पुरातत्ववेत्ता केके मोहम्मद ने दिये थे राममंदिर के निर्णायक प्रमाण

अयोध्या में खुदाई के दौरान मिली एक ऐसी चीज जिसने बदल दी पूरी कहानी, केके मोहम्मद से जानिए

राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद खत्म हो चुका है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भगवान श्रीराम के मंदिर का निर्माण हो रहा है. रामलला की मूर्ति के निर्माण को लेकर भी शिलाओं पर लगातार रिचर्स चल रहा है. नेपाल-राजस्थान और कर्नाटक से पवित्र शिलाएं आई हैं. इन शिलाओं में से जिस पवित्र शिला का रिसर्च टीम चयन करेंगी उसी से रामलला की मूर्ति का निर्माण किया जाएगा. आपको बता दें कि राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद के दौरान तत्कालीन विवादित परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की तरफ से कई बार खुदाई की गई. इस दौरान वहां काफी कुछ ऐसा मिला जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले में काफी महत्वपूर्ण साबित हुआ. हमने देश के जाने-माने आर्कियोलॉजिस्ट केके मोहम्मद से इस बारे में खास बात की. इस दौरान केके मोहम्मद ने विस्तार से बताया कि आखिर अयोध्या में खुदाई के दौरान पुरातत्व विभाग को क्या-क्या मिला. केके मुहम्मद के मुताबिक, वह पहली बार साल 1976-77 में खुदाई के लिए अयोध्या गए थे. इसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर साल 2003 में वहां खुदाई की गई. केके मुहम्मद के मुताबिक, साल 2003 की खुदाई के दौरान वहां 11वीं-12वीं शताब्दी का एक ऐसा शिलालेख मिला, जिसने सभी को हैरान कर दिया।
जानिए खुदाई के दौरान पुरातत्व सर्वेक्षण टीम को क्या-क्या मिला
आर्कियोलॉजिस्ट केके मोहम्मद ने बताया कि साल 1976-77 में जैसे ही मैं अपनी टीम के साथ उस परिसर में गया तो देखा कि मस्जिद के सारे पिलर्स मंदिर के थे. वह पिलर्स करीब 11वीं-12वीं शताब्दी के थे. मस्जिद के लिए इन पिलर्स का इस्तेमाल ही किया गया था. इस दौरान खुदाई में 12 पिलर्स मिले.
सबसे महत्वपूर्ण सबूत 2003 की खुदाई में मिले- केके मोहम्मद
आर्कियोलॉजिस्ट केके मुहम्मद ने बताया कि साल 2003 में हुई खुदाई में 90 से ज्यादा पिलर्स बेसिस मिले थे. ये खुदाई डॉ बीआर मणि के निर्देशन में की गई थी. 2003 में जो खुदाई हुई वह काफी महत्वपूर्ण साबित हुई. आर्कियोलॉजिस्ट केके मोहम्मद ने दावा किया कि इस दौरान मंदिर से जुड़ी हुई करीब 216 से ज्यादा टेराकोटा की मूर्तियां भी खुदाई में मिली थी. इस दौरान खुदाई में प्रणाला भी मिला. प्रणाला मंदिरों में होने वाले अभिषेक से जुड़ी बेहद महत्वपूर्ण चीज होती है.
खुदाई के दौरान मिला शिलालेख
आर्कियोलॉजिस्ट केके मोहम्मद ने दावा किया कि साल 2003 में जो खुदाई की गई उसमें शिलालेख भी मिले. शिलालेखों का मिलना काफी महत्वपूर्ण रहा. खास बात ये भी थी कि ये शिलालेख करीब 11वीं-12वीं शताब्दी के थे. केके मुहम्मद के मुताबिक, खुदाई में मिले एक शिलालेख पर लिखा हुआ था कि “ये मंदिर उस विष्णु को समर्पित है, जिसने 10 सिर वाले का वध किया”. केके मुहम्मद के अनुसार, साल 2003 में जो खुदाई हुई, उसमें कई महत्त्वपूर्ण चीजें मिली, जिससे पूरा मामला साफ हो गया.

Ram Temple Existed Before Babri Mosque In Ayodhya Said Archaeologist Kk Muhammed
अयोध्याः केके मोहम्मद ने किया था  दावा, ASI के पास मंदिर होने के पर्याप्त सबूत, खुशी से हिंदुओं को सौंप देनी चाहिए जमीन
1976-77 में अयोध्या में विवादित स्थल की खुदाई में शामिल पुरातत्ववेत्ता केके मोहम्मद ने कहा कि इसके पर्याप्त सबूत मिले थे कि बाबरी से पहले वहां एक बड़ा मंदिर था। उन्होंने वहां से मिली आकृतियों और स्तंभों के बारे में बताया।

मुख्य बिंदु
1967-77 में की गई बाबरी मस्जिद की खुदाई के दौरान टीम में शामिल आर्कियॉलजिस्ट ने दावा किया है कि वहां मंदिर के पर्याप्त सबूत हैं
उन्होंने कहा कि खुदाई के दौरान 12 पिलर मिले थे जिनका आधार कलश के आकार का था
उन्होंने यह भी दावा किया कि वहां से कई तरह की ऐसी आकृतियां मिली थीं जो कि इस्लाम में हराम हैं
मोहम्मद ने कहा कि कई इतिहासकारों ने इस बारे में झूठे दावे किए हैं

केके मोहम्मद
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की लगातार सुनवाई के  बीच आर्कियॉलजिस्ट केके मोहम्मद ने कहा था कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के पास इस के पर्याप्त सबूत हैं कि बाबरी मस्जिद से पहले वहां मंदिर था। मोहम्मद नॉर्थ एएसआई के आंचलिक निदेशक थे और 1976-77 में मंदिर-मस्जिद जांच के समय वह टीम का हिस्सा थे।

मोहम्मद ने बताया कि क्यों मुस्लिमों को अपनी इच्छा से अयोध्या की विवादित भूमि सौंप देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विवादित बाबरी मस्जिद के नीचे मिले सबूतों से पता चलता है कि वहां एक बड़ा मंदिर था। उन्होंने बताया, ‘1976-77 में बीबी लाल की अगुआई में पहली बार उत्खनन हुआ। मैं अकेला ही मुसलमान उस टीम में था।’ उन्होंने बताया कि यह खुदाई तब हुई थी जब इतिहासकार सैयद नुरुल हसन सांस्कृतिक मामलों के केंद्रीय मंत्री थे।

पहली खुदाई में मिले 12 स्तंभ

मोहम्मद ने बताया, ‘पूरा इलाका पुलिस कब्जे में था और आम लोगों को जाने की इजाजत नहीं थी। हमने देखा कि मस्जिद के 12 स्तंभ ऐसे थे जो मंदिर के अवशेष थे।’ ये पिलर मंदिर के ही थे इस मामले में तर्क देते हुए मोहम्मद ने कहा, ’12वीं और 13वीं शताब्दी के अधिकतर मंदिरों के स्तंभों में आधार पूर्ण कलश जैसा होता था जो कि हिंदू धर्म में समृद्धि का प्रतीक है। इसे अष्ट मंगल चिह्न के रूप में जाना जाता है जो कि आठ पवित्र चिह्नों में से एक है।’

मंदिरों को तोड़कर बनी थी यह भी मस्जिद
उन्होंने कहा कि कुतुब मीनार के पास कुवातुल इस्लाम मस्जिद भी 27 मंदिरों को तोड़कर बनाई गई थी। ताज-उल-मसीर नाम की किताब में इतिहासकार हसन निजामी ने इसके प्रमाण भी दिए कि मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। कुवातुल मस्जिद में भी पूर्ण कलश मिले थे और देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली थीं। ऐसा ही मामला बाबरी मस्जिद का भी है। ‘वहां देवी-देवताओं की मूर्तियां नहीं मिलीं लेकिन अष्ट मंगल चिह्न मिले। ऐसे में कोई भी पुरातत्ववेत्ता कहेगा कि वे मंदिर के अवशेष थे।’

खुदाई में मिलीं मूर्तियां
उन्होंने कहा कि मस्जिद के पश्चिमी हिस्से में जब खुदाई की गई तो कई टेराकोटा मिले जो कि मानवों और जानवरों की आकृतियां थीं। मोहम्मद ने कहा कि मस्जिद में ऐसी आकृतियां नहीं हो सकती क्योंकि इन्हें इस्लाम में ‘हराम’ बताया गया है। उन्होंने कहा कि बीबी लाल ने इन बातों को हाइलाइट नहीं किया क्योंकि जांच का उद्देश्य यह बताना नहीं था कि वहां मंदिर था या नहीं बल्कि उस जगह के सांस्कृतिक विकास को जानना था।

कई इतिहासकारों ने किए झूठे दावे’
केके मोहम्मद ने कहा कि 1990 के आसपास उस जगह पर रोमिला थापर, डीएन झा और आरएस शर्मा जैसे इतिहासकार पहुंचे जिन्होंने दावा किया कि मंदिर का कोई अवशेष नहीं पाया गया जो कि सरासर झूठ था। यह भी कहा गया कि रिपोर्ट में मंदिर का कोई जिक्र नहीं है। बीबी लाल ने स्पष्ट किया कि उन्हें बड़ी संख्या में मंदिर के अवशेष मिले लेकिन उन्हें मुद्दा नहीं बनाया गया।

मक्का, मदीना की तरह अयोध्याः मोहम्मद

मोहम्मद ने कहा कि उन्होंने अखबारों को दिए इंटरव्यू में कहा था कि यह स्थान हिंदुओं के लिए मक्का और मदीना की तरह है इसलिए इसे खुशी से हैंड ओवर कर देना चाहिए। उन्होंने बताया कि दूसरी बार 2003 में खुदाई हुई लेकिन तब तक मस्जिद गिराई जा चुकी थी इसलिए ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार सर्वे किया गया। इसमें भी पता चला कि बाबरी मस्जिद के नीचे भी कई स्ट्रक्चर थे। यह खुदाई हरी मांझी और बीआर मणि की देखरेख में की गई थी। उन्होंने बताया कि दूसरी बार की खुदाई में 50 स्तंभ मिले। इसका मतलब है कि मस्जिद से पहले का स्ट्रक्चर काफी बड़ा था।

उन्होंने कहा कि दूसरी बार की खुदाई में घड़ियाल के आकार की प्रणाली (जलाभिषेक के बाद पानी बहाने वाला स्ट्रक्चर) पाई गई। उन्होंने कहा कि इस खुदाई में टेराकोटा के लगभग 263 टुकड़े मिले जो कि अलग-अलग देवी देवताओं की मूर्तियों के थे। उन्होंने कहा कि मस्जिद में जीवित प्राणियों के चित्र नहीं बनाए जा सकते तो यह मस्जिद कैसे हो सकती है?

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