कोली और पंढेर को निठारी के ‘पिशाच’ सिद्ध नहीं कर पाई सीबीआई,हाको से छूट गये
निठारी कांड में मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंदर कोली को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बरी किया
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने साल 2006 के बहुचर्चित निठारी कांड के आरोप में जेल में बंद मोनिंदर सिंह पंढेर और उनके घर में काम करने वाले सुरेंदर कोली को सबूतों के अभाव में सोमवार को बरी कर दिया.
सुरिंदर कोली और उनके कारोबारी मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर को बलात्कार और कत्ल के मामलों में साल 2009 में सज़ा हुई थी.
इस मामले से पर्दा तब उठा था जब नोएडा के निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे से कुछ कंकाल मिले थे. उस समय मोनिंदर सिंग पंढेर के घर के सामने से गुज़रने वाले सीवर में शरीर के कुछ अंग और बच्चों के कपड़े मिले थे.
पुलिस के मुताबिक कम से कम 19 युवा महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था, उनकी हत्या कर दी गई थी और उनके शवों के टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए थे. पुलिस ने उस समय कहा था कि ये हत्याएं पंढेर के घर के अंदर हुई थीं, जहां कोली नौकर के तौर पर काम करते थे.
पुलिस ने आरोप लगाया कि जिन बच्चों के अवशेष बैग में छिपे हुए पाए गए थे, उन्हें कोली ने मिठाई और चॉकलेट देकर लालच देकर मार डाला था.
पुलिस का कहना था कि जांच के दौरान कोली ने नरभक्षण और नेक्रोफिलिया (शवों के साथ संबंध बनाने) की बात कबूल की थी. बाद में उन्होंने अदालत में अपना कबूलनामा ये कहते हुए वापस ले लिया कि उनसे जबरन ये बयान दिलवाया गया था.
सीबीआई ने सुरेंदर कोली और पंढेर के खिलाफ़ 19 मामले दर्ज किए थे. जहां कोली पर हत्या, अपहरण, बलात्कार, सबूतों को मिटाने जैसे आरोप थे तो वहीं पंढेर पर अनैतिक तस्करी का आरोप था.
इस मामले की गूंज कई सालों तक देश में थी. लोगों ने पुलिस पर लापरवाही बरतने के आरोप लगाए थे. स्थानीय लोगों ने उस समय कहा था कि पुलिस इस मामले में इसलिए भी कार्रवाई नहीं कर सकी क्योंकि लापता होने वालों में से अधिकतर गरीब परिवार के थे. ये बच्चे पास की ही बस्ती निठारी में रहते थे और इसलिए इस केस को ‘निठारी कांड’ कहा जाता है.
गाज़ियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने इन दोनों को फांसी की सज़ा सुनाई थी, जिसे चुनौती देने वाली याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और एसएचए रिज़वी की बेंच ने सुनवाई की मंज़ूरी दी.
उच्च न्यायालय ने कहा कि अभियोजन पक्ष संदेह से परे अपना केस साबित करने में विफल रहा.
पंढेर की वकील मनीषा भंडारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को फ़ोन पर बताया, “इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश पंढेर की जेल से रिहाई का रास्ता तय कर सकता है.”
हालांकि, कोली के अभी भी जेल में ही रहने की संभावना है क्योंकि वो एक अन्य मामले में भी उम्रकैद की सज़ा काट रहे हैं.
वहीं, सीबीआई के अधिकारी ने पीटीआई से कहा कि उनकी टीम कोर्ट के आदेश की कॉपी मिलने का इंतज़ार कर रही है. इसे देखने के बाद ही अगले कदम पर फ़ैसला लिया जाएगा.
इन मामलों में हुए बरी
वर्ष 2006 में दोनों को किया गया था गिरफ़्तार
गाज़ियाबाद जेल में बंद कोली को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई किए जा रहे 12 मामलों में मौत की सज़ा सुनाई गई थी. वहीं पंढेर नोएडा की जेल में बंद हैं और उन्हें दो मामलों में मौत की सज़ा हुई थी.
पंढेर और कोली पर लड़कियों को अगवा करने, बलात्कार और कत्ल के आरोप हैं.
दोनों के ख़िलाफ़ साल 2007 में 19 मामले दर्ज किए गए थे. इनमें से तीन केस में सीबीआई ने सबूतों के अभाव में क्लोज़र रिपोर्ट दायर कर दी थी. बाकी बचे 16 मामलों में से कोली को पहले ही तीन केसों में बरी कर दिया गया था. एक केस में उनकी मौत की सज़ा को उम्रकैद में बदल दिया गया था.
कोली की सज़ा को उम्रकैद में बदलने वाले हाई कोर्ट के आदेश को उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. अभी ये मामला शीर्ष न्यायालय में लंबित है.
उन्हें बाकी 12 केसों में सोमवार को बरी कर दिया गया है.
पंढेर की वकील ने कहा कि शुरुआत में उनके मुवक्किल पर छह केस दर्ज हुए थे. इनमें से एक सीबीआई ने दर्ज किया था. बाकी पांच मामलों में पीड़ितों के परिवार ने उन्हें नामजद किया था.
वकील मनीषा भंडारी ने कहा कि इनमें से तीन मामलों में सत्र अदालतों ने उन्हें पहले ही बरी कर दिया था. बाकी तीन मामलों में उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आरोपमुक्त कर दिया. इनमें से एक केस में वह 2009 में ही बरी हो गए थे और बाकी दो में सोमवार को हुए हैं.
क्या था मामला?
ये सनसनीखेज़ मामला तब सामने आया था जब 29 दिसंबर, 2006 को पंढेर के घर के पास से गुज़रने वाले नाले में आठ बच्चों के कंकाल मिले.
मामले की जांच और पंढेर के घर के पास के नालों की तलाशी के बाद पुलिस को और कंकाल मिले. इनमें से अधिकतर अवशेष उन गरीब बच्चों और कम उम्र की महिलाओं के साथ जो इस इलाके से लापता थीं.
10 दिनों के अंदर सीबीआई ने इस केस का ज़िम्मा लिया और उनकी तलाशी में और भी हड्डियां मिलीं.
पंढेर और कोली साल 2006 से ही जेल में बंद हैं. दोनों ने सीबीआई कोर्ट के फ़ैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. इसी अर्ज़ी पर उच्च न्यायालय ने आज फ़ैसला सुनाया है.
निठारी कांड: मनिंदर सिंह पंढेर कल हो सकता है जेल से रिहा, फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी सीबीआई
निठारी कांड (Nithari scandal) में बरी किए गए मनिंदर सिंह पंढेर (Maninder Singh Pandher) की कल रिहाई हो सकती है. ऐसा इसलिए कि अब किसी मामले में उसकी सजा नहीं बची है. वहीं, सीबीआई (CBI) की लीगल विंग इसे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती देने की सिफारिश कर सकती है.