नंगे पैर दो मजदूरों को मिला नोटों भरा बैग, रामलाल और भगवान सिंह ने जमा कराया पुलिस थाने
पैरों में चप्पल नहीं, मजदूरों ने नोटों भरा बैग कर दिया वापिस ! ईमानदारी देख पुलिस भी दंग
पैर में चप्पल नहीं, लाखों के नोटों से भरा बैग कर दिया वापिस ! रतलाम के चांदनी चौक क्षेत्र में मजदूरी करने वाले दो मजदूरों की चर्चा से बाजार गर्म है. दरअसल, ये दोनों व्यक्ति मजदूरी करते हैं और उनके पैरों में चप्पल भी नहीं हैं. मगर इनकी ईमानदारी की चर्चा पूरे शहर में है
रतलाम 09 अगस्त 2024 । रतलाम के चांदनी चौक क्षेत्र में मजदूरी करने वाले दो मजदूरों की चर्चा से बाजार गर्म है. दरअसल, ये दोनों व्यक्ति मजदूरी करते हैं और उनके पैरों में चप्पल भी नहीं हैं. मगर इनकी ईमानदारी की चर्चा पूरे शहर में है. कल दोपहर इन्हें एक लावारिस बैग मिला. काफी देर तक इंतजार करने के बाद जब कोई बैग लेने नहीं आया, तो इन्होंने बैग को खोलकर देखा तो बैग रुपयों से ठसाठस भरा हुआ था. लेकिन इस लालच में भी अडिग दोनों युवकों ने ईमानदारी का उदाहरण बन पास के दुकानदारों की मदद से पुलिस को खबर दी कि लावारिस मिले बैग के मालिक का पता नहीं चल रहा है.
सड़क पर पड़ा मिला नोटों से भरा बैग
दरअसल, माणक चौक इलाका सराफा व्यवसाय के लिए पूरे देश में विख्यात है और यहां रोजाना करोड़ों रुपए का लेनदेन होता है. ऐसे में संभावना यही है कि ये पैसे किसी व्यापारी के होंगे. इधर, दोनों मजदूरों की इस ईमानदारी से बाजार के तमाम व्यापारी भी खुश हैं क्योंकि मजदूरों के ईमानदार व्यवहार से बाजार की छवि चमकी है. पुलिस जब मजदूरों के साथ बैग लेकर थाने पहुंची और बैग खोलकर देखा, तो वह भी दंग रह गई. बैग में तकरीबन 12 लाख रुपए थे.
मजदूरों के पैरों में नहीं थी चप्पल
सबकी नजर मजदूरी करने वाले युवकों रामलाल नायक और भगवान सिंह के पैरों पर थी जो नंगे पैर थे और उन्होंने पैसे के लिए गला काट स्पर्द्धा के आज के समय में ईमानदारी का परिचय दिया. दोनों युवक गरीब परिवार से हैं और झोपड़ी में रहते हैं, मजदूरी कर अपना और परिवार का जीवन यापन करते हैं. पैरों में चप्पल भी नहीं है, मगर फिर भी ईमानदारी का उदाहरण बन कर सबका दिल जीत लिया. रतलाम पुलिस अधीक्षक राहुल कुमार इन दोनों युवकों की प्रशंसा करते थक नहीं रहे थे.
पुलिस ने दोनों को किया सम्मानित
इसके साथ ही रतलाम पुलिस ने रामलाल नायक और भगवान सिंह को शाल, श्रीफल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया. इनाम पाकर दोनों युवक खुशी से फूले नहीं समाए. उन्होंने बताया कि यह इनाम पाकर वे बहुत खुश हैं. जब पैसे से भरा बैग देखा, तो वे चौंक गए कि इतने सारे पैसे कोई भूल गया होगा और परेशान होगा. उन्होंने वही बैग मालिक की प्रतीक्षा की. मगर काफी देर तक जब कोई नहीं आया, तो उन्होंने आस-पास के व्यापारियों को बताया और पुलिस को सूचना दी ताकि बैग के स्वामी को ढूंढा जा सके.
बैग में रूपए देख क्या लगा?
“बैग में रुपए देख डर गया थे। पहले कभी इतने सारे नोट एक साथ नहीं देखे। पहली बार देखे। कांपने लग गए थे। थोड़ी देर के लिए मन में आया कि बैग लेकर चले जाए क्योकि घर में 30 साल का विकलांग बेटा है। बीमारी का इलाज भी चल रहा है। तीन माह से मकान का किराया नहीं दिया। फिर बाद में सोचा कि मेहनत के पैसों की बात ही कुछ ओर है, उसी में समृद्धि होती है। तब हमने अपनी दुकान के सेठ को यह बैग दे दिया जिन्होंने इसे पुलिस को सौंप दिया।”
यह कहना था रतलाम के चांदनी चौक में लाखों रुपए से भरे बैग मिलने पर लौटाने वाले मजदूर रामलाल का। रामलाल के साथ भगवानसिंह भी मजदूरी करता है। इन दोनों को चांदनी चौक में बुधवार शाम एक बैग मिला था, जिसमें लाखों रुपए थे। दोनों मजदूरों ने अपनी ईमानदारी दिखाते हुए रुपयों से भरे बैग को दुकान के सेठ को दे दिया। फिर पुलिस को सूचना कर बैग पुलिस को सौंप दिया। जब नोटों की गिनती हुई तो 12.53 लाख रुपए निकले।
मजदूरों को सम्मानित करने के बाद पुलिस अधीक्षक राहुल कुमार लोढ़ा,सीएसपी अभिनव वारंगे व अन्य।
पुलिस अधीक्षक राहुल कुमार लोढ़ा ने मजदूर रामलाल नायक एवं भगवानसिंह का अपने कार्यालय में सम्मान किया। शाल, श्री फल एवं प्रशस्ति पत्र के साथ 1-1 हजार रुपए से पुरस्कृत किया। इस दौरान सीएसपी अभिनव बारंगे, थाना प्रभारी माणक चौक सुरेंद्र गडरिया, हेड कांस्टेबल योगेंद्र जादौन ने मजदूरों को सम्मानित किया। जिसका नोटों से भरा बैग है वह रतलाम के टाटानगर का निवासी है। बताया जाता है कि वह प्रापर्टी का कामकाज करता है।
पुलिस अधीक्षक लोढ़ा ने बताया कि जो व्यक्ति मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण कर लाखों रुपए का बैग पुलिस को देता है वह बहुत बड़ी बात है। दोनों ईमानदारी का उदाहरण बना दिया है। रुपए लिखा-पढ़ी कर कोर्ट में जमा कर दिए है। जो व्यक्ति दावा कर रहा है वह कोर्ट में आवेदन लगाकर नियमानुसार प्रक्रिया अपना धन प्राप्त कर सकता है।
पैर में चप्पल तक नहीं
रामलाल के साथ भगवानसिंह के पैर में तो चप्पल तक नहीं थी। बिना चप्पल के ही वह पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचा। भगवानसिंह ने बताया कि इतने सारे नोट देख घबरा गया था। पहले कभी एक साथ इतने नोट नहीं देखे।
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