अमेठी के एल शर्मा के भरोसे छोड़ राहुल सुरक्षित रायबरेली सीट पर

राहुल गांधी रायबरेली से लड़ेंगे चुनाव, अमेठी से कांग्रेस उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा कौन?
उत्तर प्रदेश की रायबरेली और अमेठी सीट पर कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों के नाम का एलान शुक्रवार सुबह कर दिया है.

रायबरेली सीट से राहुल गांधी चुनावी मैदान में होंगे. रायबरेली सीट पर नामांकन दाखिल करने की आख़िरी तारीख़ आज यानी तीन मई है.

ये पहली बार है, जब राहुल गांधी रायबरेली सीट से चुनावी मैदान में होंगे.

रायबरेली सीट पर भाजपा ने दिनेश प्रताप सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है.पिछले लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने उन्हें हराया था.रायबरेली सीट पर साल 2004 से 2024 तक सोनिया गांधी सांसद रही हैं.

इस बार सोनिया गांधी ने रायबरेली से चुनाव नहीं लड़ने का फ़ैसला किया था. सोनिया गांधी अब राज्यसभा सांसद हैं.वहीं अमेठी की सीट पर कांग्रेस ने किशोरी लाल शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है. अमेठी सीट पर बीजेपी की ओर से स्मृति इरानी मैदान में हैं.

पिछली बार स्मृति इरानी ने राहुल गांधी को अमेठी से हराया था.

स्मृति इरानी ने राहुल के रायबरेली से चुनाव लड़ने पर कहा, ”मेहमानों का स्वागत है. हम मेहमानों के स्वागत में कोई कसर नहीं रहने देंगे. अमेठी से गांधी परिवार का नहीं लड़ना ये संकेत है कि कांग्रेस पार्टी चुनाव में एक वोट पड़ने से पहले ही अमेठी से अपनी हार स्वीकार कर चुकी है.”

स्मृति इरानी ने कहा, ”उन्हें लगता कि यहां जीत की गुजांइश है तो वो (राहुल गांधी) यहां से चुनाव लड़ते.”

कांग्रेस की लिस्ट आने के साथ ही ये स्पष्ट हो गया कि प्रियंका गांधी वाड्रा इस बार चुनावी मैदान में नहीं होंगी.

ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि वो इन चुनावों में अमेठी या रायबरेली से लड़ सकती हैं.

प्रियंका गांधी वाड्रा ने अमेठी सीट पर किशोरी लाल शर्मा को उम्मीदवार बनाए जाने पर सोशल मीडिया पर लिखा, ”किशोरी लाल शर्मा जी से हमारे परिवार का वर्षों का नाता है. अमेठी, रायबरेली के लोगों की सेवा में वे हमेशा मन-प्राण से लगे रहे. उनका जनसेवा का जज्बा अपने आप में एक मिसाल है.”

प्रियंका ने लिखा, ”आज खुशी की बात है कि किशोरी लाल जी को कांग्रेस पार्टी ने अमेठी से उम्मीदवार बनाया है. किशोरी लाल जी की निष्ठा और कर्तव्य के प्रति उनका समर्पण अवश्य ही उन्हें इस चुनाव में सफलता दिलाएगा.”

राहुल गांधी और अमेठी सीट
राहुल गांधी अमेठी सीट पर साल 2004 में सांसद चुने गए थे. इसके बाद वो इस सीट से लगातार सांसद चुने जाते रहे थे.

लेकिन 2019 में भाजपा की स्मृति इरानी ने राहुल गांधी को इस सीट पर हरा दिया था.

हालांकि 2019 लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़े थे और वहीं से जीतकर संसद पहुंचे थे.

राहुल गांधी इस बार भी वायनाड सीट से चुनावी मैदान में थे. इस सीट पर वोट डाले जा चुके हैं.

1999 के बाद यह पहला मौक़ा है, जब गांधी परिवार का कोई सदस्य अमेठी से चुनाव नहीं लड़ रहा है.

साल 1999 में सोनिया गांधी ने अमेठी सीट से ही राजनीति में कदम रखा था.

इसके बाद साल 2004 में सोनिया गांधी रायबरेली सीट से चुनाव लड़कर जीती थीं.

इसी साल राहुल गांधी अमेठी सीट पर सांसद चुने गए थे.

साल 2019 के अलावा अमेठी सीट पर कांग्रेस 1977, 1998 में भी हार चुकी है, तब इस सीट पर उम्मीदवार गांधी परिवार से नहीं थे.

अमेठी सीट का इतिहास
अमेठी और रायबरेली सीट को गांधी परिवार की सीट माना जाता है.

फ़िरोज़ गांधी 1952 और 1957 में इस सीट से सांसद चुने गए थे. इंदिरा गांधी 1967 में रायबरेली से लड़कर लोकसभा पहुंची थीं.

रायबरेली सीट पर इंदिरा गांधी 1971 में जीती थीं. हालांकि इमरजेंसी के बाद 1977 में वो इस सीट से हार गई थीं.

1980 में इंदिरा गांधी रायबरेली से फिर चुनाव जीती थीं. लेकिन इन चुनावों में वो आंध्र प्रदेश की मेडक सीट से भी चुनाव जीती थीं.

अमेठी से गांधी परिवार की सियासी शुरुआत 1980 से हुई थी. तब संजय गांधी इस सीट से जीतकर संसद पहुँचे थे.

संजय गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी 1981 में इस सीट से संसद पहुंचे थे. वो अपनी मौत तक इस सीट से सांसद चुने जाते रहे.

हालांकि 1991 से 1999 तक इस सीट पर गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनावी मैदान में नहीं रहा.

किशोरी लाल शर्मा कौन हैं?
अमेठी से चुनावी मैदान में उतरे किशोरी लाल शर्मा गांधी परिवार के क़रीबी माने जाते हैं.कांग्रेस से टिकट मिलने के बाद किशोरी लाल शर्मा ने कहा, ”मैं खड़गे जी, राहुल जी, सोनिया जी और प्रियंका का हृदय से धन्यवाद देता हूं जिन्होंने मेरे जैसे छोटे कार्यकर्ता को अपनी पारिवारिक सीट की ज़िम्मेदारी दी है.”

वो बोले, ”मैं पूरी कोशिश से मेहनत करूंगा. मैं 40 साल से यहां की सेवा कर रहा हूं.1983 में कांग्रेस यूथ कार्यकर्ता के रूप में यहां आया था और लगातार तब से यहां काम कर रहा हूं. मुझे राजीव जी यहां लेकर आए थे और उसके बाद मैं यहीं रह गया.”

वो कहते हैं, ”हमने सोनिया जी को सारे चुनाव लड़ाए. राजीव जी के 1981 के चुनाव को छोड़ दें तो उनके साथ काम किया.”

राहुल गांधी रण छोड़कर चले गए हैं?

इस सवाल पर उन्होंने कहा- ”राहुल गांधी रण छोड़ने वाले नहीं है, वो पूरे देश की लड़ाई लड़ रहे हैं.”

वो इस सीट से आज अपना नामांकन दाखिल करेंगे. किशोरी लाल रायबरेली के संसदीय क्षेत्र से सोनिया गांधी के प्रतिनिधि रहे हैं.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि रायबरेली, अमेठी में गांधी परिवार से जुड़े मामलों में किशोरी लाल शर्मा संपर्क सूत्र हैं.

किशोरी लाल शर्मा मूल रूप से पंजाब के हैं. वो 1983 में कांग्रेस कार्यकर्ता के तौर पर अमेठी आए थे.कहा जाता है कि किशोरी लाल शर्मा राजीव गांधी के क़रीबी थे.

राजीव गांधी की मौत के बाद वो अमेठी सीट पर कांग्रेस के लिए काम करते रहे. जब गांधी परिवार 1990 के दौर में अमेठी की चुनावी राजनीति से दूर रहा, तब इस सीट पर किशोरी लाल शर्मा सक्रिय रहे थे.

1999 में सोनिया गांधी की पहली चुनावी जीत में किशोरी लाल शर्मा की अहम भूमिका बताई जाती है.

गांधी परिवार का रायबरेली किला फतह करना भी नहीं है राहुल के लिए आसान, ये आंकड़े बहुत कुछ कहते हैं
2014 और 2019 लोकसभा चुनावों में भाजपा, रायबरेली लोकसभा सीट पर जबरदस्त प्रदर्शन करती नजर आई थी. यहां भाजपा का वोट शेयर लगातार बढ़ा है. दूसरी तरफ कांग्रेस का वोट प्रतिशत यहां से लगातार कम हुआ है. साल 2019 लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह ने सोनिया गांधी के खिलाफ मजबूती के साथ चुनाव लड़ा था। तगड़े सस्पेंस के बाद आखिरकार कांग्रेस ने रायबरेली लोकसभा सीट (Raebareli Lok Sabha Seat) और अमेठी लोकसभा सीटों (Amethi Lok Sabha Seat) को लेकर अपना फैसला ले लिया है. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस (Congress) और गांधी परिवार के आखिरी बचे हुए किले रायबरेली को बचाने के लिए खुद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) रायबरेली के सियासी मैदान में उतरे हैं. दूसरी तरफ हाथ से निकल चुके अमेठी लोकसभा सीट को वापस हासिल करने की जिम्मेदारी गांधी परिवार के विश्वासपात्र सिपाही किशोरी लाल शर्मा को मिली है.

बता दें कि रायबरेली लोकसभा सीट गांधी परिवार की परंपरागत सीट रही है. साल 2004 से लेकर 2019 तक यहां से सोनिया गांधी सांसद रही. यहां से फिरोज गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक सांसद रह चुकी हैं. साल 2019 में अमेठी से राहुल गांधी के चुनाव हारने के बाद रायबरेली सीट ही उत्तर प्रदेश  में कांग्रेस का आखिरी किला बचा हुआ है.

रायबरेली भी नहीं है राहुल गांधी के लिए आसान
रायबरेली में भाजपा ने दिनेश प्रताप सिंह को मैदान में उतारा है. दिनेश प्रताप सिंह साल 2019 में भी रायबरेली सीट से सोनियां गाधी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं. ऐसे में एक बार फिर भाजपा ने दिनेश प्रताप सिंह पर अपना भरोसा जताया है.

आपको बता दें कि साल 2019 लोकसभा चुनाव में दिनेश प्रताप सिंह ने सोनिया गांधी के सामने मजबूत दावेदारी पेश की थी और पूरा जोर लगाकर चुनाव वहां से चुनाव लड़े थे. उन्होंने कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी थी. मगर आखिर में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इसी वजह से सियासी हलकों में चर्चाएं हैं कि राहुल गांधी के लिए रायबरेली का किला बचाना इतना आसान नहीं है, जितना माना जा रहा है. दरअसल रायबरेली सीट के पिछले 4 आम चुनावों के आंकड़े काफी कुछ कहानी बयां करते हैं.

भाजपा का वोट शेयर बढ़ा और कांग्रेस का घटा
बता दें कि रायबरेली लोकसभा सीट पर लगातार भारतीय जनता पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ रहा है, दूसरी तरफ कांग्रेस का वोट प्रतिशत लगातार कम हो रहा है. भारतीय जनता पार्टी साल 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में रायबरेली लोकसभा सीट पर दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी है. साल 2009 और 2004 में हुए लोकसभा चुनावों में इस सीट पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ही कांग्रेस प्रत्याशी सोनिया गांधी को थोड़ी बहुत टक्कर देती आई थी. मगर जिस तरह से भाजपा ने पिछले 2 लोकसभा चुनाव में रायबरेली सीट पर कांग्रेस को घेरा है, वह वाकई हैरान कर देने वाला है.
साल 2014 में भाजपा ने रायबरेली लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से ज्यादा वोट हासिल किए थे. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने रायबरेली सीट पर 21.05 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे. दूसरी तरफ 15.15 प्रतिशत वोट कांग्रेस को छोड़कर सभी राजनीति दलों को मिले थे, जिसमें सपा-बसपा जैसे बड़े राजनीतिक दल भी शामिल थे. इसी चुनाव में कांग्रेस को 63.80 प्रतिशत वोट मिले थे और यहां से सोनिया गांधी ने जीत हासिल की थी.

साल 2019 में कांग्रेस का वोट शेयर हुआ कम
2019 लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने कांग्रेस से उसके रायबरेली और अमेठी के किलों पर फतह हासिल करने की कोशिश की. मगर भाजपा को अमेठी में तो सफलता हासिल हुई. मगर रायबरेली का किला भाजपा फतह नहीं कर सकी. बता दें कि साल 2019 में सोनिया गांधी और दिनेश प्रताप सिंह के बीच कड़ा मुकाबला हुआ. जीत तो इस चुनाव में सोनिया गांधी को मिली. मगर कांग्रेस का वोट प्रतिशत साल 2014 से भी कम हो गया और भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ गया.

बता दें कि साल 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जहां रायबरेली में 55.80 प्रतिशत वोट मिले तो वहीं भाजपा को 38.36 प्रतिशत वोट मिले. साल 2014 से साल 2019 आते-आते भाजपा का रायबरेली में वोट शेयर 17.31 प्रतिशत बढ़ गया तो वहीं कांग्रेस का वोट शेयर 8 प्रतिशत तक घट गया.

राहुल के अमेठी हारने का असर क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर पड़ा
बता दें कि भाजपा साल 2019 के बाद भी रायबरेली में काफी एक्टिव रही. दूसरी तरफ राहुल के अमेठी हारने का प्रभाव पूरे क्षेत्र के कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर पड़ा और कांग्रेस की गतिविधियां वहां कम होती चली गईं. ऐसे में अब राहुल गांधी ने अपनी मां सोनिया गांधी की सीट पर चुनाव लड़कर रायबरेली का किला बचाने की जिम्मेदारी उठाई है. मगर ये चुनाव भी राहुल गांधी के लिए आसान नहीं होने वाला है. इस बात की पूरी उम्मीद है कि भाजपा और भाजपा के प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह राहुल को कड़ी से कड़ी टक्कर दे सकते हैं.

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