मत-सावधानी हटी,दुर्घटना घटी- पहाड़-प्लेन है भाजपा की 2027 के लिए रणनीति

– सावधानी हटी दुर्घटना घटी–

भाजपा देश के लिए जितनी नुकसानदायक साबित हुई है, उतनी ही नुकसानदायक उत्तराखंड राज्य के लिए भी साबित हुई है। कांग्रेस न धर्म की राजनीति करती है न लोगों को बांटती है। भाजपा केवल कांग्रेस के प्रति ज़हर घोलकर सत्ता प्राप्ति कर पाती है क्योंकि कांग्रेस मुद्दों की बात करती है और इस कीचड़ में घुसकर षड्यंत्रकारी तरीके से लोगों के मन में भाजपाई नेताओं के बारे में दुष्प्रचार करने के बजाय जनता के हित के बारे में बात करती हैं। कांग्रेस का कार्यकर्ता लोगों को जागरूक करने की कोशिश में तत्पर लगा रहता है चाहे वह कई बार अकेला ही क्यों ना पड़ जाए। उस कार्यकर्ता का संदेश ठीक प्रकार से लोगों तक नहीं पहुंच पाता क्योंकि दूसरी तरफ आरएसएस का संगठन लोगों से वार्ता स्थापित कर उनके घर के अंदर तक पहुंच जाता है और अपने प्रभाव में ले लेता है। कांग्रेसी कार्यकर्ता जिसे भाजपा समर्थक समझता है उस पर अपनी बात थोपने से बचने और उसकी सोच का सम्मान करते हुए कहीं अपने कदम पीछे खींच लेता है। पर सोशल मीडिया का जमाना है और सभी की जिंदगी खुली किताब बन चुकी है। इसलिए अब कांग्रेस कार्यकर्ता को भी लोगों के घरों में पहुंचकर उनसे वार्ता स्थापित करनी होगी क्योंकि जिसे वह भाजपा समर्थक समझते हैं वह भी अंततः भारतीय नागरिक है जो एक वोटर भी है। हर वोट के लिए लड़ना पड़ेगा चाहे वो हमारे संस्कार और चरित्र के विपरीत ही क्यों न हो और लोगों को जबरदस्ती अपनी बात सुनाना गलत सा ही क्यों न लगता हो। आज के समय में जिन्हें कांग्रेस की कमियां मानी जा रहीं हैं उन पर केंद्रीय नेतृत्व ने भी काम करना शुरू कर दिया है। जगह-जगह पर संगठन में बदलाव हो रहे हैं और इसके कितने सकारात्मक परिणाम आएंगे यह तो भविष्य में पता चलेगा। दुविधाएं अनेक है। दुष्प्रचार के साथ अपनी सोच, विचारधारा और भविष्य के लिए योजनाएं जनता तक पहुंचाना भी महत्वपूर्ण है परंतु स्थितियां विपरीत हो जाती हैं जब मीडिया आपकी बात नहीं करती, आप पर सवाल उठाती है और सोशल मीडिया आपकी रीच रोक देती है। पर कांग्रेस पर केंद्रित होने की जगह आज बीजेपी की बात करते है।

भाजपा 2027 के चुनाव की तैयारी शुरू कर चुकी है। भ्रष्टाचार में लिप्त है नाकामी इनकी पहचान है परंतु 24X7 चुनावी तैयारी में रहने पर गर्व करने वाली भाजपा की नई स्ट्रेटजी उत्तराखंड में जमीन पर उतार दी गई है।

उत्तराखंडवासियों को यदि यह समझ आ जाए कि वह ध्रुवीकरण करके किसकी मदद कर रहे हैं तो उन्हें कोई राजनेता हरा नहीं सकता। जागरूक नागरिक बनेंगे तो भेड़ चाल से बचेंगे और अपने भविष्य को भी बचाएंगे और अपने समाज और अपने व्यवस्था को भी ठीक कर पाएंगे।

हिंदू मुसलमान वाला ध्रुवीकरण का खेल पूरे देश में करने के बाद उत्तराखंड में तीसरी बार चुनाव जीतने में भाजपा को एंटी इनकंबेंसी का जो डर है, प्रेमचंद अग्रवाल प्रकरण उसको व्यवस्थित करने की कोशिशमात्र है। और उसमें इन्होंने राज्यवासियों को उलझा दिया है।

एक बद्रीनाथ को छोड़ दे तो पहाड़ी विधानसभाएं भाजपा के पास है और बाकी वह मैनेज करने में अपने आप को सक्षम मानते हैं। पिछले दो चुनाव में कांग्रेस को सीटें मैदानी क्षेत्रों से मिली हैं और वहां की एंटी इनकंबेंसी को अपने फायदे में करने की भाजपा की पूरी और पुरजोर कोशिश रहेगी। ध्रुवीकरण करके मैदान प्लेन करने का इनका मकसद पूरा हो गया। सिद्धार्थ अग्रवाल, पुनीत मित्तल, अनिल गोयल वाली मेयर को लेकर नाराजगी राजधानी में इन्होंने समाप्त कर दी। बाकी ध्रुवीकरण में अगली बार भाजपा के प्रत्याशी प्रेमचंद अग्रवाल रहे तो उनको कितना फायदा या नुकसान होने वाला है, उसी का आत्मविश्वास उनके अहंकारी व्यवहार से मिलता है। इनकी नौटंकी देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये मंत्री पद से हटेंगे तो भी अपना फायदा निकालने के लिए अगले चुनाव में भाजपा इन्हें प्रत्याशी बनाएगी।ये भी दिख रहा है कि यह जनता के बीच जाकर कितना रोकर सहानुभूति लेने वाले हैं। डेमोग्राफी बदलने का राग अलापने वाली भाजपा को पता है प्रेमचंद अग्रवाल के क्षेत्र की डेमोग्राफी और उसका ध्रुवीकरण उन्हीं के हित में काम करेगी। बाकी तो आरएसएस वाले लोगों के दिमाग में जहर कैसे बोना हैं अच्छी तरह जानते हैं। फिर भी इनको इनके “अहंकार, बद्तमीज़ी और भ्रष्टाचार” के लिए हटवाना होगा और नरेटिव ये बने तो उसका नुकसान इनको और भाजपा को 100% होगा। वैसे अब इस बात के लिए भी तैयार ही रहना पड़ेगा कि कई भाजपा नेता आकर ऐसी ही बातें करने वाले हैं और पहाड़ प्लेन की बातों को आगे बढ़ाकर चरम पर ले जाने वाले हैं। क्या हम इस खतरे से सावधान है? वैसे, अभी-अभी खबर यह भी आई है कि भाजपा के एक और नेता ने इस बात को आगे बढ़ा दिया है।

2027 विधानसभा चुनाव के पहले बिना सोचे कोई कच्ची बात नहीं की जानी चाहिए। सामने वाला हर बात का बतंगड़ भी बनाएगा और उसका भरपूर प्रयोग अपने हित में करने के लिए कदम उठाएगा। समझदारी इसी में है कि पब्लिसिटी की होड़ में कुछ भी कहीं भी ना बोला जाए। ध्यान मुद्दों पर केंद्रित रहना चाहिए। ध्रुवीकरण की राजनीति में जनता के मुद्दे गौण हो जाते हैं। हम सबको इससे बचना होगा। हमें जिन मुद्दों पर बात करनी होगी वो है, बेरोजगारी, युवाओं की समस्याएं, महंगाई से त्रस्त परिवार, अंकिता भंडारी मामले में वीआईपी का नाम, अग्निवीर योजना, केदारनाथ का गायब सोना, कैंपा फंड से किया गया घोटाला, नदियों की गंदगी का मसला, स्मार्ट सिटी के नाम पर लुटाए गए पैसे, महंगी बिजली, प्रीपेड मीटर के जरिए अदानी और जीनस को हमें बेचती हमारी सरकार, सरकार के घोटाले और भ्रष्टाचार।

ये आक्रोश किस बात पर है? *ये भी साफ कर लीजिए कि मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने सदन में गाली का प्रयोग क्यों किया इस पर सवाल पूछा जा रहा है।*

उत्तराखंड का पहाड़ी स्वरूप जिसके कारण उत्तराखंड बनाया गया हम सब का है। जो शब्द विभाजन करें उनसे दूर रहना होगा क्योंकि उसका फायदा केवल भाजपा को होता है। किसी को सबूत देने की जरूरत नहीं हम क्या हैं, कौन हैं क्योंकि यही तो भाजपा चाहती है। केवल यही शब्द हमारी पहचान बताए – “मैं उत्तराखंडी हूं।”

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