केंद्र में राज्यों को जुए-सट्टे के विज्ञापन रोकने के निर्देश
केंद्र ने सभी राज्यों लिखा पत्र, इस तरह के विज्ञापनों पर नकेल कसने का किया आग्रह
इससे पहले सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने मीडिया के एक वर्ग को ऐसे विज्ञापनों को प्रकाशित और प्रसारित करने से बचने का परामर्श जारी किया था।
केंद्र सरकार ने जुए और सट्टेबाजी से संबंधित विज्ञापनों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है। इस प्रक्रिया में केंद्र ने मंगलवार को सभी राज्य सरकारों से जुए और सट्टेबाजी से संबंधित उन विज्ञापनों पर रोक लगाने का आग्रह किया है, जो देशभर में होर्डिंग्स और ऑटो-रिक्शा पर दिखाई देते हैं।
इस बाबत सूचना-प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है, जिसमें जुए और सट्टेबाजी मंचों से जुड़े होर्डिंग, बैनर और ऑटो-रिक्शा पर दिखने वाले विज्ञापनों पर अंकुश लगाने के लिए उचित कार्रवाई करने को कहा है।
चंद्रा ने कहा कि ऑनलाइन सट्टेबाजी के विज्ञापन भ्रामक हैं, और ये उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019, केबल टेलीविजन नेटवर्क विनियमन अधिनियम, 1995 के तहत विज्ञापन संहिता और प्रेस काउंसिल एक्ट, 1978 के तहत प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा निर्धारित पत्रकारिता आचरण के मानदंडों के अनुरूप नहीं दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि सट्टेबाजी और जुआ देश के ज्यादातर हिस्सों में अवैध है, इसलिए वे उपभोक्ताओं, विशेष रूप से युवाओं और बच्चों के लिए वित्तीय और सामाजिक आर्थिक जोखिम पैदा करते हैं।
इससे पहले सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने निजी टेलीविजन चैनल, डिजिटल समाचार प्रकाशकों और ओटीटी मंचों को ऐसे विज्ञापनों को प्रकाशित और प्रसारित करने से बचने का परामर्श जारी किया था। जुए और सट्टेबाजी मंचों के विज्ञापन मीडिया के एक वर्ग- प्रिंट, डिजिटल और टेलीविजन में दिखाई देने के बाद सरकार को यह परामर्श जारी करना पड़ा था, लेकिन मंंत्रालय के पास कई राज्यों में सट्टेबाजी को लेकर होर्डिंग और बैनर लगाए जाने के मामले सामने आए हैं।
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भ्रामक विज्ञापनों से उपभोक्ताओं को बचाने के लिए आगे आई सरकार, दिए दिशा-निर्देश
‘एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया’ के एक कार्यक्रम में उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने विज्ञापन कंपनियों से विज्ञापनों को जिम्मेदारी से संचालित करने पर जोर दिया।
सरकार ने एडवर्टाइजर वस और सोशल मीडिया से कहा है कि उन्हें विज्ञापनों में दी गई सूचनाओं या दावों को हैशटैग या लिंक के रूप में दिखाने के बजाय उन्हें प्रमुखता से दिखाना चाहिए।
मुंबई में सोमवार को ‘एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया’ (ASCI) के एक कार्यक्रम में उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए विज्ञापन कंपनियों से विज्ञापनों को जिम्मेदारी से संचालित करने पर जोर दिया।
इसके साथ ही उन्होंने एडवर्टाइजर वस और सोशल मीडिया से यह आग्रह भी किया कि वे किसी भी उत्पाद या फर्म को बढ़ावा देते समय उसके साथ अपने भौतिक संबंध का खुलासा करें और उपभोक्ता हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करें व निर्दिष्ट नियमों का उल्लंघन न करें।
रोहित कुमार सिंह ने कहा कि सभी हितधारक भ्रामक विज्ञापनों से बचें। संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में नियमों का उल्लंघन करने और भ्रामक विज्ञापनों में शामिल होने के लिए कुछ सोशल मीडिया एंफ्लुएंसर्स की जांच का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हम इस तरह की जांच नहीं करना चाहते हैं।
रोहित कुमार सिंह का कहना था,’ विज्ञापनों में क्रिएटिविटी का सम्मान है, लेकिन उपभोक्ताओं को गुमराह नहीं करना चाहिए। यदि आप सीमा का उल्लंघन करते हैं तो हमें पता है कि इससे कैसे निपटना है।’ सिंह ने उद्योग से उपभोक्ता हितों की रक्षा करने और स्वयं को विनियमित करने का आग्रह करते हुए यह भी कहा कि सरकार नियमों का पालन करने वालों का समर्थन करेगी।
रोहित कुमार सिंह ने कहा कि भारत में 75 करोड़ से अधिक इंटरनेट यूजर्स हैं, जिनमें करीब 50 करोड़ सोशल मीडिया यूजर्स हैं। ऐसे में उन्होंने इसे जिम्मेदारी से संचालित करने के महत्व पर जोर दिया।
सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के लिए नई गाइडलाइंस, 50 लाख तक जुर्माने का प्रावधान
क्या आप सोशल मीडिया का प्रयोग करते हैं, क्या आप सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हैं, यदि हां तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है
अब उपभोक्ता मामले के मंत्रालय ने 20 जनवरी, 2023 से सोशल मीडिया इन्फ्यूएंशन के लिए नए नियमों को लागू किए हैं। मंत्रालय का कहना है कि सोशल मीडिया इन्फ्लूएंशर भ्रामक या फिर पेड कंटेंट को गलत तरीके से सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं, जो कि नियमों का उल्लंघन है। ऐसा करने वाले सोशल मीडिया इन्फ्लूएंशर्स पर 50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। सोशल मीडिया पर भ्रामक या फिर पेड कंटेंट को गलत तरीके से प्रचारित करने पर शुरुआती तौर पर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा, जबकि नियमों का बार-बार उल्लंघन करने पर 50 लाख रुपए तक वसूले जाएंगे। इसके अलावा 6 वर्ष तक प्रॉडक्ट के प्रचार करने पर भी रोक लगाई जा सकती है।
बता दें कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर वे होते हैं, जिनके फॉलोअर्स की संख्या काफी अधिक होती है। ये इंस्टाग्राम, फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर किसी प्रॉडक्ट को प्रमोट करते हैं।
नई गाइडलाइंस के मुताबिक, सेलिब्रिटी, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और वर्चुअल इन्फ्लुएंसर कोई कंटेंट को प्रमोट कर रहे है, तो उसे बताना होगा कि यह पेड कंटेंट है या नहीं। दरअसल आम लोग पेड या अनपेड कंटेंट में फर्क नहीं कर पाते। साथ ही उन्हें यह भी बताना होगा कि वह उस प्रॉडक्ट का उपयोग करते हैं या नहीं। दरअसल, दर्शकों को लगता है कि कोई बड़ा सेलेब्रिटी किसी चीज का प्रमोशन कर रहा है तो वह प्रॉडक्ट सही ही होगा।
सरकार ने ये नया कानून सोशल मीडिया पर पेड कंटेंट का गलत तरीके से प्रमोशन करने और भ्रामक विज्ञापन को रोकने के लिए बनाया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2025 तक भारत में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर का मार्केट 20 फीसदी की ग्रोध के साथ 2,800 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है।
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विज्ञापन विवाद में फंसी आम आदमी पार्टी, 10 दिन में 164 चुकाने का जारी हुआ नोटिस
दिल्ली की आम आदमी पार्टी अब विज्ञापन विवाद में फंस गई है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दिल्ली के सूचना एवं प्रचार निदेशालय (DIP) ने आम आदमी पार्टी को 163.62 करोड़ रुपए सरकार के खाते में जमा करने का नोटिस जारी किया है। यह पैसा आम आदमी पार्टी को 10 दिनों के भीतर जमा कराना होगा, नहीं तो पार्टी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस राशि में 99.31 करोड़ रुपए मूलधन और 64.31 करोड़ रुपए पेनाल्टी इंटरेस्ट के रूप में शामिल हैं। यह एक्शन दिल्ली उपराज्यपाल वीके सक्सेना के उस निर्देश पर लिया गया, जिसमें उन्होंने मुख्य सचिव को 2015-2016 के दौरान राजनीतिक विज्ञापन को सरकारी बताकर पैसे के गलत इस्तेमाल के आरोप पर आम आदमी पार्टी से 97 करोड़ रुपए वसूलने का निर्देश दिया था।
रिपोर्ट्स के मानें तो आम आदमी पार्टी को 10 दिन के अंदर पूरा पैसा जमा करना होगा। अगर पार्टी ऐसा नहीं कर पाती तो दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के पिछले आदेश के अनुसार कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें पार्टी की संपत्तियां कुर्क की जा सकती हैं।
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सट्टेबाजी से जुड़े विज्ञापनों पर MIB की हिदायत को लेकर गूगल ने दिया अपना पक्ष
सरकार ने पिछले हफ्ते गूगल को एक पत्र भेजा है, जिसमें यह कहा गया है कि गगूल तत्काल ही ऑनलाइन सट्टेबाजी कंपनियों के विज्ञापनों को दिखाना बंद करे।
भारत सरकार ने गूगल से ऑनलाइन सट्टेबाजी कंपनियों के सरोगेट विज्ञापन को नहीं दिखाने की बात कही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले हफ्ते सूचना-प्रसारण मंत्रालय द्वारा गूगल को एक पत्र भेजा गया है, जिसमें यह कहा गया है कि गगूल तत्काल ही ऑनलाइन सट्टेबाजी कंपनियों के विज्ञापनों को दिखाना बंद करे। इस पत्र में गूगल से आगे कहा गया है कि वह फेयरप्ले, परीमैच, बेटवे जैसे सर्च रिजल्ट्स और यू-ट्यूब जैसे बेटिंग प्लेटफॉर्म्स से प्रत्यक्ष या परोक्ष सभी तरह के विज्ञापन तुरंत हटाए।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार द्वारा 3 अक्टूबर को दिए गए अंतिम सलाह के बाद टीवी चैनलों और ओटीटी (ओवर-द-टॉप) प्लेयर्स ऐसे विज्ञापन को नहीं चला रहे है, लेकिन गगूल और यूट्यूब पर ये विज्ञापन चल रहे थे। ऐसे में सरकार ने गूगल को यह पत्र लिखकर ऐसे विज्ञापनों को तुरंत बंद करने को कहा है।
इसी बाबत, टेक कंपनी गूगल से संपर्क साधा गया, तो उसने ये दावा किया कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर ऐसे किसी भी विज्ञापन की अनुमति नहीं देती है।
गूगल के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘हमारी विज्ञापन नीतियां, लागू किए गए स्थानीय कानून व नियमों के अनुसार, हम ऑनलाइन सट्टेबाजी को बढ़ावा देने वाले किसी भी विज्ञापन की अनुमति नहीं देते हैं।’
प्रवक्ता ने कहा, ‘हमारे विज्ञापन सिस्टम में ऐसी सख्त नीतियां हैं, जो इस तरह के उल्लंघन को रोक सकें और अगर हमें नियमों को तोड़ने वाले विज्ञापनों के बारे में सूचित किया जाता है, तो हम तुरंत कार्रवाई भी करते हैं।’
दरअसल, प्रवक्ता किए गए दो सवालों का जवाब दे रहे थे: 1) क्या ऐसे विज्ञापनों को अब हटा दिया जाएगा?; 2) ऐसे विज्ञापनों से अपने प्लेटफॉर्म को साफ करने में कितना समय लगेगा?
हालांकि जब उनसे तीसरा सवाल पूछा गया कि क्या इस कदम से कोई आर्थिक नुकसान होगा? तो उन्होंने इस पर कोई जवाब नहीं दिया।
बता दें कि सरकार ने 3 अक्टूबर को टीवी, प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म से आग्रह किया था कि वे सट्टेबाजी कंपनियों के विज्ञापनों को ऑनलाइन और सोशल मीडिया पर प्रकाशित न करें।
दरअसल, सूचना-प्रसारण की ओर से जारी की गई एडवाइजरी में कहा गया था कि देश के अधिकांश हिस्सों में सट्टेबाजी और जुआ अवैध है। ये ऑडियंस खासकर बच्चों के लिए अधिक वित्तीय और समाजिक-आर्थिक जोखिम पैदा करते हैं। ऑनलाइन सट्टेबाजी के विज्ञापनों से बड़े पैमाने पर निषिद्ध गतिविधि को बढ़ावा मिलता है।
मंत्रालय ने इससे पहले भी 13 जून, 2022 को एक एडवाइजरी जारी कर अखबारों, निजी टीवी चैनलों और डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स को ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म के विज्ञापन प्रकाशित करने से परहेज करने की सलाह दी थी।