केंद्र-किसान वार्ता से योगेन्द्र यादव बाहर क्यों?

योगेंद्र यादव को केंद्र सरकार ने किसानों की वार्ता से बाहर क्यों किया?
किसानों के जिस प्रतिनिधिमंडल को केंद्र सरकार से वार्ता के लिए मंगलवार को बुलाया गया था उसमें स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव शामिल नहीं थे. कहा जा रहा है कि सरकार नहीं चाहती थी कि किसी राजनीतिक व्यक्ति को इसमें शामिल किया जाए.

अंग्रेज़ी अख़बार द हिन्दू ने इस ख़बर को प्रमुखता से जगह दी है. अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि कुछ किसान नेताओं के मुताबिक़ योगेंद्र यादव को प्रतिनिधिमंडल से बाहर वास्तव में पंजाब के कुछ यूनियनों के कारण रखा गया.

सोमवार की रात कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक पत्र जारी कर मंगलवार को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में शाम तीन बजे किसान यूनियनों को वार्ता के लिए आमंत्रित किया था. नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि 13 नवंबर को जो वार्ता में शामिल हुए थे उन्हें ही दोबारा वार्ता के लिए बुलाया गया है. पिछले महीने केवल पंजाब के किसान यूनियनों को वार्ता के लिए बुलाया गया था.

द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार केवल पंजाब के नेताओं को सीनियर ब्यूरोक्रेट्स से फ़ोन गए थे और बीजेपी नेता पिछले कुछ दिनों से अनाधिकारिक रूप से फ़ोन पर वार्ता कर रहे हैं.

हालाँकि मंगलवार को पंजाब के किसान यूनियनों ने फ़ैसला किया कि संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले अखिल भारत प्रदर्शन हो रहा है और वार्ता में सभी को शामिल किया जाए.
इस मोर्चे की समन्वय समिति सात सदस्यीय है जिसमें पंजाब के तीन नेता और योगेंद्र यादव के अलावा भारतीय किसान यूनियन के गुरनाम सिंह चौधरी, राष्ट्रीय किसान महासंघ के शिव कुमार काकाजी के साथ ऑल इंडिया किसान सभा के हन्नान मोल्लाह हैं.

योगेंद्र यादव ने द हिन्दू से कहा, ”अमित शाह ने ख़ुद पंजाब के नेताओं से बात की और कहा कि योगेंद्र यादव को शामिल नहीं किया जा सकता क्योंकि वो एक राजनीतिक पार्टी के प्रमुख हैं. पंजाब के नेता मुझे बाहर किए जाने के आधार पर वार्ता का बहिष्कार करने के लिए तैयार थे लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं वार्ता से अलग रहना चाहता हूं.”

किसान

अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार कुछ किसान समूह और नेताओं ने योगेंद्र यादव का हवाला देते हुए कहा कि शुरुआत में उन्होंने प्रदर्शनकारियों से बॉर्डर से बुराड़ी मैदान में शिफ़्ट होने का आग्रह किया था.

इससे लोग योगेंद्र यादव से नाराज़ हो गए. इसके अलावा इस बात से भी नाराज़गी थी कि योगेंद्र यादव और कुछ अन्य राष्ट्रीय नेताओं के आसपास मीडिया की मौजूदगी ज़्यादा थी जबकि उन्होंने मुट्ठी भर प्रदर्शनकारियों को ही लामबंद किया था.

दूसरी तरफ़ केंद्र सरकार ने केवल पंजाब के यूनियनों से वार्ता करने की बात कही ताकि दिखाया जा सके कि केवल एक राज्य से राजनीति से प्रेरित होकर विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा है. मंगलवार को जो वार्ता हुई है उसमें दूसरे राज्य के लोग भी शामिल थे.

हरियाणा

राजस्थान और हरियाणा में मुश्किल में बीजेपी

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस हरियाणा और राजस्थान में बीजेपी की सहयोगी पार्टियों के विधायकों की नाराज़गी का फ़ायदा उठाने में लगी है. हरियाणा में दुष्यंत चौटाला की जेजेपी मनोहर लाल खट्टर सरकार में शामिल है. खट्टर सरकार जेजेपी के समर्थन से ही चल रही है.

लेकिन मोदी सरकार के नए कृषि क़ानून के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन से दुष्यंत चौटाला और उनके विधायक असहज हैं. दूसरी तरफ़ राजस्थान में हनुमान बेनीवाल की आरएलपी के विधायक भी किसान आंदोलन के कारण बैकफुट पर है.

मंगलवार को केंद्र सरकार से किसानों की वार्ता नाकाम रहने के कारण इनके लिए स्थिति और विकट हो गई है. इन विधायकों को डर है कि अगर वो किसानों के साथ नहीं आए तो अगली बार उनके लिए चुनाव पर जाना मुश्किल हो जाएगा.

हरियाणा में बीजेपी गठबंधन सरकार को समर्थन दे रहे एक निर्दलीय विधायक ने समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी है. एक और विधायक ने किसानों के मुद्द पर ही सराकारी निकाय के प्रमुख से ख़ुद को अलग कर लिया. इ

इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कई विधायकों के संपर्क में हैं. हुड्डा ने इकोनॉमिक टाइम्स से कहा कि जेजेपी को बीजेपी विरोधी वोट मिला था जबकि चुनाव के बाद वो बीजेपी के साथ मिल गई. हुड्डा ने कहा किसान इन विधायकों को देख रहे हैं कि कौन उनके साथ है और कौन ख़िलाफ़.

अमरिंदर सिंह

केजरीवाल पर बरसे अमरिंदर सिंह

दैनिक जागरण में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा है कि आम आदमी पार्टी ने कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के साथ खड़े होने का ढकोसला किया है क्योंकि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 23 नवंबर को गजट नोटफिकेशन जारी कर इन क़ानूनों को दिल्ली में लागू कर दिया है.

अमरिंदर सिंह ने कहा कि इससे केजरीवाल का दोहरा चरित्र सामने आ गया है. उन्होंने कहा कि केजरीवाल चुनावी एजेंडे के तहत चालें चल रहे हैं.

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