एंजेल चकमा:नस्लीय भेदभाव/नस्लीय हिंसा प्रमाणित नही, भागा हुआ नेपाली नही पहुंचा अपने देश,ईनाम लखटकिया
Who Is Dehradun Ssp Ajay Singh Issued Notice By National St Commission In Angel Chakma Murder Case Connection
कौन हैं देहरादून SSP अजय सिंह? जिन्हें एंजेल चकमा हत्याकांड में ST आयोग ने जारी किया नोटिस
Who is Dehradun SSP Ajay Singh: देहरादून में त्रिपुरा के छात्र एंजेल चकमा पर नस्लीय हमला और मौत के मामले में विवाद लगातार गहरा रहा है। अब एसएसपी समेत अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने क्या कहा?
मामले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने कहा कि देहरादून में त्रिपुरा के छात्र एंजेल चकमा हत्या में पुलिस की जांच चल रही है। अभी तक जांच में हेट स्पीच जैसी कोई बात सामने नहीं आई है। इतना जरूर है कि हॉट-टॉक से मारपीट हुई। पुलिस मामले में एक्शन में है। कई आरोपित पकड़े हैं । घटना में आरोपित एक छात्र त्रिपुरा का भी है। एक अन्य भगोड़े आरोपित की तलाश में पुलिस लगातार छापे मार रही है। सेलाकुई क्षेत्र में दो पक्षों के युवकों में हुई मारपीट में एंजेल चकमा गंभीर घायल हुए थे। इलाज में 26 दिसंबर को उनकी मौत हो गई। मामले में दो नाबालिगों सहित कुल पांच आरोपितों पर मुकदमा है। इनमें से तीन आरोपित 14 दिसंबर को पकड़े गये। दो नाबालिग रिमांड में लिये हैं। घटना में संलिप्त नेपाल का आरोपित घटना बाद से भागा हुआ है। उसकी गिरफ्तारी को पुलिस के घोषित 25 हजार के इनाम को एक लाख रुपए कर दिया गया है। उसकी तलाश को पुलिस टीमें नेपाल भेजी गई लेकिन वह वहां नही मिला.
सोशल मीडिया पर अफवाह की बात
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने कहा कि इंटरनेट मीडिया पर कुछ लोग इसे नस्लीय भेदभाव से जोड़कर प्रसारित कर रहे है। लेकिन जांच में न तो किसी नस्लीय टिप्पणी का प्रमाण मिला, न ही पीड़ित पक्ष की लिखित शिकायत में ऐसे किसी आरोप का जिक्र है। जांच में आया कि 9 दिसंबर को मणिपुर का सूरज ख्वास बेटे के जन्मदिन की पार्टी में दोस्तों से मजाक-मस्ती कर रहा था। इसी में एंजेल चकमा और उसके साथियों को लगा कि उन पर टिप्पणी की जा रही है। इसको लेकर दोनों पक्षों में विवाद बढ़ा और मारपीट होने लगी। मारपीट में एंजेल चकमा और उसके भाई माइकल चकमा घायल हो गए। एंजेल की इलाज में मौत हो गई। आरोपितों में सूरज ख्वास मणिपुर का है। एक अन्य आरोपित नेपाल का है। सभी आरोपित पर्वतीय क्षेत्र संबंधित हैं। जांच में कोई भी नस्लीय टिप्पणी या हिंसा की पुष्टि नहीं हुई है।
अजय सिंह अभी देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की भूमिका में हैं। अजय सिंह प्रादेशिक पुलिस सेवा से वर्ष 2005 में उपाधीक्षक बने। वर्ष 2018 में उन्हें आईपीएस प्रमोशन और 2014 बैच मिला। सितंबर 2023 में देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से पहले वह हरिद्वार के पुलिस कप्तान थे। देहरादून में वे क्षेत्राधिकारी नगर, क्षेत्राधिकारी डालनवाला और देहरादून नगर पुलिस अधीक्षक रह चुके हैं। हरिद्वार ग्रामीण पुलिस अधीक्षक भी रहे।
छात्र संघ ने लगाए गंभीर आरोप
ऑल इंडिया चकमा स्टूडेंट यूनियन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बिपुल चकमा की ओर से आयोग को दी शिकायत में आरोप लगाया गया है कि 9 दिसंबर को छात्र पर हमलावरों ने हत्या के इरादे से हमला किया था। मामले में पुलिस एफआईआर लिखने में टाल-मटोल हुई। आरोपितों को बचाने को हत्या के प्रयास जैसी गंभीर धाराएं भी नहीं जोड़ी गईं। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अनुसंधान अधिकारी चेतन कुमार शर्मा ने नोटिस जारी कर साफ किया कि आयोग सिविल न्यायालय की शक्तियां प्रयोग कर रहा है।
आयोग ने नोटिस में अधिकारियों को कठोर निर्देश दिए हैं कि डाक या व्यक्तिगत उपस्थिति से वस्तुस्थिति स्पष्ट करें। वहीं, एंजेल चकमा को न्याय देने की मांग को लेकर विभिन्न संगठन से जुड़े लोगों ने गांधी पार्क में कैंडल मार्च निकाला। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि एजेंल हत्याकांड से पूरा उत्तराखंड शर्मिंदा है। सोमवार शाम आइसा छात्र संगठन की ओर से गोला पार्क में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
‘नस्लीय भेदभाव या हिंसा के नहीं कोई सबूत’, त्रिपुरा के छात्र एंजेल चकमा की मौत पर बोली देहरादून पुलिस
देहरादून पुलिस ने कहा कि इस घटना को नस्लीय भेदभाव से जोड़ा जा रहा है। सोशल मीडिया में इसको लेकर ट्रेंड चलाया जा रहा है। पुलिस की जांच में अब तक की जांच में नस्लीय भेदभाव या हिंसा का कोई सबूत सामने नहीं आए हैं।
देहरादून में त्रिपुरा के रहने वाले एंजेल चकमा की मौत
छह आरोपियों में से पांच को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इनमें से कानून का उल्लंघन करने वाले दो नाबालिग बाद में सुरक्षा हिरासत में रखे गये। जांच कर्ता देहरादून पुलिस ने कहा कि प्रथम दृष्टया नस्लीय हिंसा के कोई सबूत नहीं है।
नेपाल का एक आरोपित अभी भी भागा हुआ
देहरादून पुलिस ने कहा कि जांच के दौरान एक और आरोपित, जो कि नेपाल का रहने वाला है। उसका कोर्ट से गैर-जमानती वारंट है। पुलिस टीमें उसे पकड़ने को लगातार कोशिशें कर रही हैं।
नस्लीय दुर्व्यवहार या हिंसा की कोई रिपोर्ट नहीं- पुलिस
पुलिस ने सोशल मीडिया पोस्ट देखे हैं, जो इस घटना को नस्लीय भेदभाव से जोड़ रहे हैं। हालांकि, अब तक की जांच में नस्लीय भेदभाव या हिंसा का कोई प्रमाण सामने नहीं है। घटना के दिन (9 दिसंबर 2025) से लेकर 26 दिसंबर तक, पुलिस या मीडिया से बातचीत में किसी ने भी नस्लीय दुर्व्यवहार या हिंसा की कोई रिपोर्ट नहीं की।
हंसी-मजाक में कुछ टिप्पणियां लगीं आपत्तिजनक
इसके अलावा, मामले में दर्ज FIR में भी ऐसा कोई आरोप नहीं है। सामने आए तथ्यों के अनुसार, 9 दिसंबर, 2025 को मणिपुर के सूरज खवास के बेटे की बर्थडे पार्टी में दोस्तों में हंसी-मजाक हुआ। पीड़ित के ग्रुप को कुछ टिप्पणियां आपत्तिजनक लगीं, जिससे विवाद शुरू हो गया। हाथापाई में मृतक एंजेल चकमा और उसके भाई माइकल चकमा घायल हो गए। बाद में एंजेल की चोटों के इलाज में मौत हो गई।
खंगाले गए सीसीटीवी फुटेज
जांच में एक आरोपित सूरज खवास मणिपुर का निकला। दूसरा आरोपित यक्षराज नेपाल का है। एक नाबालिग बुक्सा अनुसूचित जनजाति और बाकी दो उत्तराखंड के हैं। स्थानीय निवासियों के विस्तृत बयान लिखे गए हैं। साथ ही CCTV फुटेज सहित डिजिटल सबूत भी जुटाए गए हैं।
बिना किसी भेदभाव और पारदर्शी तरीके से हो रही जांच
अब तक किसी भी आरोपित के मृतक के खिलाफ नस्लीय टिप्पणी या दुर्व्यवहार का कोई मामला सामने नहीं है। जांच जारी है और कोई भी नया प्रमाण मिला तो विधिवत अंकित होगा । देहरादून पुलिस ने आश्वासन दिया है कि जांच निष्पक्ष, बिना किसी भेदभाव और पारदर्शी तरीके ढंग से हो रही है। सभी कानूनी कार्रवाई विधि अनुसार कठोरता से होगी और कोई भी आरोपित छोड़ा जायगा।
क्या सैकड़ों लोगों के सामने हुई एंजेल चकमा की हत्या? पुलिस ने दिया ये जवाब
नॉर्थ ईस्ट के छात्रों के मन में आए असुरक्षा के भाव को दूर करेगी पुलिस, एंजेल चकमा हत्याकांड पर पुलिस ने दिया विस्तार से जवाब
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एंजेल चकमा को श्रद्धांजलि
त्रिपुरा के छात्र एंजेल चकमा की हत्या की घटना को लेकर देहरादून से लेकर दिल्ली और त्रिपुरा तक विरोध हो रहे हैं. एंजेल का परिवार इंसाफ की गुहार लगा रहा है. हालांकि, उत्तराखंड सरकार लगातार परिवार से संपर्क में हैं.
एंजेल चकमा हत्याकांड से जुड़े तमाम तथ्यों को लेकर आज देहरादून वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने 45 मिनट तक मीडिया के कैमरे पर पूरे घटनाक्रम के बारे में सिलसिलेवार न केवल बातचीत की. बल्कि, पत्रकारों के सवालों के जवाब भी दिए.

देहरादून पुलिस कप्तान अजय सिंह ने बताया कि यह मामला न केवल पुलिस के लिए बल्कि, राज्य सरकार के लिए भी बेहद संवेदनशील है, जो कोई भी घटना हुई है, उससे हर कोई हैरान है.
भीड़भाड़ वाले इलाके में हुई घटना: वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने कहा कि जिस वक्त और जिस जगह पर यह घटना हुई, वो बेहद भीड़भाड़ वाला इलाका है. वहां छात्रों में बहसबाजी होती रहती है. इस घटना को भी वहां के स्थानीय लोगों ने सामान्य माना.
एक मिनट के भीतर हुई सारी घटना: पूछा गया कि क्या इतनी भीड़ भाड़ वाले इलाके में कोई भी व्यक्ति चकमा को बचाने या पुलिस को सूचना देने सामने नहीं आया? इस पर अजय सिंह का कहना था कि यह सब कुछ मिनटों हो गया. प्रतिक्रिया को काफी कम समय था. हमने घटना से जुड़े तमाम सीसीटीवी फुटेज निकाले हैं, उसमें सब कुछ अचानक होता दिख रहा है. इसलिए यह कहना कि किसी ने बीच बचाव करने की कोशिश नहीं की, यह सही नहीं होगा.
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दिवंगत एंजेल चकमा (फाइल फोटो- Family Members)
भागे आरोपित के ऊपर एक लाख रुपए का इनाम: वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने ये भी बताया कि इस पूरे घटनाक्रम पर अब छठे और भागे आरोपित पर इनाम 25,000 रुपए से बढ़ाकर 1,00,000 लाख रुपए कर दिया है.
क्या आरोपी नेपाल भागा? पुलिस को ये इनपुट मिल रहे हैं कि आरोपी अभी नेपाल नहीं गया है. हो सकता है कि वो उत्तराखंड और नेपाल की सीमा के आसपास कहीं छुपा हुआ हो. हम जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लेंगे.
एसआईटी करेगी जांच : इसके साथ ही इस पूरे घटनाक्रम की जांच में अब हत्या की धारा को भी जोड़ा गया है. इसके साथ ही एक जिला स्तर पर एसआईटी यानी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का भी गठन किया गया है.
नॉर्थ ईस्ट या अन्य राज्यों के छात्रों का डर कैसे होगा दूर : क्या नॉर्थ ईस्ट या अन्य राज्यों से आए छात्र जो यहां पर पढ़ाई कर रहे हैं, उनकी सुरक्षा और उनके मन में जो भाव है, उसको दूर करने के लिए आखिरकार प्रशासन क्या कर रहा है? इस सवाल पर भी अजय सिंह ने जवाब दिया.
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने बताया कि सभी चौकी, थाना और कोतवाली स्तर पर यह संदेश पहुंचा दिया है कि जहां-जहां बाहर से आये छात्र पढ़ रहे हैं, उनसे समन्वय किया जाए. इसके साथ ही एक-दो दिन में उच्चाधिकारियों से सभी छात्रों की वार्ता होगी.
उनसे संवाद कर उनकी सुनी जाएगी ताकि यह सुनिश्चित हो कि आखिरकार वो चाहते क्या हैं? उन्होंने कहा कि बाहर से आकर यहां पढ़ने वाले छात्रों की सुरक्षा की जिम्मेदारी देहरादून पुलिस की है. इसलिए उनके मन की असुरक्षा खत्म करने को सभी कुछ किया जाएंगा.
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