निर्णायक डील: जीई-एफ 414 जेट इंजन बनेंगें भारत में, एशिया में भारतीय वायुसेना का वर्चस्व
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100 इंजनों की गड़गड़ाहट से थर्राएगा चीन, मोदी ने अमेरिका में कर दी वायुसेना के लिए बूस्टर डील
प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा कई मायनों में निर्णायक साबित हुई है। भारत और अमेरिका के बीच रक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक डील हुई है। इन दो देशों के बीच GE-F414 इंजन को लेकर ऐतिहासिक समझौता हुआ है और इसे मील का पत्थर माना जा रहा है। इस डील के बाद भारतीय वायुसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी।
नई दिल्ली 22 जून: रूस, ब्रिटेन, अमेरिका और फ्रांस ये दुनिया के वो देश हैं जिनके पास लड़ाकू विमानों में खास तरह के इंजन को बनाने की महारत हासिल है। अमेरिका और भारत के बीच एक ऐसी डील हुई है जिसके बाद भारत के पास खास भी ऐसे घातक जेट इंजन होंगे। इस डील के बाद भारतीय वायु सेना की ताकत आने वाले वक्त में कई गुना बढ़ जाएगी। इस डील में GE एयरोस्पेस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड लड़ाकू जेट इंजन तैयार करेंगे। इस डील की सबसे बड़ी बात है कि GE-F414 का संयुक्त प्रोडक्शन भी होगा। इस इंजन की खास बात है कि यह एक बार में 98 किलोन्यूटन की ताकत पैदा करता है। यह डील भारत के लिए कितनी फायदेमंद है और इस डील के बाद चीन और पाकिस्तान क्यों टेंशन में हैं।
अमेरिका के साथ हुआ बड़ा करार, वायुसेना की बढ़ेगी ताकत
अमेरिकी कंपनी GE एयरोस्पेस ने भारतीय वायु सेना के हल्के लड़ाकू विमान (LCA)-MK-2 तेजस के जेट इंजन के संयुक्त उत्पादन के लिए हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ करार किया है। GE एयरोस्पेस के CEO एच लॉरेंस कल्प जूनियर ने कहा यह ऐतिहासिक समझौता है। भारत और एचएएल के साथ गठजोड़ के कारण यह संभव हुआ है। भारतीय वायु सेना के एलसीए-एमके-2 लिए 99 इंजन का निर्माण करने की ओर ऐतिहासिक कदम है। यह समझौता महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि भारत अभी तक रूस और यूरोपीय गठजोड़ से सैन्य जेट प्राप्त करता रहा है।
भारत में ही बनेंगे लड़ाकू विमानों के इंजन:GE और HAL के बीच समझौता हुआ, मोदी-बाइडेन ड्रोन सौदे का ऐलान करेंगे
फाइटर प्लेन तेजस में अब भारत में बने GE कंपनी के इंजन लगाए जाएंगे।
अमेरिका की GE एयरोस्पेस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच फाइटर प्लेन के F414 इंजन बनाने का समझौता हो गया है। इसमें अब भारतीय लड़ाकू विमानों के इंजन भारत में ही बनेंगे। पहले GE इन्हें सप्लाई करती थी। GE ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के समय हुए इस समझौते को ऐतिहासिक बताया है।
इधर न्यूज एजेंसी ANI ने व्हाइट हाउस के हवाले से जानकारी दी है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधानमंत्री मोदी के साझा बयान में भारत को हथियारबंद ड्रोन बेचे जाने का ऐलान होगा।
डील से भारत के Mk2 प्रोग्राम को होगा फायदा
GE ने बताया है कि डील से दोनों देशों को इकोनॉमिक और सुरक्षा से जुड़े फायदे होंगे। GE और HAL में हुई डील भारतीय एयरफोर्स के हल्के लड़ाकू विमान बनाने के प्रोग्राम Mk2 में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे पर भारत और अमेरिकी कंपनियों के बीच कई समझौते होंगे।
इसके अलावा भारत में एलन मस्क ने भी टेस्ला की फैक्ट्री लगाने की बात कही है। कल प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद मस्क ने कहा था कि वे साल के आखिर तक भारत में टेस्ला फैक्ट्री को लोकेशन फाइनल कर लेंगे। उन्होंने स्टारलिंक को भी भारत लाने की उम्मीद जताई। इससे भारत के दूरदराज के गांवों तक इंटरनेट पहुंचाने में मदद मिल सकती है।
नासा के स्पेस प्रोग्राम आर्टेमिस अकॉर्ड से जुड़ेगा भारत
अमेरिका के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक भारत नासा के चांद पर जाने को तैयार किए गए मिशन आर्टेमिस अकॉर्ड को साइन करेगा। इसकी घोषणा भी बाइडेन और प्रधानमंत्री मोदी कर सकते हैं। इसके अलावा माइक्रोन टेक्नोलॉजी और भारत नेशनल सेमीकंडक्टर मिशन मिलकर भारत में सेमीकंडक्टर बनाने को 800 मिलियन डॉलर निवेश करेंगे। भारत सरकार की तरफ से भी 2.75 बिलियन डॉलर की टेस्ट फैसिलिटी सेटअप की जाएगी।
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GE-F414, आखिर क्या है इसकी विशेषता
GE-F414 इंजन, यह मिलिट्री एयरक्राफ्ट इंजन का हिस्सा है। अमेरिका में इसका 30 सालों से इस्तेमाल हो रहा है। जनरल इलेक्ट्रिक एयरोस्पेस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक कंपनी अब तक 1600 से अधिक इंजन डिलीवर कर चुकी है। GE-F414 इंजन इसलिए भी खास है क्योंकि इसमें फुल अथाॉरिटी डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल FADEC सिस्टम लगा है। साथ ही लेटेस्ट एयरक्राफ्ट इग्नीशन सिस्टम भी लगा है। यह इंजन को काफी पावरफुल बनाता है। दूसरे इंजन के मुकाबले अधिक चलता है। भारत ने क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन बनाने में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है लेकिन उसके पास इस तरह की टेक्नोलॉजी नहीं है। जिन देशों के पास इसे बनाने की तकनीक है वह इसे दूसरे देशों के साथ शेयर नहीं करते। ऐसे में यह भारत और अमेरिका के बीच यह डील काफी महत्वपूर्ण है।
पूरे एशिया में भारत छोड़ देगा सबको पीछे
भारत आधे से अधिक अपनी सैन्य आपूर्ति रूस से करता है। अमेरिका की कोशिश है कि इसे कम किया जाए। चीन के साथ अमेरिका और भारत दोनों के ही रिश्ते ठीक नहीं है। दोनों के देशों के बीच इसको लेकर उस वक्त यह कदम उठाया गया है जब चीन एलएसी के साथ ही दक्षिण चीन सागर में भी अपनी ताकत दिखा रहा है। इस डील के बाद सैन्य जेट के मामले में भारत एशिया का सबसे ताकतवर देश हो जाएगा। चीन इस तरह के सैन्य जेट के लिए रूस पर निर्भर है।
इस डील के बाद भारतीय वायु सेना के पास अधिक समय तक चलने वाले जेट इंजन होंगे। भारत अभी तक रूस से जो जेट इंजन लेता है उसमें जल्द ओवरहाल की जरूरत होती है। वहीं जेट इंजन को कई हजार घंटों बाद ओवरहाल की जरूरत पड़ेगी। डिफेंस एक्सपर्ट का कहना है कि जीई इंजन हल्के और अधिक शक्तिशाली हैं।