बद्दी इत्र फैक्ट्री दुर्घटना:लापरवाही,नियम तोड़े,3 घायल पौड़ी के
‘न आपातकाल द्वार और न ही उतरने के लिए सीढ़ीयां, बद्दी की परफ्यूम फैक्ट्री में लोगों की जिंदगियों से हुआ खिलवाड़, पढ़ें पूरी रिपोर्ट
बद्दी की कॉस्मेटिक-परफ्यूम बनाने वाली अरोमा फैक्ट्री में लगी भीषण आग भले ही बुझा ली है लेकिन सवालों की लपटें लंबे समय तक उठती रहेंगी। करोड़ों रुपये के उद्योग में सुरक्षा मानकों को पूरी तरह दरकिनार रखा है। परफ्यूम बनाने वाले इस उद्योग में आपातकालीन द्वार न होने के साथ किसी भी मंजिल से नीचे आने के लिए सीढ़ियां न होना प्रमुख दोष सामने आया है।
‘न आपातकाल द्वार और न ही उतरने के लिए सीढ़ीयां, बद्दी की परफ्यूम फैक्ट्री में लोगों की जिंदगियों से हुआ खिलवाड़,
बद्दी की परफ्यूम फैक्ट्री में लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़, करोड़ों का उद्योग पर सुरक्षा जीरो
मुख्य बिंदु
बद्दी की करोड़ों की परफ्यूम फैक्ट्री में लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़
न आपातकाल द्वार और न ही उतरने के लिए सीढ़ीयां
सोलन (हिप्र )04 फरवरी। बद्दी में कॉस्मेटिक-परफ्यूम बनाने वाली अरोमा फैक्ट्री (Baddi Aroma Factory Fire) में शुक्रवार को भीषण आग लग गई। आग भले ही बुझ गई,लेकिन सवालों की लपटें लंबे समय तक उठती रहेंगी। अग्निकांड से उद्योग प्रबंधन के साथ स्थानीय प्रशासन व संबंधित विभागों पर भी सवाल उठने लगे हैं।
फैक्ट्री में सुरक्षा मानक पूरी तरह अनदेखे
प्रारंभिक जांच में आया है कि करोड़ों रुपये के उद्योग में सुरक्षा मानकों की पूरी तरह उपेक्षा हुई। न तो अग्निशमन यंत्रों की पर्याप्त व्यवस्था थी और न ही पर्याप्त जल भंडारण क्षमता थी। इस उद्योग में अत्यधिक ज्वलनशील रसायन स्टोर था,लेकिन सुरक्षा के प्रबंध नाममात्र थे।
किसी भी मंजिल से नीचे आने को आपात सीढ़ियां भी नहींं
इस परफ्यूम निर्माण उद्योग में आपातकालीन द्वार न होने और किसी भी मंजिल से नीचे आने को सीढ़ियां न होना प्रमुख दोष सामने आया है। शुक्रवार रात अवलोकन में सामने आया कि उद्योग ने टीसीपी नियमों की पूरी तरह अवहेलना की थी।
आपातकाल द्वार न होने से कर्मचारी अंदर फंसे
नक्शा पास होने के बाद चारों तरफ जगह छोड़नी होती है, लेकिन यहां ऐसा नहीं था। उद्योग के सामने टीन शेड डाल उसे भंडारण स्थल बनाया गया,वहीं सेट बैक (आरक्षित क्षेत्र) भी कामकाज को कवर कर दिया। आपातकाल द्वार न होने से कर्मचारी अंदर फंस गए। छत पर भी शेड डालकर उसे गोदाम बना दिया था।
चारों तरफ से उद्योग में खुली जगह
उद्योग के प्रवेशद्वार के आगे सड़क है तो किनारे में गली है। पीछे 30 फीट चौड़ा नाला है तो दायें ओर सड़क है। चारों तरफ खुली जगह होने पर भी आपातकाल सीढ़ियां नहीं थी।
‘तीसरी मंजिल से कूदने के अलावा नहीं था कोई रास्ता, अंदर रहते तय थी मौत’; घायल खुशबू की आपबीती
परफ्यूम फैक्ट्री में आग फैलने से कई लोगों ने तीसरी मंजिल से कूदकर जान बचाई। उसमें घायल खुशबू भी थी। खुशबू की आपबीती। खुशबू ब्रुकलिन अस्पताल झाड़माजरी में भर्ती है और भवन से कूदने से कमर में गंभीर चोट है। इसी अस्पताल में सात और महिला कर्मचारी भर्ती हैं.
हिमाचल के सोलन जिला स्थित बरोटीवाला में परफ्यूम बनाने वाले उद्योग में अग्निकांड जितना भीषण था, उतना ही दर्द अंदर फंसे लोगों ने झेला है,जिसकी पीड़ा जीवनभर रहेगी। इनमें से एक खुशबू है, जो गांव फैचल, जिला बदायूं (उत्तर प्रदेश) निवासी है। खुशबू ब्रुकलिन अस्पताल झाड़माजरी में भर्ती है और भवन से कूदने से कमर में गंभीर चोट है। इसी अस्पताल में सात और महिला कर्मचारी भर्ती हैं।
रोज की तरह सभी कर्मचारी पहुंचे थे फैक्ट्री
खुशबू ने बताया, शुक्रवार सुबह प्रतिदिन की तरह सभी कर्मचारी उद्योग में पहुंचे थे। दोपहर के भोजन के लिए सभी कर्मचारी एक बजे चले जाते हैं और करीब सवा एक बजे वापस आते हैं। मेरे साथ कुछ कर्मचारी थीं, जैसे ही प्रोडक्शन हाल में प्रथम तल पर पहुंचीं तो हल्की दुर्गंध आई।
जब तक कुछ समझ आता कुछ कर्मचारियों को चक्कर आने लगा। इसी दौरान उद्योग में रखे रसायन ने आग पकड़ ली। कुछ कर्मचारी तो बाहर निकलने में सफल रहे, लेकिन हम अंदर फंस गईं। हम ऊपर की मंजिल की तरफ भागीं।
तीसरी मंजिल पर टीन का शेड था, लेकिन वहां जाने का कोई रास्ता नहीं था। तब तक अंदर धुआं ही धुआं हो गया था। कुछ ही मिनटों में हर तरफ आग की लपटें थी। अफरा-तफरी में कुछ कर्मचारियों ने नीचे छलांग लगा दी। नीचे की मंजिलों में भयंकर आग लगी थी तो मेरे सामने भी खिड़की से कूदने का ही विकल्प था। तीसरी मंजिल से मैंने छलांग लगाई थी। कुछ कर्मचारियों ने दूसरी मंजिल से छलांग लगाई थी। बाद में पता चला कि कुछ कर्मचारी छत पर भी फंस गए थे।
सोलन जिले में बद्दी के झाड़माजरी में एनआर अरोमा फैक्ट्री अग्निकांड मामले में आज तीसरे दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. फैक्ट्री में शुक्रवार को आग लगी थी जो कि अभी भी पूरी तरह से नहीं बुझ पाई है. वहीं, अब तक इस अग्निकांड में 5 लोगों की मौत हो गई है. जबकि 4 लापता लोगों की तलाश अभी भी जारी है.
आज रेस्क्यू ऑपरेशन का तीसरा दिन है. अभी भी आग उद्योग के अंदर नहीं बुझ पाई है. बिल्डिंग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है, लेकिन फिर भी एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवान मोर्चा संभालते हुए हैं और 4 लोगों की तलाश जारी है.
अब तक 5 की मौत, चार की तलाश
अभी तक इस अग्निकांड मामले में 5 मौतें हो चुकी. 30 लोग प्रशासन ने अस्पताल पहुचाये हैं जिनमें से एक की इलाज में मौत हो गई। 29 का इलाज विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है । लापता 4 लोगों की तलाश प्रशासन ने तीसरे दिन फिर से शुरू की है.
अभी भी उठ रही चिंगारियां:
हालांकि केमिकल और अन्य चीजें फैक्ट्री में होने से अभी भी आग की चिंगारियां फैक्ट्री में उठ रही हैं और धुआं उठता दिख रहा है. आज तीसरे दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन को एनडीआरएफ जवानों ने मोर्चा संभाले है और फैक्ट्री में जाकर जांच हो रही है.
साक्ष्य जुटाने में जुटी फॉरेंसिक टीम:
दुर्घटनास्थल पर डायरेक्टर फॉरेंसिक डॉक्टर मीनाक्षी ने बताया कि अभी एनडीआरएफ जवानों ने अंदर जाने को मना किया है. जिससे वह सिर्फ अभी बाहर ही जांच कर रहे हैं. फोटो और वीडियोग्राफी से अभी साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं और आग का सोर्स क्या रहा है और कहां से रहा है, इसे लेकर जांच हो रही है. फिलहाल फैक्ट्री में जाना भी उचित नहीं है और एनडीआरएफ,एसडीआरएफ के जवान भी इसकी परमिशन नहीं दे रहे हैं. जब तक अंदर जाना सेफ नहीं होता है तब तक बाहर ही जांच हो रही है.
शवों का पोस्टमार्टम: डॉक्टर मीनाक्षी ने बताया कि फिलहाल फैक्ट्री से मिले 4 शव पोस्टमार्टम को भेजे गये हैं. उसको लेकर भी रिपोर्ट तैयार होनी है. वहीं, सैंपल लेने के एक से डेढ़ हफ्ते बाद इस घटना के जांच परिणाम आ जायेंगें. केमिकल सेफ्टी को लेकर क्या सावधानियां नहीं बरती गई ,उसकी भी जांच होगी।
प्रकरण को लेकर एडीसी सोलन अजय यादव भी जांच कर रहे हैं.
मौसम खराब होने के बावजूद रेस्क्यू जारी: बता दें कि आज हिमाचल प्रदेश में मौसम भी खराब है. मौसम खराब होने के बावजूद भी एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और होमगार्ड के जवान लगातार तीसरे दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रखे हुए हैं. अभी तक पांच लोगों की मौत हुई है. 30 लोग बचाये गये जिसमें एक की इलाज में मौत हो गई. वहीं, चार लोग लापता है.
सबको आजीवन दर्द मिला
यह भीषण अग्निकांड जहां बद्दी के उद्योग जगत को एक त्रासदी के रुप में याद रहेगा, वहीं जिन महिला कर्मचारियों ने भवन से छलांग लगाई, उनका विकलांग होना तय है । खुशबू चलने-फिरने में असमर्थ है। राजकुमारी के कूल्हे में गंभीर चोट है। एक अन्य महिला भी चलने-फिरने में असमर्थ है।
ठेकेदार के पास करते हैं काम
बताया जा रहा है कि उद्योग में अधिकतर कर्मचारी ठेकेदार के अधीन काम करते हैं। यहां पर सवाल यह है कि उद्योग प्रबंधन ने इतने कर्मचारी ठेकेदार के अधीन क्यों रखे हुए हैं। दूसरी तरफ अग्निशमन विभाग के अनापत्ति पत्र पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि इतने ज्वलनशील पदार्थ को बिना पर्याप्त उपकरणों से लाइसेंस कैसे दे दिया।
ईएसआइ अस्पताल काठा में छह कर्मचारी भर्ती
मीरा, शिव कुमार, प्रेमलता, अर्चना, ममता, हरीश चंद्र इएसआइ अस्पताल काठा, ब्रूकलिन अस्पताल बद्दी में 19 कर्मचारी भर्ती हैं। ब्रूकलिन अस्पताल में अनिता, आशा, दीप शिखा, ममता, अनिल, राज कुमार, टीना, पुष्पा, कश्मीरी, पूजा, अंशु, सावित्री, चरण सिंह, पिंकी, सत्येंद्रा, खुशबू, कंचन, तारावती, सावित्री, राम मूर्ति, क्रांति भर्ती हैं। आरती, गीता, प्रेम कुमारी को पीजीआइ रेफर किया है। को ईएसआइसी अस्पताल काठा बद्दी में भर्ती किया गया है।
ये लोग हुए हैं घायल
घायलों में अधिकतर उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। इनमें अनिता (पत्नी मोहन गांव मुंडियां सतासी तहसील बसोली जिला बदायूं), आशा (पत्नी राकेश गांव रिश्वा तहसील महीपुरा जिला छतरपुर), कश्मीरी (पत्नी हीरा सिंह गांव रवोकडे जिला मुरादाबाद), पूजा (पत्नी उमा शंकर गांव भगवंतपुर जिला बरेली), अंशु (पुत्री सूरज पाल गांव बिछपुरी जिला संभल), सावित्री (पुत्री अमित गांव मनु नगर, डाकखाना आशापुर जिला बदायूं), सत्येंद्र (पुत्र मितराज डाकखाना नंगला पूर्वा तहसील चंदौसी जिला संभल), खुशबु (पुत्री विष्णु गोपाल गांव बिरौली जिला बंदायूं), कंचन (पत्नी वीरपाल गांव खटेता तहसील चंदौसी जिला संभल) की हैं।
साथ ही तारावती (पत्नी शाम सिंह डाकखाना दया जिला संभल), सावित्री (पत्नी सत्येंद्र गांव खटेर गांव चंदौसी जिला संभल), राम मूर्ति (पत्नी दिनेश गांव आशापुर जिला बदायूं), क्रांति (पुत्री रामपाल तहसील बिसौली जिला बदायूं), राज कुमारी (पत्नी धर्मेंद्र तहसील चंदौसी जिला संभल), मीरा, शिव कुमार, प्रेम लता, अर्चना, ममता (पत्नी मुन्नालाल) तहसील फरीदपुर जिला बरेली (सभी उत्तर प्रदेश), हरीश चंद्र, पुष्पा (पुत्री नन्द किशोर) गांव घुमारिवाला जिला शिवहर (बिहार), ममता, अनिल, राज कुमार स्लेसटीना (गांव ढोल बडाली, जिला पौड़ी उत्तराखंड) व दीप शिखा (पुत्री बलवंत सिंह गांव बादन तहसील धारकलां जिला पठानकोट पंजाब) शामिल हैं।