सैक्सटोर्शन सैंटर मेव इलाका-2 :बच्चों का इस्तेमाल,सोशल मीडिया पर शान बघारने वाले आसान शिकार
सेक्सटॉर्शन के सेंटर राजस्थान के भरतपुर से रिपोर्ट-2:पुलिस से बचने के लिए धंधे में नाबालिग लड़कों का इस्तेमाल; सोशल मीडिया पर बड़ी गाड़ियों, घरों के फोटो डालने वालों को करते हैं टारगेट
भरतपुर 02 जुलाई (पूनम कौशल)सेक्सटॉर्शन से जुड़ी पहली रिपोर्ट में आपने पढ़ा कि कैसे राजस्थान के भरतपुर का मेवात इलाका इस क्राइम का गढ़ बनता जा रहा है। और इससे हो रही ईजी मनी ने मेवात के गांवों पर क्या असर डाला है। घर-घर से हो रहे इस ठगी के धंधे की पड़ताल करने के लिए हम भरतपुर के खोह और सीकरी थाने के कई गांवों में गए।
पहाड़ियों पर बसे इन गांवों में पहुंचना आसान नहीं होता है। किसी बाहरी आदमी को देखकर यहां के लोग चौकन्ने हो जाते हैं।
बड़ी मशक्कत के बाद हमें रेहान और इमरान (बदला हुआ नाम) मिले जो सेक्सटॉर्शन और ऑनलाइन ठगी के बारे में बात करने के लिए राजी हुए। ये दोनों सेक्सटॉर्शन यानी आपत्तिजनक वीडियो बनाकर ब्लैकमेलिंग के काम में शामिल थे, लेकिन अब इस काम को छोड़ चुके हैं। ये दोनों कहानियां इसलिए ताकि आप अपराधियों के काम करने का तरीका समझ सकें और खुद सतर्क रह सकें।
पहली कहानी सेक्सटॉर्शन की, रेहान की जुबानी
‘मैं अनपढ़ हूं। काम धंधा है नहीं। दिन भर खाली डोलता रहता था। फिर रिजवान नाम का एक व्यक्ति मुझे मिला। उसने कहा कि खाली क्यों रहता है। मोबाइल से काम कर। पैसे कमा। रिजवान ने मुझे एक मोबाइल दिया, जिसमें एक सिम पड़ा हुआ था। एक लड़की के नाम की फेसबुक आईडी भी उसमें एक्टिव थी। मुझे क्या करना है, इसके लिए चार-पांच दिन की ट्रेनिंग भी दी।
मुझे बताया गया कि फेसबुक पर ऐसे लोगों को निशाना बनाना है, जिनकी फ्रेंड लिस्ट बड़ी हो और जो बड़ी गाड़ी, घर के फोटो वगैरह ज्यादा डालते हों। अंग्रेजी में हाय, हैलो और कुछ बातें भी मुझे रटाई गईं। फेसबुक पर आम लोग अपनी फोटो डाल देते हैं। हम फोटो पर कमेंट करते हैं। यदि उधर से लाइक आ गया तो मतलब है कि उस बंदे को फंसाया जा सकता है।
रिजवान ने हमें लड़कियों के वीडियो दिए थे, जिन्हें हम चैट पर लोगों को भेजते थे। कॉल करते हुए हम दो मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं। एक में लड़की का न्यूड होते हुए वीडियो चल रहा होता है और दूसरे के कैमरा का फोकस उस पर होता है। सामने वीडियो कॉल पर होने वाले बंदे को लगता है कि वो किसी लड़की से वीडियो पर चैट कर रहा है। इसी दौरान उसकी किसी आपत्तिजनक हरकत को हम रिकॉर्ड कर लेते थे। फिर उसे कॉल की जाती थी। जैसा बंदा फंसता था, उससे वैसे पैसे लिए जाते थे। शुरू में पांच हजार से दो लाख रुपए तक मांगे जाते हैं।
हम लोगों को रिजवान ने एक बैंक अकाउंट का नंबर भी दिया था। पैसे उसी में आते थे। कई बार जिसके अकाउंट में पैसे आते थे, वही बड़ा हिस्सा रख लेता था। हमें जितना पैसा मिलता था, उसमें 20 % रिजवान को देना पड़ता था। मेरे जैसे कई लड़के रिजवान के लिए काम करते थे। बाद में ऐसे मामलों को लेकर अक्सर गांव में पुलिस आने लगी और मेरे परिवार को भी इसका पता चला गया। फिर मैंने ये काम छोड़ने का फैसला कर लिया।’
भरतपुर के एसपी देवेंद्र कुमार बिश्नोई बताते हैं कि राजस्थान और हरियाणा के मेवात इलाके में ठगी पहले भी होती रही है। अब नए जमाने में इसने सेक्सटॉर्शन और ऑनलाइन ठगी का रूप ले लिया है। यूपी, हरियाणा और राजस्थान का बॉर्डर होने के कारण अपराधी आसानी से एक राज्य से दूसरे में चले जाते हैं, जिससे पुलिस को काफी मुश्किलें आती हैं।
भरतपुर के एसपी देवेंद्र कुमार बिश्नोई बताते हैं कि राजस्थान और हरियाणा के मेवात इलाके में ठगी पहले भी होती रही है। अब नए जमाने में इसने सेक्सटॉर्शन और ऑनलाइन ठगी का रूप ले लिया है। यूपी, हरियाणा और राजस्थान का बॉर्डर होने के कारण अपराधी आसानी से एक राज्य से दूसरे में चले जाते हैं, जिससे पुलिस को काफी मुश्किलें आती हैं।
दूसरी कहानी ऑनलाइन ठगी की, इमरान की जुबानी
खोह थाना क्षेत्र का रहने वाले इमरान (बदला हुआ नाम) अभी 12वीं क्लास में है। वो ओएलएक्स और फेसबुक मार्केट प्लेस पर फर्जी एड पोस्ट करके लोगों को ठगता था। अब उसने ये धंधा छोड़ दिया है। वह बताता है, ‘मैंने ऑनलाइन ठगी का काम कुछ दिनों तक किया था। एक बार अकेले ही मैंने एक आदमी से एक लाख रुपए ठगे, लेकिन वो पूरा पैसा मुझे नहीं मिला, अधिकतर पैसा जिस अकाउंट में मंगवाया गया था, उन्होंने ही रख लिया।’
अपनी मोडस ऑपरेंडी बताते हुए इमरान कहता है कि ‘हम भारतीय सेना के अधिकारियों और जवानों के फर्जी वॉट्सऐप प्रोफाइल बनाते हैं। फिर हम ओएलएक्स और मार्केटप्लेस पर बहुत सस्ते दामों में प्रोडक्ट का एड देते हैं। जब लोग हमें कॉन्टैक्ट करते हैं तो आर्मी अफसर बनकर बात करते हैं। हम उनसे कहते हैं कि ट्रांसफर की वजह से सामान सस्ती दरों पर बेच रहे हैं। एक बार बंदा फंस जाता है तो हम सामान पहुंचाने के नाम पर पैसे ऐंठ लेते हैं।’
इमरान बताता है कि ‘मैं तो यह धंधा अकेले ही करता था, लेकिन कई लोग ग्रुप बनाकर ये काम करते हैं। कोई कस्टमर केयर वाला बन जाता है और कोई ट्रांसपोर्ट मैनेजर। लोग लालच की वजह से फंस जाते थे। अब फर्जी एड वाला धंधा कम हो गया है, क्योंकि कंपनियां भी अब आसानी से एड पोस्ट नहीं करने देती हैं।’
अपराध का नया पैसा यहां के गांवों में साफ नजर आता है। सेक्सटॉर्शन और ऑनलाइन ठगी से जुड़े रेहान और इमरान के हैंडलर रिजवान का पाडला गांव में तीन मंजिला घर है जिसके बाहर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, लेकिन इस बारे में बात करने से लोग कतराते हैं। गांव के बहुत सारे लोग तो सेक्सटॉर्शन और ऑनलाइन ठगी को अपराध ही नहीं मानते हैं।
ये भरतपुर के एक पुलिस अधिकारी के मोबाइल का वॉट्सऐप है। भरतपुर पुलिस के मुताबिक, अलग-अलग राज्यों की पुलिस की तरफ से उनके पास महीने में करीब 50 सेक्सटॉर्शन और ऑनलाइन ठगी के केस आते हैं
पुलिस के सामने क्या दिक्कतें हैं
इस पूरे नेटवर्क के तार खंगालते-खंगालते हम भरतपुर के खोह थाने पहुंचते हैं। पता चलता है कि थाने के एसएचओ धारा सिंह मीणा और उनकी टीम ने उत्तराखंड पुलिस के साथ मिलकर उत्तराखंड के DGP की फर्जी फेसबुक प्रोफाइल बनाने वाले इरशाद, अरशद और जाहिद को गिरफ्तार किया है। उत्तराखंड पुलिस बताती हैं कि ये इतने शातिर अपराधी हैं कि इन्हें गिरफ्तार करने के लिए हमें 2200 किलोमीटर का सफर करना पड़ा।
हम भरतपुर के पुलिस अधीक्षक देवेंद्र कुमार बिश्नोई से मेवात के इस इलाके में सेक्सटॉर्शन के धंधे के पनपने और पुलिस की मुश्किलों के बारे में बात करते हैं। जिससे कुछ बातें साफ होती हैं-
टटलूबाजी यानी ठगी इस इलाके में पहले से अलग-अलग तरीकों से होती रही है। अब इसका रूप बदलकर ऑनलाइन ठगी और सेक्सटॉर्शन हो गया है।
भरतपुर जिले की सीमाएं यूपी के मथुरा, राजस्थान के अलवर और हरियाणा के नूंह से लगती हैं। मेवात का इलाका इन तीनों राज्यों में फैला है। बॉर्डर एरिया होने से सेक्सटॉर्शन जैसे क्राइम करने वाले अपराधी बड़ी आसानी से एक राज्य से दूसरे राज्य में चले जाते हैं। जिससे उन्हें पकड़ना आसान नहीं होता है।
इलाके की भौगोलिक स्थिति भी अपराधियों की मदद करती है। पहाड़ी की तलहटी में बसे गांवों में पुलिस का पहुंचना आसान नहीं होता है।
मेवात के इन गांवों में ट्रक ड्राइवर भी बड़ी तादाद में हैं। इनकी मदद से भी अपराधी साइबर क्राइम के बाद किसी ट्रक पर क्लीनर या ड्राइवर बनकर ट्रांसपोर्ट वाहन पर चले जाते हैं और उनकी तलाश में पुलिस को भटकना पड़ता है।
कानून से बचने के लिए धंधे में नाबालिग लड़कों का इस्तेमाल
भरतपुर के सहायक इंस्पेक्टर चंद्र प्रकाश के वॉट्सऐप पर दिनभर बाहरी राज्यों की पुलिस टीमों के संदेश आते रहते हैं। अभी उनके पास 50 से अधिक एक्टिव केस हैं, जिनमें अपराधियों की तलाश की जा रही है।
वे बताते हैं कि ‘सेक्सटॉर्शन के मामलों में कॉल करने वाले जो युवा पकड़े जाते हैं, उनमें से बड़ी संख्या नाबालिग लड़कों की होती है। इससे मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी करने में मुश्किल आती है और अगर ये लड़के गिरफ्तार हो भी जाएं तो बहुत जल्द छूट भी जाते हैं। नाबालिग लड़कों का इस्तेमाल इस धंधे में जानबूझकर किया जा रहा है ताकि खुलासे पर भी पुलिस कोई सख्त कार्रवाई न कर सके।’
एक उदाहरण देते हुए खोह थाने के एसएचओ धारा सिंह मीणा बताते हैं कि ‘गुजरात के एक कारोबारी को न्यूड वीडियो कॉल से ब्लैकमेल किया जा रहा था। गुजरात पुलिस की टीम के साथ मिलकर हमने बड़ी मेहनत से अपराधी को पकड़ा। वो एक नाबालिग था। पीड़ित बिना मुकदमा दर्ज कराए ही अपना वीडियो डिलीट कराकर वापस लौट गए।’
सेक्सटॉर्शन जैसे क्राइम से आसानी से आए पैसे का असर भरतपुर के मेवात के गांवों में दिखता भी है। दस साल पहले कच्चे मकानों वाले गांवों में अब बड़े-बड़े पक्के मकान और कारें नजर आती हैं।
दस्तावेज जुटाने के लिए सरकारी योजनाओं के फर्जी कैंप तक लगाए जाते हैं
सेक्सटॉर्शन या ऑनलाइन स्कैम की शुरुआत फर्जी दस्तावेजों पर हासिल की गई सिमकार्ड से होती है। इस पूरे क्षेत्र में बिना दस्तावेज के सिम खरीदना कोई मुश्किल काम नहीं हैं। लेकिन ऐसा स्थानीय लोग ही कर पाते हैं। बाहरी व्यक्ति को देखते ही सिम बेचने वाले भी सशंकित हो जाते हैं।
मैंने एक दुकान से खुद फर्जी दस्तावेज वाला सिम देने को कहा तो साफ मना कर दिया गया, लेकिन एक स्थानीय व्यक्ति की मदद से हमें बिना कोई दस्तावेज दिए ही एक हजार रुपए में एक्टिव सिम मिल गया।
खोह थाने के एसएचओ धारा सिंह मीणा कहते हैं, ‘हाल ही में हमने एक डीलर को सौ से अधिक सिम कार्ड के साथ पकड़ा था। जांच की तो पता चला कि फर्जी सिम के धंधे में मोबाइल कंपनियों के कर्मचारी भी शामिल हैं। एक अभियुक्त ने बताया कि पहले वो टेलिकॉम कंपनी में एरिया मैनेजर था, इजी मनी के लिए फर्जी सिम बेचने का काम शुरू कर दिया।’
इस तरह के मामले भी सामने आए हैं कि दस्तावेज हासिल करने के लिए अपराधियों ने राशनकार्ड या बीपीएल कार्ड बनाने के फर्जी कैंप लगाकर बड़ी संख्या में अनजान लोगों के डॉक्युमेंट्स हासिल कर लिए। पुलिस अधिकारी कहते हैं कि सिम जारी होने पर मोबाइल कंपनियां जब तक सख्ती नहीं करेंगी, तब तक सेक्सटॉर्शन जैसे क्राइम को पूरी तरह खत्म कर पाना बहुत मुश्किल है।