ज्ञान:भारत से निर्यात होने वाला बीफ गौमांस नहीं होता

निर्यात होने वाला ‘बीफ़’ भैंस का मांस है

दिल्ली 1 अक्टूबर 2014 . भारत से होने वाले ‘बीफ’ के निर्यात को लेकर काफी हंगामा रहा है और मांग उठती रही है कि इस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाए. लेकिन भारत से निर्यात होने वाला बीफ़ दरअसल भैंस का मांस है, गोमांस नहीं.

समझा जाता रहा है कि भारत से सबसे ज़्यादा ‘बीफ’ का निर्यात सऊदी अरब या अन्य खाड़ी देशों को होता है. लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकि भारत से बीफ का सबसे ज़्यादा निर्यात वियतनाम और थाईलैंड को होता है.

बीफ़ है भैंस का मांस
बीफ़ निर्यात करने वाली कंपनी ‘मिरहा एक्सपोर्ट्स’ के प्रबंध निदेशक शुआब अहमद के अनुसार यह कहना ग़लत है कि भारत से निर्यात होने वाला ‘बीफ’ गोमांस है.

रेड मीट
वो कहते हैं, “यह पूरी तरह से भैंस का मांस है, जिसका उत्पादन और निर्यात सरकार की देखरेख में ही होता है. हो सकता है कि कुछ निर्यातक ग़ैर क़ानूनी तरीके से गोमांस भी मिलाकर भेज रहे हों. लेकिन सबको एक ही लाठी से नहीं हांका जा सकता है.”

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के आंकड़ों के अनुसार भारत में भैंसों की संख्या 8.8 करोड़ है जो विश्व में भैंसों की कुल आबादी का 58 प्रतिशत है.

और भारत में कुल मिलाकर 24 बूचड़खाने हैं. इनमें से 12 बूचड़खाने केवल निर्यात के लिए हैं.

इसके उत्पादन के मुख्य केंद्र पंजाब, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य हैं.

कहीं पर अपराध कहीं पर नहीं
गाय

वैसे तो गोहत्या भारत में अपराध है लेकिन ये राज्य सरकारों पर निर्भर करता है कि वो गोहत्या संबंधित क़ानून अपने स्तर पर बनाएं.

कुछ इतिहासकारों के मुताबिक प्राचीन भारत में गाय और बैल की बलि का चलन था. लेकिन यह लौकिक और वैदिक संस्कृत का भेद न समझने वालों के बीच का विवाद है.

भारत में मुसलामानों के अलावा ईसाइयों और कुछेक अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के बीच भी गोमांस खाने का चलन रहा है.

फतवा
लेकिन दक्षिण भारत में ‘बीफ फेस्टिवल’ आयोजित करने वाले दलित, आदिवासी, बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन के मोहन धरावत का कहना है कि लोगों को अपना खाना चुनने की आज़ादी होनी चाहिए.

हालांकि गोमांस के सेवन को लेकर भारत में बड़े इस्लामिक इदारों दारुल उलूम देवबंद ने फतवा जारी कर मुसलामानों से हिंदुओं की भावनाओं का सम्मान करने की अपील भी की है.

इस बारे में संस्था ने फ़तवा भी जारी किया है और कहा है कि क़ानून के खिलाफ गाय को काटना ग़ैर इस्लामिक है.

(01 अक्टूबर 2014 BBC का प्रकाशन,लेखक सलमान रावी)

बीफ मतलब सिर्फ गोमांस नहीं,  फिर पर्रिकर के बयान पर क्यों हुई थी 2014 में राजनीति

विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने 2014 में  तत्कालीन गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का इस्तीफा मांगा था. पर्रिकर ने बयान दिया था कि गोवा में बीफ की कोई कमी नहीं है।

विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का इस्तीफा मांगा है. पर्रिकर ने बयान दिया था कि गोवा में बीफ की कोई कमी नहीं है. पर्रिकर ने बीफ के बारे में बोला, लेकिन वीएचपी ने गोमांस पर हंगामा कर दिया. बिना सोचे समझे कि बीफ क्या है और गोमांस क्या है? समझने वाली बात ये है कि क्या बीफ का मतलब गोमांस है? ये सही है या गलतफहमी.

वीएचपी नेता सुरेंद्र जैन ने ट्वीट करके सीएम पर्रिकर का इस्तीफा मांगा है. उन्होंने लिखा, ‘क्या बीजेपी बीफ जॉय पार्टी बन गई है? बीजेपी की छवि पर लगे दाग को मिटाने के लिए पर्रिकर को इस्तीफा देना चाहिए. क्या बीजेपी अब गोमांस पार्टी बनने की दिशा में जा रही है? एकात्म मानवदर्शन अब केवल भाषण का विषय बनकर रह गया है.’

वीएचपी ने पर्रिकर के बीफ वाले बयान को गाय के मांस से जोड़ दिया है.

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दरअसल, गोवा विधानसभा में बीफ की क्वालिटी पर सवाल पूछा गया था. पशुपालन विभाग पर्रिकर के पास है तो उन्होंने इसका जवाब दिया. पर्रिकर ने कहा कि गोवा में हर रोज 2300 से 2400 किलो बीफ की जरूरत पड़ती है. इसे पूरा करने के लिए गोवा में रोजाना 2000 किलो बीफ निकाला जाता है. यानी रोज जितनी जरूरत है, गोवा में उससे करीब 400 किलो कम बीफ का उत्‍पादन होता है.

पर्रिकर ने जानकारी दी कि बाकी का बीफ कर्नाटक से मंगाया जाता है. इस बीफ की क्वालिटी अच्छी हो इसके लिए कर्नाटक से मंगाए जाने वाले बीफ की जांच की जाती है. उन्होंने ये भी कहा कि अगर ज्यादा जानवर लाए जाते हैं तो गोवा के बूचड़खानों में भी उनका मांस निकालने में भी समस्या नहीं है.

पर्रिकर के इसी जवाब को वीएचपी ने सीधे गोमांस से जोड़ दिया. क्या ये सही है? इस पर हम बात करेंगे, लेकिन पहले ये जान लें कि सीएम पर्रिकर ने अपने बयान में क्या कहा था.

गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर
पर्रिकर ने कहा है कि हमने बेलगाम या किसी अन्य जगह से बीफ आने का विकल्प बंद नहीं किया है, ताकि बीफ की कोई कमी नहीं रहे. हम सुनिश्चित करते हैं कि पड़ोसी राज्य से आ रहे बीफ या मीट की जांच सही डॉक्टर या कोई अधिकृत अधिकारी ही करेंगे, ना कि कोई अन्य.

स्पष्ट है कि पर्रिकर का बयान बीफ पर है, लेकिन वीएचपी ने समझा गोमांस. लेकिन, ये गलतफहमी बार-बार क्यों हो रही है? क्या बीफ का मतलब गोमांस है? जवाब हां भी है और न भी है? यानी बीफ गोमांस हो भी सकता है और नहीं भी, इसलिए गलतफहमी होती है.

इसका फायदा कुछ लोग राजनीति चमकाने के लिए करते हैं. इस राजनीति में बीफ की परिभाषा से मदद मिलती है. तो पहले ये समझते हैं कि बीफ शब्द आया कहां से है. अब ये तो हम सभी जानते हैं कि

बीफ मतलब सिर्फ गोमांस नहीं

अंग्रेजी में अलग-अलग तरह के मांस के लिए अलग शब्द हैं. जैसे भेड़ और बकरी के मांस के लिए मटन है, मुर्गे के मांस के लिए चिकन है. इसी तरह से गाय के मांस के लिए बीफ शब्द इस्तेमाल होता है, जो फ्रेंच शब्द ब’अफ़ से लिया गया है. लेकिन मटन की तरह भैंस, बैल और इस तरह के कई पशुओं के मांस को भी बीफ ही कहते हैं. एक बार फिर जान लीजिए कि सिर्फ गाय के मांस को बीफ नहीं कहा जाता. कई तरह के जानवरों के मांस को बीफ कहते हैं.

यानी जब बीफ की बात होती है तो इसका मतलब सिर्फ गोमांस नहीं होता. मगर होता क्या है? जैसे ही कहा जाता है बीफ, गोमांस पर हंगामा शुरू हो जाता है. यही हुआ है मनोहर पर्रिकर के बयान के मामले में भी. वीएचपी के एक नेता ने कह दिया बीजेपी ‘गोमांस पार्टी’ बन रही है.

दरअसल, गोरक्षा आंदोलन यानी गाय को कत्ल से बचाने का आंदोलन मुख्य रूप से वीएचपी का आंदोलन है. वो पूरे देश में गोवध पर रोक लगवाना चाहती है. इसके लिए संविधान का हवाला भी दिया जाता है. बेशक संविधान में गोवध पर रोक का जिक्र है, लेकिन ये क्या है इसे भी समझने की जरूरत है.

गोवध पर रोक: संविधान में क्या है?

संविधान के अनुच्छेद 48 में गोवध पर रोक का जिक्र है, लेकिन रोक लगाना है या नहीं ये मामला पूरी तरह से राज्यों पर छोड़ दिया गया. ऐसा इसलिए है क्योंकि अनुच्छेद 48 संविधान के दिशा निर्देशक सिद्धांतों में आता है यानी वो निर्देश जिनका पालन कैसे करना है इसका फैसला राज्य करते हैं.

अनुच्छेद 48 में कहा गया है कि राज्य ‘कृषि और पशुपालन का विकास वैज्ञानिक सोच पर करें, अच्छी नस्ल के विकास और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए कदम उठाएं, और गाय, बछड़े और दुधारू और खेती में काम आने वाले दूसरे जानवरों का कत्ल रोकें’

जब संविधान बन रहा था तो गोवध पर रोक लगाने वाली इन लाइनों को शामिल करने से पहले बड़ी बहस हुई थी. इसे मूल अधिकार में शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया था. अंत में ऐसा नहीं किया गया. वजह ये थी कि मूल अधिकार नागरिकों के लिए होता है जानवरों के लिए नहीं.

अंत में फैसला ये हुआ कि गाय के कत्ल पर पाबंदी लगानी है या नहीं ये राज्य तय करेंगे. अब देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह का खान पान और संस्कृति है. इसलिए सच ये भी है कि देश के कई राज्यों में गाय का मांस खाने पर पाबंदी नहीं है और कई राज्यों में गोवध पर सख्त सजा है. ताजा विवाद मनोहर पर्रिकर के बीफ वाले बयान पर हुआ है.

राज्यों में स्थिति

लेकिन गोवा में 1978 से ही गोवध पर रोक है. हालांकि, यहां बीफ खाया जाता है. यहां ईसाई और मुस्लिमों की बड़ी आबादी है जो बीफ खाती है. गोवा की तरह ऐसे बहुत से राज्य हैं जहां बीफ में गोमांस खाया जाता है और गोवध पर भी रोक नहीं है. ऐसे राज्यों में शामिल हैं केरल, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्य लेकिन असम में गोवध के लिए कुछ शर्तें निभानी होती है. प्रमाणपत्र लेकर ही यहां गोवध हो सकता है.

पूर्वोत्तर के राज्यों में अकेला मणिपुर है, जहां गोवध पर रोक है लेकिन यहां गोमांस खाने पर पाबंदी नहीं है. कर्नाटक में बूढ़ी और बीमार गायों के वध की इजाजत है. यहां बीफ रखने पर भी कोई पाबंदी नहीं है.

इन राज्यों के अलावा उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत के तमाम राज्यों में गोवध पर पाबंदी है. कुछ राज्यों में बीमार गायों के वध की इजाजत है. कुछ गाय के साथ कृषि वाले पशुओं को भी नहीं मारा जा सकता. वहीं कुछ राज्यों में भैंस का वध हो सकता है.

हालांकि, जहां गोवध पर पाबंदी है, उन राज्यों में कानून तोड़ने पर सख्त सजा भी तय है. ये वो राज्य हैं जहां कहीं और से लाया गया गोमांस भी नहीं खाया जा सकता. जैसे आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और बिहार में गोवध पर प्रतिबंध है. कानून न मानने पर 6 महीने की कैद हो सकती है. गुजरात और छत्तीसगढ़ में गाय, सांड और बैल सभी के वध पर प्रतिबंध है. न मानने पर 7 साल तक की जेल हो सकती है.

हरियाणा, जम्मू कश्मीर और झारखंड में गोवध पर प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर 10 साल तक की कैद हो सकती है. मध्यप्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में भी गोवध पर पाबंदी है. हिमाचल प्रदेश में भी खेती और कृषि में काम आने वाले पशुओं के वध पर प्रतिबंध है. इनके अलावा कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां गोवध पर पाबंदी है लेकिन भैंस के वध पर कोई पाबंदी नहीं है. इन राज्यों में शामिल हैं महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश और दिल्ली.

दिल्ली में कृषि में काम आने वाले सभी पशुओं के वध पर प्रतिबंध है. लेकिन ये प्रतिबंध भैंस पर लागू नहीं है. उत्तरप्रदेश में सील किए हुए बक्से में बीफ लाने की इजाजत है, लेकिन इसे सिर्फ विदेशी नागरिकों के सामने ही परोसा जा सकता है. तमिलनाडु में ऐसे तो गोवध पर प्रतिबंध है लेकिन यहां पर बीफ खाने की इजाजत है.

बीफ के व्यापार में भारत नंबर 1

यानी साफ है कि बीफ को लेकर देश में हर जगह एक जैसे कानून नहीं है. देश के हर राज्य में बीफ का मतलब सिर्फ गाय का मांस नहीं है. देश के कई राज्यों में मांस के लिए भैंस के वध की इजाजत है. इसे भी बीफ ही कहा जाता है. इसका निर्यात भी किया जाता है और भारत तो बीफ के निर्यात में सबसे आगे है.

अमेरिका के कृषि विभाग के आंकड़ों के हिसाब से साल 2014 में बीफ का सबसे ज्यादा कारोबार भारत ने किया. भारत ने विदेशों को 2082 मिट्रिक टन बीफ बेचा. इसके बाद देश में बीफ के खिलाफ माहौल बन गया. इससे बीफ के कारोबार पर भी असर पड़ा. 2016 में भी भारत ने बीफ का सबसे ज्यादा कारोबार किया. हालांकि, इस बार ब्राजील ने भी भारत के बराबर बीफ बेचा. यानी दोनों देश मिल कर सबसे आगे थे. दुनिया के तमाम देशों को बेचा गया 20% बीफ भारत और ब्राजील से गया.

बीफ के व्यापार पर संकट

बीफ के कारोबार से आमतौर पर हर साल 30 हजार करोड़ की कमाई होती है. अप्रैल 2016 से फरवरी 2017 के आंकड़े भी बताते हैं कि बीफ से खूब कमाई हुई. इस दौरान भारत ने कुल 23646 करोड़ रुपये कमाए, लेकिन बीफ को बेच कर आगे भी इतनी ही कमाई होगी ये नहीं कहा जा सकता. एक तो बीफ को गोमांस से जोड़ देने की वजह से बहुत सी गलतफहमियां हो रही हैं. दूसरी बात ये भी है कि बहुत से संगठन कहते हैं कि भैंस भी गोवंश का जानवर है. ये संगठन ताकतवर हैं. एक बड़े वोटबैंक पर इनका असर है. इसलिए सरकारों पर भी इनकी कुछ बातों को मानने का दबाव है.

हाल ही में केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी कर वध के लिए पशुओं की खरीद फरोख्त पर प्रतिबंध लगा दिया था. जिन पशुओं को बेचने खरीदने के लिए रोक लगी थी उसमें गाय, बैल, भैंस बछिया और बछड़े शामिल थे. ये आदेश अगर लागू होता तो पूरे देश में बीफ का व्यापार पूरी तरह से रूक जाता. लेकिन इस आदेश के खिलाफ कई लोग अदालत चले गए.

सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल पशुओं की बिक्री पर रोक वाले आदेश पर रोक लगा दी है. इसलिए गोवा समेत उन तमाम राज्यों में बीफ मिल रहा है, जहां इनकी बिक्री के खिलाफ कोई कानून नहीं है. मगर समझने वाली बात यही है कि कुछ राज्यों को छोड़ दें तो जहां कहीं भी बीफ मिल रहा है वो गोमांस नहीं है. भैंस और कई और पशुओं का मांस भी इसमें शामिल है.

 

Tags: Goa, Manohar parrikar, Goa
: July 19, 2017, 20:53

 

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