भाकियू(सर्व) की गोष्ठी में घटती कृषि भूमि पर चिंता

भारतीय किसान यूनियन (सर्व) ने किया विचार विमर्श संगोष्ठी का आयोजन

देहरादून 21 सितंबर 2025। देहरादून में पंडित राजकिशोर शर्मा नीत भारतीय किसान यूनियन (सर्व) के महानगर अध्यक्ष सागर कपिल के आवास पर पहला विचार विमर्श और संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें किसान यूनियन ( सर्व ) के पदाधिकारी मुख्य रूप से उपस्थित थे । इसमें किसानों से जुड़ी समस्याओं और उनके निदान के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा की गई और किसानों की आय  किस तरह बढ़ायी जाए,  इस पर भी मुख्य रूप से चर्चा की गई । साथ ही  घटती कृषि भूमि के संदर्भ में शहरी लोग किस तरह से कम जगह में लाभकारी खेती कर सकते हैं,  इस पर भी वार्ता की गई।

संगोष्ठ को शुभकामना संदेश भेजते हुए यूनियन के राष्ट्रीय सलाहकार कमलेश कुमार शर्मा ने कहा कि उत्तराखंड में कृषि भूमि में भारी कमी आई है, जो पिछले 24 वर्षों में 27% तक घटी है । इससे राज्य की 90% जनसंख्या को प्रभावित करने वाली आजीविका का संकट पैदा हो गया है। इसके मुख्य कारण पहाड़ी क्षेत्रों से लोगों का पलायन, जंगली जानवरों का आतंक, शहरीकरण, उद्योगों का विस्तार और बदलता जलवायु परिवर्तन है।
घटती कृषि भूमि के मुख्य कारण
पलायन और जंगली जानवर: पहाड़ी क्षेत्रों से लोगों के पलायन के कारण वहाँ की कृषि योग्य भूमि खाली हो गई है और जंगली व लावारिस जानवरों के आतंक ने भी खेती को प्रभावित किया है।
शहरीकरण और उद्योग: राज्य गठन के बाद शहरीकरण और उद्योगों (जैसे सिडकुल में) के कारण कृषि भूमि पर निर्माण हो रहा है।
जलवायु परिवर्तन: अनियमित वर्षा, बर्फबारी में कमी और बढ़ते तापमान जैसी जलवायु संबंधी घटनाओं ने पारंपरिक फसलों को नुकसान पहुँचाया है और खेती की भूमि की उत्पादकता को कम कर दिया है।
परती भूमि में वृद्धि: कृषि भूमि के बजाय, परती भूमि का क्षेत्रफल बढ़ा है, जो दर्शाता है कि लोग खेती छोड़ रहे हैं।
वर्तमान स्थिति
श्री शर्मा ने कहा कि राज्य गठन के समय 2000 में लगभग 7.70 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि थी, जो 2024 तक घटकर 5.68 लाख हेक्टेयर रह गई है, यानी 27% की कमी आई है। किसानों के लिए पारंपरिक खाद्यान्न फसलों को उगाना मुश्किल हो रहा है।
समाधान और भविष्य
सरकारी स्तर पर परती और बंजर भूमि को कृषि उपयोग में लाने और क्लस्टर आधारित खेती को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके फसलों की पैदावार बढ़ाई जा रही है, भले ही कृषि भूमि कम हो रही हो।

श्री शर्मा ने बताया कि गन्ने के बाद सर्वाधिक महत्वपूर्ण नकदी फसल आलू का क्षेत्र भी 2020–21 में 26,867 हेक्टेयर से घटकर 2022–23 में 17,083 हेक्टेयर हो गई है। पूरे देश की तरह उत्तराखंड में भी कृषि की सबसे बड़ी समस्या सिंचाई की है। यहां 118000 हेक्टेयर कृषि क्षेत्रफल सिंचित तथा 88000 हेक्टेयर कृषि क्षेत्रफल. असिंचित है। रबी वर्ष 2015-16 में सुखे से 109000 हेक्टेयर कृषि क्षेत्रफल प्रभावित हुआ। अभी पहाड़ में खेतीहर भूमि छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटी हुई है, जिससे किसान आधुनिक तकनीकों का उपयोग नहीं कर पाते और उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है।

संगोष्ठी में भारतीय किसान यूनियन (सर्व) जुड़े सर्वश्री अभय दीपक (राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष), संदीप शर्मा (राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी), सुनील कुमार, कल्पेंद्र कुमार, सौरभ कुमार, अरविंद सिंह, प्रवेश कुमार, गुरप्रीत सिंह, रोहित, जोगिंदर सिंह, पदाधिकारीयों के साथ अन्य सदस्य भी मौजूद रहे। भारतीय किसान यूनियन (सर्व) के महानगर अध्यक्ष सागर कपिल ने कहा कि उत्तराखंड के किसानों को आगे बढ़ाने में भारतीय किसान यूनियन (सर्व) सदैव तत्पर है.

 

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