वाल स्ट्रीट जर्नल में भारत विरोधी विज्ञापन के पीछे भगोड़ा

CONTROVERSIAL AD AGAINST MODI GOVERNMENT IN USA NEWSPAPER WALL STREEL JOURNAL
Ad against Modi govt in US : मोदी सरकार के खिलाफ अमेरिकी अखबार में एड, भारत में मची ‘खलबली’

अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल में मोदी सरकार के खिलाफ एक विज्ञापन प्रकाशित किया गया है. यह विज्ञापन ऐसे समय में छापा गया है, जबकि भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अमेरिकी दौरे पर हैं. इसमें भारत की नकारात्मक छवि दिखाने की कोशिश की गई है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के वरिष्ठ सलाहकार ने इस विज्ञापन पर निशाना साधा है. उन्होंने इसे भारत की संप्रुभता पर हमला बताया है.

नई दिल्ली 17 अक्टूबर : मोदी सरकार के खिलाफ अमेरिकी अखबार ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ में एक विज्ञापन छपा है. इस पर विवाद बढ़ता जा रहा है. इस एड में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, ईडी और देवास से जुड़े अधिकारियों और न्यायपालिका से जुड़े कुछ लोगों पर निशाना साधा गया है. उन्हें ‘वॉन्टेड’ की तरह दिखाया गया है. विज्ञापन एक एनजीओ द्वारा प्रायोजित किया गया है.

कंचन गुप्ता ने उठाए सवाल

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में वरिष्ठ सलाहकार कंचन गुप्ता ने इस एड पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि जालसाजों के जरिए अमेरिकी मीडिया का हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाना शर्मनाक है. उन्होंने कहा कि वॉल स्ट्रीट जर्नल में भारत सरकार और भारत को ऐसे निशाना बनाना हैरतअंगेज़ रूप से वीभत्स है.आपको बता दें कि यह विज्ञापन 13 अक्टूबर को प्रकाशित किया गया था. निशाने पर हैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण. वह अभी अमेरिकी दौरे पर हैं. इसमें लिखा गया है कि मिलिए, उन अधिकारियों से जिन्होंने भारत में निवेश करने को ‘असुरक्षित’ जगह बना दिया है. इसका शीर्षक – ‘मोदीज मैग्नित्सकी 11’ रखा गया है.
आपको बता दें कि ‘मैग्नित्सकी’ एक अमेरिकी कानून है. इसे 2016 में बनाया गया था. इसके तहत उन विदेशी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया जाता है, जिसे अमेरिका मानवाधिकार उल्लंघन में शामिल पाता है. क्योंकि वित्त मंत्री अभी अमेरिकी दौरे पर हैं, इसलिए इस विज्ञापन को लेकर खूब चर्चा हो रही है. वित्त मंत्री आज की बैठक में शामिल होने के बाद भारत लौटेंगी.इस एड को ‘फ्रंटियर्स ऑफ फ्रीडम’ नाम की एक संस्था ने प्रायोजित किया है. यह संस्था अपने आप को एक शैक्षिक संस्थान बताती है. विज्ञापन में 11 लोगों के नाम दिए गए हैं. इसमें लिखा गया है कि मोदी सरकार के इन अधिकारियों ने राजनीतिक और व्यापारिक प्रतिद्वंद्वियों से हिसाब चुकता करने के लिए राज्य की संस्थाओं को हथियार के रूप में इस्तेमाल करके कानून का शासन खत्म कर दिया है, भारत को निवेशकों के लिए असुरक्षित बना दिया है. इसमें आगे यह भी लिखा गया है कि इन अधिकारियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाया जाए. उन्हें वीजा जारी न करें.
विज्ञापन में जिनके नाम हैं, वे हैं – वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एन. वेंकटरमन, एंट्रिक्स चैयरमेन राकेश शशिभूषण, सीबीआई डीएसपी आशीष पारिक, ईडी डायरेक्टर संजय कुमार मिश्रा, डिप्टी डायरेक्टर ए. सादिक़ मोहम्मद नैजनार, असिस्टेंट डायरेक्टर आर. राजेश. तीन अन्य न्यायिक अधिकारियों के नाम भी हैं.कंचन गुप्ता ने इसे एक साजिश बताया है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि इस एड के पीछे कौन है, यह किसी से छिपा नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत का भगोड़ा रामचंद्र विश्वनाथन ने इस एड को प्रकाशित करवाया है. विश्वनाथन देवास के सीईओ थे. सुप्रीम कोर्ट ने विश्वनाथन की कंपनी देवास मल्टीमीडिया को भ्रष्टाचार में लिप्त बताया है.

वॉल स्ट्रीट जर्नल
भारत में जहां इसका विरोध शुरू हो गया है वहीं अखबार के संपादकों से माफी की मांग की जा रही है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की वरिष्ठ सलाहकार कंचन गुप्ता ने इस विज्ञापन के लिए देवास मल्टीमीडिया के पूर्व सीईओ रामचंद्रन विश्वनाथन को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं विज्ञापन के सबसे नीचे एक क्यूआर कोड भी है, जिसे स्कैन करने पर अमेरिकी थिंक टैंक फ्रंटियर्स ऑफ फ्रीडम की वेबसाइट खुलती है। जॉर्ज लैंड्रिथ ने विज्ञापन जारी किया है।

केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भी इस पर सवाल उठाए हैं.

केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने उठाए सवाल’फ्रंटियर्स ऑफ फ्रीडम’ के संस्थापक और रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर जॉर्ज लैंड्रिथ ने इस विज्ञापन को ट्वीट किया है. उन्होंने भारत के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की है.

ब्रिटिश मिडिल ईस्ट सेंटर फ़ॉर स्टडीज़ एंड रिसर्च में स्ट्रैटेजिक पॉलिटिकल अफेयर्स के एक्सपर्ट अमजद ताहा ने वॉल स्ट्रीट जर्नल पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट किया कि यह पत्रकारिता नहीं बल्कि मानहानि वाला बयान है। उन्होंने कहा कि यह पत्रकारिता के ख़िलाफ़ एक कलंक है।

अमेरिकी अखबार WSJ में भारत सरकार के खिलाफ छपा दुष्प्रचार वाला विज्ञापन, निवेश न करने की बात कही
ये विज्ञापन का पेज ट्विटर से लिया गया है.

विज्ञापन का ट्वीट

पहले प्रकाशित हो चुके हैं लेख

अमेरिका के अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल और न्यूयॉर्क टाइम्स ने बीते कुछ साल से लगातार मोदी सरकार के खिलाफ अभियान है. इन अखबारों में भारत सरकार के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है और भारत के खिलाफ आने वाले लेखों को भी वरीयता दी जाती है.

हाल ही में भारतीय अर्थव्यस्था ने बनाई नई पहचान

बताते चलें कि भारत ने बीते दिनों ही ब्रिट्रेन को पछाड़कर दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का खिताब अपने नाम किया है. कई वित्तीय संस्थानों की रिपोर्ट्स के मुताबिक, दुनिया में मंदी के बीच भारत की अर्थव्यवस्था 6.1 प्रतिशत की दर से विकास कर रही है.

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