मुख्यमंत्री धामी को मिला उत्तराखंड समान नागरिक संहिता प्रारूप
*उत्तराखण्ड में समान नागरिक संहिता के लिए गठित समिति ने ड्राफ्ट मुख्यमंत्री को सौंपा।*
देहरादून 02 फरवरी 2024 । उत्तराखण्ड में समान नागरिक संहिता के लिये सेवानिवृत्त न्यायाधीश श्रीमती रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में बनी समिति ने ड्राफ्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपा। मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि विधान सभा चुनाव 2022 से पूर्व हमने उत्तराखण्ड राज्य की जनता से भारतीय जनता पार्टी के संकल्प के अनुरूप उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लाने का वादा किया था।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि अपने वादे के मुताबिक हमने सरकार गठन के तुरंत बाद ही पहली कैबिनेट की बैठक में ही समान नागरिक संहिता बनाने को एक विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्णय लिया था और 27 मई 2022 को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश श्रीमती रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति गठित की गई। समिति में सिक्किम उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली , उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल एवं समाजसेवी मनु गौड़ को सम्मिलित किया गया। समिति ने दो उप समितियों का गठन भी किया जिसमें से एक उपसमिति का कार्य “संहिता“ का प्रारूप तैयार करने का था। दूसरी उपसमिति का कार्य प्रदेश के निवासियों से सुझाव आमंत्रित करने के साथ ही संवाद स्थापित करना था। समिति ने देश के प्रथम गांव माणा से जनसंवाद कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए प्रदेश के सभी जनपदों में सभी वर्ग के लोगों से सुझाव प्राप्त किये। इसमें कुल 43 जनसंवाद कार्यक्रम किये गये और प्रवासी उत्तराखंडी भाई-बहनों के साथ 14 जून 2023 को नई दिल्ली में चर्चा के साथ ही संवाद कार्यक्रम पूर्ण किया गया।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि समिति ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने को समाज के हर वर्ग से सुझाव आमंत्रित करने के लिये 08 सितम्बर 2022 को एक वेब पोर्टल लॉन्च करने के साथ ही राज्य के सभी नागरिकों से एसएमएस और वाट्सअप मैसेज से सुझाव आमंत्रित किये थे। समिति को विभिन्न माध्यमों से दो लाख 32 हजार नौ सौ 61 (2,32,961) सुझाव प्राप्त हुए जो कि प्रदेश के लगभग 10 प्रतिशत परिवारों के बराबर है। लगभग 10 हजार लोगों से संवाद एवं प्राप्त लगभग 02 लाख 33 हजार सुझावों का अध्ययन करने हेतु समिति की 72 बैठकें आहूत हुई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समिति से रिपोर्ट प्राप्त कर राज्य की जनता एवं राज्य सरकार की ओर से समिति के सभी विद्वान सदस्यों का धन्यवाद ज्ञापित किया और आशा की कि समिति के सदस्यों का यह योगदान राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिये एक मील का पत्थर साबित होगा।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि सरकार इस रिपोर्ट का अध्ययन और परीक्षण कर यथाशीघ्र उत्तराखंड राज्य के लिये समान नागरिक संहिता कानून का प्रारूप तैयार कर संबंधित विधेयक को विधान सभा के विशेष सत्र में रखेगी। इस कानून को लागू करने की दिशा में सरकार तेजी से आगे बढ़ेगी।
इस अवसर पर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, सचिव आर. मीनाक्षी सुदंरम, विनय शंकर पाण्डेय, विशेष सचिव पराग मधुकर धकाते, समान नागरिक संहिता के सदस्य सचिव अजय मिश्रा एवं महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी उपस्थित थे।
बहुविवाह पर रोक, लिव इन रिलेशनशिप की देनी होगी जानकारी…
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का ड्राफ्ट समिति ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को दस्तावेज सौंप दिया. सूत्रों के मुताबिक ड्राफ्ट में बहुविवाह की प्रथा पर प्रतिबंध, समान विरासत अधिकार और लिव-इन रिलेशनशिप की अनिवार्य घोषणा जैसे महत्वपूर्ण सुझाव हैं.
UCC ड्राफ्ट रिपोर्ट पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि मुझे ड्राफ्ट मिल गया है, इसकी जांच की जाएगी और फिर इसे लागू किया जाएगा. हमने राज्य चुनावों के दौरान उत्तराखंड के लोगों से वादा किया था और उन्होंने हमारी सरकार बनाई. इसलिए हम वह वादा निभा रहे हैं. हमें उम्मीद है कि अन्य राज्य भी इसे लागू करेंगे.
UCC ड्राफ्ट की बड़ी बातें
1- लड़कियों की शादी की उम्र 18 वर्ष और लड़कों की शादी की उम्र 21 वर्ष होगी
2- विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा.
3- पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान कारण और आधार उपलब्ध होंगे. तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा.
4- एक पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं हो सकेगी, यानी पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगेगी.
5- उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर अधिकार होगा.
6- लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन आवश्यक होगा. ये एक सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा.
7- अनुसूचित जनजाति के लोग इस परिधि से बाहर रहेंगे.
मार्च 2022 में सरकार गठन के तत्काल बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दे दी गयी थी. बाद में सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया था. अगर लागू हुआ तो उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा. गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनों से ही यूसीसी लागू है.
चार खंडों में सौंपी गई UCC की ड्राफ्ट रिपोर्ट
उत्तराखंड में UCC का ड्राफ्ट चार खंडों में सरकार को सौंपा गया है. इस रिपोर्ट का शीर्षक है समानता द्वारा समरसता. यह हिन्दी और अंग्रेज़ी में है. बड़ी बात ये है कि रिपोर्ट के मुखपृष्ठ पर छपी न्याय की देवी की आंखों पर पट्टी नहीं बंधी है. इसका संदेश ये है कि क़ानून अब सबको समान नज़रों से देखेगा. इसीलिए शीर्षक समानता से समरसता रखा गया है. पहले खंड में एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट है. दूसरे खंड में ड्राफ्ट कोड है. तीसरे खंड में हितधारकों से विचार-विमर्श पर रिपोर्ट है. चौथे खंड में प्रारूप संहिता को रखा गया है.