ममता को सुप्रीम कोर्ट से झटका, केंद्रीय बल ही करायेंगें पंचायत चुनाव
Supreme Court Slams Mamata Govt For Opposing Use Of Central Forces For West Bengal Panchayat Elections 2023
पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में तैनात होंगे केंद्रीय बल, सुप्रीम कोर्ट से ममता सरकार को झटका
पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती का विरोध कर रहीं हैं ममता बनर्जी
कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को होने वाले पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया था। HC के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
हाइलाइट्स
पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को होने हैं पंचायत चुनाव
हाई कोर्ट ने केंद्रीय बलों की तैनाती के दिए थे निर्देश
राज्य सरकार फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची
नई दिल्ली 20 जून:पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती का राज्य सरकार विरोध कर रही है। मंगलवार को इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। राज्य सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को SC में चुनौती दी है। HC ने राज्य निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि 8 जुलाई को प्रस्तावित चुनाव के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने HC के आदेश पर रोक लगाने से इनकार करते हुए अपील खारिज कर दी। मंगलवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस बीवी नागरत्ना ने ममता बनर्जी सरकार से पूछा कि आपने कहा था कि पुलिस पर्याप्त नहीं है। चूंकि आपने आधा दर्जन राज्यों से फोर्स मांगी है… अब HC ने भी इसे देखा है… खर्च तो केंद्र को वहन करना होगा… 75000 बूथ स्थापित किए जाने हैं और आपने कहा कि पुलिस फोर्स की कमी के चलते बाहर से फोर्स मंगाई। इसपर बंगाल सरकार ने कहा कि हमने कभी नहीं कहा कि पुलिस फोर्स हैंडल करने के लिए तैयार नहीं है।
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि ‘चुनाव कराना हिंसा के लिए लाइसेंस नहीं हो सकता और HC ने पहले हुईं हिंसा की घटनाओं को देखा है… चुनाव के साथ हिंसा नहीं हो सकती। अगर लोग अपने नामांकन ही नहीं दाखिल कर पा रहे हैं और उन्हें नामांकन करने जाते समय मार दिया जा रहा है तो मुक्त और निष्पक्ष चुनाव कहां रह गए?’ इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को भी फटकार लगाई। SC ने पूछा कि इन सबसे SEC को क्या परेशानी है? फोर्सेज कहां से आ रही हैं, इसकी चिंता करना आपका काम नहीं है।
हमें लगता है कि उच्च न्यायालय के आदेश का उद्देश्य पश्चिम बंगाल के पूरे राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना है क्योंकि स्थानीय निकायों में चुनाव के लिए मतदान एक ही दिन है और बूथों की संख्या काफी ज्यादा। हाईकोर्ट के आदेश में किसी तरह के दखल की जरूरत नहीं है। हम हाईकोर्ट के किसी निर्देश में दखल नहीं दे रहे हैं। अपीलें खारिज की जाती हैं।
सुप्रीम कोर्ट
एक जगह से फोर्स vs 5 या 6 राज्यों से फोर्स?
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल पेश हुए। उन्होंने कहा कि (HC में) फोर्स की पर्याप्तता पर टिप्पणी नहीं की गई है… फोर्सेज के सोर्सेज पर बात है… 5 राज्यों और मेरे खुद की फोर्स के मुकाबले सेंट्रल फोर्सेज को क्यों बढ़ावा दिया जा रहा है…। इस पर जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि प्रैक्टिकैलिटी देखिए। एक जगह से फोर्स मंगाने और 5 या 6 राज्यों से फोर्स बुलाने में फर्क है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब मैदान पर हालात बिगड़ते हैं तो सुरक्षा बलों की जिम्मेदारी बनती है और राज्य व केंद्रीय बलों के बीच कोआर्डिनेशन होना चाहिए। SC ने कहा कि अगर सेंट्रल फोर्सेज तैनात होती हैं तो वह एकतरफा काम नहीं कर सकतीं।
वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि अगर पश्चिम बंगाल को लगता है कि केंद्रीय बल आक्रमणकारी सेना है तो उस विचार को सुप्रीम कोर्ट के सामने नहीं लाया जा सकता। यह केवल फोर्सेज का सोर्स है, तैनाती पर कोर्ट बात नहीं हुई है। कोई HC यह निर्देश कभी नहीं देगा कि बल का प्रमुख तैनाती पर फैसला करेगा… इस राज्य में एक समस्या है और वह समस्या कई बार उभरी है… केंद्रीय बल तैनात होते हैं और SEC उसे चुनौती देने दौड़ा चला आता है… हमें मानना होगा कि SEC ने यह याचिका दायर कर पक्षपाती व्यवहार किया है। वे यहां क्यों आए हैं, इसपर चुप्पी साधे हुए है।