चंदा कोचर का बंदीकरण अवैध: बंबई हाईकोर्ट
Chanda Kochhar Arrest Was Wrong What Was The Fraud Case On Which High Court Took Ex Ceo Side
चंदा कोचर का बंदीकरण बिना सोचे-समझे… क्या था धोखाधड़ी का वो मामला जिस पर कोर्ट ने लिया पूर्व सीईओ का पक्ष?
बंबई हाईकोर्ट ने कर्ज धोखाधड़ी मामले में चंदा कोचर और उनके पति के बंदीकरण को सत्ता का दुरुपयोग बताया है। केंद्रीय जांच एजेंसी को कोर्ट ने मामले में आड़े हाथ लिया है। उसने कहा कि कोचर दंपती को बिना सोचे-विचारे बंदीकरण किया गया। यह मामला 2012 का है। तब चंदा कोचर आईसीआईसीआई बैंक की प्रमुख थीं.
मुख्य बिंदु
1-चंदा कोचर और उनके पति के बंदीकरण को HC ने बताया गलत
2-बंबई हाईकोर्ट ने कहा-बंदीकरण बिना सोचे-समझे हुआ
3-2012 का है मामला, तब चंदा आईसीआईसीआई बैंक की प्रमुख थी
मुंबई 19 फरवरी 2024: बंबई हाईकोर्ट ने केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को आड़े हाथ लिया है। ऋण धोखाधड़ी मामले में सीबीआई से आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व एमडी और सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक के बंदीकरण को कोर्ट ने शक्ति का दुरुपयोग बताया है। कोर्ट ने कहा है कि कोचर दंपती का बंदीकरण ‘बिना सोचे समझे’ और कानून का उचित पालन किए बिना हुआ था। न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई और न्यायमूर्ति एन.आर. बोरकर की खंडपीठ ने छह फरवरी को कोचर के बंदीकरण को अवैध ठहराया था। जनवरी 2023 में एक अन्य पीठ ने उन्हें जमानत देने के अंतरिम आदेश की पुष्टि की थी।
सोमवार को उपलब्ध कराए गए आदेश के अनुसार, अदालत ने कहा कि सीबीआई उन परिस्थितियों या सहायक तथ्य प्रदर्शित करने में असमर्थ रही है, जिसके आधार पर बंदीकरण का निर्णय लिया गया था। इसमें कहा गया है कि इन परिस्थितियों और तथ्यों की अनुपलब्धता गिरफ्तारी को अवैध बना देती है। अदालत ने कहा, कि‘ बिना सोच विचार और कानून का उचित सम्मान किए बिना इस तरह का नियमित बंदीकरण शक्ति का दुरुपयोग है।’
अदालत ने जांच एजेंसी के इस तर्क को भी नकार दिया कि बंदीकरण इसलिये किया गया, क्योंकि कोचर जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे। न्यायालय ने कहा कि आरोपितों को पूछताछ में चुप रहने का अधिकार है। आदेश में कहा गया है, ‘चुप रहने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 20(3) से निकलता है, जो आरोपित को आत्म-दोषारोपण के खिलाफ अधिकार देता है। यह कहना पर्याप्त है कि चुप रहने के अधिकार के उपयोग को जांच में असहयोग नहीं माना जा सकता।’
कब-क्या हुआ?
‘वीडियोकॉन-आईसीआईसीआई’ बैंक ऋण मामले में सीबीआई ने 23 दिसंबर, 2022 को कोचर दंपती को बंदी किया था। उन्होंने तुरंत बंदीकरण को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में इसे अवैधानिक घोषित करने की मांग की थी। अंतरिम आदेश से बंद पत्र पर छोडने की मांग की थी। अदालत ने नौ जनवरी, 2023 को एक अंतरिम आदेश जारी करके कोचर दंपती को बंद पत्र पर छोड़ दिया।
आदेश क्या कहता है?
पीठ ने छह फरवरी के आदेश में कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41ए को नियमित बंदीकरण से बचने को लाया गया था। इसमें कहा गया है कि यह प्रावधान बंदीकरण की शक्ति प्रतिबंधित करता है। अगर कोई आरोपित पूछताछ को उपस्थित होने को लेकर पुलिस की ओर से जारी नोटिस अनुपालित करता है। साथ यह आदेश देता है कि बंदीकरण केवल तभी होगा,जब पुलिस की राय में ऐसा करना आवश्यक हो।
हालांकि, अदालत ने माना कि किसी आरोपित से पूछताछ करना और विषय पर व्यक्तिपरक संतुष्टि पर पहुंचना जांच एजेंसी के अधिकार क्षेत्र में है। लेकिन यह ‘न्यायिक समीक्षा से पूरी तरह से मुक्त’ नहीं है। पीठ ने यह भी कहा कि कोचर दंपती के खिलाफ प्राथमिकी 2019 में दर्ज की गई थी और उन्हें 2022 में पूछताछ के लिए बुलाया गया था। इसमें कहा गया है, ‘अपराध की गंभीरता के बावजूद याचिकाकर्ताओं (कोचर दंपती) से अपराध दर्ज होने की तारीख से तीन साल से अधिक की अवधि तक पूछताछ नहीं की गई या उन्हें बुलाया नहीं गया।’
पीठ ने कहा कि जून 2022 से जब भी कोचर दंपती को धारा 41ए में नोटिस जारी किया गया, तब वे सीबीआई के सामने पेश होते रहे। सीबीआई ने दावा किया था कि कोचर को बंदी किया गया था क्योंकि वे जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे और षड्यंत्र के पूरे पक्ष का पता लगाने को उनसे अभिरक्षा में पूछताछ की आवश्यकता थी। सीबीआई ने कोचर दंपती के अलावा मामले में वीडियोकॉन समूह के संस्थापक वेणुगोपाल धूत को भी बंदी किया था। हाईकोर्ट ने जनवरी 2023 में अपने अंतरिम आदेश में उन्हें जमानत दे दी थी।
क्या था मामला?
यह मामला 2012 में शुरू हुआ जब आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन समूह को 3,250 करोड़ रुपये ऋण दिया। आरोप था कि बैंक की तत्कालीन एमडी और सीईओ चंदा कोचर ने अपने पति दीपक कोचर की कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल्स को लाभ पहुंचाने को यह ऋण दिया था। दीपक कोचर न्यूपावर रिन्यूएबल्स के निदेशक थे,जो वीडियोकॉन समूह की कंपनी थी। 2019 में सीबीआई ने चंदा कोचर, दीपक कोचर और वीडियोकॉन ग्रुप के वेणुगोपाल धूत के खिलाफ पुलिस प्राथमिकी लिखाई थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की। 2019 में चंदा कोचर को आईसीआईसीआई बैंक से सेवामुक्त कर दिया गया।