आयकर सर्वे पर बीबीसी को आपत्ति नहीं, कांग्रेस परेशान
BBC के मालिक कौन हैं:कैसे होती है फंडिंग और कमाई; BBC के दफ्तरों में क्यों पहुंची आयकर टीम?
नई दिल्ली 14 फरवरी। बीबीसी के दिल्ली और मुंबई स्थित दफ्तरों पर मंगलवार को आयकर विभाग की टीम ने छापा मारा। सूत्रों के मुताबिक एक्शन के दौरान स्टाफ के फोन बंद करा दिए गए हैं और एम्प्लॉइज को कहीं आने-जाने से रोका जा रहा है। कांग्रेस ने इसे अघोषित आपातकाल कहते हुए ट्वीट किया, ‘पहले BBC की डॉक्यूमेंट्री आई, उसे बैन किया गया, अब BBC पर IT का छापा पड़ गया है।’
चलिए, जानते हैं कि बीबीसी का मालिक कौन है, कैसे होती है फंडिंग और कमाई, क्या है डॉक्यूमेंट्री को लेकर विवाद और क्या पहले भी हुई ऐसी कार्रवाई?
बीबीसी के दिल्ली स्थित दफ्तर पर आयकर विभाग की कार्रवाई के बाद मौजूद मीडिया कर्मी और पुलिस।
बीबीसी के दिल्ली स्थित दफ्तर पर आयकर विभाग की कार्रवाई के बाद मौजूद मीडिया कर्मी और पुलिस।
BBC क्या है और इसका मालिक कौन है?
ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन यूनाइटेड किंगडम का नेशनल ब्रॉडकास्टर है। ये दुनिया के सबसे पुराने और बड़े मीडिया हाउस में से एक है। इसके पूरी दुनिया में करीब 35 हजार कर्मचारी हैं। यह 40 भाषाओं में खबरें प्रसारित करता है।
18 अक्टूबर 1922 को बीबीसी की शुरुआत एक प्राइवेट कंपनी के तौर पर हुई। 1926 में इसे यूनाइटेड किंगडम ने सरकारी संस्था बना दिया। तब से आज तक बीबीसी रॉयल चार्टर से संचालित होती है। हालांकि अपनी कवरेज के लिए ये पूरी तरह स्वतंत्र माना जाता है।
रॉयल चार्टर में लिखे बीबीसी के उद्देश्य के अनुसार, ‘बीबीसी को यूनाइटेड किंगडम के सभी हिस्सों और पूरी दुनिया के लोगों की समझ बनाने को विधिवत सटीक और निष्पक्ष समाचार, करेंट अफेयर्स और तथ्यात्मक प्रोग्रामिंग प्रदान करनी चाहिए।’
बीबीसी हिंदुस्तानी सेवा ने अपना पहला प्रसारण विंस्टन चर्चिल के प्रधानमंत्री बनने के दिन 11 मई 1940 को किया। बीबीसी हिन्दुस्तानी सर्विस का उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय उपमहाद्वीप के सैनिकों तक समाचार पहुंचाना था।
बांग्लादेश की लड़ाई,इंदिरा गांधी की हत्या और कई बड़ी अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर बीबीसी ने सबसे पहले खबरें दीं, जिससे लोगों का भरोसा बना। 2001 में बीबीसी हिंदी डॉट कॉम की शुरुआत हुई और फिर अन्य भारतीय भाषाएं जुड़ती गईं।
बीबीसी की फंडिंग और कमाई कैसे होती है?
बीबीसी की ज्यादातर फंडिंग एक सालाना टेलीविजन फीस से आती है। इसके अलावा इसे अपनी अन्य कंपनियों, जैसे- बीबीसी स्टूडियोज और बीबीसी स्टूडियोवर्क्स से भी आमदनी होती है। ब्रिटेन की संसद भी इसको ग्रांट देती है।
साल 2022 में कंपनी को तब बड़ा झटका लगा, जब ब्रिटिश सरकार ने अगले दो सालों को वार्षिक टेलीविजन शुल्क पर रोक लगाने की घोषणा की। सरकार ने यह भी कहा कि 2027 तक वह शुल्क पूरी तरह खत्म कर देगी।
बीबीसी के लिए लंदन रॉयल चार्टर के पहले पन्ने की तस्वीर।
बीबीसी के दफ्तरों पर आयकर विभाग क्यों पहुंचा?
आयकर विभागीय सूत्रों के अनुसार, BBC पर इंटरनेशनल टैक्स में गड़बड़ी का आरोप है। इसी को लेकर सर्वे हो रहा है। BBC ने सर्वे की पुष्टि करते हुए कहा कि हम अथॉरिटीज का सहयोग कर रहे हैं और जल्द ही ये सिचुएशन सुधर जाएगी।
आखिर क्यों इनकम टैक्स अधिकारी पहुंचे बीबीसी के ऑफिस, क्या हैं आरोप?
मंगलवार सुबह इनकम टैक्स अधिकारी बीबीसी के दिल्ली और मुबंई स्थित ऑफिस पहुंचे और जांच शुरू कर दी। सर्वे में वहां के स्टाफ के फोन बंद करवा दिये गये और उन्हें बाहर जाने की अनुमति नहीं दी गई। इस सर्वे को लेकर सरकार भी विपक्ष के निशाने पर आ गई है।
इनकम टैक्स विभाग के अधिकारी मंगलवार को बीबीसी के दिल्ली और मुंबई ऑफिसों में सर्वे को पहुंचे हुए हैं। आयकर विभाग की यहां जांच जारी है। सर्वे नियमों में उल्लघंन की जांच को हो रहा है। सूत्रों की मानें तो आयकर विभाग के पास ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर बीबीसी के खिलाफ सर्वे करने के अपने कारण हैं।
लगे हैं गंभीर आरोप
टाइम्स नेटवर्क के सूत्रों के मुताबिक- “बीबीसी के जानबूझ कर ट्रांसफर प्राइसिंग रूल्स का पालन न करने और मुनाफे के विशाल डायवर्जन को देखते हुए आयकर अधिकारियों ने दिल्ली में बीबीसी परिसर में सर्वे किया।
नोटिस की भी बात आई है सामने
सूत्रों ने आगे कहा- “बीबीसी के मामले में, वर्षों से ट्रांसफर प्राइसिंग रूल्स का लगातार पालन नहीं किया गया है। परिणामस्वरूप, बीबीसी को कई नोटिस जारी किए गए हैं। बीबीसी लगातार इसका उल्लघंन करता रहा है।”
सूत्रों ने यह भी बताया कि सर्वेक्षणों का मुख्य फोकस कर लाभ सहित अनाधिकृत लाभ को हेराफेरी पर गौर करना है। सूत्रों ने कहा कि ये सर्वेक्षण बीबीसी के मानदंडों का लगातार पालन न करने के कारण किया गया है।
सर्वे के कारण
+ट्रांसफर प्राइसिंग रूल्स का उल्लघंन
+स्थानांतरण मूल्य निर्धारण मानदंडों का लगातार और जानबूझकर उल्लंघन
+जानबूझकर लाभ की महत्वपूर्ण राशि का डायवर्जनछापा नहीं सर्वे
बता दें कि आयकर अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कर अधिकारी बीबीसी के ऑफिस में जो जांच कर रहे हैं, उसे सर्वे कहा जाता है। इसे तलाशी या छापा नहीं कहा जा सकता। इस तरह के सर्वेक्षण नियमित रूप से किए जाते हैं।
बीबीसी के ऑफिस का हाल
बीबीसी के दिल्ली-मुंबई के एडिटोरियल स्टाफ को ऑफिस से जाने की परमिशन इनकम टैक्स के अधिकारियों ने दे दी है। एडिटोरियल स्टाफ जोकि दिल्ली मुंबई ऑफिस में सर्वे के दौरान मौजूद थे,उन्हें फोन और लैपटॉप का इस्तेमाल नहीं करने दिया गया था। बीबीसी के बैंगलोर और चेन्नई ऑफिस पर इनकम टैक्स की टीम नहीं गई थी, लेकिन एहतियातन बीबीसी ने दोनों ऑफिस आज बंद रखे हैं। सर्वे अभी भी दिल्ली-मुंबई ऑफिस पर चल रहा है।
ब्रिटिश सरकार ने क्या कहा
न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से कहा कि ब्रिटिश सरकार ने कहा है कि वो भारत में बीबीसी के कार्यालयों में किए गए कर सर्वेक्षणों की रिपोर्ट की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।
बीबीसी के दफ्तरों में सर्वे IT अधिनियम, 1961 के अलग-अलग प्रावधानों जैसे धारा 133A में किए जा सकते हैं। यह कानून IT विभाग को छिपी हुई जानकारी जुटाने को सर्वे की शक्ति देता है। इसमें ऑफिशियल खाते की जानकारी, दस्तावेज, नकदी, स्टॉक या अन्य कीमती सामान की जांच करने को किसी भी परिसर में प्रवेश की अनुमति देता है।
BBC के ऑफिसों पर रेड के बाद कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि हम अडाणी के मामले में JPC की मांग कर रहे हैं और सरकार BBC के पीछे पड़ी हुई है। ‘विनाशकाले विपरीत बुद्धि’। कांग्रेस का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के कारण ये छापेमारी हो रही है।
बीबीसी पर प्रधानमंत्री मोदी पर विवादित डॉक्यूमेंट्री
गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल उठाने वाली बीबीसी डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ को दो हिस्सों में जारी किया गया था। इसका पहला एपिसोड 17 जनवरी को और दूसरा एपिसोड 24 जनवरी को रिलीज हुआ।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने 20 फरवरी को कहा था कि हमारी राय में ये एक प्रोपेगैंडा पीस है। इसका उद्देश्य दुराग्रही नैरेटिव पेश करना है, जिसे लोग पहले ही खारिज कर चुके। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी ब्रिटिश संसद में इस डॉक्यूमेंट्री से असहमति जताई थी।
बीबीसी डॉक्यूमेंट्री का दूसरा एपिसोड रिलीज होने से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने 21 जनवरी को इस पर प्रतिबंध लगा दिया। केंद्र सरकार की ओर से जारी आदेश के बाद यूट्यूब और ट्विटर से बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के लिंक हटा दिए गए थे।
इससे पहले भी विवादों में रही बीबीसी की कवरेज
1970 में बीबीसी की इंदिरा गांधी से भी ठन गई थी। तब फ्रांसीसी निर्देशक लुइस मैले ने 2 डॉक्यूमेंट्री कलकत्ता और फैंटम इंडिया प्रसारित की थी। इन दोनों डॉक्यूमेंट्रीज में भारत में रोजाना की जिंदगी दिखाई गई थी। सरकार ने इसे भारत को गलत रूप से पेश करने की कोशिश कहा था।
इस डॉक्यूमेंट्री के प्रसारित होते ही ब्रिटेन में बसे भारतीयों ने इसका विरोध किया। विरोध का ये स्वर दिल्ली पहुंचा और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को इसकी जानकारी मिली। इंदिरा ने बीबीसी का दिल्ली दफ्तर बंद करवा दिया। दो साल बाद 1972 में फिर से बीबीसी ऑन एयर हुआ था।
2008 में बीबीसी ने अपने एक शो में भारत के एक वर्कशॉप में काम करने वाले बाल श्रमिकों की तस्वीर दिखाई। बीबीसी के इस शो पर भी काफी हंगामा हुआ था। सरकार ने जांच की तो बीबीसी के फुटेज फर्जी मिले।
मार्च 2015 में दिल्ली हाईकोर्ट ने बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री को बैन करने के फैसले को सही ठहराया था। दरअसल, इसमें निर्भया के दोषी मुकेश सिंह को दिखाया गया था। इसीलिए इसे इंटरनेट पर प्रसारित करने से रोक दिया गया।
2017 में बीबीसी ने जंगली जानवरों के शिकार से जुड़ी एक डॉक्यूमेंट्री जारी की । इससे भारत की इमेज पर गहरा असर पड़ा, जिसके बाद सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाने का फैसला लिया।