पाक के खिलाफ पांच बडे पग,सिंधू जल संधि रोकी,पाकियों को भारत छोडने के आदेश
पाक नागरिकों के वीजा पर रोक, 48 घंटे में देश छोड़ने का अल्टीमेटम… पाकिस्तान के खिलाफ भारत के 5 बड़े फैसले
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है. प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई सीसीएस की बैठक में भारत ने पांच बड़े फैसले लिए हैं. इनमें पाकिस्तान में भारतीय दूतावास और ऑटारी बॉर्डर बंद करना शामिल है. भारत ने इंडस जल संधि रोक पाकिस्तानी राजनयिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने को कहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
नई दिल्ली ,23 अप्रैल 2025,जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में शाम कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की महत्वपूर्ण बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ पांच कड़े फैसले लिए गए. दरअसल, पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हुए. इसके बाद CCS की बैठक बुलाई गई. बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, एनएसए अजित डोभाल, विदेश मंत्री एस जयशंकर मौजूद थे.
इसके बाद बैठक में लिए गए फैसलों को लेकर विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इसमें उन्होंने इन फैसलों की जानकारी दी. सबसे पहला फैसला है कि भारत और पाकिस्तान के बीच स्थित ऑटारी बॉर्डर चेक पोस्ट को बंद किया जाएगा. यह एक बड़ा कदम है जिससे दोनों देशों के बीच सीमित आवाजाही भी रुक जाएगी.
पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने उठाया कठोर कदम
दूसरा फैसला है कि पाकिस्तान में मौजूद भारत का दूतावास अब बंद किया जाएगा. यह कूटनीतिक रिश्तों में एक बड़ा बदलाव है. इसके साथ ही भारत ने तीसरा कड़ा कदम उठाते हुए इंडस वॉटर ट्रीटी (जल संधि) भी रोक दी है. इसका असर पाकिस्तान को काफी बड़े स्तर पर होगा.
चौथा फैसला यह है कि भारत में मौजूद सभी पाकिस्तानी राजनायिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया गया है और पांचवां और महत्वपूर्ण फैसला है कि अब पाकिस्तानियों को भारत का वीजा नहीं मिलेगा.
पाकिस्तानी नागरिकों को भारत आने की अनुमति नहीं
इसके अलावा SAARC वीजा छूट योजना में पाकिस्तानी नागरिकों को भारत आने की अनुमति नहीं होगी. पहले से जारी वीजा निरस्त कर उन्हें 48 घंटे में भारत छोड़ने को कहा गया. नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा, नौसेना और वायुसेना सलाहकारों को पर्सोना नॉन ग्राटा घोषित कर इन्हें एक सप्ताह में देश छोड़ने को कहा गया है.
भारत और पाकिस्तान के उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 की जाएगी. यह बदलाव 1 मई तक पूरा होगा. CCS ने सुरक्षा बलों को सतर्क रहने का निर्देश दिया है और कहा कि हमले के गुनहगारों को सज़ा दिलाई जाएगी.
What Is Indus Water Treaty Which India Suspended With Pakistan After Pahalgam Attack
सिंधु जल संधि क्या है, जिसे भारत ने तोड़ा, क्या यह पाकिस्तान से नए ‘जंग का ऐलान’ है?
भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया है। यह फैसला जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमलों के बाद लिया गया है। इस हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ है। भारत ने साफ कहा है कि वह पाकिस्तान के साथ कोई संबंध नहीं रखना चाहता है।
भारत ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को स्थगित का ऐलान किया है। भारत ने कहा है कि वह पाकिस्तान के साथ इस संधि को अब नहीं ढोएगा। इससे पहले भी मोदी सरकार ने सिंधु जल संधि की समीक्षा की बात कही थी, जिससे पाकिस्तान बिलबिला उठा था। ऐसे में भारत के इस फैसले से पाकिस्तान में तबाही मचना तय माना जा रहा है। पाकिस्तान को सिंधु जल संधि से भारत से बड़े पैमाने पर पानी मिलता है। पाकिस्तान ने बार-बार धमकी दी है कि सिंधु जल समझौते को तोड़ना युद्ध का ऐलान होगा।
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भारत ने सिंधु जल समझौता को स्थगित किया
सिंधु जल संधि क्या है
1960 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अयूब खान ने सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे। इस संधि में, भारत को तीन पूर्वी नदियों – रावी, व्यास और सतलुज – का पानी मिलता है, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों – चिनाब, झेलम और सिंधु का पानी मिलता है। भारत और पाकिस्तान इस पानी का इस्तेमाल हाइड्रो-पावर और सिंचाई जैसे घरेलू उद्देश्यों के लिए कर सकते हैं। समझौते के मुताबिक भारत विविध उद्देश्यों के लिए पश्चिमी नदियों पर भी 3.6 मिलियन एकड़ फुट पानी स्टोर कर सकता है।
समझौते के अनुसार, तीन पूर्वी नदियों ब्यास, रावी और सतलुज का नियंत्रण भारत को, तथा तीन पश्चिमी नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम का नियंत्रण पाकिस्तान को दिया गया. पाकिस्तान के नियंत्रण वाली नदियों भारत से होकर पहुंचती हैं. संधि के अनुसार भारत को उनका उपयोग सिंचाई, परिवहन और बिजली उत्पादन को करने की अनुमति है. इसका मतलब है कि जल का 80% हिस्सा पाकिस्तान चला गया, जबकि शेष 20% जल भारत के उपयोग को छोड़ दिया गया. इन नदियों पर भारत के परियोजनाओं के निर्माण को सटीक नियम निश्चित किए गए. यह संधि पाकिस्तान के डर का परिणाम थी कि नदियों का आधार (बेसिन) भारत में होने से कहीं युद्ध आदि की स्थिति में उसे सूखे और अकाल आदि का सामना न करना पड़े.
भारत ने अब तक रखा धैर्य
1960 में हुए सिंधु जल समझौते बाद से भारत और पाकिस्तान में कश्मीर को लेकर तनाव बना हुआ है. हर प्रकार के असहमति और विवादों का निपटारा संधि के ढांचे के भीतर प्रदत्त कानूनी प्रक्रियाओं से किया गया है. संधि के प्रावधानों के अनुसार सिंधु नदी के कुल पानी का केवल 20% का उपयोग भारत कर सकता है. जब यह संधि हुई थी, तब पाकिस्तान के साथ भारत का कोई भी युद्ध नहीं हुआ था. तब परिस्थिति बिल्कुल सामान्य थी, पर 1965 से पाकिस्तान लगातार भारत के साथ हिंसा के विकल्प तलाशने लगा, जिस में 1965 युद्ध भी हुआ और पाकिस्तान को इस लड़ाई में हार का सामना करना पड़ा. फिर 1971 में पाकिस्तान ने भारत के साथ युद्ध लड़ा, जिसमें उसे अपना एक हिस्सा खोना पड़ा, जो अब बांग्लादेश है. तब से अब तक भारत के खिलाफ पाकिस्तान आतंकवाद और सेना दोनों का इस्तेमाल कर रहा है. मगर भारत ने फिर भी इन नदियों का पानी कभी नहीं रोका.
पाकिस्तान के लिए कैसे झटका
पाकिस्तान में सिंधु, चिनाब, बोलन, हारो, काबुल, झेलम, रावी, पुंछ और कुन्हार नदियां बहती हैं. इसके अतिरिक्त भी यहां कई प्रमुख नदियों का प्रवाह होता है. मगर लाइफलाइन सिंधु नदी है. सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत के मानसरोवर के निकट सिन-का-बाब जलधारा को माना जाता है. यहां से यह नदी तिब्बत और कश्मीर के बीच बहती है. नंगा पर्वत के उत्तरी भाग से घूमकर यह नदी दक्षिण-पश्चिम में पाकिस्तान के बीच से गुजरती है. इस नदी का अधिकांश भाग पाकिस्तान को ही मिलता है. साथ ही, घरों में पीने के पानी से लेकर कृषि के लिए इस नदी का अधिकांश पानी ही इस्तेमाल किया जाता है. इसके अतिरिक्त इस नदी पर पाकिस्तान की कई महत्त्वपूर्ण जल विद्युत परियोजनाएं हैं. ऐसे में इस नदी को पाकिस्तान की राष्ट्रीय नदी का भी दर्जा प्राप्त है. अब आप समझ लीजिए कि अगर भारत ने ये पानी रोक दिया तो क्या होगा? पानी बूंद-बूंद को तरस जाएगा.
पाकिस्तान क्यों परेशान है
पाकिस्तान ने कहा है कि उसे चिंता है कि ये परियोजनाएं चेनाब और झेलम से पानी तक उसकी पहुंच को बाधित करेंगी। हालांकि, अभी तक भारत ने पाकिस्तान की आलोचना को खारिज किया है। संधि के तहत, किसी भी विवाद को पहले दोनों पक्षों के नियुक्त आयुक्त उठा सकते हैं और यदि वे मतभेद हल करने में विफल रहते हैं, तो एक स्वतंत्र, विश्व बैंक के नियुक्त विशेषज्ञ की मदद ली जा सकती है।
पापाकिस्तान ने पहले एक स्वतंत्र विशेषज्ञ की मांग की और फिर वापस ले लिया, इसके बजाय द हेग के वैश्विक विवाद समाधान निकाय, स्थायी मध्यस्थता न्यायालय के निर्णय की मांग की। भारत ने पीसीए के अधिकार क्षेत्र को मान्यता देने से इनकार किया है। उसका तर्क है कि पाकिस्तान ने मतभेद सुलझाने को संधि में निर्धारित तंत्रों का उल्लंघन किया है। उस पृष्ठभूमि के खिलाफ, भारत ने अब कहा है कि बढ़ती आबादी और जलवायु परिवर्तन के दृष्टिगत समझौते पर पुनर्विचार की आवश्यकता है।
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