योजनाओं की सफलता केंद्र-राज्य समन्वय पर निर्भर:डॉ. वीरेंद्र

Union Minister Dr. Virendra Kumar in Chintan Shivir for coordination
चिंतन शिविर में बोले केंद्रीय मंत्री डॉक्टर  वीरेंद्र कुमार- केंद्र-राज्य रथ के दो पहिये तालमेल जरूरी

दो दिवसीय शिविर में केंद्रीय मंत्री डॉक्टर वीरेंद्र कुमार अपनी पूरी टीम के साथ राज्यों के प्रतिनिधियों के बीच रहे।नशे के सौदागरों को सरकारी योजनाओं से रखा जाए दूर, 19 राज्य के मंत्रियों के चिंतन शिविर में उठी मांग  REFLECTION SHIVIR IN DEHRADUN
देहरादून में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की ओर से चिंतन शिविर आयोजित.

Union Minister Dr. Virendra Kumar
चिंतन शिविर का उद्घाटन करते केंद्रीय मंत्री डॉक्टर वीरेंद्र कुमार,मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आदि.

देहरादून 08 अप्रैल 2025। केंद्र और राज्य एक रथ के दो पहिये हैं। रथ तभी तेजी से दौड़ेगा, जब दोनों पहिये सही होंगे। इसलिए तालमेल होना जरूरी है। दो दिनी चिंतन शिविर के समापन पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉक्टर वीरेंद्र कुमार के संबोधन की ये पंक्तियां इस राष्ट्रीय आयोजन का उद्देश्य प्रभावी ढंग से समझा गई।

Central social justice and empowerment Union Minister Virendra Kumar Told old age homes and rehabilitation centers  will be opened in every district of Uttarakhand and other states
देश के हर जिले में खुलेगा वृद्धाश्रम

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉक्टर वीरेंद्र कुमार ने कहा कि देश के हर जिले में वृद्धाश्रम और नशा मुक्ति केंद्र खोलने को केंद्र सरकार मदद करेगी और इसको राज्यों को पैसा उपलब्ध कराएगी.

मसूरी रोड स्थित वैडिंग प्वाइंट में आयोजित  सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दो दिवसीय चिंतन शिविर के समापन समारोह में उन्होंने कहा कि हर जिले में वृद्धाश्रम और नशा मुक्ति केंद्र खोलने को केंद्र सरकार मदद करना चाहती है। इसके लिए वह राज्यों को पैसा उपलब्ध कराएगी। उन्होंने राज्यों में ट्रांसजेंडर बोर्ड बनाने की भी जरूरत बताई और कहा कि ट्रांसजेंडर के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम राज्य सरकारों के सहयोग बिना पूरा नहीं होगा। दिव्यांगजनों के सशक्तीकरण को भी सरकार प्रतिबद्धता से आगे बढ़ रही है।

नशे से निपटने को सामुदायिक लामबंदी और जागरूकता पर दिया जोर
चिंतन शिविर के दूसरे दिन नशीले पदार्थों की मांग घटाने की राष्ट्रीय कार्ययोजना (एनएपीडीडीआर) और नशामुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) में राष्ट्रीय प्रयासों पर प्रकाश डाला गया। राज्यों ने नशीले पदार्थों के सेवन से निपटने में फील्ड-स्तरीय चुनौतियां और नवाचार प्रस्तुत किये, जिसमें सामुदायिक लामबंदी और जागरूकता अभियानों की भूमिका पर जोर दिया गया। शिविर में ⁠34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 19 मंत्रियों और अफसरों ने भाग लिया।

शिविर में केंद्रीय मंत्री डॉक्टर वीरेंद्र कुमार अपनी पूरी टीम के साथ राज्यों के प्रतिनिधियों के बीच रहे। उन्होंने राज्यों की बातें सुनी, समस्याओं पर चर्चा की, सुझाव नोट किये और वंचित वर्ग के कल्याण को राज्यों से और सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की।

समापन समारोह में केंद्रीय मंत्री डॉक्टर वीरेंद्र कुमार ने कहा कि केंद्र सभी राज्यों के लिए समान रूप से योजनायें बनाता है। राज्य उनका क्रियान्वयन  जिम्मेेदारी से नहीं करे, तो योजना चाहे जितनी अच्छी हो, सफल नहीं हो सकती।

राज्यों के मंत्रियों ने रखी बात, मिला जवाब
चिंतन शिविर के दूसरे दिन 19 राज्यों के मंत्रियों ने अपने-अपने प्रदेशों से संबंधित विषय उठाये। केंद्रीय मंत्री डॉक्टर वीरेंद्र कुमार और केंद्रीय राज्य मंत्री बीएल वर्मा की मौजूदगी में केंद्रीय सचिव अमित यादव ने मंत्रियों की जिज्ञासा शांत की। केंद्रीय मंत्री डॉक्टर वीरेंद्र कुमार ने भी अपने संबोधन में सभी विषय छुये और कहा कि राज्यों के लिए उनके मंत्रालय के दरवाजे हर समय खुले हैं।
उत्तराखंड समेत कई राज्यों की मिली प्रशंसा
केंद्रीय मंत्री डॉक्टर वीरेंद्र कुमार ने  राज्यों का जमकर उत्साहवर्धन किया, लेकिन कमियां गिनाने से भी नहीं चूके। उन्होंने उत्तराखंड समेत कई राज्यों की प्रशंसा की। नमस्ते योजना केे क्रियान्वयन के संबंध में उन्होंने चंड़ीगढ़ व केरल की पीठ थपथपाई, तो ट्रांसजेंडर कल्याण योजना को तेलगांना को शाबासी दी। बिहार में भिक्षावृत्ति मुक्ति अभियान, मध्य प्रदेश व गुजरात की ओबीसी व घुमंतु जाति के उत्थान को कल्याणकारी योजनाओं पर सराहना की। उत्तराखंड में नशामुक्ति अभियान के प्रयासों पर मंत्री ने खुशी जताई।

बिना नाम लिए राज्यों की कमियां भी रेखांकित की
कैबिनेट मंत्री ने किसी राज्य का नाम तो नहीं लिया, लेकिन यह जरूर कहा कि कई राज्यों से अनुसूचित जाति के बच्चों की विदेश में पढ़ाई संबंधित योजना को एक भी आवेदन नहीं आता। ऐसे राज्यों से जागरूकता फैलाने की उन्होंने अपील की। उन्होंने राज्यों के स्तर पर उपयोगिता प्रमाणपत्र देने में देरी का मामला भी उठाया। उन्होंने कहा, समय पर उपयोगिता प्रमाणपत्र देने और संबंधित खाते में पैसा शेष न रहने की स्थिति में अगली किस्त जारी करने में केंद्र के स्तर पर जरा भी देरी नहीं होती है, लेकिन कई राज्य इसका पालन नहीं कर पाते। इससे उन्हें धनराशि देर से अवमुक्त हो पाती है। उन्होंने कहा, अनुसूचित जाति की बेहतरी के लिए विशेष न्यायालय, विशेष थाने खोलने के भी राज्य स्तर पर प्रयास होने चाहिए।

क्या नशे के सौदागरों को सरकारी योजनाओं से दूर रखा जा सकता है? ऐसा कानून अगर बना तो देश में नशे के अपराधियों पर नकेल लग सकेगी?    ये सवाल इसलिए उठ रहे है क्योंकि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के चिंतन शिविर में राज्यों के मंत्रियों ने यह विषय उठाया. मंत्रियों ने देशभर में तेजी से फैलते नशे को लेकर विस्तृत चर्चा की. नशा राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बना है. जिसे लेकर चिंतन शिविर में  राज्यों के कैबिनेट मंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों की स्थितियां बताई.

दो दिवसीय राष्ट्रीय चिंतन शिविर में राज्यों के कैबिनेट मंत्रियों ने तेजी से फैलते नशे की रोकथाम पर विशेष जोर दिया.  मंत्रियों ने कहा कि नशा जड़ से समाप्त करने को भारत सरकार कोई ऐसा कानून बनाए कि कोई नशा तस्कर पकड़ा जाए तो उसके परिवार को सरकारी योजनाओं और सरकारी नौकरियों से वंचित रखा जाए. साथ ही उसे अधिकाधिक सजा दी जाए. क्योंकि नशा मुक्ति अभियान में राज्य और केंद्र सरकार करोड़ों रुपए खर्च करती है. लेकिन उसका कोई असर धरातल पर दिख नहीं रहा है. ऐसे में राज्य और केंद्र सरकारों को कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत है.

नशे के सौदागरों को सरकारी योजनाओं से रखा जाए दूर
देश के तमाम राज्यों में तेजी से फल फूल रहा नशा एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. दो दिवसीय चिंतन सभी के समापन के बाद सिक्किम के सोशल वेलफेयर मंत्री समदुप लेप्चा ने कहा कि

समदुप लेप्चा ने कहा कि भारत सरकार नशे को लेकर कड़ा कानून बनाए जिसमें नशे के धंधे में सम्मिलित लोगों को सरकारी नौकरी से वंचित रखने के साथ ही उनका धंधा समाप्त करने के साथ अधिकाधिक सजा का प्रावधान करे, तभी तेजी से बढ़ती नशाखोरी पर लगाम लगेगा. उन्होंने कहा कि कड़े प्रावधानों से नशे पर लगाम लग सकता है. ऐसे में भारत सरकार और राज्य सरकारों को इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ा चिंतन मनन की जरूरत है.

पत्रकारों से बातचीत में मध्यप्रदेश के समाज कल्याण मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने कहा कि

चिंतन शिविर में राज्यों के कैबिनेट मंत्रियों की ओर से नशा रोकने के लिए कड़े प्रावधान किए जाने के सवाल पर केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि

यह विषय गृह विभाग से संबंधित विषय है. ऐसे में गृह मंत्रालय की ओर से नशा तस्करों के खिलाफ सख्ती के साथ कार्रवाई की जा रही है. साथ ही नशा मुक्ति के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. ताकि नशे में संलिप्त लोग खुद ही इस धंधे से दूर हट जाएं. इसके अलावा सीमावर्ती राज्य में जो चुनौतियां हैं उन चुनौतियों से निपटने के लिए गृह मंत्रालय अपने सीमा सुरक्षा दल और अन्य वाहिनियों के जरिए सीमा पर चौकसी बरत रही है.

19 राज्यों के मंत्री हुए शामिल: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पहली बार सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय चिंतन शिविर में 34 राज्यों के अधिकारी और 19 राज्यों के कैबिनेट मंत्री शामिल हुए. शिविर में दोनों विभागों की योजनाओं पर चर्चा हुई. साथ ही अनुसूचित वर्ग, शिक्षा, सफाई कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों पर भी चर्चा हुई.

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