एएसआई का शपथपत्र: हमें घुसने नहीं दिया जाता था संभल मस्जिद,संरक्षित भवन पूर्ण विकृत
‘संभल जामा मस्जिद में खूब हुआ अवैध निर्माण, मूल स्वरूप बदला, हमें भी नहीं मिली एंट्री…’, ASI ने कोर्ट में क्या-क्या कहा?
Sambhal Jama Masjid: एएसआई ने कोर्ट को बताया है कि मस्जिद परिसर में प्राचीन इमारतों और पुरातात्विक अवशेषों के संरक्षण अधिनियम 1958 के प्रावधानों का सरासर उल्लंघन हो रहा है. लेकिन जब भी एएसआई की टीम दौरा करने जाती, उसे रोकने के साथ हर बार स्थानीय लोग पुलिस में शिकायत भी करते रहे.
संभल ,30 नवंबर 2024,भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) ने कोर्ट में अपने शपथपत्र में कहा है कि उनकी टीम को भी संभल जामा मस्जिद में जाने नहीं होने दिया गया. एएसआई ने कोर्ट से कहा कि 1920 से ही इस मस्जिद के संरक्षण और रखरखाव की जिम्मेदारी हमारे पास है. लेकिन लंबे समय से हमारी टीम को मस्जिद में जाने से रोका जाता रहा है. इसलिए इसके मौजूदा स्वरूप के बारे में जानकारी हमारे पास नहीं है.
Original Form Of Sambhal Mosque Has Been Destroyed Why Did Asi Officer Say Know Here Detail
मस्जिद का वास्तविक रूप तो नष्ट हो चुका है… ASI अधिकारी ने कही ये बात
Sambhal Jama Masjid ASI Report: संभल जामा मस्जिद को लेकर एएसआई का अनावरण चौंकाने वाला है। एएसआई के अधिकारी के अनुसार संभल मस्जिद का मूल स्वरूप नष्ट हो गया। कैला देवी मंदिर ट्रस्ट की याचिका पर एएसआई ने कोर्ट में जवाब दिया है
सीनियर डिवीजन कोर्ट में दायर जवाब में रेलिंग बनाए जाने की कही गई है बात
संभल में मस्जिद का वास्तविक रूप तो नष्ट हो चुका है… ASI अधिकारी ने क्यों कही ये बात
उत्तर प्रदेश के संभल स्थित शाही जामा मस्जिद का वास्तविक स्वरूप नष्ट हो चुका । कैला देवी मंदिर ट्रस्ट की याचिका के जवाब में संभल मस्जिद मामले में प्रतिवादियों में से एक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने सीनियर डिवीजन कोर्ट में जवाब दाखिल किया। जिला सरकारी वकील (सिविल) प्रिंस शर्मा ने कोर्ट में लिखित बयान (डब्ल्यूएस) दिया। याचिका के अनुसार संभल की जामा मस्जिद एएसआई संरक्षित है। इसकी कस्टडी सही अधिकारी को होनी चाहिए, ताकि इसे संरक्षित किया जा सके। लोग वहां जा सकें।
प्रिंस शर्मा ने कहा कि मामले में एएसआई को एक पक्ष बनाया गया था। अब हमने अपना डब्ल्यूएस दाखिल कर दिया है। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रदर्शनकारियों के डर से एएसआई मस्जिद का कभी निरीक्षण नहीं कर पाया। वर्ष 2018 में शिकायत मिली कि मस्जिद में रेलिंग बनाई जा रही है। एएसआई ने ऐसा करने से रोकने की कोशिश की तो अधिकारियों को धमकाया गया। उन्हें वहां से जाना पड़ा।
वकील ने कहा कि प्राचीन स्मारक, पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 की धारा 30ए और 30बी में 19 जनवरी 2018 को जामा मस्जिद समिति के खिलाफ संभल पुलिस स्टेशन में मुकदमा किया गया था । महीने बाद अतिरिक्त मंडलायुक्त ने रेलिंग हटाने का आदेश दिया, लेकिन आदेश का कभी पालन नहीं हुआ।
1920 में घोषित हुआ संरक्षित स्मारक
एएसआई के एक डरे अधिकारी ने कहा कि स्मारक 1920 में ‘संरक्षित’ घोषित हुआ था। प्राचीन स्मारक, पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम के प्रावधान यहां लागू हैं। डब्ल्यूएस में उल्लेख है कि हमारे लिए स्थिति कठिन है, क्योंकि निरीक्षण को प्रवेश नहीं कर सकते हैं। इसी से इसकी वर्तमान स्थिति एएसआई को नहीं पता है।
अधिकारी के अनुसार हमने पाया कि मस्जिद का मूल स्वरूप खो गया है, क्योंकि मस्जिद समिति ने जगह इनेमल से रंग दी है। मरम्मत को प्लास्टर ऑफ पेरिस इस्तेमाल हुआ है। वास्तविक पुराना फर्श संगमरमर के फर्श से बदल दिया गया है।
निरीक्षण की कॉपी से बड़ा अनावरण
एएसआई के जून की निरीक्षण कॉपी में कहा गया है कि निरीक्षण में एएसआई टीम को शिलालेख मिला। इसमें कहा गया था कि जामा मस्जिद का निर्माण 1526 में मीर हिंदू बेग ने किया था। इसकी मरम्मत 1620 में सैयद कुतुब और 1656 में रुस्तम खान ने की थी।
सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार टीम को मस्जिद के बाईं ओर के प्रवेश द्वार पर एक पुराना कुआं मिला, जिसे अब समिति ने ढक दिया है। उस पर सुरक्षा बलों के लिए बड़ा कमरा तैयार किया गया है। ‘उत्तर-पश्चिमी प्रांत एवं अवध में स्मारकीय पुरावशेष और शिलालेख’ के पृष्ठ 10 पर ‘कुएं’ का उल्लेख है।
सर्वेक्षण टीम ने यह भी पाया कि मस्जिद के निचले हिस्से में बने ‘कमरों’ को दुकानों में बदल दिया गया था। उन्हें समिति ने किराए पर दिया गया था। कथित बदलावों के बारे में पूछे जाने पर मस्जिद समिति के जफर अली ने अब बात की।
जफर अली ने बताया कि मस्जिद में इमाम की हत्या के बाद पुलिस चौकी बनाने को कमरा बनाया गया था। यह एक रजिस्टर्ड पुलिस चौकी है। रेलिंग तभी तैयार हुई थी।
एएसआई के मुताबिक समय-समय पर जब भी इस हेरिटेज मस्जिद का निरीक्षण करने टीम गई, लोग आपत्ति जताते हुए उसे रोक देते थे. इसलिए एएसआई को मस्जिद परिसर में आंतरिक मनमाने निर्माण कार्यों की कोई जानकारी नहीं है । आखिरी बार इस साल जून में एएसआई अधिकारियों की टीम स्थानीय प्रशासन और पुलिस सहयोग से मस्जिद में जा पाई थी.
तब एएसआई ने मस्जिद की इमारत में अतिरिक्त निर्माण कार्य देखा था. उसने कोर्ट को बताया है कि मस्जिद परिसर में प्राचीन इमारतों और पुरातात्विक अवशेषों के संरक्षण अधिनियम 1958 के प्रावधानों का सरासर उल्लंघन हो रहा है. लेकिन जब भी एएसआई की टीम दौरा करने जाती, उसे रोकने के साथ हर बार स्थानीय लोग पुलिस में शिकायत भी करते रहे. एएसआई ने इस हेरिटेज मस्जिद में अवैध निर्माण कराने को जिम्मेदार लोगों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किए.
एएसआई रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य मस्जिद की इमारत की सीढ़ियों के दोनों तरफ स्टील रेलिंग लगी है. 19 जनवरी, 2018 को इस अवैध स्टील रेलिंग के निर्माण के संबंध में आगरा कमिश्नर ने संभल कोतवाली में मुकदमा किया था . 23 जनवरी, 2018 को एएसआई के सुपरिटेंडिंग आर्कियोलॉजिस्ट ने संभल जामा मस्जिद कमेटी अध्यक्ष को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. 16 फरवरी, 2018 को आगरा मंडल के एडिशनल कमिश्नर एडमिनिस्ट्रेशन ने संभल जिलाधिकारी को स्टील रेलिंग ध्वस्त करने का आदेश जारी किया था. उस पर आजतक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई.
इस संरक्षित मस्जिद में हुआ है अवैध निर्माण: ASI
मस्जिद के केंद्र में एक हौज है जो कि नमाजियों द्वारा उपयोग में लाया जाता है. वर्तमान में इस हौज का पत्थर लगाकर नवीनीकरण कर दिया गया है. मुख्य द्वार से मस्जिद के भीतर आते ही धरातल पर लाल बलुआ पत्थर, संगमरमर और ग्रेनाइट पत्थर का प्रयोग कर नई फ्लोरिंग कर दी गई है. उसमें पत्थर का पुराना मूल फर्श दब गया है. वर्तमान में जामा मस्जिद को मस्जिद कमेटी ने इनेमल पेंट की कई मोटी परतों में पूरी तरह से पेंट कर दिया है. मूल पत्थर के निर्माण पर प्लास्टर ऑफ पेरिस का इस्तेमाल किया गया है. इससे मस्जिद का वास्तविक स्वरूप नष्ट हो गया है.
मस्जिद के मुख्य हॉल के गुंबद से लोहे की चेन से कांच का एक झूमर लटकाया गया है. उपरोक्त लोहे की चेन का वर्णन A. Fuhrer ने अपनी किताब ‘The Monumental Antiquities and Inscriptions, In The North-western Provinces And Oudh’ में पृष्ठ संख्या 10 पर किया है. इस किताब में संभल मस्जिद के मूल निर्माण और स्थापत्य का जिक्र है. लेकिन अब मस्जिद के पश्चिम की ओर दो छोटे कमरेनुमा संरचना और मस्जिद के उत्तरी भाग में एक छोटे कमरेनुमा संरचना में ही पुरानी छत के वास्तविक अवशेष दिखाई पड़ते हैं.
उपरोक्त कक्ष आमतौर पर बंद ही रहते हैं.
मस्जिद का मूल स्वरूप पूरी तरह बिगड़ा: ASI
मस्जिद के 1875-76 के आरेख यानी रेखा चित्र से तुलना करने पर इसकी मुख्य संरचना के सामने के हिस्से में ऊपरी भाग में कमाननुमा स्ट्रक्चर दिखता है. छज्जों, बुर्जियों और मीनार आदि का निर्माण बाद के समय में किया गया है. मुख्य इमारत वाली मस्जिद में सीढ़ियां दक्षिण दिशा में बनी हैं. टीले पर बनी इस इमारत के ऊपरी हिस्से में परकोटा यानी दुर्ग भी बना है. मस्जिद के पिछले हिस्से में भूतल पर पुराने कमरे बने थे. उस प्राचीन निर्माण को दुकानों का स्वरूप देकर मस्जिद कमेटी ने किराए पर उठा रखा है. एएसआई ने कोर्ट में दायर किए गए अपने हलफनामे में लिखा है कि वर्तमान में इस संरक्षित स्मारक मस्जिद की मूल संरचना को कई स्थानों पर मनमाने निर्माण कार्य से विकृत किया गया है. मुख्य भाग के आंतरिक हिस्से में चटकीले भड़कीले रंगों का प्रयोग हुआ है. अवैध निर्माण से इस मस्जिद का मूल स्वरूप पूरी तरह बिगड़ चुका है.
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शाही जामा मस्जिद | संभल