर यादव वोटों का ध्रुवीकरण होगा. समाजवादी पार्टी में यादवों के वर्चस्व के चलते ही अति पिछड़ी जातियां समाजवादी पार्टी से दूर हुईं थीं. एक बार फिर इतिहास दुहराता दिख रहा है।

देवरिया में मृतक प्रेमचंद यादव के घर सांत्वना देने पहुंचे सपा मुखिया अखिलेश यादव
नई दिल्ली,17 अक्टूबर 2023। देवरिया हत्याकांड के बाद पूर्व मुख्यमंत्री समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने देवरिया का दौरा कर क्या राजनीतिक गलती कर दी? राजनीतिक गणितज्ञों के अनुसार अखिलेश का यह दांव पूर्वी उत्तर प्रदेश में उनके लिए घाटे का सौदा सिद्ध होगा. दरअसल अखिलेश अपने इस दौरे में मृतक प्रेमचंद यादव के परिवार के घर घंटेभर रहे.अखिलेश ने सरकार के बुलडोजर एक्शन का विरोध किया और कहा कि समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता ये होने नहीं देंगें.

अब अखिलेश पर यह आरोप लग रहा है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में जमीन विवाद में कई हत्याएं हो चुकी पर पीड़ित के यादव न होने से अखिलेश ने कभी इधर का रुख नहीं किया.अखिलेश पर इस आरोप को धार दे रहे देवरिया के भाजपा विधायक शलभमणि त्रिपाठी हत्याकांड से ही ब्राह्मण पीडि़त परिवार को न्याय दिलाने को सक्रिय हैं.अखिलेश के इस दौरे से पूर्वी उत्तर प्रदेश में गैरयादव वोट एकजुट हुए तो अगले चुनावों में समाजवादी पार्टी के लिए बहुत मुश्किलें खड़ी होंगी.

1- प्रेमचंद यादव के घर पहुंचे सच्चिदानंद के घर क्यों नहीं?

2 अक्टूबर को देवरिया हत्याकांड में 5 ब्राह्मणों और एक यादव की हत्या बाद राजनीति अभी भी उबाल पर है. सोमवार को समाजवादी पार्टी के मुखिया और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव देवरिया में यादव परिवार के घर सांत्वना देने पहुंचे.हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री पीड़ित ब्राह्रण परिवार के घर भी पहुंचे,पर वहां उन्हें कोई नहीं मिला। परिवार के 5 सदस्य प्रेमचंद यादव की हत्या के बाद भीड़ के शिकार हो गए थे.जो बचे वो घर पर नहीं थे.वैसे देवेश दूबे ने पहले ही अखिलेश यादव से मिलने से मना कर दिया था.देवेश ने अखिलेश से न मिलने का कारण बताया था कि सपा सरकार में ही उसकी जमीन बलपूर्वक छीनी गई और कई बार शिकायत पर भी कुछ नहीं हुआ.

फतेहपुर में सामूहिक हत्या कांड के बाद 4अक्टूबर को देवरिया के पुरवां मुहल्ला में जमीन विवाद में घायल लैब असिस्टैंट सच्चिदानंद चौहान की मृत्यु हो गई सच्चिदानंद चौहान की हत्या का आरोप समाजवादी पार्टी के ही एक नेता रामाशीष यादव पर लगा है.मारपीट के बाद दोनों ही पक्षों ने एक दूसरे परिवारों पर मुकदमा दर्ज कराया था.फतेहपुर जैसी कोई अनहोनी न हो जाए इसके चलते दोनों पक्षों के घरों पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है.स्थानीय लोग सवाल कर रहे हैं कि अखिलेश यादव को सिर्फ प्रेमचंद यादव का परिवार ही अनाथ होता दिख रहा है.

2- इन 14 लोगों की हत्या किसने की?

देवरिया सदर के भाजपा विधायक शलभमणि त्रिपाठी इस हत्याकांड के बाद से लगातार सक्रिय हैं। उन्होंने फेसबुक पर एक लंबी पोस्ट लिखकर सवाल किया कि इन 14 लोगों की हत्या किसने की? जिन 14 लोगों के नाम पोस्ट में गिनाए गए हैं उनमें सैंथवार, मल्ल, पंडित, दलित और अति पिछड़ी जातियों के लोग शामिल हैं. शलभ मणि त्रिपाठी पोस्ट में सीधे तो नहीं कहते हैं पर ऐसा लगता है कि समाजवादी पार्टी पर आरोप लगा रहे हों कि इन हत्याओं के पीछे समाजवादी पार्टी का हाथ है. वे 14 हत्याओं की जिक्र करके लिखते हैं- ‘देवरिया का बच्चा बच्चा जानता है कि ये जाति की नहीं इंसाफ की लड़ाई है. गरीब बनाम भूमाफ़िया की लड़ाई है. उस मानसिकता से जो गरीबों,बेबसों, पिछड़ों, दलितों, विधवाओं का हक़ लूटती है, उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़े करती है, हत्याएं कराती है, और इन कुकृत्यों पर जब कार्रवाई होती है तब शोर मचाती है. बवाल कराती है. जय देवरिया’.

भाजपा नेता शलभ मणि त्रिपाठी ने फेसबुक पोस्ट के जरिये समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा है-

3- पार्टी के पुराने रास्ते पर अखिलेश

सवाल ये है कि क्या अखिलेश को यह पता नहीं था कि अगर यादव परिवार से मिलने जाएंगे तो दूसरी जातियों के लोगों में क्या संदेश जाएगा? अखिलेश यादव के एक समर्थक गौरव दूबे कहते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री ने कोई भेदभाव नहीं किया वो दोनों पीड़ितों के घर गए थे.पर क्या दोनों परिवारों के दर्द को बराबर आंका जा सकता है? भाजपा विधायक शलभमणि त्रिपाठी कहते हैं कि फतेहपुर में हर कोई जानता है कि कौन भूमाफिया था और कौन बेबस.अगर सब कुछ सही था तो समाजवादी पार्टी के लोग भूमि पैमाइश के विरोध में क्यों थे? समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर सिद्ध किया कि वंचितों,बेबसों और कमजोरों की बजाए वह हर बार दबंगों के साथ ही खड़ी होगी.

उत्तर प्रदेश में यह सामान्य धारणा रही है कि समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में जमीन कब्जे बढ़ जाते रहे हैं,चौराहों- मुहल्लों पर गुंडागर्दी बढ़ी रही है.अपने पिता मुलायम सिंह यादव के जमाने में पार्टी की जो छवि गढ़ी गई उसे अखिलेश यादव लगातार मिटाने की कोशिश करते रहे.लेकिन इस बार वे देवरिया का दौरा कर शायद फिर से अपने पिता के कदमों पर चलना चाहते हैं.

पत्रकार विनोद शर्मा के अनुसार लगातार कई बार चुनावों में मिली असफलता से अखिलेश को शायद लगता है कि उनको अब अपने पिता के पदचिह्नों पर ही चलना चाहिए.यही कारण है कि शिवपाल यादव का समाजवादी पार्टी में महत्व बढ़ा है.

4- पूर्वी उत्तर प्रदेश में बदलेगा राजनीतिक गणित

पूर्वी उत्तर प्रदेश में अति पिछड़ों के वोट की लड़ाई तेज हो रही है. इसके साथ ही पिछड़े वर्ग में नया नेतृत्व भी पैदा हुआ है. जो कभी नहीं चाहता कि उनके नेता अखिलेश यादव हों.अति पिछड़ों के नेता दारा सिंह चौहान और ओमप्रकाश राजभर हाल ही में समाजवादी पार्टी छोड़कर भाजपा या राजग में सम्मिलित हुए हैं. निषादों के नेता संजय निषाद योगी मंत्रीमंडल की शोभा बढ़ाते हैं. अपना दल का एक गुट भाजपा के साथ बहुत पहले से ही है भाजपा के साथ हैं. ये सभी अति पिछड़े नेता समाजवादी पार्टी में यादवों के वर्चस्व के चलते ही पार्टी से दूर हुए. जाहिर है कि निकट भविष्य उत्तर प्रदेश में अति पिछड़ों की गोलबंदी तय है।

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