बालासौर रेल दुर्घटना: एक मैसेज और पहुंच गए 400 संघ कार्यकर्ता रक्तदान को

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ब्लड डोनेशन से रेस्क्यू तक… एक मैसेज और हजारों मदद के हाथ, बालासोर ट्रेन दुर्घटना में RSS कार्यकर्ता बने ‘देवदूत’

Odisha Train Tragedy: ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे के बाद स्थानीय लोगों की मदद से आरएसएस कार्यकर्ता देवदूत बनकर सामने आए। एक मैसेज से सूचना पाकर हजारों की संख्या में युवा कार्यकर्ता ब्लड डोनेट करने अस्पताल पहुंच गए।

नई दिल्ली/बालासोर 03 जून: ‘बालासोर में ट्रेन दुर्घटना हुई है, घायलों को खून की जरूरत है…’ बालासोर रेल दुर्घटना के बाद व्हाट्सऐप पर ये मैसेज आया और हजारों युवा अस्पतालों में रक्तदान करने पहुंच गए। अस्पताल में ब्लड डोनेट करने वालों की भीड़ देखकर डॉक्टर्स भी हैरान रह गए। ये मैसेज बालासोर के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस के एक ग्रुप में भेजा गया था। रात से ही संघ के कार्यकर्ता देवदूत बनकर यात्रियों की मदद कर रहे हैं। जिस जगह ये दुर्घटना हुआ, वहां पास में ही संघ की शाखा लगती है, जहां के कार्यकर्ताओं ने जब दुर्घटना की आवाज सुनी तो वो तुरंत मौके पर पहुंच गए। अन्य स्थानीय लोगों की मदद ली और अपने वाहनों से ही घायलों को अस्पताल पहुंचाना शुरू किया। जब तक एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची, तब तक करीब 250 कार्यकर्ता लोगों की मदद के लिए पहुंच चुके थे।

दुर्घटना के तुरंत बाद पहुंच गए स्थानीय

ओडिशा के आरएसएस कार्यकर्ता रविनारायन बताते हैं कि ये रेल दुर्घटना बालासोर के महानगा गांव के पास हुई थी। इस गांव में कई संघ के कार्यकर्ता रहते हैं। घटनास्थल से 3 किलोमीटर की दूरी पर ही संघ के बालासोर जिले के कार्यवाह का घर है। एक्सीडेंट के बाद वो कुछ कार्यकर्ताओं के साथ मौके पर पहुंच गए। जब उन्होंने देखा कि स्थिति बेहद भयावह है, तो उन्होंने व्हास्टऐप मैसेज और कॉल के माध्यम से कार्यकर्ताओं से जल्द से जल्द महानगा आने की अपील की। ये दुर्घटना रात करीब 6.50 बजे हुआ। 7 बजे तक संघ के कार्यकर्ता पहुंच गए थे।

मोटर साइकिल और गाड़ियों से घायलों को अस्पताल पहुंचाया

संघ के कार्यकर्ताओं ने स्थानीय लोगों की मदद ली। ट्रेन के दरवाजे खोल कर घायलों को बाहर निकालना शुरू किया। पुलिस और अन्य बचाव दल के पहुंचने से पहले ही उन्होंने रेस्क्यू शुरू कर दिया। लोगों ने अपनी मोटर साइकिल, गाड़ी और ट्रैक्टर की मदद से घायलों को अस्पताल पहुंचाना शुरू कर दिया। रात करीब साढ़े 8 बजे एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची। जब तक वहां एम्बुलेंस पहुंची तब तक कार्यकर्ताओं ने घायलों को अस्पताल ले जाना शुरू कर दिया।

जहां जाने से सहम रहे बचाव कर्मी वहां सबसे पहले पहुंच गया कार्यकर्ता

रविनारायण ने बताया कि एनडीआरएफ के रेस्क्यू ऑपरेशन में संघ के कार्यकर्ता मदद करते रहे। संघ के एक कार्यकर्ता रमेश ने बेहद बहादुरी दिखाई। दरअसल ट्रेन की तीन बोगियां एक-दूसरे के ऊपर चढ़ गई थीं। वहां फंसे लोगों को निकालना मुश्किल भरा काम था। बचाव दल भी बोगी पर चढ़ने से सहम रहे थे, लेकिन संघ कार्यकर्ता रमेश बिना झिझक बोगी पर चढ़ गया और अंदर से लोगों को रेस्क्यू करने लगा। इसके बाद एनडीआरएफ समेत अन्य बचाव टीमें भी रमेश के साथ लोगों को वहां से निकालने लगीं।

एक मैसेज से अस्पताल में लग गई ब्लड डोनेट करने वालों की भीड़

 

एक और दुर्घटनास्थल पर स्थानीय लोग, ग्रामीण और सामाजिक कार्यकर्ता जुटे हुए थे, तभी आरएसएस के एक ग्रुप में करीब सवा नौ बजे मैसेज आया कि दुर्घटना में घायल लोगों को खून की जरूरत है। व्हास्ट्सऐप पर आए एक मैसेज को निर्देश मानकर हजारों युवा बालासोर के अस्पतालों में पहुंचना शुरू हो गए। रात 10 बजे तक बालासोर के अस्पताल में 300 से 400 युवा ब्लड डोनेट करने पहुंच गए। इसके अलावा सोरो अस्पताल में भी तमाम कार्यकर्ता पहुंच गए। ब्लड डोनेट करने वालों की भीड़ देखकर डॉक्टर्स भी हैरान रह गए।

खाने-पानी की व्यवस्था कर रहे लोग

आरएसएस के स्थानीय कार्यकर्ता हरेंद्र बताते हैं कि कई लोग रात से ही लोगों की मदद में लगे हुए हैं। रात में आरएसएस कार्यकर्ताओं ने रेस्क्यू में मदद की और ब्लड डोनेट किया, तो सुबह से वही लोग यात्रियों के परिजनों और बचाव कर्मियों के भोजन-पानी की व्यवस्था में लग गए। हजारों की संख्या में कार्यकर्ता भोजन और पानी पहुंचाने लगे। इसके अलावा अस्पताल में भर्ती यात्रियों के परिजनों से संपर्क कराने में भी आरएसएस के कार्यकर्ता मदद कर रहे हैं।

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कोरोमंडल ट्रेन दुर्घटना के बाद अफरा-तफरी मच गई। घटनास्थल से लेकर अस्पताल तक चीख-पुकार मची थी। कई शव कटे पड़े थे। लोगों के शरीर से खून बह रहा था। ब्लड डोनेशन के लिए सैकड़ों युवाओं की भीड़ जमा थी। सुबह तक कई ने ब्लड डोनेशन किया।

हाइलाइट्स
ओडिशा के बालासोर में ट्रेन हादसे के बाद अफरा-तफरी
मेडिकल कॉलेज में उमड़ी सैकड़ों युवाओं की भीड़
सुबह तक 500 युवाओं ने किया ब्लड डोनेशन
2000 से ज्यादा युवाओं ने रक्तदान के लिए कराया रजिस्ट्रेशन

रात के 12.00 बज रहे थे। ओडिशा के बालासोर मेडिकल कॉलेज में हजारों लोगों की भीड़ जमा थी। अफरा-तफरी का माहौल था। लोग यहां-वहां भाग रहे थे। एंबुलेंस के सायरन लगातार गूंज रहे थे। कारों और अन्य गाड़ियों से घायल लगातार लाए जा रहे थे। इसी बीच कुछ स्वस्थ्य युवाओं की भीड़ भी यहां जमा थी। लंबी लाइन लगी थी। कुछ युवाओं के हाथ में फॉर्म था। कुछ 2 घंटे से खड़े थे तो कोई 4 घंटे से खड़ा था। ये वे युवा थे, जो मेडिकल कॉलेज में ब्लड डोनेट करने आए थे। हादसे की खबर सुनते और ट्रेन हादसे के वीडियो देखने के बाद इन युवाओं को साफ हो गया था कि यह हादसा बहुत बड़ा है। कई लोग मारे गए हैं और कई घायल हुए हैं, उन्हें रक्त की जरूरत होगी इसलिए वे दान करने यहां पहुंच गए थे।

ओडिशा के बालासोर में हुए भयानक कोरोमंडल ट्रेन दुर्घटना ने पूरे देश को हिला दिया है। घटना के बाद लोगों की जान बचाने के लिए लोग रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गए। सैकड़ों लोग दुर्घटनास्थल पर पहुंचे तो अस्पताल में भी हुजूम उमड़ पड़ा। जो जिस तरह था ब्लड डोनेट करने के लिए अस्पताल पहुंच गया। नतीजा यह हुआ कि कुछ ही घंटों में 900 यूनिट ब्लड जमा हो गया। 2000 से ज्यादा लोगों ने ब्लड डोनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन कराया।

ब्लड डोनर्स की बढ़ती जा रही थी भीड़

घटना की सूचना के बाद रात के बाहर बजे लगभग 2000 युवा ब्लड डोनेशन की लाइन में खड़े थे। ब्लड डोनेशन करनेवालों की भीड़ बढ़ती जा रही थी और ब्लड भी एकत्र होता जा रहा है। कुछ ही घंटों में बालासोर में 500 यूनिट ब्लड जमा हो गया। सुबह तक ब्लड बैंक में 900 यूनिट ब्लड था।

सुबह तक लाइन में खड़े रहे युवा

मेडिकल कॉलेज पहुंच रहे युवा शांति से लाइन में लगे थे। आलम यह था कि जहां तक नजर जा रही थी, युवा लाइन में खड़े नजर आ रहे थे। कोई घायल आता तो युवा लाइन से निकलकर मदद के लिए दौड़ पड़ते और फिर वापस आकर लाइन में लग जाते। कई ने तो ब्लड डोनेशन के लिए सुबह तक लाइन में लगकर अपने नंबर का इंतजार किया।

किया गया ब्लड डोनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन

डॉक्टरों ने बताया कि ब्लड बहुत ज्यादा एकत्र करके नहीं रखा जा सकता है इसलिए 900 यूनिट ब्लड एकत्र होने के बाद डोनेशन रोक दिया गया। उसके बाद युवाओं ने ब्लड डोनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन कराना शुरू कर दिया। 2000 से ज्यादा रजिस्ट्रेशन हुए। बिना किसी ब्लड डोनेशन कैंप या किसी के बुलावे पर सैकड़ों युवा जमा थे, यह बताता है कि हमारे देश में मानवता जिंदा है।

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