दोटूक: उत्तरकाशी में भूविज्ञान और तकनीकी दोनों खिलाफ, समय-सीमा नहीं सुरक्षा महत्वपूर्ण:जनरल अता हसनैन
Uttarkashi Silkyara Tunnel Rescue Operation Manual Drilling Ndma Latest Update
…टेक्नोलॉजी भी खिलाफ तो अनुमान नहीं लगा सकते, उत्तरकाशी ऑपरेशन पर NDMA के सदस्य अता हसनैन ने कही बड़ी बात
पूरा देश उत्तराखंड के उत्तरकाशी में ढही सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को सुरक्षित निकाले जाने के लिए प्रार्थना कर रहा है। उन तक खाने-पीने के सामान तो पहुंचाए जा रहे हैं लेकिन अब तक ड्रिलिंग करके पाइप नहीं पहुंच सकी है, जिससे स्ट्रेचर से उन्हें निकाला जा सके। मशीन टूट गई तो आगे हाथ से खुदाई शुरू की जा रही है।
मुख्य बिंदु
उत्तरकाशी सुरंग में हाथ से खुदाई की जाएगी
मशीन के टूटे हिस्से को निकाला गया है
एक्सपर्ट बोले, अनुमान नहीं लगा सकते हैं
प्लाज्मा कटर से काटकर बाहर निकाली गई ऑगर मशीन, मैनुअल ड्रिलिंग का रास्ता साफ
नई दिल्ली 27 नवंबर: इस तरह के ऑपरेशन में जब जियोलॉजी (भूविज्ञान) हमारे खिलाफ है और टेक्नोलॉजी भी हमारे खिलाफ है तो हम कोई अनुमान नहीं लगा सकते… NDMA के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने आज ANI से बातचीत में यह बात कही। दरअसल, पूरा देश इस समय यह जानना चाहता है कि उत्तरकाशी में दो हफ्ते से भी ज्यादा समय से चल रहा ऑपरेशन कब तक पूरा होगा? कब सुरंग में फंसे हमारे 41 श्रमिक बाहर निकाले जाएंगे? एनडीएमए के सदस्य ने कहा कि वैसे, हम लगातार हरसंभव संसाधन का इस्तेमाल कर रहे हैं। हसनैन ने बताया कि जब ऑगर मशीन खराब हुई तो उसी रात पूरे देश में लेजर कटर, मैग्ना कटर का पता लगाने का प्रयास किया गया। फौरन भारतीय वायुसेना को वहां भेजने के प्रयास हुए। प्लेन गया और साइट पर सब चीजें लेकर आया। यह दिखाता है कि हम कोई भी कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इस आधार पर हम इतना जरूर कह सकते हैं कि रेस्क्यू ऑपरेशन को पूरा करने का यह सबसे तेज तरीका है।
इससे पहले राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की ओर से सोमवार को जानकारी दी गई कि उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए ऊपर से नीचे की ओर जारी ‘ड्रिलिंग’ के अलावा हाथ से क्षैतिज खुदाई जल्द शुरू होने वाली है। ऑगर मशीन के खराब हो जाने के बाद अब हाथ से खुदाई की जाएगी। ऑगर मशीन से 46.8 मीटर तक क्षैतिज खुदाई की जा चुकी थी लेकिन उसके बाद मशीन के टूट जाने के कारण उससे और खुदाई नहीं की जा सकी। लंबवत और हाथ से क्षैतिज ड्रिलिंग दो विधियां हैं, जिन पर इस समय ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। सुरंग के बारकोट छोर से क्षैतिज ड्रिलिंग जैसे अन्य विकल्पों पर भी काम किया जा रहा है।
सुरंग में फंसे श्रमिकों तक पहुंचने को कुल 86 मीटर लंबवत ड्रिलिंग की जाएगी। इसमें 1.2 मीटर व्यास की पाइप को लंबवत तरीके से सुरंग के ऊपर से नीचे की ओर डाला जाएगा। फंसे हुए मजदूरों तक पहुंचने के लिये इस दूसरे विकल्प के रूप में रविवार से इसपर काम शुरू किया गया।
बचाव कार्यों पर अपडेट देते हुए एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने पत्रकारों को बताया कि ‘रैट-होल’ खनिक जल्द ही हाथ से खुदाई शुरू करेंगे। हैदराबाद से मंगाए गए ‘प्लाज्मा कटर’ की मदद से ऑगर मशीन के टूटे हुए हिस्सों को मलबे से हटा दिया गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार 12 नवंबर से सुरंग में फंसे सभी 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। हसनैन ने कहा कि निजी और सार्वजनिक, दोनों एजेंसियां बचाव अभियान में जुटी हुई हैं। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी.के. मिश्रा, गृह सचिव अजय कुमार भल्ला और उत्तराखंड के मुख्य सचिव डॉक्टर सुरजीत सिंह संधू ने भी जारी बचाव अभियान का जायजा लिया।