हार बाद लालू खानदान में महाभारत, बेटी रोहिणी ने घर छोड़कर दिया शाप

rohini acharya quits politics and distances from lalu family after defeat
गालियां देकर कहा मैं गंदी हूं, गंदी किडनी लगवाई, मेरी जैसी गलती…’ रोहिणी आचार्य का भावुक पोस्ट
लालू यादव परिवार में उथल-पुथल बीच उनकी बेटी रोहिणी आचार्य के भावुक और तीखे सोशल मीडिया पोस्ट ने खराब संबंध खोल दिए हैं.उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें ‘गंदी किडनी’ कह अपमानित किया गया । पिता बचाने को उनका त्याग आज तिरस्कार का कारण बनाया गया.उन्होने शादीशुदा बेटियों से अपील की कि वो ‘मेरी जैसी गलती’ न करें और अपने मायके से अधिक अपने घर-परिवार को प्राथमिकता दें.

रोहिणी आचार्य ने तेजस्वी पर लगाए गंभीर आरोप
पटना,16 नवंबर 2025,बिहार में राष्ट्रीय जनता दल में अंतर्कलह में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य की  अति भावुक और तीक्षण सोशल मीडिया पोस्ट सामने है. रोहिणी ने दावा किया कि उन्हें गालियां दे पिता को दी किडनी को ‘गंदी किडनी’ कह उन्हे अपमानित किया गया. आरोप लगाया गया कि ‘करोड़ों रुपये लेकर टिकट के बदले अपने पिता को किडनी लगवाई.’

मेरी जैसी गलती कोई और बेटी न करें: रोहिणी

रोहिणी ने पोस्ट में लिखा, ‘कल मुझे गालियों के साथ बोला गया कि मैं गंदी हूं और मैंने पिता को अपनी गंदी किडनी लगवा दी,करोड़ों रुपये लिए,टिकट लिया तब लगवाई गंदी किडनी. उन्होंने आगे कहा कि उन्हें यह भी तंज सुनना पड़ा कि किडनी लगवाने को सौदेबाज़ी की गई.’
चुनाव में करारी हार के बाद रोहिणी आचार्य ने छोड़ी राजनीति, परिवार से भी बनाई दूरी
पोस्ट में रोहिणी ने शादीशुदा बेटियों और महिलाओं से दर्द से भरी अपील की कि, ‘सभी विवाहित बेटी-बहनों को मैं बोलूंगी कि आपके मायके में कोई बेटा-भाई हो, तो भूल कर भी अपने भगवान रूपी पिता को नहीं बचाएं. अपने भाई, उस घर के बेटे को ही बोलें कि वो अपनी या किसी हरियाणवी दोस्त की किडनी लगवा दें.’

बेटी के त्याग को गलत तरीके से पेश किया’

उन्होंने कहा कि एक शादीशुदा बेटी के त्याग को ‘आज की राजनीति ने गलत तरीके से पेश कर दिया. सभी बहन-बेटियां अपना घर-परिवार देखें, अपने माता-पिता की परवाह किए बिना अपने बच्चे, काम, ससुराल देखें, सिर्फ अपने बारे में सोचें. मुझसे तो ये बड़ा गुनाह हो गया कि मैंने अपने तीनों बच्चों, घर-परिवार को नहीं देखा, किसी से बिना पूछे पिता को बचाने का निर्णय लिया.’

रोहिणी ने दुख जताया कि उनके जीवन का सबसे बड़ा त्याग आज उनके खिलाफ हथियार बनाया जा रहा है. मेरे जैसा गुनाह कभी न करें, किसी घर में रोहिणी जैसी बेटी न हो.’

इस पोस्ट से बिहार के राजनीतिक गलियारे में हलचल मच गई. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बयान से लालू परिवार में बढ़ते तनाव की तस्वीर और साफ हो रही है.

रोहिणी आचार्य इससे पहले भी सोशल मीडिया पोस्ट से परिवार और राजनीति छोड़ने की बात कह चुकी हैं. शनिवार को उन्होंने एक्स पर लिखा था कि मैं राजनीति छोड़ अपने परिवार से नाता तोड़ रही हूं. एयरपोर्ट पर आरोप लगाया कि हार का कारण पूछने पर उन्हें पीटने को चप्पल उठायी गयी. फिर रविवार को रोहिणी ने एक अन्य पोस्ट कर बताया कि उन्हें गंदी-गंदी गालियां दी गई जिसके बाद वो अपने बूढ़े माता-पिता को छोड़ने को मजबूर हो गईं.

लालू परिवार से इतनी नाराज़ क्यों हैं रोहिणी, पार्टी में क्या है संजय यादव का रोल?

रोहिणी आचार्य के बयान ने बिहार में लालू परिवार के सामने राजनीतिक सवाल खड़े कर दिए हैं ( फ़ाइल फ़ोटो)

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे  आते ही राज्य में लालू परिवार की आपसी लड़ाई खुलकर सामने आ गई है.

ये वही रोहिणी आचार्य हैं जिन्होंने लालू प्रसाद यादव को अपनी एक किडनी दी तो देश भर में चर्चा हुई थीं. तब परिवार के सदस्य रोहिणी को लेकर काफ़ी भावुक बयान दे रहे थे.अब उन्हीं रोहिणी आचार्य ने यहां तक कह दिया कि उनका कोई परिवार नहीं है.

उन्होंने मीडिया को बयान दिया , “मेरा कोई परिवार नहीं है. अब ये आप संजय, रमीज़, तेजस्वी यादव से पूछिए. उन्हीं ने मुझे परिवार से निकाला है क्योंकि उन्हें ज़िम्मेदारी लेनी नहीं है. पूरा देश, पूरी दुनिया सवाल कर रही है कि पार्टी का ऐसा हाल क्यों हुआ.”

यह आरजेडी में तेजस्वी यादव और उनके क़रीबियों के सामने असामान्य हालात पैदा कर सकता है, हालाँकि अभी तक तेजस्वी, लालू या उनके किसी क़रीबी का पक्ष इस मामले में सामने नहीं आया है. विवाद पर पार्टी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, “यह पारिवारिक मामला है और परिवार जवाब देंगा. पार्टी का शीर्ष नेतृत्व मामला देखेगा. अभी तो चुनाव परिणाम आए हैं. इस तरह के परिणाम क्यों आए, इसकी समीक्षा होगी.”

लालू यादव बेटी रौहिणी आचार्य के साथ

“तभी इस पर कोई प्रतिक्रिया होगी.बाक़ी तो सब लोग जानते हैं कि जैसे रोहिणी ने आदर्श प्रस्तुत किया, हर माँ-पिता, भाई चाहेगा कि रोहिणी जैसी बेटी, रोहिणी जैसी बहन सबको मिले.”

रोहिणी आचार्य ने अपने बयान में ‘चाणक्य’ शब्द इस्तेमाल किया है. बिहार के राजनीतिक गलियारों में तेजस्वी के क़रीबी संजय यादव को उनका चाणक्य कहा जाता है.संजय यादव ही तेजस्वी यादव और आरजेडी का रणनीतिकार है। उसकी पार्टी से जुड़े महत्वपूर्ण फ़ैसलों में बड़ी भूमिका मानी जाती है.

पिता को किडनी देकर रोहिणी आई थीं चर्चाओं में

रोहिणी आचार्य पहले भी आरजेडी में कुछ लोगों को मिलते ख़ास महत्व पर सवाल उठा चुकी हैं (फ़ाइल फ़ोटो)

रोहिणी आचार्य ने  आरजेडी के टिकट पर सारण लोकसभा सीट से पिछला चुनाव लड़ा लेकिन हार गई .लालू प्रसाद यादव के नौ बच्चों में रोहिणी दूसरी संतान हैं. लालू की सबसे बड़ी बेटी मीसा भारती हैं. 46 वर्षीय रोहिणी का जन्म एक जून 1979 को पटना का है. रोहिणी ने जमशेदपुर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस भी किया. हालांकि उन्होंने कभी प्रैक्टिस नहीं की.

रोहिणी की शादी 24 मई 2002 को समरेश सिंह से हुई थी, जो सिंगापुर में हैं. बताते है कि समरेश सिंह ने सिंगापुर से एमबीए की  है और उनको सिंगापुर में ही नौकरी भी मिल गई थी. वें औरंगाबाद के पास दाउनगर के हैं और उनका राजनीति से कोई संबंध नहीं रहा है.

साल 2022 में अपने पिता लालू प्रसाद यादव को किडनी देते रोहिणी ने अपने बचपन की एक तस्वीर डाल ट्विटर पर लिखा था, “माँ- पिता मेरे लिए भगवान हैं. मैं उनके लिए कुछ भी कर सकती हूँ. आप सबों की शुभकामनाओं ने मुझे और मजबूत बनाया है. मैं आप सबका दिल से आभार प्रकट करती हूँ. सब का विशेष प्यार और सम्मान मिल रहा है. मैं भावुक हूँ. सबको दिल से आभार कहना चाहती हूँ.”

सिंगापुर में अपने पिता को किडनी देने से पहले रोहिणी ने लगातार कई भावुक ट्वीट किए, तब बाप-बेटी के रिश्तों पर खूब चर्चा हुई थी.अब उन्हीं रोहिणी ने अपने माँ-बाप पर भी मौजूदा विवाद को लेकर आरोप लगाए हैं और परिवार से रिश्ता ख़त्म करने की बात की है.

क्या है विवाद की वजह
@yadavtejashwiचुनावी नाकामी के साथ ही तेजस्वी यादव के लिए पारिवारिक चुनौती भी सामने आ गई है (फ़ाइल फ़ोटो)
हालाँकि राजनीतिक दलों में इस तरह का विवाद पहले भी कई बार देखने को मिला है. राष्ट्रीय स्तर के दलों से लेकर क्षेत्रीय दलों में इस तरह के विवाद पहले भी दिखे हैं.

बिहार में ही किसी राजनीतिक दल में इसका सबसे हालिया उदाहरण एलजेपी में रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस और बेटे चिराग पासवान में दिखा था, जब साल 2021 में एलजेपी दो हिस्सों में टूट गई. कभी कांग्रेस पार्टी में मेनका गांधी से जुड़ा विवाद गाँधी परिवार में दिखा था. उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के निधन से पहले ही समाजवादी पार्टी में उनके बेटे और भाई में विवाद दिखा था.वहीं मायावती की बहुजन समाज पार्टी में भी उनके भतीजे को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है.महाराष्ट्र में शरद पवार की एनसीपी में उनके भतीजे अजीत पवार के बीच कुछ ऐसा ही विवाद दिखा है और पार्टी दो टुकड़ों में बंट गई. यही दृश्य एमजी रामचंद्रन, करुणानिधि,ममता,सिंधिया, एन टी रामाराव, चंद्रशेखर राव आदि परिवारों में दिखा. देखा यह जाता है कि ऐसे हालात से आप कैसे निपटते हैं.पार्टी में संजय यादव का दखल और तेजस्वी पर कंट्रोल बढ़ा है और आम कार्यकर्ताओं से लेकर विधायकों और सांसदों ने इसकी शिकायत की है. देखना होगा कि वो इससे कैसे निपटते हैं.”

आरोप यह लगाया जाता है कि लालू यादव जब सक्रिय राजनीति में थे तो वो कार्यकर्ताओं और समर्थकों तक के लिए उपलब्ध होते थे, जबकि तेजस्वी यादव से मिलना या उनसे संपर्क कर पाना पार्टी के ख़ास लोगों के लिए भी मुश्किल हो गया है.

कौन हैं संजय यादव

संजय यादव ने जब राज्यसभा के लिए नामांकन किया था तब लालू परिवार के कई लोग मौजूद थे, जो पार्टी में उनके क़द की तरफ इशारा करता है (फ़ाइल फ़ोटो)
वरिष्ठ पत्रकार फ़ैजान अहमद कहते हैं, “रोहिणी ने रमीज़ और संजय यादव पर आरोप लगाए हैं. रमीज़ के बारे में सार्वजनिक तौर पर लोगों को बहुत कुछ पता नहीं है. वो मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और क्रिकेट के मैदान से ही संजय यादव की तरह तेजस्वी के क़रीबी दोस्त हैं.”

उनके मुताबिक़, “रमीज़ राजनीतिक परिवार से आते हैं. वो फ़िलहाल पार्टी के सोशल मीडिया और चुनाव प्रचार को देख रहे थे. हालाँकि पार्टी के फ़ैसलों में उनकी क्या भूमिका होती थी, इसके बारे में बहुत कुछ पता नहीं है.”

वहीं संजय यादव की भले ही पार्टी के फ़ैसलों में भूमिका बताई जाती है लेकिन वो आमतौर पर पर्दे के पीछे रहकर काम करते रहे हैं.

नलिन वर्मा के मुताबिक़, “रमीज़ साल 2016 के आसपास से तेजस्वी के साथ हैं. जब आप राजनीति में होते हैं तो आमतौर पर ऐसा होता है कि आपके पुराने मित्र आपके साथ नज़र आने लगते हैं. लेकिन उनकी पार्टी में क्या भूमिका है यह लोगों को नहीं पता है, इसलिए इस पर कुछ भी कहना उचित नहीं है.”

वो कहते हैं, “संजय यादव को लेकर कई लोगों की शिकायत रही है कि उन्होंने तेजस्वी को कंट्रोल में ले लिया है. ऐसी शिकायत लालू के ज़माने में भी प्रेमचंद गुप्ता को लेकर रहती थी, लेकिन उन्होंने इसे संभाल लिया था.”तेजस्वी यादव और संजय यादव के बीच मित्रता इतनी गाढ़ी है कि आरजेडी ने अपने कई पुराने और वरिष्ठ नेताओं को छोड़कर पिछले साल संजय यादव को राज्यसभा भेजा.

माना जाता है कि आरजेडी को लालू प्रसाद यादव की पहचान से बाहर निकाल कर उसे तेजस्वी यादव के साथ जोड़ने की कोशिश में संजय यादव की बड़ी भूमिका है.साल 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनावों में आरजेडी को बड़ा फ़ायदा हुआ था. चुनाव प्रचार में तेजस्वी ने आरजेडी की सरकार बनने पर 10 लाख लोगों को नौकरी देने का वादा किया था, माना जाता है कि यह संजय यादव की बनाई रणनीति थी.

उन चुनावों में तेजस्वी के प्रचार के दम पर आरजेडी राज्य की सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी और इसने संजय यादव के क़द को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई.

   आरजेडी में बीते कुछ साल में संजय यादव का क़द लगातार बढ़ा है (फ़ाइल फ़ोटो)
साल 1984 में हरियाणा के महेंद्रगढ़ ज़िले के नांगल सिरोही गाँव में जन्मे संजय यादव कंप्यूटर साइंस से एमएससी हैं. राज्यसभा की वेबसाइट के मुताबिक़ उनका स्थायी घर दिल्ली के नज़फ़गढ़ में है.संजय यादव तेजस्वी यादव के उन दिनों के साथी हैं, जब तेजस्वी का राजनीति से कोई सरोकार नहीं था और वो दिल्ली में क्रिकेट के मैदान में पसीने बहा रहे थे.

कहा जाता है कि संजय से तेजस्वी की निजी और बहुत गहरी मित्रता है. तेजस्वी के लिए उन्होंने एमएनसी (बहुराष्ट्रीय कंपनी) की अपनी नौकरी तक छोड़ दी और बिहार आ गए.

साल 2013 में चारा घोटाला मामले में लालू के जेल जाने के बाद राबड़ी देवी ने तेजस्वी को दिल्ली से बिहार बुला लिया. लेकिन तेजस्वी का बिहार में मन नहीं लग रहा था, वो अपने मित्रों से दूर हो गए थे, तब उन्होंने अपने साथी संजय यादव को बिहार बुला लिया.बिहार आकर उन्होंने कुछ साल तक यहाँ की राजनीति को समझा, चुनावी समीकरण और आँकड़ों पर काम किया.संजय यादव ने ज़रूरत के मुताबिक़ आरजेडी में कई तरह के तकनीकी और डिजिटल दौर के बदलाव भी किए.

माना जाता है कि संजय यादव ने ही आरजेडी में मौजूदा समय के लिहाज से कई बदलाव कराए. उन्होंने मुस्लिम-यादव समीकरण से बाहर अन्य वर्गों और बिहार के युवाओं को जोड़ने की रणनीति बनाई.

पहले भी रहे हैं रोहिणी के निशाने पर

कहा जाता है कि नए समीकरण बनाने में आरजेडी के पुराने लोगों की अनदेखी होती गई है (फ़ाइल फ़ोटो)
हालाँकि ऐसा भी नहीं है कि संजय यादव की मौजूदगी में तेजस्वी यादव और आरजेडी के लिए सबकुछ अच्छा ही हुआ है. संजय यादव पर बड़ा आरोप यह लगता है कि उन्होंने तेजस्वी को अपने नियंत्रण में ले लिया है और आरजेडी के पुराने लोग दरकिनार कर दिए गए हैं.

संजय यादव से जुड़ा पिछला विवाद इसी साल सितंबर महीने में ख़ुलकर सामने आया था.

दरअसल तेजस्वी यादव ने 16 सितंबर से बिहार अधिकार यात्रा की थी, जो जहानाबाद से शुरू हुई थी. इस यात्रा के दौरान सोशल मीडिया पर संजय यादव फ़्रंट सीट पर बैठे थे.संजय यादव के फ़्रंट सीट पर बैठने को लेकर रोहिणी आचार्य ने नाराज़गी जताई.

उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “फ़्रंट सीट सदैव शीर्ष नेता की होती है और उनकी अनुपस्थिति में किसी को भी उस सीट पर नहीं बैठना चाहिए. वैसे अगर कोई अपने आप को शीर्ष नेतृत्व से भी ऊपर समझ रहा है, तो अलग बात है।

          रमीज नेमत और संजय यादव

दो हत्या, गैंगस्टर एक्ट सहित 11 केस..तेजस्वी के ख़ास रमीज नेमत की क्राइम कुंडली,बिजनेस पार्टनर भी नहीं छोड़ा 
तेजस्वी यादव के खास सलाहकार रमीज नेमत की क्राइम हिस्ट्री,दो हत्याएं, हत्या का प्रयास, बलवा और गैंगस्टर एक्ट सहित कुल 11 मुकदमे, लालू परिवार और RJD में खलबली मचा रहा मामला।

बिहार चुनाव नतीजों ने लालू प्रसाद यादव के परिवार में जो राजनीतिक बवंडर खड़ा किया है, उसके केंद्र में बाहुबली कनेक्शन भी है। लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने भाई तेजस्वी यादव से रिश्ता तोड़ RJD के खराब प्रदर्शन को जिन्हें जिम्मेदार ठहराया, उनमें तेजस्वी के सलाहकार संजय यादव के साथ-साथ रमीज नेमत भी है। रमीज नेमत की क्राइम कुंडली ने न केवल लालू परिवार में तूफान ला दिया है, बल्कि बिहार की राजनीति को उत्तर प्रदेश के बाहुबलियों से भी जोड़ दिया है। रमीज नेमत, समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद  ललितपुर जेल में बंद रिजवान जहीर का दामाद है। रमीज पर बलरामपुर और कौशांबी जिलों में हत्या, हत्या का प्रयास और बलवा जैसे गंभीर आरोपों में 11 मुकदमे हैं।

रमीज पर सबसे सनसनीखेज आरोप नगर पंचायत तुलसीपुर के पूर्व चेयरमैन फिरोज पप्पू की हत्या का है। इसी हत्या में उसके ससुर रिजवान जहीर जेल में हैं। फिरोज अहमद उर्फ फिरोज पप्पू की 4 जनवरी 2022 की रात 10 बजे सर पर वार और गला रेतकर हत्या हो गई थी। पुलिस तफ्तीश में भाड़े के दो आरोपितों के साथ-साथ पूर्व सांसद रिजवान जहीर, उनकी बेटी जेबा और उसके पति रमीज को पकड जेल भेजा था। अब इसी रमीज से लालू परिवार में तूफान आया है, रोहिणी आचार्य ने उस पर बदसलूकी का आरोप लगाया है।

रमीज पर एक और सनसनीखेज हत्याकांड का आरोप है। यह मर्डर किसी और का नहीं, बल्कि उसके क्राइम और बिजनेस पार्टनर शकील अहमद का था। शकील फिरोज पप्पू हत्याकांड में पकड़ा गया और जमानत पर रिहा हुआ तो 7 अक्टूबर 2023 को कौशांबी में उसकी हत्या हो गई। शकील के भाई अफरोज ने कौशांबी के कोखराज थाने में रमीज के खिलाफ नामजद एफआईआर करवाई थी। अफरोज का आरोप था कि 25 लाख रुपये लेनदेन में रमीज ने शकील को बुला उसकी हत्या करके लाश रेलवे लाइन पर फेंक दी।

क्रिकेट से दोस्ती, फिर तेजस्वी की शरण

रमीज नेमत की क्राइम हिस्ट्री देखें तो उसके खिलाफ हत्या का प्रयास, बलवा, हत्या का षड्यंत्र, हत्या, गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे हैं। रमीज नेमत पर 11 जुलाई 2022 को एनएसए (NSA) भी लगा था, बाद में हटा लिया गया।

दिल्ली में हुई मुलाकात: रमीज नेमत सांसद रिजवान जहीर के चचेरे भाई नियामतुल्लाह का बेटा है, जो दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे। रमीज खुद क्रिकेटर था और वहीं वह तेजस्वी यादव से मिला।

शादी के बाद बलरामपुर: अपने चाचा रिजवान जहीर की बेटी जेबा से शादी कर वह  बलरामपुर रहने लगा। इसी से रमीज नेमत की क्राइम हिस्ट्री में उसका पता भी शीतलापुर सांसद आवास बलरामपुर है।

योगी सरकार की कार्रवाई: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गैंगस्टर एक्ट में उसकी शीतलापुर की कोठी कुर्क की है।

शकील अहमद के भाई अफरोज का दावा है कि रमीज जेल से छूट सीधे बिहार चला गया और वहाँ तेजस्वी का रणनीतिकार बन गया। दोहरे हत्याकांड और गैंगस्टर एक्ट आरोपित का लालू परिवार और RJD के शीर्ष नेतृत्व के साथ संबंध, रोहिणी आचार्य के आरोपों को और भी विश्वसनीय बनाता है, जिसने बिहार की राजनीति में बड़ा भूचाल ला दिया ।

इस बीच रोहिणी आचार्य की ‘राजनीतिक महत्वाकांक्षा’ को ऑनलाइन ट्रोलिंग भी शुरू हो गई. तो रोहिणी ने अपने भाई तेजस्वी और पिता लालू प्रसाद यादव दोनों को ही सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर अनफ़ॉलो कर दिया.

मौजूदा विवाद पर नलिन वर्मा कहते हैं, “अब भी आरजेडी के पास बिहार में सबसे बड़ा वोट बैंक है, इसलिए मौजूदा विवाद फ़ौरी तौर पर बहुत बड़ा दिख हो लेकिन इसका भविष्य में बहुत बड़ा असर होगा, ऐसा नहीं कह सकते हैं.साल 2010 में आरजेडी 22 सीटों पर सिमट गई , लेकिन 2015 में फिर से खड़ी हो गई. 2020 में यह बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनी. ऐसे ही 2014 में जेडीयू को लोकसभा में मात्र दो सीटें मिली और पिछले विधानसभा चुनाव में केवल 43 सीटें । कहा जाने लगा कि नीतीश की पार्टी ख़त्म हो रही है.” नीतीश कुमार और जेडीयू ने इस चुनाव में ज़बरदस्त वापसी की . उम्र और स्वास्थ्य चुनौतियों में भी नीतीश कुमार  फिर से चर्चित हैं. तेजस्वी यादव भी आरजेडी को पटरी पर ला सकते हैं,  देखना होगा कि इसका रास्ता क्या होगा और वो इसमें कितने सफल रहते हैं.

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