लोस चुनाव घोषणा पूर्व 150 भाजपा प्रत्याशी तय,दो बार के सांसद संगठन में, राज्यसभा में सिर्फ विशेषज्ञ
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लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले कैंडिडेट्स उतारने की तैयारी, BJP का ‘मिशन 160’ बढ़ाएगा विपक्ष की धुकधुकी
तीसरी बार नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए भाजपा ने काफी पहले से चुनावी चक्रव्यूह तैयार करना शुरू कर दिया है। विपक्ष अभी गठबंधन का आधार तैयार कर रहा है लेकिन भाजपा ने प्रत्याशी उतारने की रणनीति तैयार कर ली है।
नई दिल्ली 28 अगस्त: भाजपा मिशन 2024 के लक्ष्य को साधने के लिए व्यापक रणनीति पर काम कर रही है। वह लोकसभा चुनाव की घोषणा होने से भी पहले 160 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा करने पर विचार कर रही है। जी हां, ये वो सीटें हैं जहां भाजपा कमजोर है। सूत्रों ने बताया है कि भाजपा ने ऐसी ‘वीक सीटों’ पर अपनी स्थिति मजबूत करने को काम शुरू कर दिया है। दक्षिण और पूर्वी भारत में ऐसी ज्यादातर ‘कमजोर’ सीटों की पहचान हो गई है। भाजपा को उम्मीद है कि उम्मीदवारों की जल्द घोषणा से प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ पहला बड़ा लाभ मिलेगा। इन 160 सीटों में कुछ दिग्गज नेताओं के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र भी शामिल हैं। इन्हें 40 क्लस्टर्स में बांटा गया है और पिछले कुछ महीनों में व्यापक एक्सरसाइज हुई है। कई वरिष्ठ नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों ने मिलकर रोडमैप तैयार किया। साथ ही कई दिन उन इलाकों में बिताकर जमीनी स्तर पर पार्टी संगठन को मजबूत करने का काम किया।
इस लिस्ट में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी का वेल्लारी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र, सपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव का मैनपुरी निर्वाचन क्षेत्र शामिल है। इन सभी सीटों पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा या पार्टी के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने एक-एक रैली संबोधित की है। भाजपा की यह रणनीति विपक्षी खेमे में हलचल मचा सकती है।
कब तक होगी घोषणा
सूत्रों के अनुसार भाजपा अब चुनाव से बहुत पहले इनमें से कई लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा करने को है जिससे उम्मीदवार फायदा उठा सकें।उन्हें अपनी और पार्टी की स्थिति मजबूत करने को पर्याप्त समय मिल सके। इनमें से अधिकांश सीटें दक्षिणी और पूर्वी राज्यों में हैं, जहां भाजपा ने अभी तक अपने दम सत्ता हासिल नहीं की है। शायद इसीलिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को लगता है कि यहां थोड़ी जल्दी होनी चाहिए। इन कमजोर लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा पर अंतिम निर्णय इस साल के अंत में विधान सभा चुनावों के ठीक बाद लिया जा सकता है।
MP-छत्तीसगढ़ में दिखा ट्रेलर
160 लोकसभा सीटों में ज्यादातर वे सीटें शामिल हैं जो भाजपा ने 2019 में गंवाई थीं। वैसे कुछ जीतने वाले निर्वाचन क्षेत्र भी सूची में शामिल हैं क्योंकि पार्टी का मानना है कि वे सीटें स्थानीय सामाजिक और राजनीतिक कारणों से चुनौती बनी हुई हैं। रोहतक और बागपत जैसी सीटें भाजपा ने जीती थी , लेकिन वे भी इनमें हैं। सूत्रों ने कहा कि पार्टी अपनी संगठनात्मक मशीनरी का विस्तार करने और इन 160 सीटों पर मतदाताओं तक अपनी पहुंच बढ़ाने को काम कर रही है।
भाजपा ने इसी तरह 2019 के चुनावों में मुश्किल सीटों की सूची तैयार की थी और उनमें से बड़ी संख्या में जीती थी। 2014 में 282 की तुलना में भाजपा 2019 में 543 सदस्यीय संसद में 303 सीटें जीतीं।
हाल ही में, भाजपा ने शायद पहली बार मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों के लिए कई उम्मीदवारों की घोषणा कर दी जबकि अभी चुनाव कार्यक्रम की घोषणा भी नहीं हुई है। इसे लोकसभा चुनाव वाली रणनीति का ट्रेलर माना जा रहा है।
2024 लोकसभा चुनाव में 150 नए प्रत्याशी उतारेगी भाजपा:दो से ज्यादा बार जीत चुके सांसद संगठन में भेजे जाएंगे; राज्यसभा में 80% एक्सपर्ट्स को मौका
लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में जुटी भाजपा एक साथ कई फॉर्मूलों पर काम कर रही है। पार्टी में मौजूदा सांसदों के टिकट काटने से लेकर नए चेहरों को मौका देने तक पर मंथन जारी है।
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी आजादी के 100वें साल तक संसद में युवा प्रतिनिधित्व बढ़ाने को काम कर रही है। चुनाव में भाजपा 150 नए प्रत्याशी उतार सकती है। इनमें 41 से 55 साल की उम्र के प्रत्याशियों की संख्या ज्यादा होगी।
भाजपा के एक महासचिव ने कहा कि पहली लोकसभा में 26% सदस्यों की उम्र 40 से कम थी। बाद में संसद में युवा प्रतिनिधित्व कम होता गया। लोकसभा में तीन से 11 बार तक चुनाव जीतने वाले सांसदों की संख्या बढ़ती गई। इसे देखते हुए पार्टी दो या इससे अधिक बार लोकसभा चुनाव जीत चुके नेताओं में से ज्यादातर को संगठन की जिम्मेदारी दे रही है।
इसके अलावा अपवाद छोड़कर किसी को राज्यसभा दो बार से ज्यादा नहीं भेजा जाएगा। 80% ऐसे लोगों को मौका मिलेगा जो कानून, चिकित्सा, विज्ञान, कला, आर्थिक मामले, तकनीक, पर्यावरण और भाषा विशेषज्ञ हों। दस सीट पर चुनाव हुए तो 2 ही ऐसे प्रत्याशी होंगे जो जातीय समीकरण या संगठन में योगदान की दृष्टि से महत्वपूर्ण होंगे।
युवा आबादी का प्रतिनिधित्व बढ़ाना चाहते हैं प्रधानमंत्री मोदी
देश में 65% से ज्यादा युवा हैं, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनका प्रतिनिधित्व बढ़ाना चाहते हैं। अगर किसी को लगातार लोकसभा का टिकट मिलता है तो उसके साथी कार्यकर्ता चुनावी राजनीति से बाहर हो जाते हैं। इसलिए कुछ खास मौकों को छोड़कर किसी एक कार्यकर्ता को 2-3 बार से ज्यादा लोकसभा का प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं दिया जाए। इससे नए लोगों को मौका मिलेगा।
भाजपा के 68 सांसद तीन बार से ज्यादा जीते हैं
लोकसभा में भाजपा के 135 सदस्य पहली बार और 97 दूसरी बार चुनाव जीते हैं। दूसरी ओर, मेनका गांधी और संतोष गंगवार लगातार 8वीं बार और डॉक्टर वीरेंद्र कुमार 7वीं बार लोकसभा में हैं। इसके अलावा आठ सांसद छठी , 11 सांसद 5वीं , 19 सांसद चौथी और 28 सांसद तीसरी बार जीते हैं।
लोकसभा में औसत उम्र 54 साल, 25-40 वालों को दोबारा टिकट
मौजूदा लोकसभा में सांसदों की औसत आयु 54 साल है। भाजपा के 25 से 55 साल के सांसदों का प्रतिनिधित्व 53% है। भाजपा 56 से 70 वर्ष के ज्यादातर सांसदों की जगह 41-55 आयु वर्ग वालों को लड़ाने की तैयारी कर रही है। 25-40 आयु वर्ग वालों को दोबारा से टिकट दिया जाएगा। ऐसे में 150 नए चेहरे चुनाव में उतारने होंगें।
BJP को बिना सांसदों वाली पार्टियों की जरूरत क्यों पड़ी, विपक्ष की एकजुटता या कुछ और
18 जुलाई को दिल्ली के अशोका होटल में NDA की बैठक में छोटी-बड़ी 38 पार्टियां शामिल हुईं। इनमें से 25 पार्टियां ऐसी हैं, जिनके पास लोकसभा में कोई सीट नहीं है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP ने कांग्रेस को बुरी तरह हराकर बहुमत हासिल किया। BJP का अगला शिकार क्षेत्रीय पार्टियां बनने लगीं। लेकिन अब 2024 के चुनाव से पहले बीजेपी को बिना सांसदों वाली पार्टियों की जरूरत क्यों पड़ गई।