परिणाम:अरूणाचल में भाजपा की रिकॉर्ड जीत, सिक्किम में न भाजपा का खाता खुला,न कांग्रेस का
अरुणाचल में भाजपा,सिक्किम में एसकेएम ने किया स्वीप
नई दिल्ली 03 जून 2024. देश के दो पूर्वोत्तर राज्यों अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में हुए विधानसभा चुनावों के परिणामों में अरुणाचल प्रदेश में भाजपा को बहुमत मिला है. वहीं सिक्किम में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) ने बाज़ी मारी है.सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को यहां की कुल 32 में से 31 सीटों पर जीत मिली है.
चुनाव आयोग के अनुसार अरुणाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में कुल 60 में से भाजपा के 46, नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीईपी) को 5, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को 3, पीपल्स पार्टी ऑफ़ अरुणाचल (पीपीए) को दो और कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली है. तीन सीटों पर स्वतंत्र उम्मीदवारों को जीत मिली है.
कांग्रेस को जिस एक सीट पर जीत मिली है वो बामेंग चुनाव क्षेत्र है, जहां से पार्टी प्रत्याशी कुमार वाई ने भाजपा के दोबा लाम्नियो को हराया है.
वहीं पीपल्स पार्टी ऑफ़ अरुणाचल प्रदेश को मेबो और दोईमुख में और एनसीपी को याचुली, बोल्दुमास दियुम और लेकांग में जीत मिली है.
अरुणाचल के परिणाम
भाजपा ने न केवल यहां अपनी जीत बनाए रखी है बल्कि सीटों भी बढ़ाई है. यहां की दस सीटों पर भाजपा प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं.2019 में यहां भाजपा 41 सीटों पर जीती थी. वहीं एनपीपी को 5, एनसीपी को 4 और जनता दल यूनाइटेड को 7 सीटें मिली थीं.
यहां भाजपा को 54.57% वोट मिले हैं, वहीं नेशनल पीपल्स पार्टी को 16.11% और एनसीपी को 10.43% वोट मिले हैं.
सिक्किम में क्या रहा?
चुनाव आयोग ने रविवार को सिक्किम विधानसभा चुनावों के नतीजे जारी किए.यहां सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) ने 32 में से 31 सीटें जीत कर झाड़ू मारो दी. वहीं सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ़) मात्र एक सीट जीत पाई है.
जिस एक सीट पर डेमोक्रेटिक फ्रंट जीती है, वो श्यारी सीट है जहां से तेंजिंग नोर्बु लाम्टा 6633 मतों से जीते. इस सीट पर दूसरे नंबर पर क्रांतिकारी मोर्चा के कुंगा निमा लेप्चा को 5319 वोट मिले.
पिछले विधानसभा चुनावों में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को 17 सीटें और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट को 15 सीटें मिली थीं.
सिक्किम में अप्रैल 19 लोकसभा चुनावों के साथ-साथ विधानसभा चुनावों को भी मतदान हुआ था.
सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के प्रमुख प्रेम सिंह तमांग ने रेनॉक सीट पर एसडीएफ के सोमनाथ पोडयाल को हरा दिया है.सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रमुख और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री पवन चामलिंग दोनों सीटों (नामचेबुंग और पोकलोक कामरांग) से चुनाव हार गए हैं.चामलिंग 1994 से लेकर 2019 तक सिक्किम के मुख्यमंत्री रहे हैं.
वहीं एसडीएफ़ के टिकट पर बारफुंग से चुनाव लड़े जाने माने फ़ुटबॉल खिलाड़ी बाइचुंग भूटिया एसकेएम के रिक्साल दोर्जी भूटिया से हार गए.
प्रधानमंत्री मोदी जीत पर क्या बोले
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस जीत को अरुणाचल प्रदेश के लोगों का धन्यवाद किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “शुक्रिया अरुणाचल प्रदेश. खूबसूरत राज्य के लोगों ने विकास के लिये बहुमत दिया है.हमारी पार्टी राज्य के लिए लगातार काम करती रहेगी.”
वहीं भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “भाजपा में भरोसा जताने को अरुणाचल प्रदेश के लोगों का आभारी हूं.”
प्रधानमंत्री मोदी ने सिक्किम में जीत के लिए प्रेम सिंह तमांग और सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को बधाई दी.
सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा, “2024 के विधानसभा चुनावों में जीत को बधाई. मुझे उम्मीद है कि आने वाले वक्त में सिक्किम के विकास को हम सिक्किम सरकार के साथ मिलकर काम करेंगे.”
कौन हैं पेमा खांडू?
अरुणाचल प्रदेश में भाजपा ने मुख्यमंत्री पेमा खांडू के नेतृत्व में चुनाव लड़ा. पेमा खांडू अपनी सीट पहले ही निर्विरोध जीत चुके थे.
राज्य में भाजपा की जीत की पर पेमा खांडू ने कहा, “आज अरुणाचल प्रदेश के लिए ऐतिहासिक दिन है और खासकर भारतीय जनता पार्टी के लिए. 2024 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है.”
“राजनीति में एंटी इनकंबेंसी होती है लेकिन भाजपा में प्रो इनकंबेंसी है. 2019 में 41 सीटें जीती थीं और 2024 में 46 सीटें जीती हैं. ये प्रो इनकंबेंसी का सिग्नल है. अरुणाचल प्रदेश की जनता का धन्यवाद करता हूं.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आशीर्वाद से अरुणाचल प्रदेश में हुआ काम देखते हुए जनता ने दोबारा फिर भाजपा सरकार बनाई है.”
मुख्यमंत्री पेमा खांडू के पिता दोरजी खांडू भी मुख्यमंत्री रहे हैं. पेमा पहली बार 2016 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन तब वे कांग्रेस पार्टी में थे.
मुख्यमंत्री बनने पर उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी. उसी साल पहले वे पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश में गए, लेकिन दो महीने बाद ही उन्होंने भाजपा का हाथ थाम लिया.पेमा खांडू मुख्यमंत्री बनने से पहले प्रदेश के पर्यटन, शहरी विकास मंत्री भी रह चुके हैं.
कौन हैं एसकेएम के प्रमुख प्रेम सिंह तमांग?
प्रेम सिंह गोले नाम से प्रसिद्ध प्रेम सिंह तमांग ने 1990 के दशक में जब राजनीति में कदम रखा, तब वो सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के सदस्य थे.वें 1994 में चाकुंग चुनाव क्षेत्र से विधानसभा चुनाव जीत चामलिंग सरकार में मंत्री रहे.
बाद में चामलिंग के आलोचक बन 2013 में उन्होंने सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट से अलग हो कर सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) बनाया. 2019 के चुनावों में पार्टी ने 17 सीटें जीती ।
अरुणाचल प्रदेश: 2019 की तुलना में भाजपा को 5 सीटें ज्यादा मिलीं
अरुणाचल भाजपा 60 में से 46 सीट जीती। पार्टी ने पहले ही 10 सीटों पर निर्विरोध जीत चुकी थी। इसलिए चुनाव 50 सीटों पर ही हुए थे। राज्य में भाजपा का नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) से गठबंधन है। NPP को 5 सीटें मिलीं। इस तरह अरुणाचल में NDA के पास 51 सीटें हैं।
अरुणाचल में भाजपा ने सभी 60 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि कांग्रेस ने केवल 19 सीटों पर कैंडिडेट्स उतारे थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 मार्च को ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश) में रोड शो किया था। राहुल-प्रियंका गांधी ने यहां सभा नहीं की।
सिक्किम: SKM ने साफ़ किया विपक्ष
सिक्किम में सत्ताधारी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) ने सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF) साफ़ कर दिया। 25 साल (1994-2019) सत्ता में रहे SDF को इस बार एक सीट मिली। SDF के मुख्यमंत्री रहे पवन कुमार चामलिंग ने दो सीटों से चुनाव लड़ा और दोनों हारी। कांग्रेस-भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली।
सिक्किम में SKM और SDF ने 32-32, वहीं भाजपा ने 31 उम्मीदवार उतारे थे। कांग्रेस ने 12 सीटें लड़ी। सिटिजन एक्शन पार्टी-सिक्किम ने 30 सीटों पर कैंडिडेट उतारे थे।
प्रधानमंत्री मोदी और राहुल-प्रियंका ने यहां कोई रैली, रोड शो नहीं किया। 7 मार्च को मोदी ने श्रीनगर से वर्चुअली सिक्किम में 6400 करोड़ के विकास कार्यों का उद्घाटन जरुर किया।
2019 के आम चुनावों के बाद SKM का भाजपा से गठबंधन हुआ था, लेकिन इस बार चुनाव पूर्व भाजपा ने सिक्किम में अकेले चुनाव लड़ने की ठान गठबंधन तोड़ दिया था।
सिक्किम में SKM के जीतने के 3 कारण
इन चुनावों से पहले सिक्किम में युवाओं को सरकारी नौकरियां दी गईं और राज्य में मुख्यमंत्री की योजनाओं का भी बड़ा असर रहा।
देश में पीएम आवास योजना तो है ही, लेकिन सिक्किम में भी मुख्यमंत्री आवास योजना में लोगों को घर मिले, जिससे जनता में सकारात्मक संदेश गया।
चुनाव में SDF ने सत्ताधारी SKM पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। चुनाव से ठीक पहले बाढ़ आई, तो SDF के शासन में बनी योजनाओं के अधूरेपन और भ्रष्टाचार के आरोपों की पोल खुल गई। इसका SDF पर नकारात्मक असर पड़ा और जनता ने SKM पर भरोसा जताया।
एक्सपर्ट ने बताया अरुणाचल प्रदेश में भाजपा की जीत का कारण
अरुणाचल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर नानी बाथ कहते हैं, ‘अरुणाचल में कोई भी विपक्ष में नहीं रहना चाहता है। सत्ता में भाजपा है, और जब तक केंद्र में भाजपा की सरकार रहेगी, तब तक राज्य में भी भाजपा की सरकार बनी रहेगी। लोगों ने कांग्रेस को वोट इसलिए नहीं दिया, क्योंकि कांग्रेस विपक्ष में है। लोगों का मानना है कि विपक्ष में रहने वाले उम्मीदवार को वोट देकर कोई फायदा नहीं है।सरकार को लोग भले ही पसंद न करें या सरकार में बैठे लोग काम नहीं करें, लेकिन विपक्ष के लोग भी या तो भाजपा में आ गए हैं या विपक्ष में रहना ही नहीं चाहते। इसलिए भाजपा ये चुनाव जीत गई।’
पवन चामलिंग के पास सबसे लंबे समय तक CM रहने का रिकॉर्ड
सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF) 1994 से लेकर 2019 तक लगातार 5 बार सत्ता में रही। पार्टी चीफ पवन चामलिंग लगातार 24 साल 166 दिन मुख्यमंत्री रहे।
वे देश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले नेता हैं। सिक्किम एकमात्र राज्य है, जिसने 1979 के बाद से सभी विधानसभा चुनावों में क्षेत्रीय दलों को सत्ता सौंपी है।
अरुणाचल:2019 में भाजपा ने 41 सीटें जीतकर मुख्यमंत्री पेमा खांडू के नेतृत्व में दूसरी बार सरकार बनाई थी। तब भाजपा राज्य में न सिर्फ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, बल्कि पहली बार बहुमत का आंकड़ा पार किया।
बाकी 19 सीटों में जनता दल-यूनाइटेड (JD-U) को 7, नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) को 5, कांग्रेस को 4 और अन्य को 3 सीटें मिली थी। 2024 विधानसभा चुनाव से पहले फरवरी में कांग्रेस और NPP के 2-2 विधायकों ने भाजपा जॉइन कर ली थी।
2014 चुनाव बाद अरुणाचल में राजनीतिक संकट
2014 के चुनाव में कांग्रेस ने 42 सीटें जीतकर भारी बहुमत पाया था। भाजपा को 11, पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (PPA) को 5 और दो सीटें निर्दलीयों को मिलीं।
हालांकि, 2016 में अरुणाचल प्रदेश में लंबे समय का राजनीतिक संकट दिखा। राज्य में एक साल में 4 बार मुख्यमंत्री बदले।
सबसे पहले दिसंबर 2015 में कांग्रेस के 42 में से 21 विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नबाम तुकी से विद्रोह किया। इसके आधार पर राज्यपाल ने CM तुकी को हटा दिया। जनवरी 2016 से राष्ट्रपति शासन लगा।
इसके एक महीने में फरवरी में भाजपा ने पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (PPA) को समर्थन देकर कांग्रेस के विद्रोही विधायकों से सरकार बना ली। कांग्रेस के विद्रोही नेता कालिखो पुल CM बने।
मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने नबाम तुकी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को यथावत कर दिया। 13 जुलाई को कांग्रेस सरकार लौटी, लेकिन 16 जुलाई को कांग्रेस विधायकों ने तुकी की जगह पेमा खांडू को विधायक दल नेता चुन लिया।
पेमा खांडू को 44 विधायकों का समर्थन मिला। वे कांग्रेसी सरकार में राज्य के नए CM बने। हालांकि, 16 सितंबर 2016 को CM पेमा खांडू कांग्रेस के 42 विधायक के साथ भाजपा की सहयोगी पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (PPA) में शामिल हो गए।
21 दिसंबर को खांडू समेत 7 विधायक PPA अध्यक्ष ने निलंबित कर दिये। दिसंबर 2016 में खांडू ने PPA का साथ छोड़कर 43 विधायकों में से 33 के साथ भाजपा जॉइन की और बहुमत साबित किया।
भाजपा के पहले से ही 11 विधायक थे। उसने दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन से आंकड़ा 46 कर लिया। पेमा खांडू अरुणाचल प्रदेश में भाजपा के दूसरे मुख्यमंत्री बने। उनसे पहले 2003 में 44 दिनों के लिए गेगोंग अपांग के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी थी।
सिक्किम विधानसभा
सिक्किम में 32 विधानसभा सीटें है। बहुमत का आंकड़ा 17 है। राज्य में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM), सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF), कांग्रेस और भाजपा प्रमुख पार्टियां हैं। फिलहाल, यहां प्रेम सिंह तमांग उर्फ पीएस गोले के नेतृत्व में SKM की सरकार है।
2019 विधानसभा चुनाव में SKM को 17 सीटें मिली थीं। SDF के खाते में 15 सीटें आईं। भाजपा और कांग्रेस सिक्किम में अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। हालांकि, 13 अगस्त 2019 को पूर्व CM पवन चामलिंग की पार्टी SDF के 15 में से 10 विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे।