राजीव के हत्यारों को फिर जेल भिजवायेगी मोदी सरकार, रिव्यू पिटिशन दायर

क्या राजीव गांधी के हत्यारे फिर जाएंगे जेल? रिहाई के खिलाफ केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की रिव्यू पिटिशन

Curated by चन्द्र प्रकाश पाण्डेय |

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से राजीव गांधी के 6 हत्यारों की रिहाई के फैसले की समीक्षा की मांग की है। उसने गुरुवार को कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल की। केंद्र ने दलील दी है कि रिहा किए गए 6 दोषियों में 4 विदेशी नागरिक हैं लिहाजा उनकी रिहाई के मामले में उसका पक्ष सुना जाना जरूरी है।

हाइलाइट्स
*राजीव गांधी के 6 हत्यारों की रिहाई के फैसले की समीक्षा को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की याचिका
*रिव्यू पिटिशन में केंद्र के तर्क- रिहा  6 दोषियों में 4 विदेशी, इसका अंतरराष्ट्रीय असर
*केंद्र ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में उसे सुनवाई का पर्याप्त मौका नहीं मिला, नहीं पेश हो पाए अहम तथ्य

सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को राजीव गांधी के 6 हत्यारों की रिहाई का आदेश दिया

नई दिल्ली 18 नवंबर : सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के 6 हत्यारे जेल से रिहा हो चुके हैं। हालांकि, वह फिर से जेल जा सकते हैं। कारण यह है कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटिशन दाखिल की है। पिटिशन में केंद्र ने बड़े दमदार तरीके तर्क दिये हैं कि क्यों पूर्व प्रधानमंत्री के हत्यारे मुक्त नहीं किए जाने चाहिए। अगर सुप्रीम कोर्ट रिव्यू पिटिशन सुनता है और केंद्र के तर्कों से संतुष्ट होता है तो राजीव गांधी के हत्यारों को फिर से जेल जाना पड़ेगा।
राजीव गांधी हत्याकांड के 6 दोषियों को रिहा करने के आदेश की समीक्षा की मांग करते हुए केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल की। उसमें केंद्र ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के दोषी विदेशी आतंकियों को छोड़ने में अदालत ने गलती की है। उसने रिव्यू पिटिशन पर खुली अदालत में सुनवाई की मांग की है। आम तौर पर जज इस तरह की सुनवाई चैम्बर में करते हैं।

केंद्र ने अपनी याचिका में कहा है कि 6 दोषियों- नलिनी श्रीहरन, संथन उर्फ रविराज, गुरुगन, रॉबर्ट पायस, जयाकुमार और रविचंद्रन उर्फ रवि को छोड़ने के आदेश की तुलना इसी मामले के एक और दोषी एजी पेरारिवलन को छोड़ने के पहले के आदेश से नहीं की जा सकती। पेरारिवलन भारतीय नागरिक था जबकि अभी जिन 6 दोषियों को रिहाई किया गया, उनमें 4 विदेशी हैं।
रिव्यू पिटिशन में कहा गया है, ‘जिन 6 दोषियों की सजा कम की गई है, उनमें से 4 श्रीलंका के नागरिक हैं। देश के पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के जघन्य अपराध में देश के कानून में दोषी ठहराए गए विदेशी आतंकियों को छूट का मामला ऐसा है जिसका अंतरराष्ट्रीय प्रभाव होता है । इसलिए यह भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में पूरी तरह भारत सरकार की संप्रभु शक्तियों के अधीन है।’
केंद्र ने अपनी याचिका में कहा है कि इस तरह के महत्वपूर्ण मामले में अदालत ने उसका पक्ष नहीं सुना। इसी वजह से कोर्ट में रिहाई के खिलाफ महत्वपूर्ण और ठोस प्रमाण पेश नहीं हो पाए। सरकार ने कहा है कि कोर्ट ने केंद्र का पक्ष सही से सुने बगैर 11 नवंबर को दोषियों को छोड़ने का फैसला किया जबकि वह इस मामले में एक महत्वपूर्ण पक्ष है।

राजीव गांधी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई 1999 को नलिनी, संथन, गुरुगन और अरिवु को दी गई मौत की सजा को यथावत रखा था। कोर्ट ने रॉबर्ट पायस, जयाकुमार और रविचंद्रन की मौत की सजा आजीवन कारावास में बदल दी थी और बाकी दोषियों की सजा निरस्त कर दी थी।
इसी साल 18 मई को सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन और 11 नवंबर को नलिनी समेत 6 और दोषियों की रिहाई का फैसला किया।

Will Killers Of Rajiv Gandhi Go In Jail Again As Centre Files Review Petition In Supreme Court?

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