हैदराबाद को भाग्यनगर बनाने को लायें भाजपा: योगी
असदुद्दीन औवेसी को उसके ही घर में मात देकर बड़ा संदेश देना चाहती थी भाजपा, जानें आगे का प्लान
हैदराबाद के स्थानीय चुनाव में भाजपा ने झौंकी ताकत
ओवैसी के गढ़ में गरजे योगी, हैदराबाद को भाग्यनगर बनाने के लिए आया हूं
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के हैदराबाद दौरे के बाद अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी राज्य के मल्काजगीरी में रोड शो किया. रोड शो के बाद वह शाहआली बण्डा में जनसभा को संबोधित करेंगे.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ.
रोड शो के बाद मुख्यमंत्री योगी करेंगे पार्टी नेताओं संग बैठक
जेपी नड्डा के बाद मुख्यमंत्री योगी पहुंचे हैदराबाद
150 सीटों पर होना है चुनाव
हैदराबाद 27 नवंबर। हैदराबाद में होने वाले निकाय चुनाव को लेकर बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है. भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के हैदराबाद दौरे के बाद अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी राज्य के मल्काजगीरी में रोड शो किया.योगी ने रोड शो के दौरान कहा कि ‘हम सबको तय करना है कि एक परिवार और मित्र मंडली को लूटखसोट की आजादी देनी है या फिर हैदराबाद को भाग्यनगर बनाकर विकास की नई बुलंदियों पर ले जाना है. मित्रों ये आपको तय करना है.”
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कुछ लोग पूछ रहे थे कि क्या हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर किया जाएगा? मैंने कहा- क्यों नहीं, भाजपा के सत्ता में आने पर जब फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या हो गया,इलाहाबाद का नाम प्रयागराज हो गया तो फिर हैदराबाद का नाम भाग्यनगर क्यों नहीं हो सकता है.’
उन्होंने कहा कि ‘मैं जानता हूं, यहां की सरकार एक तरफ जनता से लूटखसोट कर रही हो तो वहीं, AIMIM के बहकावे में आकर भाजपा कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न कर रही है.’ इन लोगों से लड़ाई लड़ने को आप लोगों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को भगवान श्री राम की धरती से मैं स्वयं यहां आया हूं.”
भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बाद शनिवार को योगी आदित्यनाथ चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे. राज्य में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का भी दौरा होना है. भाजपा पूरी ताकत के साथ निकाय चुनाव में मैदान में उतरी है. 150 सीटों वाले ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन को भाजपा ने पूरा दम लगा रखा है, वहां पहले से ही तेजस्वी सूर्या प्रचार की कमान संभाले हुए हैं.
मुख्यमंत्री योगी के दौरे से पहले AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और उनके छोटे भाई अकबरुद्दीन ओवैसी ने भी भाजपा पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा था,ओवैसी ने कहा कि अगर भाजपा सर्जिकल स्ट्राइक करेगी तो एक दिसंबर को वोटर्स डेमोक्रेटिक स्ट्राइक करेंगे. वहीं,अकबरुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ना योगी से डरेंगे ना चाय वाले से,जितना इस मुल्क पर मोदी का हक है,उतना ही अकबरुद्दीन का हक है.
विधानसभा की तैयारी में बीजेपी!
हैदराबाद निकाय चुनाव में चार प्रमुख पार्टियां हिस्सा ले रही हैं, टीआरएस, कांग्रेस,AIMIM और बीजेपी, मगर असली जंग बीजेपी और AIMIM के बीच ही दिख रही है. अब सवाल उठता है कि बिहार में AIMIM एऩडीए गठबंधन का स्पीकर चुनने में सहयोग देती है तो फिर यहां तल्खी क्यों हैं?
दरअसल, बीजेपी को लगता है कि कर्नाटक के बाद तेलंगाना ही वो राज्य है, जहां वो अपनी पैठ बना सकती है.यहां कांग्रेस कमजोर है, चंद्रबाबू नायडू से लोग खफा हैं, टीआरएस मजबूत जरूर है,लेकिन अगर बीजेपी ओवैसी को उन्हीं के गढ़ में मात देने में सफल होती है तो विधानसभा चुनावों के लिए उसकी ताकत और बढ़ेगी. ऐसे में माना जा रहा है कि निकाय चुनावों में बीजेपी का दम असल में विधानसभा चुनावों की आगामी तैयारी है.
इन दिनों हैदराबाद का स्थानीय चुनाव जहां मीडिया की सुर्खियां बना हुआ है वहीं लोगों की भी दिलचस्पी इसको लेकर काफी बढ़ गई है। इसकी बड़ी वजह भाजपा है। दरअसल, भाजपा ने इस चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है। पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस चुनाव के प्रचार में दिखाई देने वाले हैं। इसको लेकर हर किसी के जेहन में एक सवाल उठ रहा है कि आखिर केंद्र की सत्ताधारी और इस समय सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी का इस तरह के स्थानीय चुनाव में इतने ताम-झाम के साथ उतरने का क्या मतलब है।
हैदराबाद में त्रिकोणीय मुकाबला बीजेपी की जीत सुनिश्चित करेगा,ओवैसी यहां TRS का खेल बिगाड़ने का काम करेंगे
हाल ही में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव को एक करारा झटका लगा, जब AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने स्पष्ट किया कि ग्रेटर हैदराबाद के निकाय चुनाव वह अकेले ही लड़ेंगे। उनके अनुसार ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां टीआरएस AIMIM से प्रतिस्पर्धा कर रही है, और ऐसे में दोनों का साथ आना श्रेयस्कर नहीं होगा। इसका मतलब है कि अब तेलंगाना के ग्रेटर हैदराबाद निकाय चुनाव में मुकाबला तीन तरफा होगा, जिसका सर्वाधिक फायदा भाजपा को मिलेगा।
किसी भी क्षेत्र में जब मुकाबला तीन तरफा या उससे अधिक होता है, तब भाजपा को इस बात का सबसे ज्यादा फायदा होता है, क्योंकि विपक्षी वोट बैंक कई हिस्सों में बंट जाता है। इस समय तेलंगाना राष्ट्र समिति ग्रेटर हैदराबाद नगर महापालिका में 150 में से 99 सीट सहित सत्ता पर कब्जा जमाए हुए हैं, और दूसरी तरफ AIMIM को 44 सीटें मिली है। लेकिन जिस प्रकार से भाजपा तेजी से उभरकर सामने आ रही है, उससे एक बात तो स्पष्ट है कि इस पार्टी का जनाधार पिछले कुछ वर्षों में काफी मजबूती से बढ़ रहा है।
भाजपा कितनी लोकप्रिय है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि किस प्रकार से प्रख्यात अभिनेता और जन सेना पार्टी अध्यक्ष पवन कल्याण ने भाजपा को शत प्रतिशत समर्थन देने का निर्णय लिया है। उनके अनुसार, “बिहार और दुब्बक [तेलंगाना के उपचुनाव वाली सीट] में भाजपा की विजय से स्पष्ट होता है कि देश के कोने-कोने में लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व चाहिए। मैं आशा करता हूँ कि उनके नेतृत्व में हैदराबाद एक समृद्ध और विकसित शहर के रूप में उभरके सामने आए, और मैं सहृदय प्रार्थना करूंगा कि एक भाजपा उम्मीदवार ही हैदराबाद का मेयर बने”।
बता दें की अभिनेता पवन कल्याण 2014 में स्थापित जन सेना पार्टी के अध्यक्ष हैं, जिसकी स्थापना हर तेलुगु भाषी व्यक्ति के मुद्दों और उनके अधिकारों के लिए लड़ने के उद्देश्य से हुई थी। तेलुगु फिल्म उद्योग में बेहद प्रसिद्ध होने के अलावा पवन कल्याण उन चंद लोगों में भी शामिल है, जिन्होंने जगन मोहन रेड्डी की सरकार के अंतर्गत हिन्दू मंदिरों की लूट के विरुद्ध अपनी आवाज उठाई।
अब ग्रेटर हैदराबाद अथवा हैदराबाद के पुरातन क्षेत्र में अधिकांश लोग मुसलमान हैं, और यहीं पर ओवैसी भाइयों का गढ़ भी है, जिनके नेतृत्व में कट्टरपंथी इस्लाम को बढ़ावा मिलता है। चूंकि केसीआर पहले ही ओवैसी की चाटुकारिता करते हैं, इसलिए इस समय यदि कोई हिंदुओं और अन्य गैर मुस्लिमों के लिए लड़ सकता है, तो वो केवल भाजपा है, जिसका जनाधार पिछले दो वर्षों में जबरदस्त तरीके से बढ़ा है।
कुछ ही दिनों पहले GHMC के पूर्व मेयर और पूर्व कांग्रेस नेता कार्तिका रेड्डी ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। 2014 तक इस क्षेत्र में काँग्रेस का वर्चस्व था, लेकिन 2016 आते आते उसकी ब हालत भाजपा से भी बेकार थी, जिसने 2016 के चुनाव में 4 सीटें प्राप्त की थी।
ग्रेटर हैदराबाद इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 2019 के आम चुनावों में भाजपा इस क्षेत्र में दूसरी सबसे ज्यादा सीटें जीतनी वाली पार्टी बनी, और सिकंदराबाद की सीट पर भी कब्जा जमाया। भाजपा ने 17 में से 4 सीटों पर विजय प्राप्त कर तेलंगाना राज्य में न केवल अपनी धाक जमाई, बल्कि मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा भी प्राप्त किया। ऐसे में जिस प्रकार से GHMC के चुनाव में मोर्चा तीन तरफ हो रहा है, उससे न केवल भाजपा को जबरदस्त फायदा होगा, बल्कि 2023 आते आते विधानसभा चुनाव की भी तैयारी हो जायेगी।
क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार
राजनीतिक जानकार इस सवाल के जवाब को बखूबी जानते हैं। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक प्रदीप सिंह का कहना है कि भाजपा इसके माध्यम से मोहम्मद असदुद्दीन औवेसी को उनके ही घर में चुनौती देना चाहती है। इसका मकसद एआईएमआईएम को उसके ही गढ़ में कमजोर करना है। ऐसा करके भाजपा अपने लिए आगे की राह आसान करना चाहती है। दरअसल, भाजपा को लगता है कि कर्नाटक के बाद तेलंगाना उसके लिए दूसरा ऐसा राज्य बन सकता है, जहां पर वो एक बड़ी ताकत बन सकती है। उनका ये भी मानना है कि बीते लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने इतनी ताकत नहीं झोंकी थी। इसके बाद भी वहां से भाजपा की झोली में चार सीट आ गई थीं। इसके बाद पार्टी को ऐसा लगता है कि यदि उस वक्त यहां पर ताकत लगाई होती तो ये सीटें बढ़ सकती थीं। उस कमी को पार्टी अब आगामी विधानसभा चुनाव में पूरा करना चाहती है।
हाशिये पर है कांग्रेस
प्रदीप सिंह मानते हैं कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कांग्रेस हाशिये पर है और तेलुगू देशम पार्टी को भी लोग पसंद नहीं करते हैं। इसकी वजह उसका तेलंगाना के गठन का विरोध करना रहा है। ऐसे में पार्टी को यहां पर ताकत दिखाने से फायदा हो सकता है। हालांकि यहां पर एआईएमआईएम की अच्छी पकड़ है, इसलिए भाजपा की टक्कर भी सीधे तौर पर इसी पार्टी के साथ है। स्थानीय चुनाव में यदि भाजपा अच्छा कर जाती है तो इसका फायदा उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में मिल सकता है। भाजपा ये भी मानती है कि एआईएमआईएम जिस तरह से देश के दूसरे राज्यों में अपने पांव फैला रही है, वो देशहित में नहीं है। ऐसे में उसको रोकना भी जरूरी है। इसके लिए उसको उसके ही गढ़ में हराने का मैसेज भाजपा की बढ़त में काफी बड़ी भूमिका निभा सकता है। बतौर राजनीतिक विश्लेषक उनका ये भी कहना है कि भाजपा को इस बात की उम्मीद है कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए यदि अभी से मेहनत की जाए तो उस वक्त वो कम से कम राज्य में दूसरी बड़ी ताकत जरूर बन सकती है।
औवेसी के लिए यहां जीतना बना नाक का सवाल
आपको यहां पर ये बताना जरूरी है कि इस चुनाव में भाजपा के खेमे की ही तरफ से पूरी ताकत नहीं झोंकी जा रही है, बल्कि एआईएमआईएम की तरफ से भी औवेसी खुद इसकी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। वो लगातार लोगों से पैदल संपर्क साधकर जनसमर्थन जुटाने की कवायद में लगे हैं। उनके लिए भाजपा से पार पाना नाक का सवाल भी बन गया है। यदि औवेसी यहां पर नाकाम होते हैं तो न सिर्फ उनकी छवि को गहरा धक्का लगेगा, बल्कि उसके दूसरे राज्यों में बढ़ते कदमों पर भी रोक लग जाएगी।
एआईएमआईएम पर एक नजर
गौरतलब है कि औवेसी के लिए हैदराबाद हमेशा से ही पार्टी के लिए एक कवच की तरह रहा है। 1927 में जब इस पार्टी का गठन हुआ था तब ये केवल तेलंगाना तक ही सीमित थी। 1984 के बाद से लगातार इस पार्टी की झोली में हैदराबाद की लोकसभा सीट जाती रही है। वर्ष 2014 में हुए तेलंगाना विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने 7 सीटें जीती थीं। इसके अलावा इसी दौरन पहली बार ये पार्टी राज्य के बाहर महाराष्ट्र में विधानसभा की दो सीटें जीतने में कामयाब रही थी। हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 5 सीटें हासिल की है। अब उसकी निगाह पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव पर भी लगी हुई है.