डबल एम ए ‘भिखारी’ हंसी प्रहरी को सरकारी नौकरी का प्रस्ताव,पर उन्हें चाहिए अपनी शर्तों पर
हंसी की सहायता को आगे आई सरकार, दिया नौकरी का प्रस्ताव
राज्यमंत्री रेखा आर्य ने की हंसी प्रहरी से मुलाकात
हरिद्वार,। हंसी प्रहरी की मदद को उत्तराखंड सरकार आगे आई है। सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने मंगलवार हरिद्वार पहुंच हंसी से मुलाकात की और हालचाल जाना। उन्होंने हंसी को मुख्यमंत्री का संदेश सुनाया और सरकार की ओर से नारी निकेतन में केयर-टेकर की नौकरी, आवास और उनके बेटे को इच्छानुसार नि:शुल्क शिक्षा की व्यवस्था करने का प्रस्ताव दिया। मंत्री रेखा आर्य के अनुसार हंसी ने उनके दिए सरकारी प्रस्ताव को फिलहाल स्वीकार नहीं किया है। उन्होंने इस पर विचार करने को उनसे कम से कम एक दिन का समय मांगा है। हालांकि, पत्रकारों से बातचीत में हंसी ने कहा कि वह शुरू से ही आजाद ख्याल और आजाद मानसिकता की रही हैं, इसलिए उन्हें कहीं बंध कर रहना स्वीकार नहीं। वह सरकार से अपने लिए मन-मुताबिक जगह(शहर के बीचोंबीच) पर आवास की मांग करती है, क्योंकि मन-मस्तिष्क पर जगह-परिवेश का काफी असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि वह अपना और अपने बच्चे का पेट तो ट्यूशन पढ़ाकर ही पाल लेंगी।
हंसी प्रहरी से मुलाकात के बाद पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि हंसी उनके विधानसभा क्षेत्र की और उनके पैतृक गांव के पास की रहने वाली हैं। उन्होंने उनके साथ बंद कमरे में करीब एक घंटे बातचीत की और उनसे उनकी इस दशा के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की। बताया कि हंसी प्रहरी ने अपनी हालत की वजह को लेकर उन्हें कोई खास जानकारी नहीं दी। हालांकि उनके बीच हुई बातचीत में यह लगा कि उनके साथ उनके घर में कुछ ऐसा घटित हुआ, जिससे वह आहत होकर इस स्थिति तक पहुंच गईं। मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि अभी हम उनके साथ क्या घटित हुआ, किस और किसकी वजह से घटित हुई। इसपर नहीं जा रहे, यह सब बाद की बातें हैं।
सरकार और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हंसी की मदद करना चाहते हैं। इसलिए राज्य सरकार, उनका मंत्रालय और स्थानीय प्रशासन का सारा जोर 45 वर्षीय हंसी प्रहरी को सिर पर छत, उनके लिए सम्मानपूर्वक जीवनयापन और उनके छह वर्षीय बेटे परिक्षित को अच्छी शिक्षा दिलाने की व्यवस्था करने पर है। एक बार यह हो जाए और हंसी प्रहरी मानसिक तौर पर बेहतर स्थिति में आ जाएं तो फिर उनके साथ की घटित घटनाओं का संज्ञान लेकर उनकी दशा के लिए दोषी व्यक्तियों को हंसी प्रहरी की मदद से चिंहित कर दंडित करने की दिशा में भी सख्त कदम उठाये जायेंगे।
यह पूछे जाने पर कि अगर हंसी प्रहरी सरकार के प्रस्ताव को मांन लेती हैं तो सरकार के स्तर पर कब तक मदद को सकेगी? इस पर रेखा आर्य ने कहा, सरकार की ओर से उनके मंत्रालय ने पूरी तैयारी कर ली है और हरिद्वार आने से पहले वह इस मामले में मुख्यमंत्री से आवश्यक दिशा-निर्देश भी ले चुकी हैं। इसलिए हंसी अगर प्रस्ताव स्वीकार कर लेती हैं तो मंगलवार से सरकार अपने प्रस्ताव अनुरूप उनके लिए व्यवस्था कर देगी। अगर वह इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर देती हैं तो भी सरकार उनकी इच्छा अनुसार व्यवस्था करने का पूरा प्रयास करेगी। उन्हें इस तरह दर-दर की ठोकर खाने को नहीं छोड़ेंगी।
पत्रकार वार्ता में हंसी प्रहरी, मेयर हरिद्वार श्रीमति अनिता शर्मा सहित बाल विकास कल्याण विभाग के अधिकारी, विधि सलाहकार, काउंसलर और पंडित नारायण दत्त तिवारी नेहरू युवा केंद्र के पदाधिकारी मौजूद थे।
महापौर ने भी दिया सहायता का प्रस्ताव
हरिद्वार नगर निगम की मेयर अनिता शर्मा ने भी पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, नगर निगम हरिद्वार और अपने स्तर पर भी वह हंसी प्रहरी की हर संभव मदद करने को तैयार हैं। उन्होंने हंसी के साथ ही बातचीत में यही बात कही। अब हंसी को तय करना है कि उनके लिये क्या मुफीद है। महापौर ने कहा कि नगर निगम में भी कार्य करने के अनेक मौके हैं, अगर हंसी प्रहरी राजी होती हैं तो वह इसके लिए भी प्रयास कर सकती हैं।
मायके वालों ने तोड़ दिए हैं संबंध
मंत्री रेखा आर्य ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि हंसी प्रहरी से हुई बातचीत और अल्मोड़ा से उनके संदर्भ में सामने आई जानकारी के अनुसार हंसी के मायके वालों उनसे नाता तोड़ लिया है और उनसे कोई संबंध नहीं रखते। हालांकि, उनसे छोटी उनकी एक बहन उनकी करीब 16 वर्षीय बेटी पूर्णिमा की जिम्मेदारी उठाएहुए हैं और उसे नैनीताल के एक विद्यालय में हॉस्टल में रख शिक्षा दिला रही हैं। पर, वह बहन भी हंसी से कोई संबंध नहीं रखती। इसी तरह उनके ससुराल और पति का भी उनसे कोई संबंध नहीं है। इस दौरान अन्य सभी लोगों के साथ हंसी प्रहरी भी मौके पर मौजूद थीं। बाद में पत्रकारों से बातचीत में हंसी प्रहरी ने बताया कि उन्होंने अपने परिवार और माता-पिता की मर्जी के खिलाफ जाकर शादी की थी। उनकी शादी में परिजन शामिल नहीं हुए थे। हंसी प्रहरी अपनी शादी को खानाबदोश की शादी करार दे रही थीं।
होगी काउंसलिंग और स्वास्थ्य परीक्षण
मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि हंसी प्रहरी के साथ मुलाकात में उन्होंने उन्हें अपनी काउंसलिंग और स्वास्थ्य परीक्षण कराने के लिए राजी कर लिया है। उनके विभाग के अधिकारी बुधवार से ही इस मामले में अपनी कार्रवाई शुरु कर देंगे। कहा कि हंसी की वर्तमान मानसिक स्थिति को देखते हुए ऐसा करना जरूरी है। बताया कि उन्होंने अपने विभाग के काउंसलर और विधि सलाहकार को मौके पर ही बुला लिया था, जिन्होंने हंसी से बातचीत करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला। कहाकि अब आगे से उनकी नियमित काउंसिलिंग और स्वास्थ्य परीक्षण कराया जायेगा।
जब मंत्री ने दिया अपने साथ अल्मोड़ा चलने का दिया प्रस्ताव
पत्रकारों से साथ मंत्री रेखा आर्य अनौपचारिक बातचीत कर रही थीं कि अचानक से हंसी प्रहरी भी वहां पहुंच गईं और उनसे अल्मोड़ा की बातचीत करने लगीं। इस पर मंत्री रेखा आर्य ने उन्हें अपने साथ अल्मोड़ा चलने का प्रस्ताव दिया और बताया कि वह 26 तारीख को अल्मोड़ा जा रही हैं। अचानक मिले इस प्रस्ताव पर हंसी पहले तो अवाक रह गईं पर फिर बाद में उन्होंने चलने की इच्छा जाहिर कर दी।
हंसी ‘दीदी’ से मिलने पहुंची मंत्री रेखा आर्य, महिला कल्याण विभाग में नौकरी का प्रस्ताव
अपने 6 साल के मासूम बेटे के साथ दर-दर भटक रही हंसी की मजबूरी को जब ईटीवी भारत ने प्रमुखता से उठाया तो शासन-प्रशासन से मदद के लिए हाथ आगे बढ़ने लगे. उत्तराखंड सरकार ने मंत्री रेखा आर्य को हरिद्वार भेजा ताकि हंसी की तत्काल मदद की जा सके.
हरिद्वार: ईटीवी भारत की ‘हंसी को मदद’ दिलाने की मुहिम आखिरकार सफल हो गई है. ईटीवी भारत की खबर के बाद उत्तराखंड सरकार ने आगे आकर हंसी की मदद का आश्वासन दिया था, जिसके बाद महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास राज्य मंत्री रेखा आर्य आज हंसी प्रहरी से मिलने हरिद्वार के नेहरू युवा केंद्र पहुंचीं और कुमाऊं यूनिवर्सिटी की इस पूर्व मेधावी छात्रा को महिला कल्याण विभाग में कार्य करने का न्यौता दिया. इसके साथ ही उन्होंने इस खबर को सामने लाने के लिये ईटीवी भारत का खास तौर पर धन्यवाद अदा किया.
हंसी ‘दीदी’ से मिलने पहुंची मंत्री रेखा आर्यअपने 6 साल के मासूम बेटे के साथ दर-दर भटक रही हंसी की मजबूरी को जब ईटीवी भारत ने प्रमुखता से उठाया तो शासन-प्रशासन से मदद के लिए हाथ आगे बढ़ने लगे. उत्तराखंड सरकार ने मंत्री रेखा आर्य को हरिद्वार भेजा ताकि हंसी की तत्काल मदद की जा सके..हंसी से बातचीत करते ईटीवी ब्यूरो चीफ किरनकांत शर्मा.
नेहरू युवा केंद्र पहुंचकर मंत्री ने हंसी प्रहरी से खुलकर बात की. उनकी परेशानी के बारे में पूछा और उनकी मांग को लेकर विचार विमर्श किया. बता दें कि रेखा आर्य भी अल्मोड़ा के सोमेश्वर विधानसभा क्षेत्र से संबंध रखती हैं, उसी क्षेत्र से हंसी प्रहरी भी आती हैं. अपने इसी कनेक्शन को ध्यान में रखते हुये मंत्री ने हंसी प्रहरी को ‘दीदी’ कहकर संबोधित किया.हंसी का हालचाल लेतीं रेखा आर्य.हंसी के साथ पूरी बातचीत करने के बाद प्रेस कांफ्रेंस करते हुये मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि उन्होंने हंसी ‘दीदी’ को महिला कल्याण विभाग में नौकरी देने की पेशकश की है. वहां उन्हें पूरा सम्मान, सैलरी और साधन मिलेगा. वहां रहने की व्यवस्था भी रहेगी. बच्चे की अच्छी शिक्षा का ध्यान भी रखा जाएगा. फिलहाल, हंसी का 6 साल का बेटा हरिद्वार से सरस्वती शिशु मंदिर में निशुल्क पढ़ता है, इसके लिये उन्होंने स्कूल के प्रधानाचार्य की प्रशंसा भी की
.हरिद्वार डीएम के निर्देश पर हंसी से मिले एसडीएम
मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि हंसी चाहें तो आज से ही महिला कल्याण विभाग में नौकरी स्वीकार कर सकती हैं. उनको आज से ही सभी सुविधाएं दी जाएंगी, लेकिन क्योंकि हंसी ने खुद इस प्रस्ताव को स्वीकर करने के लिए एक दिन का समय मांगा है तो वो कल (बुधवार) तक अपना पक्ष रखेंगी. हंसी की सुविधा और उनकी मांग का सम्मान करते हुये मुख्यमंत्री ने हरिद्वार में ही उनको नौकरी देने का प्रस्ताव रखा है..
हंसी की वर्तमान स्थिति और उनके मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में सवाल पूछे जाने पर मंत्री ने कहा कि फिलहाल हंसी का स्वास्थ्य सही लग रहा है. उनके साथ काउंसिलर्स, साइकोलॉजिस्ट भी आए हैं. वो भी हंसी से बात कर उनका हाल जानेंगे. उन्होंने कहा कि उनका पहला प्रयास हंसी को शारारिक और मानसिक रूप से मजबूत करना है.गौर हो कि बीते दिन ईटीवी भारत ने हरिद्वार में भीख मांग रही हंसी प्रहरी की खबर को प्रमुखता से दिखाया था. खबर दिखाने के 24 घंटे के अंदर ही सैकड़ों मदद के हाथ उठ खड़े हुये थे.
क्या है हंसी की कहानी?
अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर विधानसभा क्षेत्र के हवालबाग विकासखंड के अंतर्गत गोविंदपुर के पास रणखिला गांव निवासी हंसी बचपन से ही काफी मेधावी रहीं हैं.गांव से छोटे से स्कूल से पास होकर उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया.साल 1998-99 और 2000 वह कुमाऊं विश्वविद्यालय में छात्रा यूनियन की वाइस प्रेसिडेंट बनीं.कुमाऊं विश्वविद्यालय से दो बार एमए की पढ़ाई अंग्रेजी और राजनीति विज्ञान में पास की.कुमाऊं विश्वविद्यालय में ही करीब 4 साल तक लाइब्रेरियन की नौकरी की.इसके बाद उन्होंने 2008 तक कई प्राइवेट जॉब भी की हैं.साल 2011 के बाद हंसी की जिंदगी उथल-पुथल हो गई.शादीशुदा जिंदगी में हुई आपसी तनातनी के बाद हंसी कुछ समय तक अवसाद में रहीं.इसी बीच उनका धर्म की ओर झुकाव भी हो गया.उन्होंने परिवार से अलग होकर धर्मनगरी में बसने की सोची और हरिद्वार पहुंच गईं, तब से ही वो अपने परिवार से अलग हैं.इस दौरान उनकी शारीरिक स्थिति भी गड़बड़ रहने लगी और वह सक्षम नहीं रहीं कि कहीं नौकरी कर सकें.वह साल 2012 के बाद से ही हरिद्वार में भिक्षा मांग कर अपना और अपने 6 साल के बच्चे का लालन-पालन कर रही हैं.उन्होंने अपनी स्थिति को लेकर कई बार मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा. कई बार सचिवालय विधानसभा में भी चक्कर काट चुकी हैं.ईटीवी भारत की खबर के बाद उनकी तरफ सरकार की ओर से मदद पहुंची है.
भाई ने किया संपर्क
खबर प्रकाशित होने के बाद हंसी के भाई अनुराग ने भी ईटीवी भारत से संपर्क किया और बताया कि बहन की ऐसी हालत देख उन्हें बेहद दुख हो रहा है. वो चाहते हैं कि उनकी बहन की स्थिति सुधरे और वह अच्छा जीवन बिताए. भाई ने बताया कि उनकी बहन हंसी ने न केवल खुद पढ़ाई की बल्कि कुमाऊं यूनिवर्सिटी में डबल एमए करने के बाद वहीं पर नौकरी भी की. इतना ही नहीं, जब नौकरी से पैसे आने लगे तो उनकी बहन ने खुद उन्हें सारे सब्जेक्ट दिलवाए, उससे पहले भी उनकी बहन कई जगह पर कार्य कर रही थी.
कई जगह काम करती थी हंसी
हंसी पढ़ाई में इतनी परिपक्व थी कि उनकी नौकरी कई जगह पर लगी. लेकिन परिवार की वजह से उन्हें हर वक्त हर समय ऐसा लगा कि अगर वह पूरा समय नौकरी करेंगे तो परिवार को समय नहीं दे पाएंगे. उनकी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए. अनुराग कहते हैं कि उनकी बहन इतनी परिवार के प्रति समर्पित थी कि वह चाहती थी कि सब की शादी होने के बाद ही वे शादी करेंगीं।
.अचानक 2003 में उनकी जिंदगी में मोड़ आया और पास ही रहने वाले एक सदस्य ने उन्हें एक व्यक्ति से मिलवाया. वह व्यक्ति आर्मी में जेसीओ पद पर तैनात था और उनकी ड्यूटी लखनऊ में थी. लिहाजा पिता के बार-बार मना करने के बावजूद भी उन्होंने मंदिर में शादी करा दी, जिसके बाद हंसी अपने पति के साथ लखनऊ रहने चली गई. लगभग साल या दो साल बाद उनकी बहन की जब वापसी हुई तो उन्होंने साफ कहा कि अभी फिलहाल वह लखनऊ नहीं जाना चाहती हैं. कुछ समय बाद हंसी की एक बेटी भी हुई.बेटी होने के बाद भी हंसी हमेशा लखनऊ वापस जाती रहती थी. यह सिलसिला लगभग 2009 या 2010 तक चलता रहा, जिसके बाद वो घर से ये बोलकर चली गईं कि वह अपने पति के पास जा रही हैं. इस बीच वे समय-समय पर वहां आती रहती थी. बात 2012 या 2013 के बीच की है, जब घरवालों को पता चला कि हंसी को किसी ने हरिद्वार के रेलवे स्टेशन पर सोते हुए देखा है.भाई अनुराग ने बताया कि हंसी को कई बार मोबाइल, नए कपड़े दिये गए, लेकिन वह कुछ भी लेने से मना करती रहीं. उनका यही कहना था कि वह हरिद्वार में शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही हैं. वे भी उनकी बातों का विश्वास करते रहें और साल 2012-13 के बाद हंसी से उनका संपर्क अचानक टूट गया लेकिन वह कुछ सालों बाद फिर से घर पर आना-जाना करती रहीं. उनके परिवार को इस बात का जरा भी पता नहीं था कि वो ऐसी हालत में हैं.