पक्का मुस्लिम है कांवड़िया बाबू खान,3 वर्ष पूर्व कट्टर हमले का शिकार

MUSLIM KANWARIYA BABU KHAN CHANT SLOGANS OF HAR HAR MAHADEV IN HARIDWAR

Uttarakhand: इस मुस्लिम शिवभक्त कांवड़िए ने साबित किया ईश्वर एक है… लगाए ‘ॐ नमः शिवाय’ के जयकारे

हरिद्वार में कांवड़ यात्रा में शिवभक्ति के साथ देशभक्ति की झलक देखने को मिल रही है. यहां कांवड़िए भगवान शिव की भक्ति में रमे हैं तो देशभक्ति को भी साथ लेकर चल रहे हैं. इसके अलावा बाबू खान लगातार कांवड़ यात्रा कर हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल पेश कर रहे हैं.

हरिद्वार 26 जुलाई: भगवान शिव का प्रिय महीना सावन चल रहा है. इसके साथ ही कांवड़ यात्रा 2022 भी जारी है. इस समय धर्मनगरी हरिद्वार बम-बम भोले के जयघोष से गूंज रही है. जहां एक ओर कांवड़िए शिवभक्ति में रमे हैं तो दूसरी ओर देशभक्ति को नहीं भूले हैं. यहां कांवड़िए अपने साथ तिरंगे को लेकर चल रहे हैं. साथ ही झांकी भी निकाल रहे हैं. जिसमें देशभक्ति बखूबी झलक रही है.

बता दें कि दो साल बाद बिना किसी पाबंदी के कांवड़ यात्रा शुरू हुई है. अभी तक 2 करोड़ 80 लाख से भी ज्यादा कांवड़िए हरिद्वार से गंगाजल भर चुके हैं. इस बार कांवड़ियों में भारी उत्साह भी देखने को मिल रहा है. लाखों कांवड़िए गंगाजल भर रवाना हो रहे हैं. इस बार कांवड़िए शिवभक्ति के साथ देशभक्ति दर्शाता तिरंगा  भी साथ लेकर चल रहे हैं.

हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल बने बाबू खान

वहीं, देशभक्ति के साथ हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल (Hindu Muslim Unity) इस बार हरिद्वार कांवड़ में देखने को मिल रही है. बागपत से आए बाबू खान लगातार कांवड़ यात्रा कर रहे हैं. बाबू खान ने बताया कि दो साल से कोरोना होने के कारण से यात्रा नहीं कर पाए, लेकिन सबसे पहले उन्होंने भगवान भोलेनाथ की कांवड़ उठाई है.उन्होंने कहा कि अब वो माता पार्वती और भगवान गणेश की कांवड़ उठाकर अपने गांव बागपत जाएंगे. उन्होंने यात्रा का उद्देश्य बताया कि वो पूरे देश को हिंदू मुस्लिम एक होने का संदेश देना चाहते हैं. इतना ही नहीं उन्होंने अपना शायरी अंदाज में संदेश भी बनाया है जो कि वो सब को सुनाते जाते हैं.

पड़ोसी मुसलमानों ने तीन साल पहले कर दिया था प्राणघातक हमला

बागपत के गांव रंछाड़ निवासी बाबू खान मुजफ्फरनगर के पुरकाजी पहुंच चुके हैं। इससे पहले बाबू खान ने गंगा मैया में स्नान करने के बाद पूजा-अर्चना की और कांवड़ में गंगा जल रखकर बागपत के पुरा महादेव मंदिर के लिए रवाना हो गए। वहीं बाबू खान के सिर पर मुस्लिम टोपी और कंधे पर कांवड़ देखकर लोग हैरान रह गए।

बाबू खान पर हुआ था हमला

2019 में बाबू खान पर जानलेवा हमला हुआ था। पुलिस ने इस मामले में चार लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। बताया गया कि बाबू खान द्वारा कावड़ लाने का उसके परिवार के लोग विरोध करते थे। वहीं 29 सितंबर 2019 को वह घर में भगवान शिव की पूजा कर रहा था। इसी दौरान परिवार के चार लोगों ने उस पर लाठी-डंडों व धारदार हथियारों से हमला कर दिया था। घायल होने पर बाबू खान को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

इसके बाद बाबू खान ने आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से शिकायत की थी। इस मामले में कल्लू, उसके बेटे आसिफ और राशिद के खिलाफ कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था।

बाबू खान ने बताया कि इस्लाम हमें सभी धर्मों का सम्मान करने की सीख देता है। बताया कि सुबह पांच बजे गांव की मस्जिद में नमाज पढ़ते हैं और फिर शिव मंदिर पर जाकर साफ-सफाई करते हैं। बाबू खान का कहना है, मैंने इस्लाम धर्म नहीं छोड़ा है, सिर्फ कांवड़ लाने में आस्था है। इसलिए हर साल कांवड़ लेने के लिए हरिद्वार आता हूं।

बाबू खान ने बताया कि जब वह पहली बार कांवड़ लेने के लिए आये थे तो घर में खूब झगड़ा हुआ। परिवार को जैसे-तैसे समझाया। 2018 में पुरा महादेव मंदिर पर जलाभिषेक करने के बाद अगले दिन मस्जिद में सुबह पांच बजे वाली नमाज पढ़ने के लिए गया। वहां पर लोगों ने बहिष्कार कर दिया। मस्जिद से बाहर निकाल दिया। इसके लिए मैंने कानूनी लड़ाई लड़ी और मस्जिद से मुझे बाहर निकालने वाले कई लोग जेल भी गए थे।

बाबू खान बताते हैं कि वह आजादपुर मंडी दिल्ली में ट्रक चलाते थे। 2018 में कांवड़ यात्रा चल रही थी जब वह कैराना पुलिस चौकी के नजदीक पहुंचा तो वहां पर जाम लगा हुआ था। हजारों कांवड़िए आगे चल रहे थे। वहीं पर मेरे मन में ख्याल आया कि अगर मैं भी कांवड़िया होता तो इसी तरह कांवड़ लेकर आ रहा होता।

THREE KANWARIYAS INCLUDING MUSLIM KANWAR DIED IN ROAD ACCIDENT
सड़क दुघर्टना में मुस्लिम सहित तीन कांवड़ियों की मौत

गाजियाबाद में पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके के रहनेवाले तीन कांवड़ दोस्तों की सड़क दुघर्टना में मौत हो गई. इसमें से एक मुस्लिम था. पुलिस ने बताया कि बाइक चालक को झपकी आने से यह दुर्घटना हुई.

पूर्वी दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके से कावड़ यात्रा पर गए तीन कांवड़ियों की सड़क दुघर्टना में मौत हो गई. बीती रात तीनों बाइक पर सवार होकर हरिद्वार से जल लेकर दिल्ली लौट रहे थे, तभी गाजियाबाद में इनकी बाइक डिवाइडर से टकरा गई और इसमें तीनों की मौके पर ही मौत हो गई. बताया जा रहा है कि त्रिलोकपुरी में रहने वाले 15 युवाओं का समूह बाइक से 22 जुलाई को हरिद्वार को निकला था.

मृतकों की पहचान राहुल (27 वर्ष), जमशेद (25 वर्ष) और प्रिंस (24 वर्ष) के तौर पर हुई है. इनमें जमशेद मुस्लिम समाज से आता है और वह भी अपने दोस्तों के साथ कांवड़ यात्रा पर गया था. कांवड़ समूह में शामिल आशु ने बताया कि मेरठ में भारी जाम के कारण तीनों शॉर्टकट लेकर दूसरे रास्ते पर चले गए. गाजियाबाद के मसूरी थाना क्षेत्र में इनकी दुर्घटना में मौत हो गई.

मृतक राहुल के पिता ने बताया कि सुबह पुलिस से उन्हें बेटे की एक्सीडेंट की जानकारी मिली. वह गाजियाबाद के जिला अस्पताल पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें बताया कि बाइक चालक की झपकी आने की वजह से बाइक अनियंत्रित हो डिवाइडर से टकरा गई. इस दुर्घटना में बाइक पर सवार राहुल, प्रिंस और जमशेद गंभीर रूप से घायल हो गए. तीनों को अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

बता दें कि देश की सबसे बड़ी पदयात्रा कांवड़ यात्रा जारी है. साल में दो दफा लगने वाले इस कांवड़ मेले में सबसे ज्यादा संख्या सावन के महीने में देखने को मिलती है. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु शिवालयों, मंदिरों और गंगा घाटों पर पहुंचते हैं. यहां से जल भरकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. इस दौरान कांवड़ियों का हुजूम उमड़ता है.

 

कलयुग का श्रवण कुमार : माता-पिता को कांवड़ पर लेकर यात्रा पर निकला बेटा

उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद के रहने वाले विकास गहलोत अपने माता-पिता को कंधे पर उठाकर यात्रा करा रहे हैं. विकास ने अपने माता-पिता की आंखों पर पट्टी भी बांध रखी, ताकि माता-पिता उसकी कठिनाई देख परेशान न हों. गाजियाबाद के रहने वाले विकास गहलोत को कलयुग का श्रवण कुमार कहा जा रहा है. कांवड़ यात्रा के दौरान विकास ने अपने माता-पिता को कंधे पर उठाकर यात्रा करा रहे हैं. विकास ने अपने माता-पिता की आंखों पर पट्टी भी बांध रखी ताकि माता-पिता उसकी कठिनाई को देखकर परेशान न हों. इतना ही नहीं वे 17 जुलाई को हरिद्वार से चले थे और शनिवार को मेरठ पहुंचे. मेरठ के जिला पंचायत अध्यक्ष गौरव चौधरी ने विकास को इस पावन कार्य के लिए सम्मानित किया.

जहां आज के समय के बच्चे अपने माता-पिता के साथ एक घर में रहना बर्दाश्त नहीं करते, उन्हें बोझ समझ वृद्धा आश्रम में छोड़ आते हैं. वहीं, कलयुग में ऐसा बेटा भी है, जो अपने माता पिता को कंधों पर उठा कांवड़ यात्रा करा रहा है.उमस भरी गर्मी में विकास अपने माता-पिता को हरिद्वार से सैकड़ों किलोमीटर का पैदल सफर तय कराके गाजियाबाद घर जा रहे हैं. विकास का कहना है कि उनके माता-पिता ने कांवड़ यात्रा की इच्छा जताई थी लेकिन विकास के माता-पिता इस उम्र में पैदल नहीं चल सकते इसलिए उसने मन बना दृढ़ निश्चय से माता-पिता को यात्रा करवाने का फैसला लिया. विकास गहलोत की भावना देख हर कोई उन्हें कलयुग का श्रवण कुमार कह रहा है. विकास ने बताया कि उसे अच्छा लग रहा है कि वे अपने माता-पिता की इच्छा पूर्ण कर रहे हैं और भोले नाथ की कृपा उन पर है.

विकास गहलोत ने पहले अपने माता-पिता को हरिद्वार पहुंचकर गंगा स्नान कराया. इसके बाद कांवड़ का जल लेकर पालकी से माता-पिता को गाजियाबाद के लिए चल पडे़. लोहे की मजबूत चादर से बनी पालकी में एक तरफ मां तो दूसरी तरफ पिता बैठे हैं. पिता के पास 20 लीटर गंगाजल का कैन है. श्रवण कुमार बनकर विकास माता-पिता को पैदल ही गंतव्य तक लेकर जा रहे हैं. बीच-बीच में पालकी को सहारा देने को उसके साथ अन्य दो साथी भी चल रहे है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *