पूर्व नौकरशाह अरविंद शर्मा से होगा उप्र राजनीति में गुणात्मक परिवर्तन?
एके शर्मा के आने से बढ़ी कामचोर मंत्रियों की धड़कन, संघ और भगवान की होने लगी परिक्रमा
योगी की मांग पर मोदी ने अपने विश्वासपात्र नौकरशाह को भेजा यूपी, चुनावी वर्ष को ध्यान में रखकर किया जायेगा मंत्रिमंडल विस्तार
लखनऊ 20 जनवरी: गुजरात कैडर के रिटायर्ड आईएएस अरविंद कुमार शर्मा के भाजपा ज्वाइन करने के तत्काल बाद विधान परिषद प्रत्याशी घोषित होने से यूपी के तमाम मंत्रियों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। खासकर उन मंत्रियों की जिन्होंने परफार्मेंस की बजाय कमाई को वरीयता दी है। वह अब अपने-अपने संपर्कों के जरिये अपनी कुर्सी बचाने के प्रयास शुरू कर दिये हैं। कोई कामख्या के दर्शन अपनी कुर्सी बचाने में जुटा है तो कोई संघ के वरिष्ठ नेताओं के यहां पैरवी कराने में लगा हुआ है।
पार्टी के विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि चुनावी वर्ष में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बिजली, पानी और सड़क जैसी जनता से जुड़े बुनियादी विभागों से बेहतर काम चाहते थे, लेकिन इन विभागों के मंत्री अभी तक उनकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाये हैं। योगी चुनाव में जाने से पहले हर मोर्चे को मजबूत करना चाहते हैं। इसी क्रम में वह पिछले दिनों पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर इस परेशानी से अवगत कराया था तथा रिजल्ट ओरियेंटेड व्यक्ति की मांग की थी।
योगी आदित्यनाथ ने मोदी से उनके मंत्रिमंडल सहयोगी एस जयशंकर तथा हरदीप पुरी जैसे स्किल्ड व्यक्ति की मांग की थी ताकि यूपी में सड़क, बिजली और पानी जैसे विभागों की कार्यप्रणाली का मैकेनिज्म सुधारा जा सके। मोदी-योगी की इस मुलाकात के बाद ही मऊ जिले के मूल निवासी और गुजरात कैडर के मोदी के विश्वासपात्र आईएएस अरविंद शर्मा को रिटायरमेंट से दो साल पहले ही वीआरएस लेने का निर्देश दे दिया गया। वीआरएस लेने के साथ ही यह सामने आ गया कि यूपी में उन्हें महत्वपूर्ण पद दिया जायेगा।
माना जा रहा है कि विधान परिषद का चुनाव निपटने के बाद योगी मंत्रिमंडल का तीसरा और आखिरी विस्तार होगा। इसमें अरविंद कुमार शर्मा को डिप्टी सीएम बनाकर महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी सौंपी जायेगी। यह विस्तार लंबे समय से लटक रहा था, क्योंकि योगी की टीम में उनकी तरह मेहनत करने वाले मंत्रियों का निहायत ही अभाव है। इस विस्तार में कई लापरवाह मंत्रियों की कुर्सी भी जाने वाली है। दो-चार नये चेहरों को भी चुनावी समीकरण देखते हुए जगह दी जायेगी। खबर है कि पैसे देकर पद पाने वाले दूसरे दलों से आये लोग भी निशाने पर हैं।
मुख्यमंत्री होने के बावजूद योगी आदित्यनाथ राज्य के सभी 75 जिलों का एक से अधिक बार दौरा कर चुके हैं, जनता की परेशानियों से रूबरू हो चुके हैं, लेकिन उनकी मंत्रिमंडल का एक भी सहयोगी आज तक राज्य के सभी जिलों में नहीं जा सका है, क्योंकि उसकी दिलचस्पी जनता में नहीं है। एक भी मंत्री ऐसा नहीं है जो कह सके कि उसने उत्तर प्रदेश के सभी जिलों का दौरा करके जनता की परेशानियों से अवगत हुआ है। मंत्रियों की इसी लापरवाही से योगी लगातार कुपित रहे हैं। मंत्रियों की दिलचस्पी जनता की समस्याओं से ज्यादा टेंडर मैनेज करने तथा वसूली कराने में रही है।
सिंचाई विभाग में आज भी उसी बसपा नेता की तूती बोलती है, जिसने योगी आदित्यनाथ को खुले मंच से धमकी दी थी। उसके तथा उसकी कंपनी के खिलाफ तमाम शिकायतों के बावजूद वह टिका हुआ है, क्योंकि विभागीय अधिकारी और विभागीय मंत्रियों की हर सुविधा का ख्याल रखता है। यूपी में घर-घर पानी पहुंचाने की महत्वाकांक्षी योजना चल रही है, लेकिन विभाग अब तक योगी की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया है, जबकि 2024 तक इस परियोजना को पूरा करने का लक्ष्य है।
बिजली विभाग का भी यही हाल है मंत्रीजी और उनके चेले टेंडर सेट कराने में व्यस्त हैं, जनता बिजली बिल और स्मार्ट मीटर की लूट से बेहाल है। गलत-सलत बिल आ रहा है, और जनता उपकेंद्रों के चक्कर काट रही है। जनता इन बेकार की परेशानियों से सरकार से नाराज हो रही है। इस तरह की तमाम शिकायतें भी रोज मुख्यमंत्री तक पहुंचती हैं। वो सुधार करने के निर्देश देते हैं, लेकिन समस्या सुलझाने का कोई ठोस मैकेनिज्म मंत्रीजी और उनके विभाग के पास नहीं है।
योगी लगातार कई मोर्चों पर अकेले जूझ रहे थे, क्योंकि जिन लोगों की लूट की दुकानें योगी के चलते बंद हुईं वह सारे लोग अलग-अलग फ्रंट से रोज योगी के खिलाफ षणयंत्र रचने में जुटे रहते हैं। वह तमाम मंत्री भी योगी के खिलाफ हैं, जो पैसे कमाने के सपने लेकर आये थे और योगी के चलते जिनकी उम्मीदें परवान नहीं चढ़ पाईं। योगी की नजर परिवहन विभाग पर भी है, जहां के भ्रष्ट लोग ओवरलोड वाहनों से राज्य की सड़कों को खुलेआम रौंदवा रहे हैं। विस्तार में इस विभाग के भी चपेट में आने की संभावना जताई जा रही है।
अरविंद कुमार शर्मा के एमएलसी घोषित होने के बाद तमाम मंत्री तो घबराहट में हैं ही, उनके वो सजातीय भी नाराज एवं दुखी हैं, जिनके एमएलसी बनने के अवसर पर तलवार लटक गई है। बताया जा रहा है कि भूमिहार जाति से आने वाले अरविंद कुमार शर्मा के पहले दो-तीन भूमिहार नेताओं का नाम एमएलसी बनने की लिस्ट में शामिल था, लेकिन शर्मा के नाम की घोषणा होने के बाद उनकी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। योगी के इस कदम से उनके विरोधियों के हौंसले भी पस्त हो गये हैं।