भीड़ में घेराव,नग्नता की धमकी: मणिपुरी ‘मीरा पैबी’ से निपटने को चाहिए प्रशिक्षित महिला बल
झुंड में घेरना, नग्न होने की धमकी देना, सैनिक से लेकर पत्रकारों तक से सवाल: कौन हैं मणिपुर की ‘मीरा पैबिस’, जिनसे निपटने के लिए ट्रेंड महिला बल की हो रही डिमांड
मणिपुर में ‘मीरा पैबिस’ से निपटने के लिए महिला बटालियन की डिमांड (प्रतीकात्मक फोटो, साभार: ईस्टमोजो)
हिंसा प्रभावित मणिपुर में ‘मीरा पैबिस’ से निपटने के लिए प्रशिक्षित महिला बलों की माँग की गई है। ‘मीरा पैबिस’ को जानने से पहले कुछ घटनाओं पर गौर करिए। 21 जुलाई 2023 को न्यूज एजेंसी एएनआई ने एक वीडियो जारी किया था। इस वीडियो में मैतेई महिलाओं का एक समूह एक घर को आग के हवाले करते दिख रहा था। यह घर 4 मई 2023 को हुई उस घटना के आरोपितों में से एक का था, जिसमें महिलाओं का नग्न परेड निकालकर उनका गैंगरेप किया गया।
इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद से मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे, उन्हें बर्खास्त करने और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की माँग हो रही है। हाई कोर्ट के एक फैसले के कारण राज्य में मई में हिंसा भड़की थी। आपको ध्यान होगा कि 30 जून 2023 को यह खबर आई थी कि मुख्यमंत्री बीरेन सिंह अपने पद से इस्तीफा देने वाले हैं। फिर खबर आई कि महिला समर्थकों के एक समूह ने गवर्नर हाउस जाने से पहले ही उन्हें घेर लिया और उनका त्यागपत्र फाड़ दिया।
इससे पहले 24 जून को सेना ने बताया था कि मणिपुर की राजधानी इंफाल में उसे 12 उपद्रवियों को छोड़ना पड़ा। इन उपद्रवियों की रिहाई के लिए महिलाओं की अगुवाई में सैकड़ों की भीड़ सड़क पर आ गई थी। उपद्रवियों को लेकर जा रहे सैन्य बल को घेर लिया गया। सुरक्षा बलों ने महिलाओं से हटने की लगातार अपील की, लेकिन वह बेअसर रही। आखिरकार सेना ने महिलाओं पर बल प्रयोग नहीं करने का फैसला करते हुए उपद्रवियों को छोड़ दिया।
इस घटना के चंद दिन बाद सेना के स्पेयर कॉर्प्स ने बताया था कि मणिपुर में दंगाई महिलाओं को ढाल बना रहे हैं। महिलाओं का समूह सुरक्षा बलों के अभियान में बाधा डाल रही हैं। महिलाओं की भीड़ जमा कर कर ऐसी-ऐसी हरकतें की जा रही हैं, जिससे भारतीय सेना को उत्तर-पूर्वी राज्य में शांति बहाली में खासी परेशानी आ रही है। एक वीडियो शेयर कर इसके बारे में बताया गया था। बताया था कि जिन गाड़ियों में हथियारबंद दंगाई चलते हैं, उनके साथ बड़ी संख्या में महिलाएँ भी होती हैं ताकि सुरक्षा बलों को रोका जा सके।
Women activists in #Manipur are deliberately blocking routes and interfering in Operations of Security Forces. Such unwarranted interference is detrimental to the timely response by Security Forces during critical situations to save lives and property.
🔴 Indian Army appeals to… pic.twitter.com/Md9nw6h7Fx— SpearCorps.IndianArmy (@Spearcorps) June 26, 2023
इन सभी घटनाओं में कॉमन बात महिला समूहों की संलिप्तता है। अब आप इन महिला समूहों को राजनीतिक समर्थक कहें या उपद्रवी या फिर कुछ और, लेकिन मणिपुर में ऐसा हर समूह खुद को ‘मीरा पैबिस’ कहता है। समाज की वरिष्ठ महिलाओं के हाथ में ऐसे समूहों की कमान होती है। जब भी इन्हें अपने समुदाय या खुद के साथ अन्याय होता दिखता है, ये ऐसे ही खड़ी हो जाती हैं। इनका मणिपुर के समाज में दबदबा इस बात से भी समझा जा सकता है कि जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर का दौरा किया था तो विभिन्न नागरिक/समाजिक समूहों के साथ उनकी बैठक का हिस्सा ‘मीरा पैबिस’ भी थे।
रिपोर्टों के अनुसार अब सुरक्षा बलों ने इन ‘मीरा पैबिस’ से निपटने के लिए प्रशिक्षित महिला कर्मियों की माँग की है। बताया गया है कि इन समूह ने न केवल अर्धसैनिक बलों की आवाजाही को ‘रोका’ है, बल्कि गंभीर अपराधों को अंजाम देने में ‘मदद’ भी की है। इस स्थिति का हवाला देते हुए राज्य में कानून-व्यवस्था बहाल करने के काम में जुटे अधिकारियों ने महिला अर्धसैनिक बलों की ज्यादा बटालियन की आवश्यकता बताई है। खासकर रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) की महिला बटालियन जिसे दंगों से निपटने में बेहद सक्षम माना जाता है।
असम राइफल्स में महिला जवानों की संख्या काफी कम है और अधिकारियों का मानना है कि वे कानून-व्यवस्था से जुड़ी समस्याओं से निपटने के लिए प्रशिक्षित नहीं हैं। सेना के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया है कि खुद को ‘मीरा पैबिस’ बताने वाली महिलाओं का समूह अक्सर दबाव डालने के लिए नंगा हो जाने की धमकी देती हैं। सैन्य आवाजाही रोकने के लिए रास्तों में डंडा लेकर खड़ी हो जाती हैं। झुंड बनाकर सुरक्षा बलों को रोकने वाली ‘मीरा पैबिस’ पत्रकारों को भी नहीं छोड़तीं। बताया जाता है कि मणिपुर में रिपोर्टिंग करने गए पत्रकार हों या सुरक्षा बल के जवान, ‘मीरा पैबिस’ की सदस्य उन्हें घेरकर उनसे बहस करती हैं। उन्हें अपने पहचान-पत्र दिखाने को कहती हैं।
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मणिपुर में ‘मीरा पैबी’ ग्रुप से टेंशन में सुरक्षा एजेंसियां, अब महिला अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती पर दे रहीं जोर
मणिपुर में हिंसा सरकार के लिए बड़ी टेंशन बन गई है. यहां खुद को ‘मीरा पैबी’ (महिला मशाल वाहक) बताने वाले ग्रुप से निपटने पर जोर दिया जा रहा है. राज्य में ज्यादा महिला बटालियन की जरूरत बताई गई है. सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, मीरा पैबी ने राज्य में ना सिर्फ केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की आवाजाही को रोका है, बल्कि गंभीर अपराधों को अंजाम देने में भी मदद की है
मणिपुर में 80 दिन से लगातार हिंसा हो रही है. आगजनी, तोड़फोड़ और बवाल की घटनाएं लगातार हो रही है. सड़कें जाम हैं. हाइवे पर उपद्रवियों का कब्जा है. ढाई महीने से कई इलाकों में सप्लाई चेन भी प्रभावित है. मणिपुर में सरकार से लेकर सुरक्षा एजेंसियां भी टेंशन में हैं. इसकी बड़ी वजह भी सामने आई है. राज्य में ‘मीरा पैबी’ ग्रुप पर कंट्रोल करने के लिए अर्धसैनिक बलों की महिला टुकड़ियों की तैनाती पर जोर दिया जा रहा है.
बता दें कि मणिपुर में महिलाओं के आंदोलन को मीरा पैबी (women torch bearers) के नाम से जाना जाता है. ये महिलाएं अपने आंदोलन में मशाल लेकर चलती हैं. इस समय मणिपुर में हिंसा पर लगाने के लिए सुरक्षाबलों के जवान मुस्तैद हैं. इनके विरोध में महिलाओं के इस संगठन ने मोर्चा खोल दिया है. सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि मीरा पैबी ने राज्य में ना सिर्फ केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की आवाजाही को रोका है, बल्कि गंभीर अपराधों को अंजाम देने में भी मदद की है.
‘RAF की महिला टुकड़ियां भेजी जाएं’
असम राइफल्स में महिलाओं की संख्या बहुत ज्यादा है. अधिकारियों को लगता है कि वे कानून-व्यवस्था की स्थिति के लिए ट्रेंड नहीं हैं. ऐसे में कानून और व्यवस्था बनाए रखने में जुटे अधिकारी राज्य में ज्यादा महिला अर्धसैनिक बलों, विशेष रूप से रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) की तैनाती पर जोर डाल रहे हैं. चूंकि, RAF को दंगा जैसी स्थिति से निपटने में पूरी तरह तैयार माना जाता है. ये टीम दंगा गियर से लैस होती है.
‘लाठियां लेकर सड़क पर आ जाता है महिलाओं का ग्रुप’
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा, आप देख सकते हैं कि खुद को मीरा पैबी बताने वाली ये महिलाएं दबाव डालने पर अक्सर खुद को निर्वस्त्र करने की धमकी देती हैं. अब, जब सेना का काफिला पहाड़ियों में किसी अन्य इलाके की तरफ बढ़ रहा है तो ये महिलाएं लाठियों के साथ आ जाती हैं और सड़कों को अवरुद्ध कर देती हैं.
‘चौराहे पर खड़े होकर किसी की भी लेती हैं तलाशी’
अधिकारियों ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जब सेना या असम राइफल्स के जवान संघर्ष रोकने के लिए पहुंचे और वहां मीरा पैबी ग्रुप ने सुरक्षा एजेंसी के कार्यों में व्यवधान डाला है. ये ग्रुप हर किसी से चाहे वो अधिकारी हो या जवान – अपना पहचान पत्र दिखाने के लिए कहता है. ये महिला लाठियों से लैस होती हैं और इनके ग्रुप में 20 से ज्यादा की संख्या होती है. इन्हें कोई भी इम्फाल सड़क के महत्वपूर्ण चौराहों पर खड़ा देख सकता है. ये किसी की भी तलाशी ले रही हैं ताकि पहाड़ियों में बंद आदिवासी लोगों को कोई मदद ना मिल सके.
‘पुलिस बनी रहती है मूकदर्शक’
मणिपुर के हालात कवर करते पत्रकारों को भी ये ग्रुप पूछताछ कर परेशान करता है. तलाशी लेता है. अधिकारियों ने बताया कि कई बार यह भी देखने को मिला है, जब इस महिला ग्रुप ने ड्यूटी पर तैनात सेन्य जवानों से बहस की और मणिपुर पुलिस तमाशा देखती रही.
‘सड़कों पर गश्त कर रही महिलाएं’
वर्तमान में मणिपुर में सीआरपीएफ की तीन महिला कंपनियां हैं. आरएएफ की 10 कंपनियां भी पोस्टेड हैं. इनमें महिला प्लाटून की संख्या सिर्फ 375 है. सीआरपीएफ की एक कंपनी में 75 कर्मी होते हैं. जबकि आरएएफ महिला प्लाटून में 15 कर्मी होते हैं. मीरा पैबी ग्रुप की हजारों महिलाओं से निपटने को लेडी फोर्स की ये संख्या काफी कम है.
‘उपद्रवियों को छोड़ने के लिए कर दिया था मजबूर’
हाल ही में इम्फाल के बाहरी इलाके में नागा मारिंग महिला की हत्या हुई थी. इस मामले में मीरा पैबी से जुड़ी पांच महिलाएं गिरफ्तार हुई थी. इनमें 2015 में 18 सैनिकों की हत्या का मुख्य आरोपित भी शामिल था. अधिकारियों ने बताया कि इन महिलाओं के ग्रुप ने ही जून में प्रतिबंधित KYKL (कांगलेई यावोल कन्ना लूप) आतंकवादी समूह के 12 कैडर छुड़वाने में बड़ी भूमिका निभाई थी. भारतीय सेना की स्पीयर कोर ने बताया था कि सुरक्षा बलों ने इथम गांव में तलाशी अभियान चला और केवाईकेएल (कांगलेई यावोल कन्ना लूप) विद्रोही समूह के 12 उपद्रवियों को अरेस्ट किया था. लेकिन, इलाके में 1200-1500 महिलाओं की भीड़ ने सुरक्षाबलों को घेर लिया और उग्रवादियों को छुड़ा लिया.
बताते चलें कि मीरा पैबी मणिपुर में विभिन्न प्रकार के सामाजिक अन्याय के खिलाफ लड़ाई में आंदोलन चलाती आई हैं. ‘एशियन रिव्यू ऑफ सोशल साइंसेज’ जर्नल में प्रकाशित ‘मीरा पैबी की संक्षिप्त समीक्षा के अनुसार, कठिन परिस्थिति में मणिपुर की हर महिला मीरा पैबी बन जाती है जो सीधे समुदायों को प्रभावित करती है. भारत की स्वतंत्रता से पहले और बाद में विभिन्न महिला संगठनों ने समाज में सामाजिक अन्याय के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और ऐसा ही एक समूह मीरा पैबी है, जो मणिपुर में सबसे बड़ी आबादी में से एक है.
1904 और 1939 में 50-70 वर्ष की बुजुर्ग महिलाएं मीरा पैबी ग्रुप बनाने को एक साथ आईं. उन्हें मणिपुरी में ‘इमास’ यानी मां भी कहा जाता है. लेकिन, आजादी के बाद मीरा पैबी संगठन में सभी आयु वर्ग की महिलाएं शामिल हो गई।