प्रोपर्टी किरायेदारी-विक्रय के हिंदू-मुस्लिम विवाद में कूदे पाक राष्ट्रपति
फ्लैट के विज्ञापन पर विवाद:मुंबई में विज्ञापन में लिखा- मुसलमानों को घर नहीं मिलेगा, पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने भाजपा और संघ पर निशाना साधा
मुंबई 27 अक्तूबर। इसी विज्ञापन को लेकर विवाद हो रहा है। हालांकि, अभी तक विज्ञापन पोस्ट करने वाले उन्मेष पाटिल की ओर से कोई भी बयान सामने नहीं आया है।
मुंबई के खार इलाके में एक थ्री बीएचके फ्लैट किराए पर देने का विज्ञापन विवाद में घिर गया है। फेसबुक पर पोस्ट किए गए इस विज्ञापन में लिखा है कि मुस्लिमों और पालतू जानवर पालने वालों को यह घर किराए पर नहीं दिया जाएगा। इस पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी ने भी आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने ट्वीट करते हुए भाजपा और आरएसएस की विचारधारा पर निशाना साधा है।
पत्रकार राणा अयूब ने कहा- यह रंगभेद नहीं है क्या?
फ्लैट का यह विज्ञापन उन्मेष पाटील ने दिया है। पत्रकार राणा अयूब ने इस विज्ञापन को ट्वीट करते हुए लिखा है कि यह पता मुंबई और बांद्रा के पॉश इलाकों में से एक का है। यह 20वीं सदी का भारत है। मुझे याद कराइए कि हम कम्युनल देश नहीं हैं? मुझे बताइए कि यह रंगभेद नहीं है?
सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में लोगों ने विज्ञापन देने वाले को भलाबुरा कहा, लेकिन कुछ लोगों ने यह कहते हुए बचाव किया कि यह निजी संपत्ति है और मालिक का अधिकार है कि वह फ्लैट किसे किराए पर दे। कुछ लोगों ने ऐसे भी विज्ञापन ट्वीट किए जिसमें मुस्लिमों को ही संपत्ति देने की बात लिखी गई थी।
राणा अयूब ने निजी अनुभव साझा करते हुए लिखा कि उन्हें भी बांद्रा में किराए का घर लेने में परेशानी का सामना करना पड़ा था। उनके नाम से धर्म का पता नहीं चलता, लेकिन जब मकान मालिक उनका उपनाम सुनते तो अलग-अलग बहानों से उन्हें टाल देते।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने इसे RSS की विचारधारा बताया
राणा के इस ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए पाकिस्तान के राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी ने इस विज्ञापन को भाजपा और RSS की विचारधारा से जोड़ दिया। उन्होंने लिखा कि 21वीं सदी में यह आधिकारिक रुप से स्वीकार किया गया भेदभाव है। ऐसा भाजपा और RSS जैसे कट्टर विचारधारा वाले ही इसकी इजाजत दे सकते हैं।
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मुंबई के मकान मालिक ने लिखा- मुस्लिम और पालतू जानवर अलाउड नहीं हैं
कुसुम
lallantopkusum@gmail.com
अक्टूबर 26, 2020 04:59 PM
मुंबई के मकान मालिक ने लिखा- मुस्लिम और पालतू जानवर अलाउड नहीं हैं
राणा अयूब ने एक फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट शेयर किया है, जिसमें कहा गया है कि किराए का घर मुस्लिमों और पालतू जानवरों के लिए उपलब्ध नहीं है.
1947 से पहले की बात है. 200 साल से भी ज्यादा वक्त तक अंग्रेज़ों का गुलाम रहा देश. तब ट्रेनों के फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट में, होटलों में भारतीयों का जाना अलाउड नहीं था. साफ शब्दों में लिखा होता था- Dogs and Indians not allowed. माने कुत्तों और भारतीयों का प्रवेश निषेध.
होटलों, दुकानों के आगे इसी तरह के नोटिस 19वीं सदी में कई जगह लगे मिलते थे. उनमें लिखा होता था- Blacks and Dogs not allowed. अश्वेतों और कुत्तों का अंदर आना मना है.
लेकिन हम अभी ये क्यों बता रहे हैं?
क्योंकि एक फेसबुक पोस्ट वायरल है. इसमें बताया गया है कि किराए के लिए एक घर उपलब्ध है. मुंबई के खार इलाके में ये घर एक लाख 40 हज़ार रुपये में अवेलेबल है. तस्वीरों में बड़ा सुंदर भी लग रहा है. इसमें पार्किंग फैसिलिटी भी है. बस एक दिक्कत है. कैसी दिक्कत?
इस ऐड में लिखा है कि ये घर मुस्लिमों और पेट्स यानी पालतू जानवरों के लिए अवेलेबल नहीं है. इस ऐड का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए पत्रकार राणा अयूब ने लिखा-
“मुस्लिम और पालतू जानवर अलाउड नहीं हैं. ये मुंबई के सबसे पॉश इलाकों में से एक है, बांद्रा. ये 20वीं सदी का भारत है. कोई मुझे बताए कि हम साम्प्रदायिक देश नहीं हैं, कह दो कि ये रंगभेद नहीं है.”
एक और ट्वीट में राणा ने लिखा कि उनकी हाउसिंग सोसायटी ने नफरतभरे ट्वीट करने वाले सिक्योरिटी गार्ड को काम से निकाल दिया. लेकिन महाराष्ट्र में इस तरह की नफरत कैसे बर्दाश्त की जा रही है? राणा ने अपने ट्वीट में महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख, मलाड वेस्ट से विधायक असलम शेख और नवी मुंबई पुलिस को भी टैग किया है.
राणा के इस ट्वीट से कई लोग सहमत नज़र आए. वैष्णा रॉय नाम की एक यूज़र ने लिखा कि वो चेन्नई में घर ढूंढ रही हैं. उनसे सबसे ज्यादा जो सवाल पूछा जाता है, वो ये है कि वो मुस्लिम तो नहीं हैं. उन्होंने लिखा-
‘अगर मैं मुस्लिम होती, तो कई घर मेरे लिए अवेलेबल नहीं होते. ब्रोकर कहते हैं- सॉरी मैडम, मकान मालिक कहते हैं, इसलिए पूछना पड़ता है.’
वहीं कई लोग कुछ और पोस्ट्स निकाल लाए, जिनमें केवल मुस्लिमों के लिए घर उपलब्ध होने की बात लिखी गई थी.
कुछ लोगों ने इस पर लिखा कि ये मकान मालिक का फैसला है कि वो अपना घर किसे और क्यों नहीं देना चाहता. इसे बेवजह मुद्दा नहीं बनाना चाहिए.
वहीं, इस मैटर पर फैसल ने अपना अनुभव शेयर किया. उन्होंने बताया-
“कई बार ऐसा हुआ कि हम घर देखने जाते हैं. मकान मालिक घर दिखाता है. अच्छे से. फिर नाम पूछकर इनकार कर देता है. इससे बुरा लगता है. इसके चलते अब हम केवल ब्रोकर के जरिए ही घर लेते हैं. ये कहकर कि जो भी घर दिखाएं, उसके मकान मालिक से पहले ही साफ-साफ बात कर लें, ताकि बाद में दिक्कत न हो.”