कांग्रेस हार रही थी बिहार, राहुल-प्रियंका मना रहे थे छुट्टी
बिहार में हार पर रार:कपिल सिब्बल बोले- कांग्रेस ने शायद हर हार को नियति मान लिया, लीडरशिप को सब ठीक लग रहा है
सिब्बल का कहना है कि बिहार और उप-चुनावों के नतीजों से ऐसा लग रहा है कि देश की जनता कांग्रेस को प्रभावी विकल्प नहीं मान रही।
नई दिल्ली 16 नवंबर। बिहार चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन पर पार्टी नेता कपिल सिब्बल ने टॉप लीडरशिप यानी सोनिया और राहुल गांधी पर निशाना साधा है। सिब्बल ने कहा कि पार्टी ने शायद हर चुनाव में हार को ही नियति मान लिया है।
सिब्बल ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा, “बिहार के चुनावों और दूसरे राज्यों के उप-चुनावों में कांग्रेस की परफॉर्मेंस पर अब तक टॉप लीडरशिप की राय तक सामने नहीं आई है। शायद उन्हें सब ठीक लग रहा है और इसे सामान्य घटना माना जा रहा है। मेरे पास सिर्फ लीडरशिप के आस-पास के लोगों की आवाज पहुंचती है। मुझे सिर्फ इतना ही पता होता है।”
‘जनता शायद कांग्रेस को असरदार नहीं मान रही’
सिब्बल का कहना है कि बिहार और उप-चुनावों के नतीजों से ऐसा लग रहा है कि देश की जनता कांग्रेस को प्रभावी विकल्प नहीं मान रही है। गुजरात उपचुनाव में हमें एक सीट नहीं मिली। लोकसभा चुनाव में भी यही हाल रहा था। उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में कुछ सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को 2% से भी कम वोट मिले। गुजरात में हमारे 3 कैंडिडेट्स की जमानत जब्त हो गई।
‘पार्टी लीडरशिप कमजोरियों को कबूलना नहीं चाहती’
सिब्बल ने कहा कि पार्टी ने 6 सालों में आत्ममंथन नहीं किया तो अब इसकी उम्मीद कैसे कर सकते हैं? हमें कमजोरियां पता हैं, यह भी जानते हैं संगठन के स्तर पर क्या समस्या है। शायद समाधान भी सबको पता है, लेकिन इसे अपनाना नहीं चाहते। अगर यही हाल रहा तो पार्टी को नुकसान होता रहेगा। कांग्रेस की दुर्दशा से सबको चिंता है।
‘कांग्रेस वर्किंग कमेटी में सुधार की जरूरत’
सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) के मेंबर नॉमिनेटेड हैं। CWC को पार्टी के कॉन्स्टीट्यूशन के मुताबिक डेमोक्रेटिक बनाना होगा। आप नॉमिनेटेड सदस्यों से यह सवाल उठाने की उम्मीद नहीं कर सकते कि आखिर पार्टी हर चुनाव में कमजोर क्यों हो रही है?
सिब्बल पहले भी पार्टी लीडरशिप पर सवाल उठा चुके हैं
सिब्बल समेत कांग्रेस के 24 नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में बड़े बदलाव करने की जरूरत बताई थी। अगस्त में हुई CWC की मीटिंग में इस चिट्ठी को लेकर हंगामा भी हुआ था। राहुल गांधी ने चिट्ठी लिखने वाले नेताओं को भाजपा के मददगार बता दिया था।
हम हार रहे, राहुल-प्रियंका छुट्टी मना रहे: बिहार पर कॉन्ग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया को लिखा पत्र
गाँधी परिवार की मिल्कियत कॉन्ग्रेस के लिए बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे बड़ी मुसीबत बनकर उभरे हैं। खुद को देश की सबसे पुरानी पार्टी बताने वाली कॉन्ग्रेस की हैसियत अब उसके क्षेत्रीय सहयोगियों के लिए वोटकटुवा जैसी हो गई है।
बिहार चुनावों में विपक्षी गठबंधन जिसमें राजद, कॉन्ग्रेस और वामपंथी दल शामिल थे, को 110 सीटें मिली है। 15 साल की सत्ता विरोधी नाराजगी के बावजूद एनडीए 125 सीटों के साथ सरकार में वापसी करने में सफल रही है। इसकी एक वजह कॉन्ग्रेस का प्रदर्शन भी माना जा रहा जो 70 सीटों पर लड़कर केवल 19 ही जीत पाई।
इस प्रदर्शन के बाद से न केवल सहयोगी कॉन्ग्रेस से उखड़े है, बल्कि पार्टी के भीतर कलह तेज हो गई है। पहले विधायक दल का नेता बनने के लिए दो विधायकों के समर्थक बैठक में भिड़ गए थे। अब कहा जा रहा है कि पार्टी के 23 वरिष्ठ नेताओं ने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि कॉन्ग्रेस कार्यसमिति की तुरंत बैठक बुलाकर बिहार में चुनावी असफलता पर चर्चा की जाए। कथित तौर पर पत्र में पार्टी में संगठनात्मक चुनाव की भी माँग की गई है।
वहीं अब मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई है कि 23 वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेताओं ने पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी को एक पत्र लिख बिहार में हुए चुनाव पर चर्चा के लिए तत्काल सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाने की माँग की है। उन्होंने कथित तौर पर चुनाव को मद्देनजर पार्टी अध्यक्ष पद के लिए संगठनात्मक चुनावों की माँग भी की है।
रेडिफ पर प्रकाशित आर राजगोपालन की रिपोर्ट में बताया गया है कि सीडब्ल्यूसी के पाँच सदस्यों ने इस पत्र के लिखे जाने की पुष्टि की है। कथित तौर पर पत्र में इस बात पर जोर दिया गया है कि जब बिहार चुनाव प्रचार चरम पर था और यहाँ तक कि जिस दिन नतीजे आने थे, उस दिन भी पार्टी का नेतृत्व करने की बजाए राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी वाड्रा शिमला और देहरादून में छुट्टियॉं मना रहे थे।
पत्र में बिहार की चुनावी असफलता के संदर्भ में कॉन्ग्रेस नेताओं द्वारा कई तरह की चिंता जताई गई है। साथ ही अहमद पटेल के कोरोना संक्रमण और महामारी के कारण नई दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय 24, अकबर रोड में राजनीतिक गतिविधियाँ ठप होने को लेकर भी चिंता जाहिर की गई है।
पत्र में राहुल और प्रियंका के नेतृत्व में भरोसे की कमी भी दिखाई पड़ती है। हालाँकि सीडब्ल्यूसी ने संगठनात्मक चुनाव के संकेत दिए हैं, पर पार्टी से जुड़े लोगों को आशंका है कि फिर से सब कुछ सर्वसम्मति का हवाला देकर निपटा दिया जाएगा।
रेडिफ ने एक वरिष्ठ नेता के हवाले से कहा, “क्या इस तरह की लापरवाही कोई और पार्टी दिखाई सकती है जिसका राष्ट्रीय प्रभाव हो?” रिपोर्ट में एक अन्य नेता के हवाले से पार्टी में पैदा शून्य को लेकर कहा गया है, “कॉन्ग्रेस केवल प्रवक्ताओं के टेलीविजन बहस के आसरे चल रही है।”
रिपोर्ट के अनुसार, पिछली बार की तरह इस बार भी गुलाम नबी आज़ाद ने पत्र तैयार करने और उसे पहुँचाने का बीड़ा उठाया है। पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने कहा, “हम युवा नेताओं के पास कोई रास्ता नहीं बचा है, सिर्फ विचारधारा की वजह से हम कॉन्ग्रेस के साथ है।”
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब असंतुष्ट नेताओं ने सोनिया गाँधी को राहुल गाँधी के नेतृत्व को लेकर पत्र लिखा है। इसी तरह का एक पत्र अगस्त में भी लिखा गया था।
2019 के आम चुनावों में हार और पार्टी के लगातार गिरते स्तर को देखते हुए 1 साल बाद पूर्व मुख्यमंत्रियों, कई कॉन्ग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों, सांसदों और कई पूर्व केंद्रीय मंत्रियों सहित 23 वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेताओं ने अंतरिम पार्टी प्रमुख सोनिया गाँधी को पत्र लिख पूरी पार्टी में निचले से ऊपरी स्तर पर बदलाव की माँग की थी।
इस पत्र ने कॉन्ग्रेस पार्टी के भीतर हंगामा मचा दिया था। जिसके बाद पूर्व कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने कथित तौर पर कॉन्ग्रेस के दिग्गज नेताओं पर भाजपा के साथ मिलीभगत का आरोप लगा दिया था। हालाँकि बाद में उन्होंने इस बात से इनकार कर दिया था।
अगस्त में कॉन्ग्रेस नेताओं द्वारा लिखा गया पत्र यहाँ पढें।