साहित्य भूषण पुरस्कार राशि मुख्यमंत्री धामी ने की पांच लाख रुपए
देहरादून 14 सितंबर 2024 । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को सर्वे चौक स्थित आई.आर.डी.टी प्रेक्षागृह, देहरादून में उत्तराखंड भाषा संस्थान आयोजित ’हिंदी दिवस समारोह-2024’ में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने उत्तराखण्ड भाषा संस्थान की पुस्तक ‘‘ उत्तराखण्ड की लोक कथाएं ’’ का विमोचन किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कविता लेखन, कहानी लेखन, यात्रा वृतान्त लेखन और नाटक लेखन प्रतियोगिता के प्रथम तीन स्थान प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया और बोर्ड परिक्षाओं में हिन्दी में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित भी किया।
मुख्यमंत्री धामी ने सभी को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए हिंदी भाषा के उत्थान और संवर्धन को महत्वपूर्ण योगदान देने वालों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हिंदी एक भाषा का उत्सव नहीं बल्कि हमारी संस्कृति के गौरव का अवसर है। हिंदी एक भाषा ही नहीं हमारे राष्ट्र की आत्मा भी है। हिंदी ने हमारे समाज को जोड़ा है और हमारी सभ्यता को समृद्ध किया है। विश्व पटल पर हिंदी ने हमें विशेष स्थान दिलाया है। हिंदी केवल हमारे लिए संवाद का माध्यम नहीं है बल्कि हमारी अस्मिता, संस्कृति और भारतीयता का प्रतीक भी है। हिंदी ने विविधता से भरे हमारे समाज को एक सूत्र में बांधने का प्रयास किया है। सहजता, सरलता और सामर्थ्य से परिपूर्ण हिंदी में समन्वय की अदभुत क्षमता है। हिंदी की कीर्ति केवल भारत तक सीमित नहीं है बल्कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में यह संवाद का एक प्रमुख सेतु बन चुकी है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि दुनिया के विभिन्न देशों में हिंदी का अध्ययन किया जा रहा है। हिंदी ने समाज में जागरूकता लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक हिंदी सामाजिक चेतना का भी प्रमुख माध्यम रही है। स्वतंत्रता संग्राम के समय हिंदी संघर्ष की भाषा बनी और उसने देशवासियों को एक सूत्र में बांधने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य सरकार हिंदी उत्थान को निरंतर कार्य कर रही हैं। उन्होंने हिंदी भाषा के संवर्धन को उत्तराखंड भाषा संस्थान के प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड भाषा संस्थान ने कई सारे नवाचार कर लोगों को प्रोत्साहित किया है। यह प्रयास भाषायी विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य सरकार भाषाओं और परंपराओं के प्रति समर्पण प्रोत्साहित करने को ’उत्तराखंड गौरव सम्मान’ में उत्कृष्ट साहित्यकारों को सम्मानित किया जाता है। उत्तराखंड भाषा संस्थान ने विभिन्न भाषाओं में ग्रंथ प्रकाशन को वित्तीय सहायता योजना में 17 साहित्यकारों को अनुदान प्रदान किया गया है जो हमारे लेखकों को प्रेरित करेगा।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि आज जब भारत दुनिया का सिरमौर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, ऐसे समय हिंदी का प्रचार-प्रसार हमारे लिए और भी महत्वपूर्ण हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिंदी को वैश्विक मंच पर स्थापित करने को महत्वपूर्ण प्रयास कर रहे हैं। ’मन की बात’ कार्यक्रम में उनके हिंदी प्रयोग से हिंदी को वैश्विक पहचान मिली है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंदी के उत्थान और संवर्धन को राज्य सरकार अनेक प्रयास कर रही हैं। हिंदी का गौरव कायम रखना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। आज हमें संकल्प लेना चाहिए कि अपनी मातृ भाषा हिंदी का सम्मान करेंगे। इसे अपने दैनिक जीवन में अपनाएंगे ताकि हिंदी 21 वीं सदी की सशक्त भाषा बने। उन्होंने युवाओं को प्रेरित किया कि युवाओं को अनेक भाषाएं सीखनी चाहिए और इसे लेकर किसी तरह का कोई भी संकोच मन से निकालें। उन्होंने कहा कि बाल्यकाल में आपने जो सीख लिया, वो आपके पूरे जीवन काम आता है।
भाषा मंत्री सुबोध उनियाल ने भाषा संस्थान की ओर मुख्यमंत्री धामी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जो भी प्रस्ताव भाषा संस्थान की ओर से भेजे गये , उन्हें तत्काल स्वीकृति प्रदान मिली। उन्होंने कहा कि संस्थान तमाम बोलियों में पुरस्कार की शुरूआत करने के साथ ही नवोदित लेखकों को प्रोत्साहित कर रहा है। उन्होंने कहा कि संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए भाषा का उत्थान बहुत जरूरी है। अपनी भाषा के संवर्धन पर काम करने से कोई छोटा नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि विगत दिनों मुख्यमंत्री से साहित्य भूषण पुरस्कार की धनराशि पांच लाख रुपये करने का अनुरोध किया था, जिसे उन्होंने स्वीकृति प्रदान की है। राज्य में यह पुरस्कार प्रतिवर्ष प्रदान किया जायेगा।
इस अवसर पर विधायक खजान दास, साहित्यकार एवं पूर्व कुलपति डाक्टर सुधा रानी पांडे, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल, सचिव विनोद रतूड़ी, भाषा संस्थान की निदेशक श्रीमती स्वाति भदौरिया उपस्थित थे।