कलाकारों को खाली करने ही होंगे सरकारी बंगले, कोर्ट का समय देने से इंकार
Delhi News: कलाकारों को खाली करना होगा सरकारी बंगला, हाई कोर्ट ने और मोहलत देने से किया इनकार
दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकारी आवास खाली करने के मामले मेें मोहलत देने से इंकार कर दिया. मामले की सुनवाई करते हुए डबल बेंच ने तल्ख टिप्पणी भी की.
(कोर्ट ने और मोहलत देने से किया इनकार, प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली 04 मार्च। शास्त्रीय कलाकार रीटा गांगुली को (Rita Ganguly) को आवंटित सरकारी बंगला खाली करना होगा. दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने और मोहलत देने से इनकार कर दिया. गांगुली ने एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी थी. गांगुली और अन्य कलाकारों को राष्ट्रीय राजधानी में आवंटित सरकारी बंगलों को अप्रैल माह के अंत तक खाली करने को कहा गया था.
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने सुनवाई करते हुए एक दिन की भी मोहलत देने से इंकार कर दिया. पीठ ने कहा कि एकल न्यायाधीश ने सरकारी आवास को खाली करने के लिए दो माह का वक्त देने में पहले ही काफी उदारता दिखायी है.
कलाकारों को सरकारी आवास छोड़ने का मामला
अदालत ने 81 वर्षीय गांगुली के वकील को आगाह किया कि उन पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा. हाईकोर्ट की टिप्पणी पर वकील ने अपील को वापस लेने का अनुरोध किया. पीठ ने कहा, ‘‘ वापस लिए जाने के तौर पर याचिका खारिज की जाती है.’’ गौरतलब है कि केंद्र ने कई शास्त्रीय कलाकारों को मकान खाली करने का नोटिस दिया था. दिल्ली उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने कलाकारों की अर्जियां 25 फरवरी को खारिज कर दी और सरकारी आवंटित आवास दो महीने में खाली करने का निर्देश दिया.
हाईकोर्ट ने सिंगल बेंच के आदेश को रखा बरकरार
अदालत ने कहा था कि याचिकाकर्ता कलाकारों को आवास सरकार को वापस सौंपने के लिए दो महीने की अवधि दी जाती है ताकि वैकल्पिक इंतजाम कर सकें और गरिमा के साथ आवासीय परिसर खाली कर दें. गांगुली ने एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी थी और आवास को खाली करने के लिए कुछ और महीनों की मोहलत मांगी थी. केंद्र ने सरकारी परिसरों को खाली करने के लिए 31 दिसंबर 2020 तक की समय सीमा दी थी लेकिन याचिकाएं दायर होने के बाद आदेश पर रोक लगा दी गयी.
अदालत ने मोहिनीअट्टम नृत्यांगना भारती शिवाजी, कुचीपुडी नर्तक गुरु वी जयराम राव, मायाधर राउत, ध्रुपद गायक उस्ताद एफ वसीफुद्दीन डागर, रानी सिंघल, कथक विशेषज्ञ गीतांजलि लाल, केआर सुबाना, कमल साबरी, देवराज डाकोजी, कमलिनी, जतिन दास, पंडित भजन सोपोरी और रीता गांगुली की अर्जियों पर फैसला सुनाया.