द्वारिका प्रसाद सोनी ने डेढ़ साल में बनाया शजर पत्थर से अद्भुत राम मंदिर
Uttar Pradesh Banda Craftsman Made An Exact Ram Mandir From The Shajar Stone Of Ken River
जय श्री राम! नायाब शजर पत्थर से बना हूबहू राम मंदिर, रानी विक्टोरिया भी थीं अनमोल पत्थर पर मुग्ध
बांदा की केन नदी में पाए जाने वाले शजर पत्थर की खोज करीब 400 वर्ष पूर्व अरब के लोगों ने की थी। दिल्ली, लखनऊ, जयपुर में लगने वाली शजर की प्रदर्शनियों में अक्सर इराक, सऊदी अरब, ब्रिटेन आदि देशों के लोग शजर की खरीददारी करते हैं।
बांदा 31 दिसंबर: 2024 में अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर पूरे विश्व में उत्साह का उत्साह है। देश में भी गांव-गांव और हर घर में राम मंदिर बनने की खुशी दिखाई पड़ रही है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद निवासी हस्तशिल्पी द्वारिका प्रसाद सोनी ने कड़ी मेहनत के बाद केन नदी में पाए जाने वाले शजर पत्थर से अद्भुत राम मंदिर बनाया है। इस मंदिर में रामलला भी विराजमान हैं। इस मंदिर को शनिवार को रामलीला मैदान में लोगों के अवलोकनार्थ रखा गया जिसे देखकर हर कोई आश्चर्यचकित रह गया।
केवल केन नदी में पाया जाता है शजर
जिले के केन नदी में पाए जाने वाला शजर पत्थर उत्तर प्रदेश में ओडीओपी प्रोडक्ट में शामिल है। यह ए ग्रेड श्रेणी का सबसे मजबूत और महंगा पत्थर है। इसमें पेड़ पौधों और प्राकृतिक छटाओं की सुंदर छवि स्वतः अंकित हो जाती है। नदी में शजर की पहचान कर उसे काटने और तरासने की लंबी प्रक्रिया है। इसके बाद शजर की असली तस्वीर सामने आती है और तभी इसकी कीमत भी तय होती है।
दो दशक पहले इसे तरासने वाले 70- 80 कारखाने थे। अब इनकी संख्या बहुत कम रह गई है। यहां के शजर से बनी ज्वेलरी और बेस कीमती उपहार विदेश तक भेजे जाते थे। शजर की अनोखी और बेहतरीन कारीगरी के लिए यहां के शिल्पकारों को कई बार राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत भी किया जा चुका है।
कई कलाकृतियां बना चुके हैं द्वारिका प्रसाद सोनी
राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त द्वारिका प्रसाद सोनी भी अपने हुनर से अनेक कलाकृतियां बना चुके हैं। उनके द्वारा ताजमहल, कालिंजर दुर्ग के अलावा अनेक सजावटी कलाकृतियां बनाई गई हैं। जिसकी विदेश में भी प्रशंसा हुई है। शजर की मांग मुस्लिम देशों में ज्यादा है क्योंकि मुस्लिम इस पत्थर को बहुत शुभ मानते हैं।
रामलीला ग्राउंड में अवलोकनार्थ रखा गया
शनिवार रामलीला ग्राउंड में अपने बनाए गए मंदिर के साथ मौजूद द्वारिका प्रसाद सोनी ने बताया कि जब मुझे राम मंदिर निर्माण जल्दी होने की जानकारी मिली, तभी मेरे मन में शजर पत्थर से राम मंदिर बनाने का विचार आया। इसके बाद मैंने चुन-चुन के पत्थर तरासने शुरू किया और मंदिर बनाना भी शुरू किया, डेढ़ साल की कड़ी मेहनत के बाद अंततः राम मंदिर बनाने में सफलता मिल गई।
उनके अनुसार इस मंदिर में शजर के कई पत्थरों का समन्वय हुआ है। उनका सपना है कि वह अपने हाथों से इस मंदिर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपें,इसके लिए उनका प्रयास जारी है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के सानिध्य में यह मंदिर प्रधानमंत्री को सौंपने की इच्छा है।
प्रधानमंत्री मोदी शजर की कलाकृतियों की कर चुके हैं सराहना
बतातें चले कि जी-7 सम्मेलन में भाग लेने जर्मनी गए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वहां अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को शजर पत्थर का कफलिंक (कोट का बटन) दिया था। इसके पहले ब्रिटेन के मंत्री को सौंपी थी कफलिंक। 2022 में ब्रिटेन के मंत्री भारत दौरे पर आए थे। लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनका स्वागत कर उन्हें कफलिंक भेंट किया था। तीन जून 2022 को लखनऊ में ब्रेकिंग सेरेमनी कार्यक्रम में देश भर से उद्योगपति आए थे। तब प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में नक्काशी कर तैयार की गईं शजर की कलाकृतियों की सराहना की थी।
शज़र पत्थर जिस पर प्रकृति खुद करती है चित्रकारी
बुंदेलखंड के बांदा जिले की केन नदी उत्तर प्रदेश की इकलौती और देश की दूसरी नदी है जो पत्थरों में रंगीन चित्रकारी करती है.इस नदी में मिलने वाले दुर्लभ पत्थर बेहद खूबसूरत होते हैं जो अपने भीतर दिखने वाली खूबसूरती के लिए मशहूर हैं.इन पत्थरों को ‘शजर’ कहा जाता है. जानकार कहते हैं कि कोई भी दो शजर पत्थर एक जैसे नहीं होते,मतलब हर एक पत्थर में अलग-अलग चित्रकारी. दुनिया भर में शजर पत्थर सिर्फ भारत की दो नदियों केन और नर्मदा में ही पाये जाते हैं.
कैसे बनते हैं यह पत्थर
ये पत्थर देखने में जितने ही अच्छे लगते हैं उनसे कहीं ज्यादा कठिन इनको बेचने योग्य बनाना होता है. इसमें कठिन परिश्रम लगता है. राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हस्तशिल्पी द्वारका प्रसाद सोनी बताते हैं की जब शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में शजर पत्थरों पर पड़ती हैं तो इन पर आकृतियां उभरती हैं. उनका कहना है कि चांदनी की किरण जब पत्थर पर पड़ती हैं तो उनके बीच में जो भी आकृति आती है. वह इन पत्थरों पर उभर आती है. वहीं, वैज्ञानिकों का मानना है कि शजर पत्थर पर उभरने वाली आकृति फंगस ग्रोथ है.
केन नदीं से निकाला जाता है शजर पत्थर
सबसे पहले इन पत्थरों को केन नदी से निकाल कर तराशा जाता है. रॉ मटेरियल से वेस्ट हटा दिया जाता है। जो काम के लायक होता है उसे आगे दुकानों तक ले जाया जाता है. जहां इसे मशीनों से तराशा जाता है. मशीन से तराशने के बाद शजर पत्थर में झाडियां,पेड़-पौधे, पशु-पक्षी,मानव और नदी की जलधारा के चमकदार रंगीन चित्र उभरते हैं.कई पत्थरों में धार्मिक चित्र जैसे गणेश,अल्लाह लिखा हुआ भी देखे गए है.जो अच्छी कीमत पर बिकते हैं.
अंगूठी में नग के तौर पर भी पहनते हैं लोग
राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हस्तशिल्पी द्वारका प्रसाद सोनी ने बताया कि शजर पत्थरों का इस्तेमाल आभूषणों, कलाकृति जैसे ताजमहल, सजावटी सामान व अन्य वस्तुएं जैसे वाल हैंगिंग में लगाने के काम में प्रयोग होता है.मुगलकाल में शजर पत्थरों के इस्तेमाल से बेजोड़ कलाकृतियां बनाई गईं.बांदा और लखनऊ में शजर पत्थर से बने आभूषणों का बड़ा कारोबार होता है.शौकीन लोग इसे अंगूठी में नग के तौर पर भी जड़वाते हैं.शजर पत्थर की पहले कटाई और घिसाई होती हैं. जिसके बाद इसे मनचाहे आकर में ढाला जाता है.सोने चांदी में जड़ने के बाद शजर की कीमत और बढ़ जाती है.
रानी विक्टोरिया को भा गया था शजर पत्थर
द्वारिका सोनी बताते हैं, 1911 में लंदन में शजर प्रदर्शनी लगी थी। उसमें बांदा के हस्तशिल्पी मोती भार्गव गए थे। प्रदर्शनी में रानी विक्टोरिया ने नायाब शजर पत्थर के नगीने को अपने गले का हार बनाया। विदेश में आज भी शजर की मांग है।
जल शक्ति राज्यमंत्री ने श्रीराम मंदिर शजर प्रदर्शनी का किया उद्घाटन
हस्तशिल्पी सोनी का अद्भुत श्रीराम मंदिर देखने शहर के रामलीला मैदान में प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रदेश के जलशक्ति राज्यमंत्री ने फीता काट कर किया। माडल देखकर हर कोई आश्चर्यचकित रह गया।
शजर पत्थर में पेड़ पौधों और प्राकृतिक छटाओं की सुंदर छवि अंकित हो जाती है। नदी में शजर को पहचान कर काटने और तरासने की लंबी प्रक्रिया है। तभी शजर की असली तस्वीर सामने आती है और तभी इसकी कीमत भी तय होती है। दो दशक पहले इसे तरासने वाले 70- 80 कारखाने थे। अब इनकी संख्या बहुत कम रह गई है। यहां के शजर से बनी ज्वेलरी और बहुमूल्य उपहार विदेश तक जाते थे।
बांदा शहर के रामलीला मैदान में प्रदर्शनी का उद्घाटन जल शक्ति राज्यमंत्री रामकेश निषाद ने फीता काटकर किया। राज्यमंत्री ने प्रदर्शनी में शजर पत्थर से निर्मित ताज महल, कालिंजर दुर्ग,टेबल लैंप,राष्ट्रीय ध्वज,शोपीस,चैस बोर्ड,गले कान के आभूषण आदि देखे। उन्होंने पत्थर में बनी कलाकृतियों को पत्थर तराश कर निकालने को शिल्पकार की प्रशंसा की।
उन्होंने कहा कि इस राम मंदिर को प्रधानमंत्री के हाथों से अयोध्या धाम में रखवाने को हर संभव प्रयास कर शिल्पकार का सपना साकार करेंगे। उद्घाटन अवसर पर पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जगराम सिंह,भाजपा जिलाध्यक्ष संजय सिंह, इंडस्ट्री एसोसिएशन जिलाध्यक्ष डाक्टर मनोज कुमार शिवहरे, संतोष गुप्ता,जिला संघचालक सुरेंद्र पाठक,भाजपा किसान मोर्चा क्षेत्रीय अध्यक्ष बालमुकुंद शुक्ला, राजकुमार राज,उत्तम सक्सेना,मुदित शर्मा,भाजपा महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष वंदना गुप्ता,ममता मिश्रा,कल्लू सिंह राजपूत,शिवपूजन गुप्ता, सत्यप्रकाश सर्राफ,मनोज पुरवार,संतु गुप्ता,मनोज जैन आदि मौजूद रहे।