बेरोजगारों के बीच उपद्रवियों की घुसपैठ भांप नहीं पाई पुलिस
Uttarakhand Unemployed Youth Protest Police Lathicharge And Stone Pelting
उग्र हुए बेरोजगार…पुलिस नहीं भांप पाई माहौल, 10 तस्वीरों में देखें कैसे बिगड़े हालात
देहरादून में बेरोजगार युवाओं के प्रदर्शन के दौरान हंगामा
भर्ती परीक्षाओं में धांधली की सीबीआई जांच की मांग कर रहे युवाओं का प्रदर्शन बृहस्पतिवार को उग्र हो गया। बेरोजगारों ने बुधवार रात हुई पुलिस की कार्रवाई का विरोध करते हुए राजपुर रोड जाम कर दी। पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने समझाने का प्रयास किया लेकिन युवा नहीं माने।
आक्रोश बढ़ता देख पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इससे भड़के युवाओं ने पुलिसकर्मियों पर पथराव कर उन्हें दौड़ा दिया। पीएसी की मदद से लाठीचार्ज कर युवाओं को तितर-बितर किया गया। इसके बाद भी वे नहीं माने तो करीब 300 युवाओं को गिरफ्तार कर सुद्धोवाला जेल भेजा गया।
वहीं, बेरोजगारों के इस आंदोलन को हल्के में लेना पुलिस को बेहद भारी पड़ गया। शुरुआत में ही स्थिति को भांप लिया जाता तो शायद पत्थरबाजी की नौबत नहीं आती। पुलिस वहां केवल समझाने और कानून व्यवस्था संभालने के इरादे से पहुंची थी। लेकिन, देखते ही देखते स्थिति इतनी बिगड़ गई कि कई दौर में पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। बाद में तो पीएसी और आंसू गैस के गोलों की व्यवस्था भी पुलिस ने कर ली।
भर्ती धांधली के विरोध में प्रदेशभर में युवाओं का प्रदर्शन
पहले यही माना जा रहा था कि सभी परीक्षाओं की तैयारियां करने वाले युवा हैं। यदि उन्हें चेतावनी देकर समझाया जाएगा तो शायद मान जाएंगे। कुछ देर बाद जाम भी खुल जाएगा। लिहाजा, पुलिस ने तैयारियां भी इसी हिसाब से की थीं
पत्थरबाजी
पुलिस ने वहां पर एक फायर ब्रिगेड की गाड़ी तैनात की थी। जबकि, पुलिस बल के पास न हेलमेट थे और न ही बॉडी प्रोटेक्टर। कुछ पुलिसकर्मी तो बिना डंडों के भी तैनात थे। नतीजा, पहले बल प्रयोग के बाद ही युवाओं ने जब पत्थरबाजी शुरू की तो पुलिस को पीछे हटना पड़ा।
देहरादून में बेरोजगार युवाओं के प्रदर्शन के दौरान हंगामा
कई पुलिसकर्मियों ने दुकानों में छुपकर शरण ली। ज्यादा टूट-फूट न हो, इसके चलते गाड़ियां भी वहां से हटानी पड़ गईं। पुलिसकर्मी कुछ देर तक तो दोबारा मोर्चा संभालने के मूड में नहीं लग रहे थे। इसके बाद कुछेक ने दोपहिया वाहनों वाले हेलमेट पहने और मैदान में उतरे। थोड़ी देर बाद जब पुलिस कप्तान मौके पर आए तो उन्होंने पुलिस को आगे बढ़ने के लिए कहा।
देहरादून में बेरोजगार युवाओं के प्रदर्शन के दौरान हंगामा
तब तक डंडों और बॉडी प्रोटेक्टर के साथ पीएसी भी पहुंच गई। पीएसी को देखते ही पुलिस की जान में जान आई और वह भी आगे बढ़ गई। बॉडी प्रोटेक्टर और हेलमेट पहने जवानों ने लाठियां बरसाईं तो युवाओं के पत्थर भी काम न आए। मजबूरन उन्हें भागना ही पड़ा। यदि पुलिस इस तरह का एहतियात पहले बरतती तो मामला शायद इतना न बिगड़ पाता।
प्रदर्शनकारी युवा गिरफ्तार
युवा गिरफ्तारी के वक्त भी बेहद उग्र थे। उन्हें प्राइवेट बसों में भी बैठाया गया था। उन्होंने जाते वक्त बसों के शीशे भी तोड़ डाले। हालांकि, सरकारी वाहनों में जाते वक्त वे तोड़फोड़ नहीं कर पाए। सरकारी वाहनों से सभी को सुद्धोवाला जेल ले जाया गया था। जबकि, प्राइवेट वाहनों से युवाओं को परेड ग्राउंड तक छोड़ा गया था।
देहरादून में बेरोजगार युवाओं के प्रदर्शन के दौरान हंगामा
इस प्रदर्शन और उपद्रव के दौरान कई युवा बेहोश भी हुए। साथ ही पथराव में कई पुलिसकर्मियों को भी चोट आई। युवाओं की पत्थरबाजी से कई दुकानों और पुलिस के वाहनों को भी नुकसान पहुंचा है।
पुलिस का लाठीचार्ज
उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने गांधी पार्क में बुधवार रात और बृहस्पतिवार को शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे बेरोजगारों और छात्रों पर किए गए लाठीचार्ज के विरोध में शुक्रवार को प्रदेश बंद का आह्वान किया है। संघ ने विभिन्न राजनैतिक, सामाजिक, पूर्व सैनिक, छात्र संगठन, कर्मचारी संगठन, टैक्सी यूनियन व व्यापारिक संगठनों से समर्थन की अपील की है।
देहरादून में जाम
प्रदर्शन के दौरान आधा शहर जाम से जूझता रहा। लोगों को सुबह 11 बजे से शाम पांच बजे तक परेशानी का सामना करना पड़ा। जाम से बचने के लिए गली-मोहल्लों का सहारा लेना पड़ा। स्कूली बच्चे भी घंटों बसों में फंसे रहे। शहर की यातायात व्यवस्था पूरी तरह बाधित रही। शाम को प्रदर्शनकारियों के गिरफ्तारी के बाद ही लोगों ने राहत की सांस ली
Many Youth Fainted During Protest And More Than 300 Arrested
प्रदर्शन के दौरान कई युवा हुए बेहोश, 300 से ज्यादा गिरफ्तार, मुख्यमंत्री ने दिए मजिस्ट्रेटी जांच के निर्देश
आक्रोश बढ़ता देख पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इससे भड़के युवाओं ने पुलिसकर्मियों पर पथराव कर उन्हें दौड़ा दिया। पीएसी की मदद से लाठीचार्ज कर युवाओं को तितर-बितर किया गया। इसके बाद भी वे नहीं माने तो करीब 300 युवाओं को गिरफ्तार कर सुद्धोवाला जेल भेजा गया।
प्रदर्शनकारी युवा गिरफ्तार
भर्ती परीक्षाओं में धांधली की सीबीआई जांच की मांग कर रहे युवाओं का प्रदर्शन बृहस्पतिवार को उग्र हो गया। बेरोजगारों ने बुधवार रात हुई पुलिस की कार्रवाई का विरोध करते हुए राजपुर रोड जाम कर दी। पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने समझाने का प्रयास किया लेकिन युवा नहीं माने।
आक्रोश बढ़ता देख पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इससे भड़के युवाओं ने पुलिसकर्मियों पर पथराव कर उन्हें दौड़ा दिया। पीएसी की मदद से लाठीचार्ज कर युवाओं को तितर-बितर किया गया। इसके बाद भी वे नहीं माने तो करीब 300 युवाओं को गिरफ्तार कर सुद्धोवाला जेल भेजा गया। इस प्रदर्शन और उपद्रव के दौरान कई युवा बेहोश भी हुए। साथ ही पथराव में कई पुलिसकर्मियों को भी चोट आई। युवाओं की पत्थरबाजी से कई दुकानों और पुलिस के वाहनों को भी नुकसान पहुंचा है।
पथराव करने वाले बाहरी तत्व, हो रही पहचान : वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दलीप सिंह कुंवर ने कहा कि गांधी पार्क के पास युवा प्रदर्शन कर रहे थे। लेकिन, उनके बीच कुछ बाहरी तत्व भी शामिल हो गए और उन्होंने पुलिस पर पथराव किया। इससे पुलिस और आम लोगों के वाहन व दुकानें तो क्षतिग्रस्त हुए ही, पुलिस और प्रशासन के अधिकारी व कर्मचारी भी घायल हो गए। सीसीटीवी फुटेज खंगालकर इन बाहरी तत्वों की पहचान की जा रही है। सभी आरोपितों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
लाठीचार्ज व पथराव की मजिस्ट्रेटी जांच के निर्देश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सचिव डॉक्टर एसएस संधु को गांधी पार्क में धरने के दौरान पथराव और लाठीचार्ज से उत्पन्न हालात की मजिस्ट्रेटी जांच के निर्देश दिए हैं। नामित जांच अधिकारी सभी तथ्यों और परिस्थितियों की जांच कर रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराएंगे। आदेश में कहा गया है कि बुधवार को गांधी पार्क में धरने के दौरान की घटना और बृहस्पतिवार को देहरादून में बेरोजगार संघ के धरने के दौरान हुए पथराव से कानून व्यवस्था की विषम परिस्थिति उत्पन्न हो गई थी। मुख्यमंत्री ने कानून व्यवस्था की इन परिस्थितियों और लाठीचार्ज के पूरे घटनाक्रम की विस्तृत जांच के निर्देश दिए।
ये हैं प्रमुख मांगें
1- हाईकोर्ट के जज की निगरानी में भर्तियों में धांधली की सीबीआई जांच।
2- नकलरोधी कानून आने तक कोई भी भर्ती परीक्षा न हो।
3- 12 फरवरी को होने वाली पटवारी भर्ती परीक्षा टाली जाए।
4- नकलचियों के नाम सार्वजनिक किए जाएं।
5- आयोग के अधिकारियों-कर्मचारियों की निष्पक्ष जांच हो।