पांव पर कुल्हाड़ी:भारत से पंगा ले डेढ़ लाख करोड़ पर पानी फेरेंगें कनाडाई पीएम ट्रूडो
Canada-India Tension: Justin Trudeau Make Trouble For His Own Economy, More Then Rs142446 Crore On Stake
भारत से पंगा से लेकर खुद का नुकसान कर रहे हैं जस्टिन ट्रूडो, दांव पर लगे ₹142500 करोड़, कनाडा की इकॉनमी को लगेगा झटका
नई दिल्ली 20 सितंबर: G20 में हिस्सा लेने के बाद जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ( Canada PM Justin Trudeau) अपने देश लौटे, उसके बाद से ही वो भारत विरोधी बयान दे रहे हैं। कनाडाई प्रधानमंत्री ट्रुडो के बयान के बाद से दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव आ गया है। खालिस्तानी आतंकवादी हरजीत सिंह निज्जर की हत्या पर ट्रुडो के बयान, भारत के साथ ट्रेड मिशन रोकने के ऐलान के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा है। कनाडाई प्रधानमंत्री यहीं नहीं रुके, उन्होंने भारत के राजनयिक को निष्कासित कर आग में घी डाल दिया। भारत और कनाडा के बीच बढ़ते तनाव ने कारोबारी जगत की नींद उड़ा दी है। दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है और कंपनियों की धड़कनें भी। भारत के साथ विवाद बढ़ाकर जस्टिन ट्रुडो खुद अपना नुकसान कर रहे हैं। आइए इसे समझें
कारोबार जगत की बढ़ी चिंता
कनाडा और भारत में बढ़ते तनाव ने कारोबार जगत की चिंता बढ़ा दी है। दोनों देशों में रिश्तों में बढ़ रही तल्खी के चलते भारी-भरकम निवेश पर असर दिख सकता है। इसका नुकसान कनाडाई इकॉनमी को हो सकता है। 30 से ज्यादा भारतीय कंपनियों ने कनाडा में निवेश किया है। दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ते हैं तो इन कंपनियों के कारोबार पर असर होगा। कनाडा में रोजगार को लेकर बड़ा संकट खड़ा होगा।वहां की इकॉनमी हिल सकती है। भारतीय कंपनियों से कनाडा में बड़ी संख्या में रोजगार पैदा हुए हैं। अगर इन कंपनियों ने वहां से कारोबार समेटा तो कनाडा की मुश्किल बढ़ सकती है।
कनाडा के लिए भारत कितना महत्वपूर्ण
कनाडा के लिए भारतीय कंपनियां कितनी महत्वपूर्ण है इसका अंदाजा उसके निवेश से पता चलता है। मई 2023 में आई ‘फ्रॉम इंडिया टू कनाडा-इकोनॉमिक इंपैक्ट एंड एंगेजमेंट’ की रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा की इकॉनमी में भारतीय कंपनियां अहम रोल निभाती हैं। CII ने इस रिपोर्ट को जारी किया था, जिसमें बताया गया कि कनाडा में भारत ने कितना निवेश किया। कनाडा में भारतीय उद्योग की बढ़ती मौजूदगी , वहां रोजगार पर भारतीय कंपनियों का प्रभाव कितना है, इन सब का जिक्र इस रिपोर्ट में किया गया है।
कनाडा में भारतीय कंपनियों का निवेश
इस रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा में 30 से ज्यादा भारतीय कंपनियों ने निवेश किया है। उन कंपनियों ने कनाडा में 40446 करोड़ रुपये का निवेश किया है। भारतीय कंपनियां कनाडा में 17 हजार से अधिक रोजगार दे रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा में कारोबार कर रही भारतीय कंपनियों ने अगले पांच सालों में वहां निवेश बढ़ाने की बात कही है। वहीं अधिकांश कंपनियां और हायरिंग की प्लानिंग कर रही है। अगर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा तो जाहिर है कि कंपनियां अपने हाथ खींच लेंगी और कनाडा की इकॉनमी पर असर पड़ेगा।
कनाडा का भारत में निवेश
कनाडा ने भी भारत में निवेश किया है। साल 2000 से मार्च 2023 तक कनाडा ने भारत में लगभग 3306 करोड़ डॉलर का निवेश किया है। कनाडा भारत का 17वां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है। कनाडा की कैनेडियन पेंशन प्लान इन्वेस्टमेंट बोर्ड (CPPIB) ने भारत में कई बड़ी कंपनियों में निवेश किए हैं। रिपोर्ट की माने तो भारत में कनाडा का कुल निवेश 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। कनाडा पेंशन फंड ने कोटक महिंद्रा बैंक, जोमैटो, पेटीएम, नायका, इंफोसिस समेत कई बैंकों में निवेश किया है। दोनों देशों में तनाव का असर अगर कारोबार पर पड़ा तो भारत की इन कंपनियों पर भी असर होगा।
व्यापार में अरबों का नुकसान हो सकता है
कनाडा-भारत में व्यापार आंकड़ें देखें तो वित्त वर्ष 2021-22 में दोनों देशों में 7 अरब डॉलर का व्यापार हुआ । शुरुआती छह महीनों में ही दोनों देशों में 8.16 अरब डॉलर का व्यापार हो चुका है। वित्त वर्ष 2023 में भारत ने कनाडा को 4.11 अरब डॉलर यानी करीब 34 हजार करोड़ रुपये का सामान निर्यात किया। भारत का कनाडा से इंपोर्ट 4.17 अरब डॉलर यानी 35 हजार करोड़ से कुछ कम रहा है।
कनाडा-भारत संबंध बिगड़े तो पंजाबियों पर सबसे ज्यादा असर:कनाडा की कुल आबादी में 2.6% पंजाबी; नौकरी-बिजनेस प्रभावित होगा; स्टूडेंट्स पर भी पड़ सकती है मार
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो 9-10 सितंबर को G20 सम्मेलन के लिए दिल्ली आए थे। यहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का मुद्दा उठाया था, लेकिन भारत ने उसे खारिज कर दिया था।
कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की ओर से खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार का हाथ होने संबंधी संगीन आरोपों के बाद दोनों देशों की सरकारों के बीच तल्खी बढ़ गई।
दोनों देशों के बीच शुरू हुए इस विवाद से व्यापार ही नहीं, बल्कि कनाडा में बड़ी संख्या में रहने वाले भारतीय लोगों, खासकर पंजाबियों पर भी असर पड़ेगा। पूरी दुनिया में भारत के बाद सबसे ज्यादा सिख कनाडा में ही रहते हैं।
कनाडा की कुल आबादी तकरीबन तीन करोड़ 82 लाख है और इनमें से 2.6% यानी 9 लाख 42 हजार 170 पंजाबी हैं। पंजाब के लोग न केवल कनाडा में नौकरी करते हैं, बल्कि वहां के बिजनेस में भी उनका अच्छा-खासा दबदबा है। खासकर एग्रीकल्चर और डेयरी फार्मिंग वगैरह में तो पंजाबी पूरी तरह डॉमिनेट करते हैं।
पंजाबियों के अलावा कनाडा में दूसरे भारतीयों की भी अच्छी-खासी संख्या है। हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली और दक्षिण भारत के कई राज्यों के लोग बड़ी संख्या में कनाडा में हैं। भारत से हर साल हजारों स्टूडेंट्स भी कनाडा जाते हैं।
सबसे पहले समझिए… विवाद है क्या
भारत और कनाडा के बीच ताजा विवाद की शुरुआत 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में हुए G20 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने G20 समिट में भाग लेने पहुंचे कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के सामने कनाडा में बढ़ रही खालिस्तानी गतिविधियों का मामला उठाया। मोदी ने कनाडाई सरकार से उसकी धरती पर चल रही अलगाववादी गतिविधियां रोकने को जरूरी कदम उठाने को कहा।
इस पर कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो ने मोदी से दो-टूक कह दिया कि भारत सरकार कनाडा के घरेलू मामलों और राजनीति में दखल ना दे। यही नहीं,ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर को कनाडा का नागरिक बता मोदी के सामने उसकी हत्या का मामला उठाया। भारत सरकार ने तब ट्रूडो की बात को महत्व नहीं दिया।
G20 शिखर सम्मेलन बाद कनाडा पहुंचते ही जस्टिन ट्रूडो ने वहां की संसद में बयान दिया कि हरदीप सिंह निज्जर कनाडाई नागरिक था और उसकी हत्या भारत सरकार ने करवाई है। साथ ही कनाडाई सरकार ने एक भारतीय डिप्लोमैट भी अपने देश से निकाल दिया। भारत सरकार ने कनाडा के इस कदम का कड़ा संज्ञान लेते हुए न केवल ट्रूडो के सारे आरोप खारिज किये बल्कि नई दिल्ली में मौजूद कनाडा के एक डिप्लोमैट को भी पांच दिन में देश छोड़ने को कह दिया।
विवाद के 3 बड़े असर…
1. व्यापार में अरबों का नुकसान
दोनों देशों के बीच वित्त वर्ष 2021-22 में 7 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था। चालू वित्त वर्ष 2022-23 के शुरुआती छह महीनों में ही दोनों देशों में 8.16 अरब डॉलर का व्यापार हो चुका है।
हालांकि G20 समिट के तुरंत बाद भारत और कनाडा में मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) बातचीत रुक गई है। मौजूदा तल्खी लंबी खिंचती है तो दोनों देशों में कारोबार प्रभावित होगा।
2. कनाडा में पंजाबी किसान होंगे प्रभावित
कनाडा के एग्रीकल्चर, हॉर्टिकल्चर और डेयरी फार्मिंग सेक्टर में पंजाबियों का पूरा दबदबा है। कनाडा से खेती और बागबानी उत्पाद भारत सप्लाई होते हैं और सीधा फायदा वहां के पंजाबियों यानी भारतीयों को मिलता है। यदि भारत-कनाडा के संबंध बिगड़ते हैं तो इसकी सीधी मार इन्हीं भारतीयों पर पड़ेगी।
इसका असर नवंबर-2017 के एक केस से समझें। तब भारत सरकार ने पीली मटर के इंपोर्ट पर अंकुश लगाने को इस पर टैरिफ 50% तक बढ़ाया था। इसका कनाडा के खेतीहर भारतीयों पर बुरा असर पड़ा और उन्हें अपना उत्पाद काफी कम कीमत पर पाकिस्तान भेजना पड़ा।
3. स्टूडेंट्स पर डिपोर्ट होने की तलवार
कनाडा में इस समय पंजाब के एक लाख 60 हजार स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं जो स्टडी वीजा पर गए हैं। पंजाब से हर साल 50 हजार युवा पढ़ने विदेश जाते हैं। ये नौजवान कनाडा और दूसरे देशों में पढ़ाई के साथ-साथ अपना खर्चा निकालने को वहां छोटा-मोटा काम भी कर लेते हैं।
यदि प्रति स्टूडेंट 25 लाख रुपए भी फीस मानें तो हर साल अकेले पंजाब से 12,500 करोड़ रुपए विदेश जाते हैं। यह रकम वीजा फीस,कॉलेज फीस और विदेश में टैक्स में भरी जाती है। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा कनाडा को ही मिलता है।
कनाडा कभी नहीं चाहेगा कि उसकी यह इनकम खत्म हो। दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता है तो कनाडाई सरकार भारतीय स्टूडेंट्स के लिए अपने नियम सख्त बना सकती है। इसमें वीजा कैंसिल कर डिपोर्ट करना भी शामिल है।