CAG रिपोर्ट: लूट का अड्डा बना उत्तराखंड

 

कैग रिपोर्ट ने खोली कर्मकार बोर्ड की ‘पोल’, भ्रष्टाचार को लेकर हुआ बड़ा खुलासा, जानिये डिटेल – UTTARAKHAND CAG REPORT
विधानसभा में पेश की गई CAG रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण खुलासे हुए हैं. जिनमें उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में गड़बड़ी मिली.
UTTARAKHAND CAG REPORT  में सामने आई गड़बड़ियां

देहरादून 21फरवरी2025: विधानसभा बजट सत्र के तीसरे दिन सदन के पटल पर CAG रिपोर्ट पेश की गई. कैग रिपोर्ट में उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में धांधली और अनियमिताओं का उजागर हुआ है.

कैग के अनुसार, केंद्रीय मंत्रालय के आदेशों के खिलाफ न सिर्फ बोर्ड ने घरेलू समान खरीदे बल्कि खरीदी गई साइकिल और टूलकीट कहा गए इसका किसी को पता ही नहीं.

इसके अलावा, कोरोना काल के दौरान अपात्र लोगों को राशन किट देने से लेकर विवाह योजना के लिए नियमों के खिलाफ करीब 7.19 करोड़ रुपये बांट दिए गए.

अपात्र लोगों को बांटी गई टूलकिट, साइकिल और राशनकिट: वित्तीय वर्ष 2021- 22 की कैग रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की ओर से अपात्र लोगों को टूलकिट, साइकिल और राशनकिट बांट दी गई.

महिला श्रमिक विवाह के नाम पर बांटे गए 1 लाख रुपये: श्रमिकों की बेटियों या फिर महिला श्रमिक के विवाह के लिए आर्थिक सहायता के रूप में 51 हजार रुपये देने का प्रावधान था, लेकिन इस नियम को तोड़कर बोर्ड ने आर्थिक सहायता के रूप में एक लाख रुपए कर दिया और दिसंबर 2018 से नवंबर 2021 के बीच 1468 लाभार्थियों को करीब 7.19 करोड़ रुपये अधिक बांट दिए. इस दौरान लाभार्थियों की पात्रता भी नहीं देखी गई.

140 दिन बाद श्रमिक मौत का मुआवजा दिया गया: किसी भी श्रमिक के मौत के 60 दिन के भीतर मृतक श्रमिक आश्रितों को मुआवजा देने का प्रावधान है लेकिन देहरादून और उद्यमसिंह नगर में मुआवजा देने का औसत समय 140 दिन पाया गया.

नियम के विरुद्ध दिया गया मातृत्व लाभ   :   प्रसूति योजना के तहत मातृत्व लाभ को नियम के विरुद्ध 10,000 से बढ़ाकर 15,000 और 25,000 रुपये कर दिया गया. साथ ही 225 मामलों में करीब 19.75 लाख रुपए से अधिक का भुगतान कर दिया गया. इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी दरकिनार कर बोर्ड ने अनरजिस्टर्ड 5,47,274 लोगों को 215 करोड़ का लाभ दिया. इस दौरान डीबीटी का उपयोग नहीं किया गया.

साइकिल खरीदी गई, लेकिन बंटी नहीं: उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अधिकारियों ने साल 2018 से 2022 के बीच करीब 32.78 करोड़ रुपए की 83,560 साइकिलें भी एक आईटी कंपनी से खरीद ली. जबकि ये आईटी कंपनी, आईटी सेवाओं के लिए रजिस्टर्ड था. बोर्ड की ओर से देहरादून जिले में 37,665 साइकिलों को भेजा गया लेकिन इनमें से मात्र 6020 साइकिल ही मिली जिसे बांट दिया गया लेकिन बाकी साइकिल कहां गई इसका पता ही नहीं चला.

उधमसिंह नगर में 6 श्रमिकों को 4 बार साइकिल बांटी गई: इसके अलावा, उधमसिंह नगर जिले में 216 श्रमिकों को दो बार, 28 श्रमिकों को तीन बार और छह श्रमिकों को चार बार साइकिलें बांट दी गईं. यही नहीं, केंद्रीय मंत्रालय ने 25 मार्च 2021 को जो आदेश दिया था, उस आदेश को दरकिनार करते हुए बोर्ड ने 20,053 कंबल भी बांट दिए.

उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में हुई तमाम धांधलियों और अनियमितताओं का उजागर कैग की रिपोर्ट में किया गया है, रिपोर्ट के अनुसार, कर्मकार बोर्ड ने एक दूसरी आईटी कंपनी से करीब 33.23 करोड़ रुपए की कीमत में टूलकिट खरीदे थे. जिस कंपनी से बोर्ड ने टूलकिट खरीदे वो आईटी कंपनी, बोर्ड में आईटी सेवाओं के लिए सूचीबद्ध की गई थी. बावजूद इसके बोर्ड ने हजारों टूलकिट खरीद लिए. कैग जांच में पाया गया कि देहरादून में 22,426 टूल किटों की आपूर्ति की गई थी, जिनमें से मात्र 171 टूल किटों को ही बांटा गया जबकि बाकी बचे 22,255 टूलकिट कहां चली गई इसका पता नहीं चल पाया. यही नहीं, टूलकिट प्राप्त करने वाले लाभार्थियों से रसीद भी नहीं ली गई.

राशन किट बांटने में धांधली: इसी क्रम, साल 2020 में कोरोना काल के दौरान राशन किट बांटने में बोर्ड की ओर से काफी धांधली की गई. बोर्ड की ओर से मई 2020 में आदेश जारी किया था कि रजिस्टर्ड श्रमिकों को डोर-टू-डोर राशन किट वितरित की जाएगी. इसके लिए 9.36 करोड़ रुपए कीमत की 75 हजार राशन किट खरीदी गईं. लेकिन ये राशन किट ऐसे लोगों को बांट दी गई जो रजिस्टर्ड नहीं थे. इस मामले पर कैग ने भी सवाल उठाए हैं कि आईटी सेवाओं वाली कंपनी आईटीआई लिमिटेड से ही 53.58 करोड़ की कुल राशन किट खरीदी गईं. इस पर कंपनी ने नियमों के खिलाफ करीब 3.51 करोड़ सेंटेज शुल्क का दावा भी किया था.

उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड ने निर्माण कार्यों का रजिस्ट्रेशन नहीं किया. जिसके चलते बोर्ड को रजिस्ट्रेशन शुल्क के रूप में मिलने वाली धनराशि करीब 88.27 लाख रुपये का नुकसान हुआ. वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2021-22 के बीच अनुमापित प्राप्ति व व्यय दिखाते हुए बजट तैयार किए लेकिन उसको प्रस्तुत नहीं किया गयी. इसके बावजूद बोर्ड ने सरकार की स्वीकृति के बिना ही इस दौरान 607.09 करोड़ खर्च कर दिए. यही नहीं, कार्यस्थलों पर श्रमिकों स्वास्थ्य और सुरक्षा मानदंडों को लागू करने में बोर्ड पूरी तरह से विफल साबित हुई है.

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