भाकियू वैलफेयर फाऊंडेशन सरकारी योजनाओं से जोड़ेगा किसान: सोमदत्त शर्मा

देहरादून 08 जून। श्री सोमदत्त शर्मा के नेतृत्व वाला भारतीय किसान यूनियन वैलफेयर फाऊंडेशन (पंजीकृत) किसानों के बीच केंद्र सरकार की योजनाओं को लेकर जागरूकता अभियान शुरू करके उन्हें योजनाओं का लाभ उठा कर स्वयं की और देश की प्रगति में योगदान को प्रेरित करेगा।

शर्मा ने भाकियू वैलफेयर फाऊंडेशन के इस कार्यक्रम की घोषणा आज यहां ट्रांसपोर्ट नगर स्थित कार्यालय में विषय विशेषज्ञ जिला सहकारी बैंक देहरादून के अध्यक्ष रहे पूर्व भाजपा नेता प्रमोद कुमार गुप्ता के व्याख्यान के बाद की और इसके लिए कार्ययोजना बनाने को श्री विकास को दायित्व सौंपा। बैठक में फाऊंडेशन के उत्तर प्रदेश, उत्तरांखड और हिमाचल प्रदेश के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

गुप्ता ने कहा कि केंद्र सरकार की बहुत सी योजनाएं धरातल पर काम करने वाले संगठनों और कार्यकर्ताओं के अभाव तथा किसानों तक योजनाओं की जानकारी न पहुंच पाने से फाइलों में दम तोड़ देती हैं। इससे योजनाओं का प्रतिफल धरातल पर नहीं उतर पाया। फाऊंडेशन जैसे संगठन इसमें अपनी भूमिका सार्थक कर सकते हैं। फाऊंडेशन न्याय पंचायत स्तर पर किसानों के समूह बनाकर उनके बीच जागरूकता अभियान चलाये तो उसका नाम और काम सार्थक होगा। उन्होंने इस दिशा में अपनी सेवाएं प्रस्तुत की।

बैठक में फाऊंडेशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री अरुण शर्मा, मीडिया प्रभारी रमेश चौहान (हिमाचल प्रदेश), उत्तरांखड प्रचार मंत्री कमलेश कुमार शर्मा, मुजफ्फरनगर से ग्राम प्रधान संगठन के अध्यक्ष रजनीश शर्मा, उत्तरांखड प्रभारी अनिल शर्मा, सुमन बडोनी, मनीष चौधरी, विजय शर्मा व पंकज सैनी  (मोरना) के अलावा दिव्येश सजवाण,नरेश शर्मा, सतपाल सिंह,धीरज, चिरंजीव सहगल आदि भी थे।

बाद में मीडिया के एक सवाल के जवाब में राष्ट्रीय अध्यक्ष सोमदत्त शर्मा ने बताया कि समय के साथ भारतीय किसान यूनियन नाम से साढ़े तीन सौ संगठन सक्रिय हैं। हमारा संगठन नवीनतम है लेकिन इसने अल्प समय में ही उत्तर प्रदेश और उत्तरांखड में अपनी अच्छी पहचान बना ली है। उन्होंने बताया कि हमारा संगठन दूसरों से इस अर्थ में भिन्न है कि औरों की सक्रियता सिर्फ आंदोलन से आंदोलन तक है जबकि हमारी गतिविधियों के केंद्र में किसान कल्याण है। हम शुरुआत अधिकरण से वार्ता से करने का प्रयास करते हैं और आंदोलन बहुत आवश्यक होने पर ही करते हैं। इस संगठन को अभी डेढ़-दो वर्ष ही हुए हैं।

 

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