जब – जब खुली एक्जिट पोल की पोल, ये है इसका इतिहास
पहले भी खुल चुकी है Exit Polls की ‘पोल’,ये है एक्जिट पोल का इतिहास
बिहार में 243 विधानसभा सीटों पर सात नवंबर (शनिवार) को तीसरे चरण का मतदान शाम छह बजे समाप्त हो गया। इनके नतीजे 10 नवंबर को आएंगे, लेकिन एग्जिट पोल्स के रुझान आने शुरू हो गए हैं। अधिकतर सर्वे में एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही है। वहीं, कुछ सर्वे में महागठबंधन मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहा है। परंतु ऐसा नहीं है कि एग्जिट पोल हमेशा सफल हुए हैं, ऐसे में यहां किसकी सरकार बनती है ये तो 10 नवंबर को ही ठीक-ठीक पता चलेगा। एग्जिट पोल के फेल होने पर नजर डालें तो इसका सबसे बड़ा उदाहरण साल 2004 का लोकसभा चुनाव है। उसके बाद 2013 और 2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव हैं। कई बार एग्जिट पोल की भी ‘पोल’ खुल चुकी है।
1980 में हुई एग्जिट पोल की शुरुआत
एग्जिट पोल की शुरुआत 1980 में भारतीय मीडिया से हुई। इसी के बाद से भारतीय मीडिया चुनाव के बाद से सर्वे करने लगा। दूरदर्शन ने 1996 में एग्जिट पोल शुरू किया था। चुनाव में मतदान खत्म होने के बाद जब मतदाता अपना वोट डालकर निकल रहे होते हैं तब उनसे पूछा जाता है कि उन्होंने किसे वोट दिया। इस आधार पर किए गए सर्वेक्षण से जो व्यापक नतीजे निकाले जाते हैं उन्हें ही एग्जिट पोल कहते है।
1998 में लगा था प्रतिबंध
1998 में चुनाव आयोग ने ओपिनियन और एग्जिट पोल पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले को रद्द कर दिया। उसके बाद 2009 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक बार फिर एग्जिट पोल पर प्रतिबंध की मांग उठी। बाद में कानून में संशोधन किया गया और संशोधित कानून के अनुसार चुनावी प्रक्रिया के दौरान जब तक अंतिम वोट नहीं पड़ जाता, एग्जिट पोल नहीं दिखाए जा सकते।
2013 दिल्ली विधानसभा चुनाव
2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत की बात कही गई थी। कांग्रेस के दूसरे नंबर पर रहने की संभावना जताई गई थी। वहीं ज्यादातर एग्जिट पोल ने आप की सीटें बेहद कम बताई थीं। इंडिया टुडे-ओआरजी एग्जिट पोल में तो आप को 10 से भी कम सीटें दी गईं थीं। न्यूज 24-चाणक्य ने आप को सबसे अधिक 31 सीटें दी थीं।
जब रिजल्ट आए तो एग्जिट पोल गलत साबित हो गए। आप’को 28 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस मात्र आठ सीटों पर सिमट कर रह गई थी।