चिंता और तनाव बदल जाते हैं अवसाद में: डॉ. घनश्याम गुप्ता
खानपुर 10 अक्टूबर। चिन्ता हमे तनाव देती है और अगर ये तनाव लम्बे समय तक बना रहे, तो यह डिप्रेशन अथवा अवसाद में तब्दील हो सकता है। ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बेहद जरूरी हो जाती है।
उक्त विचार सोमवार को नेशनल कन्या इण्टर कालेज, खानपुर में एक भारत श्रेष्ठ भार के अन्तर्गत आयोजित विश्व मानसिकता स्वास्थ्य दिवस पर राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा आहूत चित्रकला प्रतियोगिता के अवसर पर प्रधानाचार्य डॉक्टर घनश्याम गुप्ता ने स्वयंसेवियों को सम्बोधित करते हुये व्यक्त किये। डॉक्टर गुप्ता ने बताया कि विश्व मानसिकता स्वास्थ्य दिवस की शुरूआत 10 अक्टूबर 1992 में हुई थी। इस दिन को पहली बार संयुक्त राष्ट्र के उपसचिव रिचर्ड हंटर और वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेन्टल हैल्थ की पहल पर मनाया गया था।
कार्यक्रम अधिकारी सुलता देवी सिकदार ने कहा कि मानसिक तनाव, चिन्ता और डिप्रेशन की वजह से बहुत सारे लोग सोशल स्टिग्मा, डिमेंशिया, हिस्टिरिया, एग्जाइटी, आत्महीनता जैसी कई तरह की कठिनाइयों और मानसिक बीमारियों से जूझ रहे हैं। ऐसी समस्याओं से पीड़ित लोगों को जागरूक करने के उद्धेश्य से ही वर्ल्ड मेन्टल हैल्थ डे मनाया जाता है।
स्वास्थ्य विभाग की कांउसलर प्रियंका गरकोटि ने कहा कि दुर्बलता का उपचार केवल जागरूकता ही है। उन्होंने बताया कि इस प्रकार की समस्याओं से जूझ रहे कुछ लोगों के मन में आत्म हत्या तक करने का विचार आने लगता है उन्होंने कहा कि इस दुविधा से लड़कर और जीतकर मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति अच्छी तरह से अपन कार्यो को कर सकता है तथा उसमें भरपूर आत्मविश्वास पैदा हो जाता है।
इस अवसर पर आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में शिवानी सैनी, मिनाक्षी देवी, पलक सैनी को क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार देकर प्रियंका गरकोटि ने उनका मनोबल बढाया। इस अवसर पर स्वयंसेवियों ने विधालय परिसर में स्वच्छता अभियान भी चलाया।
इस मौके पर सुरेशचन्द कवटियाल, बलराम गुप्ता, प्रमोद कुमार शर्मा, रवीन्द्र कुमार, मुकेश कुमार, मीनू यादव, सविता धारीवाल, पंकज कुमार, मिनाक्षी, डॉक्टर पारस कुमार, विजय कुमार, गायत्री, अंजूली गुप्ता, बबीता देवी, संजय गुप्ता, डॉक्टर रंजना, नूतन, रूबी, सोमेन्द्र सिंह पंवार, अमित गर्ग, विशाल भाटी, ओमपाल सिंह, बृजपाल सिंह, सुन्दर, अशोक कुमार, जावेद, आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।