साथियों का साथ देने अनंत लाल सिंह ने किया सरेंडर,पाया काला पानी का आजीवन कारावास

स्वतंत्रता सेनानी
क्रांतिकारी अनंत लाल सिंह की जीवनी
चटगाँव (बंगाल) के प्रसिद्ध क्रांतिकारी अनंतलाल सिंह (Ananta Lal Singh) का जन्म 3 दिसम्बर 1903 को चटगाँव में हुआ था | उनका परिवार मूलतः आगरा (उत्तर प्रदेश) का निवासी था और बंगाल में जाकर बस गया था | प्रथम विश्वयुद्ध (1914-18) के अंतिम वर्षो में अनंतलाल सिंह क्रान्तिकारियो के सम्पर्क में आ गये और अपने साहस और योग्यता से संघठन के प्रमुख सदस्य बन गये | बम और बन्दूको की गोलियाँ बनाने में वे विशेष प्रवीण थे |

1921 में असहयोग आन्दोलन में वे स्कूल से बाहर आ गये और कांग्रेस का काम करने लगे | लेकिन जब 1922 में आन्दोलन वापस ले लिया गया तो वे फिर क्रांतिकारी कार्यो में संलग्न हो गये | 1923 में जब क्रांतिकारियों ने विदेशियों की कम्पनी “असम बंगाल रेलवे” का खजाना लूट लिया तो पुलिस को अनंतलाल पर संदेह हुआ | अब वे अन्य साथियों को लेकर गुप्त स्थान पर रहने लगे |एक दिन जब उस स्थान को पुलिस ने चारो ओर से घेर लिया तो अनंतलाल सिंह के नेतृत्व में क्रांतिकारी बलपूर्वक पुलिस का घेरा तोडकर एक पहाडी पर चढ़ गये |

वहां से अनंतलाल सिंह कोलकाता आ गये | पर शीघ्र ही गिरफ्तार करके उन्हें चार वर्ष के लिए नजरबंद कर दिया गया | 1928 में वे जेल से छुटकर फिर चटगाँव पहुचे और लोगो को संगठित किया | इसके बाद क्रान्तिकारियों ने चटगाँव के शस्त्रागार पर आक्रमण किया था | अनंतलाल फिर बचकर फ्रैंच बस्ती चन्द्रनगर चले आये थे किन्तु ज्यों ही उन्हें पता चला कि चटगाँव काण्ड के लिए उनके युवा साथियो पर मुकदमा चलाया जा रहा है वे उनके साथ खड़े होने के लिए स्वयं पुलिस के सामने उपस्थित हो गये |

मुकदमा चला और कुछ अन्य साथियों के साथ उन्हें भी आजीवन कारावास की सजा देकर 1932 में अंडमान की जेल में भेज दिया गया | वहा से 1946 के अंत में ही बाहर आ सके | महान क्रांतिकारी 1970 के दशक में नक्सलवादी विद्रोह के समय तक क्रांति की मशाल थामे रहे | 25 जनवरी 1979 को 75 वर्ष की आयु में अनंतलाल का देहांत हो गया ।

अनन्त लाल सिंह क्रांतिकारी सूर्यसेन के विश्वसनीय साथी थे। अंग्रेजी पुलिस व सेना के चटगांव स्थित शस्त्रागार को सफलता पूर्वक लूटने में अनत सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा उन्होंने ही इस योजना के लिए हथियार जुटाए थे।

अनन्त लाल सिंह क्रांतिकारी सूर्यसेन के विश्वसनीय साथी थे। अंग्रेजी पुलिस व सेना के चटगांव स्तिथ शस्त्रागार को सफलता पूर्वक लूटने में अनत सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा उन्होंने ही इस योजना के लिए हथियार जुटाए थे। अनंत सिंह इस ऑपरेशन में पुलिस शस्त्रागार को लूटने हेतु गणेश घोष के प्रमुख सहायक थे । ऑपरेशन चटगांव सफल होने के बाद दल के कुछ साथी गिरफ्तार किए जा चुके थे पकड़े गए साथियों मेसे पुलिस को बयान भी दे दिए थे । गिरफ्तार हुए साथियों का मनोबल बढ़ाने के लिए सूर्यसेन के निर्देशानुसार अनत सिंह ने दिनांक 28 जून 1930 को कलकत्ता के इंस्पेक्टर जनरल पुलिस के समक्ष समर्पण किया व जेल में अपने साथियों का मनोबल बढ़ाया। जिन साथियों ने पहले पुलिस को बयान दिए थे उन्होंने अपने बयान बदल दिए । अनंत सिंह को भी पुलिस ने यातनाएं दी पर क्रांतिवीर ने दल का कोई भेद नहीं दिया
अनन्त लाल सिंह क्रांतिकारी सूर्यसेन के विश्वसनीय साथी थे। अंग्रेजी पुलिस व सेना के चटगांव स्तिथ शस्त्रागार को सफलता पूर्वक लूटने में अनत सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा उन्होंने ही इस योजना के लिए हथियार जुटाए थे। अनंत सिंह इस ऑपरेशन में पुलिस शस्त्रागार को लूटने हेतु गणेश घोष के प्रमुख सहायक थे ।
जन्म की तारीख और समय: 1 दिसंबर 1903, चटगाँव, बांग्लादेश
देहावसान की जगह और तारीख: 25 जनवरी 1979
फ़िल्में: जमालाये जीबनता मनुष्य
पूरा नाम – अनंता लाल सिंह. जन्म – 1 दिसम्बर, 1903. जन्म भूमि – चटगांव …

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