त्वांग झड़प पर अमेरिका चीन के खिलाफ भारत के साथ
Tawang China Border: तवांग झड़प पर भारत संग अमेरिका, अब चौतरफा घिरेगा चीन
नवीन कुमार पाण्डेय
हाइलाइट्स
1-चीन ने तवांग में दुस्साहस किया और भारत ने उसे उल्टे पांव लौटा दिया
2-गलवान में अच्छे से पिटने के बाद भी चीन ने हिमाकत करने की भूल की
3-अब अमेरिका ने भी चीन को चेतावनी दे दी है, भारत को मजबूती से खड़ा है ही
नई दिल्ली 15 दिसंबर : चीन हमारा ऐसा पड़ोसी है जिसका अपने कई पड़ोसियों के साथ सीमा विवाद चल रहा है। जानकार कहते हैं कि चीन ने सीमा विवाद को पड़ोसियों के साथ अपने संबंधों की रणनीति का प्रमुख हिस्सा बना रखा है। चीन का शायद ही कोई पड़ोसी हो, जिसके अंदरूनी इलाकों पर वह अपनी दावेदारी पेश नहीं करता हो। भारत के साथ तो वह बाकायदा युद्ध लड़ चुका है। लेकिन, वह भारत को 1962 के युद्ध के नजरिए से तौलने की भूल कर रहा है। बीते दो वर्षों से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन की हरकतों से तो यही महसूस होता है। मजे की बात तो यह है कि गलवान में बुरी तरह पिटने के बावजूद वह दुस्साहस दिखाने से बाज नहीं आ रहा है। 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी सैनिकों ने फिर से हिमाकत की और फिर से बुरी तरह पिटकर लौटी। चीन की अतिक्रमणकारी नीति को लेकर भारत सरकार का रवैया तो ड्रैगन को अच्छे से पता है ही, पूरी दुनिया जानती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मंशा को धूल-धुसरित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ने वाले। भारत की मंशा को भांपकर ही अमेरिका ने भी बिना देर किए चीन को चेतावनी दे दी है। अब भी उसने हिमाकत की तो उसे चौतरफा घिरने से कोई नहीं रोक सकता।
भारत को अमेरिका का साथ, चीन को संदेश
कहते हैं ना, दम हो तो दुनिया साथ खड़ी रहती है। चीन की दादागिरी के आगे भारत जिस तरह चट्टान सा खड़ा है, उसे देखकर दुनिया के सभी ताकतवर देश खुद-ब-खुद हाथ बढ़ा रहे हैं। तवांग के यांगत्से में भारत का चेक पोस्ट हटाने आए पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के करीब 300 जवानों को भारतीय सेना ने करारा जवाब दिया तो बिना वक्त लगाए वो भाग खड़ा हुए। अब अमेरिका भी कह रहा है कि चीन ने भारत के आक्रामक रुख को देखकर अच्छी चालबाजी की। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन की प्रेस सेक्रेटरी पैट राइडर ने कहा कि चीन तो आदत से मजबूर है, वरना भारत के सामने ऐसी हिमाकत करता ही नहीं। हालांकि, तवांग में मुंहतोड़ जवाब मिलते ही चीनी सैनिकों ने उल्टे पांव लौटकर होशियारी की, वरना चीन को बड़ी कीमत चुकानी पड़ती। राइडर ने तवांग झड़प पर एक सवाल के जवाब में कहा, ‘तवांग में जो कुछ हुआ, उसमें अमेरिका के साथियों और खासकर हिंद प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका के मित्र दोस्तों के प्रति चीन की आक्रामक नीति झलकती है।’ उन्होंने भारत के संयम और समझदारी की तारीफ की और कहा, ‘भारत इस दिशा में जो कुछ कर रहा है और स्थिति को जिस तरह से संभाल रहा है, वह वाकई काबिल-ए-तारीफ है।’
तवांग की घटना पर अमेरिकी विदेश विभाग ने भी बड़ा बयान दिया है। विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, ‘निश्चित तौर पर भारत, अमेरिका का अहम साझीदार है और हम इस स्थिति पर अपने दूतावास और विदेश विभाग के जरिए भारत के साथ संपर्क बनाए हुए हैं।’ उन्होंने चेतावनी भरे लहजों में चीन से कहा कि अगर उसने किसी भी तरह से एकतरफा एलएसी की स्थिति बदलने की कोशिश की या फिर सैन्य या असैन्य तरीके से घुसपैठ करके स्थिति को बिगाड़ने की कोशिश की तो अमेरिका उसका विरोध करेगा। उन्होंने कहा कि भारत और चीन को आपसी बातचीत से विवादित सीमाओं के मसले को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए। ध्यान रहे कि अमेरिका हिंद-प्रशांत महासागर में चीन की चुनौतियों से निपटने की अपनी रणनीति का सूत्रधार भारत को ही मानता है। समुद्र में चीन के हाथ-पांव बांधने के लिए ही अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया का क्वाड गठबंधन भी बना है।
युद्धाभ्यासों से बौखलाया चीन
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की सेनाओं के साथ भारतीय सेना के युद्धाभ्यासों से भी चीन को साफ-साफ संकेत मिले हैं। उत्तराखंड के औली में अमेरिका के साथ हुए युद्धाभ्यास पर तो चीन ने काफी तड़क-भड़क दिखाई थी, लेकिन उसकी आपत्तियों को कोई तवज्जो नहीं मिली। न ही अमेरिका और न ही भारत ने औली युद्धाभ्यास को लेकर चीन की आपत्तियों का जवाब दिया और न ही युद्धाभ्यास का स्थान परिवर्तन किया। चूंकि औली एलएसी के काफी करीब है, इसलिए चीन ने इसे उकसावे की कार्रवाई करार दे रहा था। कहा जा रहा है कि तवांग में पीएलए को भेजकर चीन ने वही खुन्नस निकालने का प्रयत्न किया, लेकिन उसकी और फजीहत हो गई। उसने भारत के रिएक्शन का ठीक-ठीक अंदाजा लगाने में फिर भूल की और हालत यह हो गई कि उसे बयान जारी कर कहना पड़ा की हमने कोई अतिक्रमण नहीं किया। झूठ और फरेब को अपनी रणनीति की धुरी बना चुके चीन ने उल्टा भारत पर ही सीमा का अतिक्रमण करने का झूठा आरोप मढ़ दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी दी खुली चुनौती
बहरहाल, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आज संसद भवन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को खींचकर अपने साथ खड़ा करके स्पष्ट संदेश दे दिया है। विरोधी दलों के संयुक्त दबाव के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने रक्षा मंत्री का हाथ पकड़कर साफ कर दिया कि चीन से निपटने में उन्हें खुली छूट है। इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को महर्षि अरबिंदो की 150वीं जयंती के मौके पर भारत के भीतरी और बाहरी दुश्मनों को खुला संदेश दे दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अमरबेल है, यह कभी मरेगा नहीं। कभी थोड़ी देर के लिए मुरझा जाए, कभी इसकी हरियाली फीकी पड़ जाए, लेकिन यह कभी खत्म नहीं होगा। निश्चित तौर पर तवांग झड़प के पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कहना चीन को साफ-साफ संदेश ही नहीं, चुनौती भी है। भारत से चीन के लिए हुंकार है कि उसमें जितना दम हो, लगा ले, भारत का बाल-बांका नहीं बिगाड़ सकता है। भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए खुद में संपूर्ण सक्षम है। जहां तक बात अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मित्रों-साझेदारों की है तो चीन इस मोर्चे पर भी कोई मुगालता नहीं पाल सकता।
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तवांग में झड़प के बाद फिर बढ़ा भारत-चीन में तनाव
Tawang Clash Attracted American Ire To China, Now Jinping Has To Rethink About Chinese Aggressive Policy