अमर जवान ज्योति आज जायेगी नेशनल वॉर मेमोरियल,सेना समर्थन में, विपक्ष विरोध में

इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति का आज आखिरी दिन:दोपहर 3.30 बजे नेशनल वॉर मेमोरियल की ज्योति में मिल जाएगी; विपक्ष ने बताया शहीदों का अपमान
नई दिल्ली21 जनवरी।दिल्ली में 50 साल से इंडिया गेट की पहचान बन चुकी अमर जवान ज्योति का आज आखिरी दिन है। अब यह ज्योति इंडिया गेट की जगह नेशनल वॉर मेमोरियल पर प्रज्जवलित होगी। शुक्रवार दोपहर 3.30 बजे एक समारोह में इसकी लौ को वॉर मेमोरियल की ज्योति में मिला दिया जाएगा। समारोह की अध्यक्षता एयर मार्शल बलभद्र राधा कृष्ण करेंगे।

इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके बताया है कि अमर जवान ज्योति के पास सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगेगी। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा- 23 जनवरी को नेताजी की हॉलोग्राम मूर्ति का अनावरण किया जाएगा। यह मूर्ति तब तब रहेगी जब तक असली मूर्ति तैयार नहीं हो जाती।

अमर जवान ज्योति हटाने को लेकर विवाद गहराया

अमर जवान ज्योति हटाने को लेकर समर्थन और विरोध के सुर सामने आने लगे हैं। जहां सरकार से जुड़े सूत्रों का यह दावा है कि इस ज्योत को बुझाया नहीं शिफ्ट किया जा रहा है। अमर जवान ज्योति पर जलने वाली ज्योत 1971 और अन्य युद्धों में शहीद होने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देती थी, लेकिन उनमें से किसी का नाम यहां नहीं लिखा था। वहीं विपक्षी पार्टियां इसे शहीदों का अपमान बता रही हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि कुछ लोग देशप्रेम और बलिदान नहीं समझ सकते। कोई बात नहीं… हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएंगे!

भारत-पाक युद्ध के शहीदों की याद दिलाती है अमर जवान ज्योति

अमर जवान ज्योति को पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध में शहीद होने वाले 3,843 भारतीय जवानों की याद में बनाया गया था। इसे पहली बार 1972 में प्रज्जवलित किया गया था। तत्कालीन PM इंदिरा गांधी ने 26 फरवरी 1972 को इसका उद्घाटन किया था। वहीं नेशनल वॉर मेमोरियल का निर्माण केंद्र सरकार ने 2019 में किया था। इसे 1947 में देश की आजादी के बाद से अब तक शहादत दे चुके 26,466 भारतीय जवानों के सम्मान में निर्मित किया गया था। 25 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस स्मारक का उद्घाटन किया था।

पूर्व सैनिकों की भावनाओं से जुड़ी हुई है अमर जवान ज्योति
सरकार की तरफ से अमर जवान ज्योति को इंडिया गेट से हटाकर नेशनल वॉर मेमोरियल लेकर जाने के फैसले पर अलग-अलग तरह के रिएक्शंस सामने आए हैं। बहुत सारे पूर्व सैनिकों ने इसे अपनी भावनाओं से जुड़ा हुआ बताते हुए नहीं हटाए जाने की अपील भी की है। दिसंबर 2021 में भारत-पाकिस्तान के 1971 युद्ध के 50 साल पूरे हुए हैं।

हालांकि, इसे वॉर मेमोरियल लेकर जाने के समर्थकों का कहना है कि वहां पहले से सैनिकों की याद में एक ज्योति मौजूद है। वह जगह शहीदों को सम्मान देने के लिए ही बनी है। पूर्व नेवी चीफ एडमिरल अरुण प्रकाश ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा कि अमर जवान ज्योति को इंडिया गेट पर अस्थाई रूप से स्थापित किया गया था। अब हमारे पास अपना एक वॉर मेमोरियल है, तो इसे वहीं ले जाना बेहतर होगा।

राहुल गांधी ने कहा- हम अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएंगे

इस मुद्दे पर राजनीति शुरू हो गई है। राहुल गांधी ने सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए इसे दुख की बात बताया है। उन्होंने ट्वीट किया- बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा। कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं… हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएंगे!

वहीं, आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी इसका विरोध किया है। संजय सिंह ने एक ट्वीट में लिखा, मोदी जी आप “न किसान के हैं न जवान के”। 1971 के भारत-पाक युद्ध में हमारे जवानों ने अपनी शहादत दी। उनकी याद में 50 वर्षों से ये “अमर जवान ज्योति” जल रही है। आप उस ज्योति को बुझाकर वीर जवानों की शहादत का अपमान कर रहे हैं। ये देश आपको माफ नहीं करेगा।

पूर्व सेनाध्यक्ष बोले, अब सभी समारोह नेशनल वॉर मेमोरियल में ही हों

शहीदों की मशाल हटाए जाने पर सेना के पूर्व अधिकारियों की भी राय सामने आ रही है। पूर्व सेनाध्यक्ष वेद मलिक ने कहा कि यह बेहद सामान्य है कि नेशनल वॉर मेमोरियल के बनने के बाद जवानों की शहादत और उनके सम्मान से जुड़े तमाम कार्यक्रम वहीं होने चाहिए। पूर्व नेवी चीफ एडमिरल अरुण प्रकाश ने कहा, पहले विश्व युद्ध और इससे पहले शहीद हुए जवानों की याद में ब्रिटिशों के बनाए इंडिया गेट में अमर जवान ज्योति को बाद में अलग से जोड़ा गया था। अब, जबकि हमारे पास बाकायदा नेशनल वॉर मेमोरियल है तो इस मशाल को वहां ले जाना सही फैसला है। ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) चितरंजन सावंत, सेना के पूर्व डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया, लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) संजय कुलकर्णी और लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सतीश दुआ आदि ने भी इसका समर्थन किया है।

विपक्ष के नेताओं ने कहा, सरकार को गौरवपूर्ण इतिहास से लगाव नहीं

एयरफोर्स के पूर्व पायलट रहे तेलंगाना के सांसद उत्तम कुमार रेड्‌डी ने इस बदलाव को दुखद बताते हुए कहा है कि कई देशों में एक से ज्यादा वॉर मेमोरियल मौजूद हैं। ऐसे में हमें इंडिया गेट से अमर जवान ज्योति को नहीं हटाना चाहिए। वहीं शिव सेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे दुखद बताते हुए कहा कि नए भारत को बनाने को हमें और कितने आईडिया और बदलाव देखने होंगे। वहीं जदयू सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि यह समझा जा सकता है कि मौजूदा सरकार को हमारे गौरवपूर्ण इतिहास से कोई लगाव नहीं है।

इंडिया गेट 84,000 ब्रिटिश भारतीय सैनिकों की यादगार
बता दें कि 42 मीटर ऊंचे इंडिया गेट का निर्माण ब्रिटिश सरकार ने किया था। ब्रिटिश सरकार ने 1914-21 के बीच पहले विश्व युद्ध और तीसरे अफगान युद्ध में ब्रिटिश सेना की तरफ से शहीद होने वाले 84,000 भारतीय सैनिकों की याद में इसे बनाया था। इस पर उन सैनिकों के नाम भी खुदे हुए हैं।

अमर जवान ज्योति पर जलने वाली ज्योत 1971 और अन्य युद्धों में शहीद होने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देती थी, लेकिन उनमें से किसी का नाम यहां नहीं लिखा था।
अमर जवान ज्योति पर जलने वाली ज्योत 1971 और अन्य युद्धों में शहीद होने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देती थी, लेकिन उनमें से किसी का नाम यहां नहीं लिखा था।

अमर जवान ज्योति को बुझाया नहीं,शिफ्ट ही किया जा रहा है

सरकारी सूत्रों ने बताया कि आज के इवेंट को लेकर काफी गलतफहमियां हैं। अमर जवान ज्योति को बुझाया नहीं जा रहा है। इसका नेशनल वॉर मेमोरियल पर प्रज्जवलित ज्योति के साथ विलय किया जा रहा है।
सूत्रों ने कहा कि यह काफी अजीब बात थी कि अमर जवान ज्योति पर जलने वाली ज्योत 1971 और अन्य युद्धों में शहीद होने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि देती थी, लेकिन उनमें से किसी का नाम यहां नहीं लिखा था।

इंडिया गेट पर जो नाम लिखे हैं वे उन सैनिकों के हैं जो वर्ल्ड वॉर-1 और एंग्लो-अफगान वॉर में शरीद हुए। यह हमारे गुलामी वाले समय की याद दिलाते हैं। 1971 के युद्ध समेत बाकी सभी युद्धों में शरीद होने वाले सैनिकों के नाम नेशनल वॉर मेमोरियल में दर्ज हैं। इसलिए वहां ज्योति जलाना उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। यह विडंबना है कि जिन लोगों ने 70 साल में नेशनल वॉर मेमोरियल नहीं बनाया वे अब हमारे शहीद सैनिकों को सही श्रद्धांजलि मिलने पर विवाद खड़ा कर रहे हैं।

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